Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 14 हमारे इतिहासकार के.पि. जायसवाल, ए.एस.अल्तेकर

Bihar Board Class 6th Social Science Book Solutions सामाजिक विज्ञान Chapter 14 हमारे इतिहासकार के.पि. जायसवाल, ए.एस.अल्तेकर- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 14 हमारे इतिहासकार के.पि. जायसवाल, ए.एस.अल्तेकर

प्रश्न 1.
दिए गए चार विकल्पों में से उत्तर को चुनें :

प्रश्न (i)
काशीप्रसाद जयसवाल का सम्पर्क लन्दन में किससे नहीं हुआ ?
(क) श्याम जी कृष्ण वर्मा
(ख) लाला हरदयाल
(ग) सारवरकर
(घ) जवाहर लाल नेहरू
उत्तर-
(घ) जवाहर लाल नेहरू

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प्रश्न (ii)
के0 पी0 जयसवाल ने सबसे पहले किस विश्वविद्यालय में योगदान दिया ?
(क) मद्रास विश्वविद्यालय
(ख) कलकत्ता विश्वविद्यालय
(ग) पटना विश्वविद्यालय
(घ) लाहौर विश्वविद्यालय
उत्तर-
(ख) कलकत्ता विश्वविद्यालय

प्रश्न (iii)
के0 पी0 जयसवाल मर्मज्ञ थे :
(क) इस्लामिक कानून
(ख) हिन्दू कानून
(ग) इसाई कानून
(घ) अंग्रेजी कानून
उत्तर-
(ख) हिन्दू कानून

प्रश्न (iv)
पटना संग्रहालय की स्थापना किनके प्रयासों का परिणाम है ?
(क) ए० एस० अल्तेकर
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) के0 पी0 जयसवाल
(घ) यदुनाथ सरकार
उत्तर-
(ग) के0 पी0 जयसवाल

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प्रश्न (v)
के0 पी0 जयसवाल के बारे में क्या सही नहीं है ?
(क) पटना विश्वविद्यालय में योगदान दिया।
(ख) ये एक अच्छे अधिवक्ता नहीं थे।
(ग) रामधारी सिंह दिनकर से इनके नजदीकी संबंध थे।
(घ) 1942 में इनकी पुस्तक हिन्दू पोलिटी’ प्रकाशित हुई।
उत्तर-
(घ) 1942 में इनकी पुस्तक हिन्दू पोलिटी’ प्रकाशित हुई।

प्रश्न (vi)
ए0 एस0 अल्तेकर पटना विश्वविद्यालय के पूर्व किस विश्वविद्यालय में कार्यरत थे ?
(क) मद्रास विश्वविद्यालय
(ख) बंबई विश्वविद्यालय
(ग) कलकत्ता विश्वविद्यालय
(घ) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ।
उत्तर-
(घ) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ।

प्रश्न (vii)
ए० एस० अल्तेकर ने अपनी डी० लिट0 उपाधि प्राप्त की।
(क) राष्ट्रकुटों के इतिहास पर
(ख) गुप्तों के इतिहास पर
(ग) मौर्यों के इतिहास पर
(घ) चालुक्यों के इतिहास पर
उत्तर-
(क) राष्ट्रकुटों के इतिहास पर

प्रश्न 2.
के0 पी0 जयसवाल ने इतिहास लेखन में कौन-कौन से विषयों को उठाया?
उत्तर-
के0 पी0 जयसवाल ने इतिहास लेखन में हिन्दू विचार, दर्शन, धर्म , शासन, गणराज्य एवं सामाजिक व्यवस्था, विषयों को उठाया।

प्रश्न 3.
के0पी0 जयसवाल एक अच्छे शैक्षणिक स्तर पर संगठनकर्ता थे। कैसे ?
उत्तर-
के0 पी0 जयसवाल पुरालिपि और प्राचीन मुद्रा के ज्ञाता थे। अशोक के अभिलेख राज्यारोहण की तिथि, ब्राह्मी लिपि की उत्पत्ति तथा भुवनेश्वर मंदिर के अभिलेखों का सम्पादन, अयोध्या का शुंग अभिलेख, समुद्रगुप्त का प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख, महरों का अध्ययन तथा अनेक अभिलेखों का तिथिक्रम के अनुसार व्याख्या की। अतः ये अच्छे शैक्षणिक -स्तर पर संगठनकर्ता थे।

