Bihar Board Class 10 Disaster Management Solutions Chapter 5 आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था

Bihar Board Class 10th Social Science Book Solutions सामाजिक विज्ञान Chapter 5 आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 10 Disaster Management Solutions Chapter 5 आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में कौन प्राकृतिक आपदा है ?
(क) आग लगना
(ख) बम विस्फोट
(ग) भूकम्प
(घ) रासायनिक दुर्घटनाएँ
उत्तर-
(ग) भूकम्प

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प्रश्न 2.
भूकंप संभावित क्षेत्रों में भवनों की आकृति कैसी होनी चाहिए?
(क) अंडाकार
(ख) त्रिभुजाकार
(ग) चौकोर
(घ) आयाताकार
उत्तर-
(घ) आयाताकार

प्रश्न 3.
भूस्खलन वाले क्षेत्र में ढलान पर मकानों का निर्माण क्या है ?
(क) उचित
(ख) अनुचित
(ग) लाभकारी
(घ) उपयोगी ।
उत्तर-
(ख) अनुचित

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प्रश्न 4.
सुनामी प्रभावित क्षेत्र में मकानों का निर्माण कहाँ करना चाहिए?
(क) समुद्र तट के निकट
(ख) समुद्र तट से दूर
(ग) समुद्र तट से ऊंचाई पर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) समुद्र तट से दूर

प्रश्न 5.
बाढ़ से सबसे अधिक हानि होती है
(क) फसल की
(ख) पशुओं की
(ग) भवनों की
(घ) उपरोक्त सभी की
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी की

प्रश्न 6.
कृषि सुखाड़ होता है
(क) जल के अभाव में
(ख) मिट्टी की नमी के अभाव में
(ग) मिट्टी के क्षय के कारण
(घ) मिट्टी की लवणता के कारण
उत्तर-
(क) जल के अभाव में

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लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भूकंप के प्रभावों को कम करने के चार उपायों को लिखिए।
उत्तर-
भूकंप के प्रभावों को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं

भवनों का आयताकार होना चाहिए।
भवनों के निर्माण ईंट-कंक्रीट से होना चाहिए। .
नींव को मजबूत एवं भूकंप अवरोधी होना चाहिए।
गलियों एवं सड़कों को चौड़ा होना चाहिए तथा दो भवनों के बीच पर्याप्त दूरी होनी । चाहिए।
प्रश्न 2.
सुनामो संभावित क्षेत्रों में गृह निर्माण पर अपना विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर-
सुनामी प्रभावित क्षेत्रों में गृह निर्माण के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए

जहाँ सुनामी की लहरें आती हैं वहाँ लोगों को तटीय भाग की अपेक्षा तट से दूर बसना चाहिए।
समुद्र तटीय भाग में सघन वृक्षारोपण करना चाहिए।
नगरों एवं भवनों को बचाव के लिए कंक्रीट अवरोधक का निर्माण करना चाहिए।
प्रभावित क्षेत्रों में ऐसे मकान का निर्माण करना चाहिए जो सुनामी लहरों के प्रभाव को न्यून कर सके।
पोताश्रयों को ऊंची बाँधों द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है।
प्रभावित क्षेत्रों में मकान ऊंचे स्थानों पर और तट से करीब सौ मीटर की दूरी पर बनाना चाहिए।
सुनामी रेकॉर्डिग सेन्टर की स्थापना होना चाहिए।
उपग्रह प्रौद्योगिकी द्वारा सुनामी की चेतावनी प्राप्त करना चाहिए और संचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा तुरन्त आम लोगों तक पहुँचाना चाहिए।
प्रश्न 3.
सुखाड़ में मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर-
सूखे जैसे प्राकृतिक आपदा को विभिन्न विधियों को अपनाकर इसकी विभीषिका को . कम किया जा सकता है। जैसे-जल संसाधन का वैज्ञानिक विकास और प्रबंधन द्वारा जल की समस्या का समाधान किया जा सकता है। क्योंकि सुखाड़ के समय जल के अभाव से न केवल मिट्टी की नमी समाप्त हो जाती है, बल्कि सभी प्राणियों को जान तक बचाना मुश्किल हो जाता है। जल विभाजक के विकास की याजना ऐसी स्थिति में बहुत सहायक होती है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भूस्खलन अथवा बाढ़ जैसी प्राकृतिक विभीषिकाओं का सामना आप किस प्रकार कर सकते हैं ? विस्तार से लिखिए। .. उत्तर-
भूस्खलन के पाँच रूप होते हैं-

