Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 9 बिहार दर्शन-1

Bihar Board Class 6th Social Science Book Solutions सामाजिक विज्ञान Chapter 9 बिहार दर्शन-1- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 9 बिहार दर्शन-1

प्रश्न 1.
खाली जगहों को भरें –

पितृपक्ष का मेला ………… पक्ष में लगता है।
महाबोधि मंदिर के निकट ………… सरोवर है।
पावापुरी में ………… मंदिर है।
महावीर ने ……….. महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था।
नालंदा विश्वविद्यालय …….का अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र था।
उत्तर-

कृष्णपक्ष
मुचलिंद
जलमंदिर
शरीर त्यागकर
ज्ञान-विज्ञान ।
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प्रश्न 2.
सही मिलान करें –

मुचलिंद सरोवर – नवादा जिला
रानी अहिल्याबाई – राजगीर की पहाड़ी
शांति स्तूप – विष्णुपद मंदिर
ककोलत नलप्रपात – बोध गया
उत्तर-

मुचलिंद सरोवर – बोधगया
रानी अहिल्याबाई – विष्णुपद मंदिर
शांति स्तूप – राजगीर की पहाड़ी
ककोलत जल प्रपात – नवादा जिला
प्रश्न 3.
सही विकल्प पर (✓) का चिह्न लगाएँ।

प्रश्न (i)
गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई थी?
(क) पावापुरी
(ख) वैशाली
(ग) बोध गया
उत्तर-
(ग) बोध गया

प्रश्न (ii)
गया में अवस्थित विष्णुपद मंदिर किसने बनवाया था ?
(क) रानी अहिल्याबाई
(ख) अजातशत्रु
(ग) अशोक
उत्तर-
(क) रानी अहिल्याबाई

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प्रश्न (iii)
बिहार में गर्म जलकुंड कहाँ अवस्थित है ?
(क) पावापुरी
(ख) राजगीर
(ग) गया
उत्तर-
(ख) राजगीर

प्रश्न (iv)
ककोलत प्रसिद्ध है
(क) ठंडे जल के लिए
(ख) गर्म जल के लिए
(ग) मंदिरों के लिए
उत्तर-
(क) ठंडे जल के लिए

प्रश्न (v)
जरासंध का अखाड़ा अवस्थित है
(क) राजगीर में
(ख) नालंदा में
(ग) बोध गया में
उत्तर-
(क) राजगीर में

प्रश्न 4.
बताइये –

प्रश्न (क)
बोध गया क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर-
बोधगया में ही महाबोधि मंदिर है। यह मंदिर विश्व के धरोहरों में जाना जाता है। इसी मंदिर में ध्यानरत बुद्ध की प्रतिमा है। बोधिवृक्ष इसी वृक्ष के नीचे गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ था और वे गौतम बद्ध कहलाने लगे। इन्हीं सभी जगहों पर भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया।

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प्रश्न (ख)
अपने स्कूल से आप राजगीर जाएँगे तो रास्ते में आपको क्या-क्या नजर आएगा?
उत्तर-
अपने स्कूल से राजगीर जाएँगे तो रास्ते में हमें सर्वप्रथम महाबोधि मंदिर के दर्शन होंगे और रास्ते में बोधिवृक्ष जहाँ वृक्ष के नीचे गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ था और वे गौतम बुद्ध कहलाने लगे थे।

फल्गू नदी के तट पर गया में स्थित ‘विष्णुपदं’ मंदिर है। राजगीर के गर्म जलकुंड है। मनियारमठ और जरासंध का अखाड़ा, शांति नजर आएंगे।

प्रश्न (ग)
विष्णुपद मंदिर का निर्माण किसने करवाया था ? इसमें किस तरह के पत्थरों का उपयोग किया गया है?
उत्तर-
विष्णपद मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई ने करवाया था। यह काले पत्थरों से बनवाया गया है। यहाँ भगवान विष्णु के पदचिह्न हैं।

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प्रश्न (घ)
राजगीर में गर्म जल कुंड हैं क्यों?
उत्तर-
राजगीर चारों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है और इन पहाड़ियों में गंधक है। इसलिए यहाँ से गर्म पानी का स्राव होता रहता है। इसलिए राजगीर में गर्म जलकुंड हैं। राजगीर के गर्म जलकुंड में हाथ-पाव धोने से सभी की थकावट मिट जाती है।

प्रश्न (ङ)
जलमंदिर क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर-
जलमंदिर पावापुरी में स्थित है। यह तालाब के बीचों-बीच स्थित जलमंदिर में भगवान महावीर हैं। हमलोगों ने भगवान महावीर के दर्शन भी किये हैं। तालाब में मछलियों और कमल के फूल प्राकृतिक रूप में मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं। यही वह जगह है जहाँ भगवान महावीर ने शरीर त्यागकर महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। इसलिए जलोदर अपना खास योगदान के द्वारा ही जलोदर मनमोहक और आकर्षित लगता है। इसी वजह से जलमंदिर दुनिया में सुप्रसिद्ध है।

