Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 19 बसंती हवा

Bihar Board Class 6th Hindi Book Solutions किसलय Kislay Bhag 1 Chapter 19 बसंती हवा – NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 19 बसंती हवा

पाठ से –

बसंती हवा कविता का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 6 प्रश्न 1.
बसंती हवा ने अपने आपको दूसरे मुसाफिरों से अलग क्यों बताया ?
उत्तर:
एक मुसाफिर जिसकी कोई मंजिल नहीं, कोई रास्ता नहीं बर्मनी हवा कहती है- ” जिधर चाहती हूँ, उधर घूमती हूँ”

आम तौर पर एक मुसाफिर का अपना एक गंतव्य स्थान हाताह जहाँ उसे पहुँचना होता है। फिर अपने स्थान तक पहुँचने का उसका एक निर्धारित मार्ग होता है पर बसंती हवा के सफर का कोई मार्ग नहीं, कोई अन्तिम पड़ाव नहीं। इसीलिये बसंती हवा ने अपने को अन्य मुसाफिरों से अलग माना है।

बसंती हवा के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 6 प्रश्न 2.
इस पाठ में कवि ने खेत-खलिहानों के हँसने की बात कही है। ऐसा उन्होंने क्यों कहा?
उत्तर:
बसन्त ऋतु में खेतो में पौधे लहलहाने लगते हैं। सरसों में पीले-पीले फूल निकल आते हैं, अलसी के नीलं फूलों की छटा ही न्यारी होती है-खेतों की हरियाली मन को मोहती है और बसन्ती हवा के झोकों से हरे, पीले, नीले रंग लहराते हैं तो अद्भुत छटा से दिशायें हँस उठती हैं। यही है खेत-खलिहानों का हँसना।

बसंती हवा कविता का सारांश Bihar Board Class 6 प्रश्न 3.
बसंती हवा का कौन-सा अंश आपको सबसे ज्यादा प्रभावित करता है?
उत्तर:
छात्र उत्तर हेतु भावार्थ का अन्तिम अंश (पाराग्राफ) देखें।

पाठ से आगे –

Basanti Hawa Poem Summary In Hindi Bihar Board Class 6 प्रश्न 1.
बसंत का आगमन कब होता है? इस ऋतु में आप कैसा अनुभव करते हैं?
उत्तर:
बसन्त का आगमन शरद ऋतु के अवसान यानी समाप्ति पर जनवरी माह के मध्य भाग से लगभग होता है जो मार्च तक रहता है। हिन्दी महीने की गणना के अनुसार इस ऋतु का आगमन -काल माघ माह के शुक्ल पक्ष से माना जाता है। इसी माह में बसन्तोत्सव के रूप में बसन्तपंचमी को सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। होलिका दहन और होली के रंगोत्सव के साथ इसकी समाप्ति मानी जाती है।

इसे ऋतुओं का राजा माना जाता है क्योंकि इस ऋतु के आते ही कंपकपाने वाली सर्दी खत्म हो जाती है और पसीने तथा लू वाली गर्मी का आगमन नहीं हुआ रहता है। अतः मौसम का कष्ट नहीं झेलना पड़ता है।

प्रकृति दुल्हन की तरह सज-सँवरकर लोगों का स्वागत करती है। इसी समय विद्यार्थियों के लिये परीक्षा का समय आ जाता है, जिसके कारण हम विद्यार्थियों की बेचैनी भी बढ़ जाती है। फिर भी यह मौसम मन को सुकून देता है।

Basanti Hawa Question Answer Bihar Board Class 6 प्रश्न 2.
इस पाठ को पढ़ने के बाद हवा के प्रति आप के मन में किस प्रकार के भाव उठते हैं?
उत्तर:
इस पाठ में हवा का मानवीकरण किया गया है। यूँ तो हवा जीवन के लिये जान है। बिना हवा के पृथ्वी पर जीवन असम्भव है। इस कविता को पढ़कर हवा के प्रति एक आत्मीय भाव मन में उपजता है। हवा की यह उक्ति अत्यन्त प्यारी लगती है –

अनोखी हवा हूँ, बड़ी बावली हूँ। बड़ी मस्तमौला, बड़ी ही निडर हूँ जिधर चाहती हूँ, उधर घूमती हूँ।

हवा की सर्वव्यापकता ही मनुष्य जीवन का आधार है। हमारे अन्दर का प्राणवायु ही हमें जीवन देता है।