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प्रश्न 4.
ए० एस० अल्ते कर की विशेषज्ञता किन-किन क्षेत्रों में थी ?
उत्तर-
ए0 एस0 अल्तेकर कुम्हरार, वैशाली और सोनपुर जगहों पर उत्खनन करवाया। द ऐंटिक्वेरियन रिमेन्स ऑफ बिहार’ इनके प्रयास से पुस्तक छपी। प्राचीन भारतीय शासन पद्धति’ ग्रंथ लिखी । राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रति प्रेम था। पुराभिलेखों एवं मुद्राशास्त्र के ज्ञाता थे। ‘लीडर’ पत्र में लिखा कि वेद पढ़ने का अधिकार स्त्री और शूद्र को है। राष्ट्रभाषा प्रेम, खादी कपड़ा पहनते थे।

प्रश्न 5.
ए० एस० अल्तेकर को क्यों हड़बड़िया’ कहा जाता था ?
उत्तर-
इतिहास लेखन में किसी बात से नहीं बँधे थे। ये हमेशा व्यस्त रहने में विश्वास करते थे। वे मानते थे कि यदि पुस्तक की पांडुलिपि तैयार हो जाए तो प्रकाशित कर देना चाहिए। इसे संवारने का काम नये शोध पत्रों पर छोड़ देना चाहिए। इसी कारण से उन्हें ‘हड़बड़िया’ कहा जाता था

प्रश्न 6.
इतिहास कैसे लिखा जाता है ? क्या आवश्यक शर्ते हैं ?
उत्तर-
छात्र शिक्षक की मदद से स्वयं करें।

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प्रश्न 7.
आप अपने पास उपलब्ध सिक्कों एवं आसपास के पुराने भवनों को देखकर शिक्षक की मदद से तत्कालीन इतिहास लिखने का प्रयास करें।
उत्तर-
छात्र शिक्षक की मदद से स्वयं करें।

Bihar Board Class 6 Social Science हमारे इतिहासकार के.पि. जायसवाल, ए.एस.अल्तेकर Notes
पाठ का सारांश

डा० अनंत सदाशिव अल्तेकर महान पुरातत्वविद् एवं इतिहासकार थे।
डा० अल्तेकर ने पटना वि०वि० में योगदान के पूर्व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में पुरातत्व, मुद्राशास्त्र एवं सांस्कृतिक उत्थान के लिए … प्रशंसनीय कार्य किया।
बिहार के राज्यपाल आर० आर० दिवाकर द्वारा संपादित पुस्तक ‘बिहार श्रू द एजेज’ के प्रकाशन में डा० अल्तेकर का महत्वपूर्ण योगदार रहा।
डा० अल्तेकर पटना विश्वविद्यालय से अवकाश करने के बाद के०पी० जायसवाल शोध संस्थान के पूर्णकालिक निदेशक बने और जीवन पर्यन्त रहे।
डा० अल्तेकर ने कुम्हरार, वैशाली और सोनपुर आदि जगहों का उत्खनन
भी करवाया।
डा०अल्तेकर छात्र जीवन से ही प्रतिभा सम्पन्न एवं अत्यंत मेधावी थे।
डा०अल्तेकर को 1954 में अमेरिका में अतिथि व्याख्याता के रूप में बुलाया गया। इसी वर्ष भारतीय संस्कृति पर व्याख्यान देने वेस्टइंडीज गए।
काशी प्रसाद जयसवाल मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के निवासी थे लेकिन इनकी कर्मभूमि पटना थी।
काशी प्रसाद जयसवाल की आर्थिक स्थिति बचपन से अच्छी नहीं थी।
काशी प्रसाद जयसवाल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से इतिहास में एम०ए० की डिग्री हासिल की।
1910 में स्वदेश लौटकर कलकत्ता में इन्होंने वकालत शुरू किया।
जायसवाल साहब पुरालिपि और प्राचीन मुद्रा के ज्ञाता थे।
जायसवाल साहब बिहार एण्ड उड़ीसा रिसर्च सोसायटी के संस्थापक सदस्य थे।
के०पी० जायसवाल को एक दूसरी पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ (150 ई० से 350 ई० तक) 1930 में प्रकाशित हुई।

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