Bihar Board Class 6 Social Science बिहार दर्शन-1 Notes
पाठ का सारांश

बिहार दर्शन में बिहार के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में हमें जानकारी मिलती है। इसकी जानकारी के लिए मध्य विद्यालय में पढ़ने वाली रेशमा अपने वर्ग शिक्षक और छात्रों के साथ बोध गया, राजगीर, नालंदा और पावापुरी के ऐतिहासिक स्थलों को देखने जा रहे हैं। शिक्षक ने बच्चों को अपने साथ कलम, डायरी, पानी की बोतलों को रखकर सुबह 6 बजे सब कोई चलें।

‘बस के द्वारा सबसे पहले ‘बोध गया’ पहँच गये। सबसे पहले बच्चों ने महाबोधि मंदिर देखे । इस मंदिर को विश्व धरोहरों में ध्यानरत बुद्ध की प्रतिमा के दर्शन के बाद सभी ने मंदिर के पीछे स्थित बोधिवृक्ष को देखा । इसी वृक्ष के नीचे गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ था और वे गौतम बुद्ध कहलाने लगे। बोधिवृक्ष के नीचे बैठकर कई बौद्ध भिक्षु भगवान बुद्ध की आराधना कर रहे थे। इस मंदिर के बगल में स्थित मुचालिद सरोवर में मछलियों को दाना खिलाये ।

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सरोवर में बहुत सारी मछलियाँ थीं। इतने सारे मछलियों को देखकर मन आनन्द से भर गया। मंदिर के ईद-गिर्द कई देशों ने भगवान बुद्ध की मंदिरें भी हैं। – इसके आगे फल्गू नदी के तट पर गया में स्थित ‘विष्णुपद’ मंदिर देखने के लिये गये । यहाँ भगवान विष्णु जी के पदचिह्न हैं।

इसी मंदिर को काले पत्थरों से रानी अहिल्याबाई ने बनवाया था। वहाँ के पुजारियों ने बताया कि प्रतिवर्ष आश्विन महीने के कृष्णपक्ष में यहाँ पितृपक्ष का मेला पन्द्रह दिनों के लिए लगता है। देश के कोने-कोने से आकर लोग पूर्वजों के मोक्ष प्राप्ति हेतु पिंडदाम करते हैं। विष्णुपद से सभी बच्चे राजगीर के गर्म जलकुंड में हाथ-पांव धोने से सभी की थकावट दूर हो गई। राजगीर चारों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इन पहाड़ियों में गंधक है। इसलिए यहाँ से गर्म पानी का स्राव होता है। सभी ने मनियारमठ, जरासंध का अखाड़ा भी देखा और शांति स्तूप देखने पहाड़ी पर चले गये।

यह शांति स्तूप पहाड़ी पर स्थित सफेद गुम्बदाकार स्तूप है जिसकी चारों दिशाओं में बुद्ध की चार प्रतिमाएँ अलग-अलग मुद्राओं में दिखाई पड़ती हैं। पहाड़ी पर जाने के लिए रज्जूमार्ग से पहुँचे । पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित शांति स्तूप अद्भुत दृश्य प्रदान करता है। यहाँ से चारों ओर पहाड़ियाँ दिखाई देती हैं। यहीं मगध के राजा अजातशत्रु और बुद्ध के बारे में शिक्षक ने बताया ।

राजगीर से आगे नालंदा पहुँचे । नालंदा में 5वीं सदी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर अवशेष रूप में दिखाई दिया। यही विश्वविद्यालय ज्ञान-विज्ञान के अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के रूप में विख्यात था।

यहाँ नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा होती है। देश-विदेश से लगभग 10 हजार छात्र यहाँ रहकर अध्ययन करते थे। बच्चों ने पुस्तकालय, छात्रावास को देखा।

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यहीं पर एक संग्रहालय में कई दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ और मतियाँ भी देखीं। यहीं से सब पावापुरी स्थित जलमंदिर देखने गये। तालाब के बीचों-बीच स्थित जलमंदिर में भगवान महावीर के दर्शन किये । तालाब में मछलियों और कमल के फूल प्राकृतिक रूप से मंदिर की शोभा देखने लायक थी। यही वह जगह है जहाँ भगवान महावीर ने शरीर त्यागकर महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। इस प्रकार हमलोगों ने बोधगया, राजगीर, नालंदा और पावापुरी के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया। एक मनोरम प्राकृतिक स्थलों को देखकर मन आनन्दित हो गया । इसके आगे नवादा जिला के ककोलत जलप्रपात अपने ठंडे जल के लिए प्रसिद्ध है।

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