Basanti Hawa Question Answer In Hindi Bihar Board Class 6 प्रश्न 3.
सरस्वती पूजा को वसंत पंचमी के नाम से भी जानते हैं। सरस्वती पूजा पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर:
वसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा भारत त्योहारों का देश है। त्योहार हमारे जीवन में आशा का संचार करते हैं। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, वसंत-पंचमी के नाम से जानी … जाती है। प्रत्येक वर्ष रोमन कैलेंडर के अनुसार माघ माह का आगमन वर्ष के प्रथम माह यानी जनवरी में हो जाता है। बसंत ऋतु का प्रवेश भी इसी माह में होता है । वसंत पंचमी के दिन देश के एक बड़े भू-भाग में वसतंत-पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की आराधना की जाती है—विद्यालय, महाविद्यालय एवं शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

इस दिन पूजा स्थलों पर सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना की जाती है और अत्यन्त श्रद्धा और भक्ति से विद्यार्थी इनकी पूजा करते हैं। इस दिन सर्वत्र . एक विशेष उत्सव के साथ वसंत पंचमी पूजा का आयोजन किया जाता है। विद्यार्थी इस दिन से होली पर्व’का भी आगाह करते हैं और एक-दूसरे के माथे पर रंग-अबीर लगाते हैं। शाम के समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विद्यार्थी मिलजुलकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं और संगीत, नृत्य और वाद्य का एक मनोहारी प्रदर्शन पूजा स्थलों पर आयोजित होता है।

व्याकरण

Basanti Hawa Poem Question Answer Bihar Board Class 6 प्रश्न 1.
नीचे दिये गये पद्यांश में विशेषण शब्दों को रेखांकित कीजिये –
अनोखी हवा हूँ। बड़ी बावली हूँ। बड़ी मस्तमौला। नहीं कुछ फिकर है बड़ी ही निडर हूँ।
पद्यांश में आये शब्द अनोखी, बावली, मस्तमौला, निडर वसंती हवा की विशेषता बताते हैं।

बसंती हवा प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 6 प्रश्न 2.
योजक चिह्न ( – ) इस बात को दर्शाता है कि इसके दोनों ओर के शब्द परस्पर मिले हुये हैं। जैसे दिन-रात। इस प्रकार के और शब्द लिखिये।
उत्तर:
दिन-रात, सुबह-शाम, दाल-भात, मौज-मस्ती, घर-द्वार, उल्टा-पुल्टा, सोच-समझ, घर-बार, खिलाया-पिलाया, बनाया-मनाया, आकाश-पाताल, राई-पर्वत, भोजन-पानी, दिया-बत्ती, माता-पिता, सुख-दुःख आदि।

कुछ करने को –

बसंती हवा कक्षा 6 Bihar Board Class 6 प्रश्न 1.
ऋतु से संबंधित किसी कविता का संकलन कर अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

बसंती हवा के प्रश्न उत्तर दिखाओ Bihar Board Class 6 प्रश्न 2.
आप किन-किन चिड़ियों को आवाज से पहचान सकते हैं ? उनकी बोली के साथ सूची बनाइए। .
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

Basanti Hawa Ke Question Answer Bihar Board Class 6 प्रश्न 3.
वायु को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाये जाने चाहिए ? कक्षा में अपने साथियों से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
वायु को प्रदूषण मुक्त करने के लिये वातावरण में कार्बन-डाइआक्साइड गैस का उत्सर्जन कम किया जाना चाहिये। इस जहरीले गैस के कारण हवा प्रदूषित होती है जो पृथ्वी पर वास करने वाले जीव-जन्तुओं के लिये खतरनाक होता है। कार्बन डाइआक्साइड गैस की वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है-पृथ्वी पर से वृक्षों का काटा जाना और सड़कों पर चलने वाले लाखों-लाख वाहनों द्वारा कार्बन डाइआक्साइड मिश्रित धुयें का छोड़ा जाना है। इनके अतिरिक्त उपभोक्तावादी संस्कृति के कारण देश में उद्योगों का तेजी से विकास हो रहा है। इन उद्योगों ने असंख्य कल-कारखानों को जन्म दिया है जो तरह-तरह के गैस का सृजन करते हैं जिसे हवा में छोड़ दिया जाता है। ये हवा को जहरीली बनाते हैं।

अतः वायु को प्रदूषण मुक्त करने के लिये वृक्षों का विनाश बन्द किया जाना चाहिये। साथ ही अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाये जाने चाहिये ताकि ऑक्सीजन की मात्रा वायु में ज्यादा से ज्यादा हो तथा वाहनों के परिचालन हेतु ऐसे ईंधन का उपयोग किया जाय जिससे कार्बन की मात्रा पर नियंत्रण हो। कल-कारखानों में भी धुयें का उत्सर्जन कम किया जाना चाहिये और उसे वातावरण में मिश्रित होने के पूर्व ही नियन्त्रित कर लिया जाना चाहिये।