बारिश के पानी के साथ मिट्टी और कचड़े का नीचे आना
कंकड़-पत्थरों का खिसकना
कंकड़-पत्थर का गिरना
चट्टानों का खिसकना
चट्टानों का गिरना आदि से जानमाल की बर्बादी होती है।
इससे बचाव के लिए निम्न उपाय किए जाने चाहिए-

मिट्टी की प्रकृति के अनुरूप उपयुक्त नींव बनाना।
ढलवां स्थान पर मकान का निर्माण न करना।
सामान्य एवं वैकल्पिक संचार प्रणालियों को समुचित व्यवस्था करना।
वनस्पति विहीन ऊपरी ढालों पर उपयुक्त वृक्ष प्रजातियों का सघन रोपण कार्य करना।
प्राकृतिक जल की निकासी का अवरुद्ध न होना।
पुख्ता दीवारों का निर्माण किया जाना।
बारिश की पानी और झरनों के प्रवेश सहित भूस्खलनों के संचलन पर काबू पाने के लिए समतल जल निकासी केन्द्र बनाना।
भूमि के नीचे बिछाए जाने वाले पाईप लाइन, केबुल आदि लचीले होने चाहिए ताकि भूस्खलन से उत्पन्न दबाव का सामना कर सकें।
बाढ़ एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है। इससे निजात पाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं

बाढ़ की प्रवणता को कम करने के लिए वनों का विकास से निजात मिल सकती है।
नदियों के दोनों तटबंधों पर बाँध बनाना। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की सुरक्षा प्रदान किया जा सकता है।
मृदा क्षय को भी निर्यात किया जा सकता है।
जल निकासी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
पर्वतीय भागों में नदियों के ऊपर बाँध और पृष्ठ भाग जलाशय का निर्माण कर जल को नियंत्रित किया जा सकता है (vi) बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नहरों का जाल बिछाकर इसकी विभीषिका से बचा जा सकता है साथ ही सिंचाई का काम भी किया जा सकता है।
बाढ़ से बचाव के लिए रिंग बांध भी सहायक होता है। नदियों की धाराओं में सुधार तथा नदियों के लिए वैकल्पिक मार्ग का निर्माण द्वारा इस समस्या का समाधान संभव है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थान-स्थान पर खाद्यान्न बैंक का भी विकास होना चाहिए।
प्रश्न 2.
सुनामी के दौरान उठाये जानेवाले कदम (Preparedness measures during Tsunami Scenario) के बारे में लिखें।
उत्तर-
सुनामी तूफान आने के पहले कुछ उठाये गए कदम निम्नांकित हैं

अपने स्कूल/मकान आदिसमुद्र तट से कितनी दूरी पर है इसकी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
यह जान लेना आवश्यक है कि आपका स्कूल/घर समुद्र तल से कितनी ऊंचाई पर है।
ऐसे स्थान पर चले जायें जो ऊँचाई पर स्थित हो और हर प्रकार से सुरक्षित हो।
सुनामी की लहर पहले हल्की और कम ऊंचाई की हो सकती है, परन्तु बाद में भयंकर रूप धारण कर सकती है। इसलिए हल्की लहर को देखते ही समुद्र तट को छोड़ देना चाहिए।
कई लोग सुनामी लहरों को देखने के लिए नजदीक चले जाते हैं, परन्तु ऐसा करना बड़ा खतरनाक सिद्ध हो सकता है। .
प्रशान्त सुनामी केन्द्र द्वारा दी गई चेतावनी की ओर ध्यान दें। उसे हल्के में ही मत टाल दें। मई 1960 में 61 व्यक्ति की मौत हो गई क्योंकि उनलोगों ने तटीय केन्द्र द्वारा चेतावनी को हवाई टापू पर अनसुनी कर दिया था।
रेडियो टेलीविजन द्वारा प्रसारित की गई जानकारी का लाभ उठाएँ और उनके द्वारा दी
गई सतह पर अमल करें।
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प्रश्न 3.
आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका का विस्तार से उल्लेख करें।
उत्तर-
मुख्यत: आकस्कि प्रबंधन के तीन घटक हैं-

स्थानीय प्रशासन
स्वयंसेवी संगठन
गाँव अथवा मुहल्ले के लोग।

  1. स्थानीय प्रशासन- आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की अहम भूमिका होती है। राहत शिविर का निर्माण, प्राथमिक उपचार की सामग्री की व्यवस्था, एम्बुलेंस, डॉक्टर, अग्निशामक इत्यादि की तत्काल व्यवस्था करना इसका प्रमुख कार्य है।
  2. स्वयंसेवी संगठन- आकस्मिक प्रबंधन में स्वयंसेवी संस्था महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, अगर गाँव के युवकों तथा पंचायत प्रबंधन के बीच समन्वय हो। ऐसे प्रबंधन में जाति, धर्म, लिंग के भेदभाव का परित्याग करना पड़ता है। स्वयंसेवी संस्था आकस्मिक प्रबंधन में काफी योगदान दे सकती है।
  3. गाँव अथवा महल्ले के लोग- आकस्मिक प्रबंधन में गाँव और मुहल्ले के लोग काफी योगदान दे सकते हैं। जैसे- युवकों को मानसिक रूप से सुदृढ़ और तकनीकी रूप से प्रशिक्षित करना और उनमें साहस का संचार कर सकते हैं।

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क्रियाकलाप

आप अपने गाँव मुहल्ले में शिक्षक के साथ एक आमसभा आयोजित कीजिए और आमलोगों को बताइए कि प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए मिलजुल कर उसका सामना करना चाहिए। इससे विपत्ति और बर्बादी कम होगी।
उत्तर-
छात्र अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

Bihar Board Class 10 Disaster Management आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था Notes
यद्यपि आपदाएँ और संकट प्राकृतिक क्रियाओं के प्रतिफल हैं, परंतु अविवेकपूर्ण मानवीय क्रियाएँ भी आपदाओं को आमंत्रित करती हैं।
आपदा के संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के लिए हमेशा तैयारी रखनी चाहिए, क्योंकि आपदाएं अप्रत्याशित रूप से घटित होती हैं।
बाढ़ और सूखे के संकट का आकलन कर उनसे निपटने की तैयारी सम्यक रूप से करनी चाहिए।
आपदा प्रबंधन में स्थानीय लोगों का सहयोग ही सबसे अधिक कारगर होता है।
संचार साधनों का उपयोग आपदा से निपटने में बहुत प्रभावशाली होता है।
अभी तक आपदाओं में लाखों-करोड़ों लोगों की मृत्यु तब हुई हैं जब उन क्षेत्रों में एकाधिपत्य शासन रहा है। किसी लोकप्रिय प्रजातांत्रिक देश में बड़ी संख्या में लोगों की ‘ मौत नहीं हुई, क्योंकि वहाँ आपदा से निपटने के लिए उचित प्रयास करना संभव हो सका। आपदा प्रबंधन के महत्व को इंगित करने के लिए यह उदाहरण सटीक है।
प्रकृति में होनेवाले कुछ परिवर्तन संकट और आपदाओं के कारण होते हैं।
अनेक संकटों और आपदाओं का कारण मनुष्य के क्रियाकलाप भी होते हैं।
प्रकृति के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ संकटों और आपदाओं को आमंत्रित करती है।
संकट धीरे-धीरे उत्पन्न होते हैं और आपदाएँ अकस्मात विकास रूप ले लेती हैं।
भारत का उत्तरी तराई भाग भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील है।
ज्वालामुखी के प्रकोप से भारत प्रायः बचा हुआ है।
सुनामी से बंगाल की खाड़ी प्रभावित है, क्योंकि इससे पूर्वी भाग में इंडोनेशिया का तट बहुत अधिक संवेदनशील है।
भारत में चक्रवात प्रायः मई-जून तथा अक्टूबर-नवम्बर में अधिक आते हैं।
पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ प्रायः प्रतिवर्ष आती है और यही व्यापक हानि होती है।
पंजाब, हरियाणा जैसे पश्चिमोत्तर से राज्यों में हिमालय की बर्फ पिघलने से बाढ़ आती है।
देश के पश्चिमी और दक्षिणी भाग में प्रायः सूखे की स्थिति रहती है; परंतु सभी भाग इसकी चपेट में आ सकते हैं।
बाढ़ का दुष्प्रभाव क्षणिक होता है जबकि सूखे से लोगों को लंबे समय तक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
देश में बिहार एक ऐसा राज्य है जो किसी संकट और आपदा से अछूता नहीं है, सिवाय सुनामी के।

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