बसंती हवा Summary in Hindi
कविता का सार-संक्षेप

कवि केदारनाथ अग्रवाल लिखी इस कविता में कुल छ: छंद हैं। इस कविता के माध्यम से कवि बसंत ऋतु के आगमन का सजीव चित्र खींचता है। इस कविता में कवि ने बसंती हवा को सन्देशवाहक बनाया है। बसंती हवा मतवाली बनी बहती है और प्रकृति के अंग-अंग को सहलाती चलती है। बसंती हवा अपनी कथा स्वयं कहती है –

  1. बसंती हवा कहती है – मैं बसंती हवा हूँ, जिधर चाहती हूँ उधर बह निकलती हूँ। बड़ी मस्तमौला मन है मेरा। मैं निडर भी हैं और बेफिक्री में जीती हूँ। मेरा यह चरित्र अपना है पर सबको यह चरित्र मेरा भाता
  2. मेरे मन में किसी प्रकार की आशा-अभिलाषा नहीं है। मेरा न कोई दोस्त है और न दुश्मन और मुझे जीवन में कोई चाह नहीं। न मेरा कोई घर, बसेरा है और न कोई इच्छा। मैं प्राण खोलकर जीवन जीती हूँ और मलमस्त हुयी विचरती हूँ।
  3. शहर, गाँव, बस्ती, नदी, रेत (बालू) हरे-भरे खेत, पोखर-तालाब और वे सभी स्थल जहाँ मनुष्य नहीं रहता यानी निर्जन भूमि- सब जगह मैं झूमती, गाती विचरण करती हूँ। एक दिशा से निकलकर दूसरी दिशा तक बहना मेरी प्रकृति है।
  4. महुआ के पेड़ों पर जब मैं चढ़ी तो महुआ के फल टपटप चूने लगे। आम के पड़ों को भी झकझोरा जहाँ कोयल बैठी मीठे स्वर में कू-कू कर गाती है। उसका मधुर स्वर सुनकर मैं गेहूँ के लहलहाते खोतों को झूमने को मजबूर करती हुयी बहती हूँ। उन खेतों में में सुबह से शाम तक (पहर, दोपहर, अनेक पहर) अठखेलियाँ करती हुयी बहती सहलाती चलती हूँ।
  5. खेतों में खड़ी अलसी (तीसी) के पौधों को मैंने खूब झकझोरा पर उनके माथ पर रखी अलसी के दानों की कलसी (घड़ा) गिरी नहीं। वे तो जस-के तस माथे पर चढ़े रहे। यह एक प्रकार से मेरी हार थी- इस हार से सबक लेकर मैंने सरसों के फूलों को नहीं छुआ। उन्हें मैंने नहीं झकझोरा, नहीं हिलाया।
  6. मुझ आता देख अड़हरी(अड़हर के पौधे) लजा गयी। पर मैंने उसे भी नहीं छोड़ा। उसे मनाया, प्यार से थपथपाया पर वह नहीं मानी। एक पथिक उस खेत से आता हुआ दिखा। उसे देखकर मैं खिलखिला कर हँस पड़ी। मुझे हँसता देख सभी दिशायें हँस पड़ीं। लहलहाते खेत हँसने लगे – चमचमाती धूप भी प्रकृति का साथ देती हँसकर सबका स्वागत करने लगी। सारी सृष्टि में ही मुस्कान दौड़ गयी। दिशायें प्रसन्न हो गयीं। प्रकृति न्यारी लगने लगी, सृष्टि में जीवन का नया संचार होने लगा। मैं हवा हूँ, बसंती हवा हूँ। कवि ने बासंती हवा का मानवीकरण किया है यानी इसे एक मानव के रूप में चित्रित किया है। बसंती हवा की संवेदनायें उसक क्रिया-कलाप, उसका इठलाना, झूम-झूम कर चलना सब मानव जीवन के रंगों को ही रूप देते हैं। बसंती हवा का घुमन्तु मन कहता है –

न घर-बार मरा, न उद्देश्य मेरा
न इच्छा किसी की, न आशा किसी की,
न प्रेमी, न दुश्मन,
जिधर चाहती हूँ उधर घूमती हूँ।

ये पंक्तियाँ इस कविता की सर्वश्रेष्ठ पंक्तियाँ हैं, जो एक पाठक के हृदय को छूती हैं और प्रभावित करती हैं।

शब्दार्थ – बावली = पगली । मुसाफिर = यात्री। सृष्टि = संसार । कलसी = घड़ा, गगरी । अलसी = तीसी, एक प्रकार का छोटा पौधा जिसके बीज से तेल निकलता है। मस्तमौला = आजादी पसन्द करने वाला । निर्जन = सुनसान । शीश = माथा, सिर । पथिक = यात्री, राही।

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