Bihar Board Class 7 English Book Solutions The Magical Conch

Bihar Board Class 7th English Book Solutions Radiance Part 2 Chapter The Magical Conch- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 7 English Book Solutions The Magical Conch

The Magical Conch Summary in English
There lived a poor Pandit ji in a village. He used to beg door to door for his wife and four children but still as luck he could get only-Sawa ser. One day, his wife said to Panditji to go to earn to another place. so that their condition may improve. In the way, the Sea God gave Panditji a magial conch. He said to use it only in his house where he could get anything, asked from it, but as a chance, Panditji used it in the night during taking shelter in a Haluai’s house. The Haluai stole his conch.

Again, the Sea God gave him another conch. While stealing this conch the Haluai and his wife were bitten by dangerous insects. Being frightened the Haluai gave back the first magic conch to the poor Pandit ji. Being frightened the Haluai gave back the first magic conch to the poor Panditji. Panditji came back home happily with both the conch and got anything he wanted from the conch instantly. Since then, his family lived happily and never faced any poverty

The Magical Conch Summary in Hindi
एक गरीब पण्डित जी एक गाँव में रहते थे। वह अपनी पत्नी और चार बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए दरवाजे-दरवाजे भीख माँगा करते थे पर हर दिन नसीब से उन्हें सवा सेट ही मिल पाता था, भीख के रूप में।
अपनी पत्नी की सलाह पर वे एक दिन वह कमाने के लिए दूर के स्थान को – गये। रास्ते में समुद्र देवता ने पण्डित जी को एक जादूई शंख देते कहा कि. इससे वह जो चाहे माँग सकते थे। पर, उन्हें समुद्र देवता ने रास्ते में इस शंख

का प्रयोग करने से मना किया। पर रास्ते में, एक हलवाई के यहाँ रात बिताते समय उन्होंने उस शंख का प्रयोग किया और उनके सोने पर हलवाई दंपति ने वह शंख चुरा लिया । समुद्र देवता ने पण्डित जी को फिर एक शंख दिया। इस शंख को चुराते समय, हलवाई और उसकी पत्नी को खतरनाक कीड़े काटने लगे । डरकर उन्होंने पहले वाला शंख पण्डित जी को दे दिया। पण्डित जी अब दोनों शंख लेकर खुशी-खुशी अपने घर लौटे। फिर तो उन्हें जब जो चाहिए था उस शंख से मिल पाता। उनकी दरिद्रता मिट गई । अब उनका परिवार सानन्द जीवन व्यतीत करने लगा।

The Magical Conch Hindi Translation of The Chapter
अनुवाद एक गाँव में एक पण्डित जी रहते थे। वह बहुत गरीब थे। उनके चार । बच्चे थे। सुबह से शाम तक पण्डितजी घर-घर धूमकर भीख माँगते और उनकी पत्नी अपने पड़ोसियों के कपड़े सीती थी। कठिन परिश्रम के बावजूद वे अपने और बच्चों के लिए बडी मश्किल से दो वक्त का खाना जटा पाते थे। जैसा कि उनका भाग्य था, पण्डित जी चाहे कुछ ही घंटों के लिए भीख माँगते या फिर सारा दिन भीख माँगते उन्हें भीख में बस सवा सेर ही मिल पाता था।

उनकी पत्नी ने एक दिन उनसे कहा. “आप बाहर जाकर कमाइएगा तभी हमारी स्थिति में सुधार आ पायेगा।”

पण्डित जी ने बात मानते हुए कहा, “ठीक है, मैं कल ही जाऊँगा। तुम सिर्फ मुझे रास्ते में खाने के लिए कुछ सामग्री दे देना।” उसकी पत्नी पड़ोस में जाकर अपने पड़ोसी से कुछ सत्तू और नमक माँगकर ले आयी और पण्डित
जी को दे दी। . अपना सामान समेटकर पण्डित जी कमाने के लिए दूसरी जगह को चल

पड़े । पैदल ही चलते-चलते वे एक समुद्र के पास पहुंच गये । इसके पार कैसे जाऊँगा?’ वह चिन्तामग्न हो सोचने लगे। उनको एक विचार सूझा। अगर मैं समुद्र में ढेला फेंकते जाऊँगा तो समुद्र भर जायेगा ढेलों से तो फिर मैं इसके पार जा सकूँगा। उन्होंने एक-एक करके ढेला फेंकना शुरू कर दिया । जब वे 50-60 ढेला फेंक चुके तो समुद्र देवता अपने हाथ में एक शंख लेकर प्रकट हो गये।

इस शंख को लो और वापस चले जाओ। पहले अपने आँगन को गोबर से साफ कर लेना । फिर इस शंख को एक पीढ़ा पर रख देना और फिर तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की जो भी जरूरत हो इस शंख से माँग लिया करना। यह शंख तुम्हें वह वस्तु तुरंत दे देगा। लेकिन याद रखना, रास्ते में इसका इस्तेमाल मत करना नहीं तो तुम्हें धोखा मिलेगा।

इस शंख को लो और वापस चले जाओ। पहले अपने आँगन को गोबर से साफ कर लेना । फिर इस शंख को एक पीढ़ा पर रख देना और फिर तुम्हारी और तुम्हारे परिवार की जो भी जरूरत हो इस शंख से माँग लिया करना। यह शंख तुम्हें वह वस्तु तुरंत दे देगा। लेकिन याद रखना, रास्ते में इसका इस्तेमाल मत करना नहीं तो तुम्हें धोखा मिलेगा।

तुरंत पंडित जी ने वह शंख ले लिया। जब वह वापस लौट रहे थे, तो अंधेरा हो चला। उन्होंने पास के किसी गाँव में शरण लेने की बात सोची।

वह एक हलवाई के घर पहुँचकर बोले, “जजमान मुझे बस आज रात के लिए ‘ अपने घर में ठहरने की जगह दे दो। कल सुबह ही मैं यहाँ से चला जाऊँगा।”.

पंडित जी ने हलवाई से बहुत आग्रह किया पर वह हलवाई ने इन्कार कर दिया। तब पण्डित जी ने कहा कि वह उसके खाने की चिन्ता नहीं करे बस सोने की जगह दे दे। इस पर वह हलवाई राजी हो गया। उसी रात पण्डित जी ने वह शंख निकाला और उससे कहा, “ओ शंख देवता, कृपा करके मुझे खाने के लिए कुछ हलवा-पुड़ी दे दो।” उस शंख ने तुरंत ही पण्डित जी को खाने के लिए हलुवा-पुड़ी दे दिया। फिर पण्डित जी ने शंख को अपने थैले में रखा और खा-पीकर सो गये। – हलवाई की पत्नी ने यह सारा दृश्य छुपकर देखा। उसने यह बात अपने _ पति को कह दी। उसने अपने पति से कहा-“क्यों न हम वह शंख पण्डित ,

जी के थैले से निकाल लें और अपना दूसरा शंख उसके जगह पर रख देते हैं।” हलवाई सहमत हो गया। उन्होंने ऐसा ही किया।

सुबह जगकर पण्डित जी अपने घर को चले गये। घर जाकर उन्होंने शंख का प्रयोग किया पर कुछ नहीं हुआ। पण्डित जी को गुस्सा आया। वे फिर समुद्र के पास पहुँच उसमें ढेला फेंकने लगे।

“अब तुमको क्या चाहिए?” समुद्र देवता प्रकट हो पूछे । पण्डित जी . ने उनने सारी बात बताई । समुद्र देवता ने उन्हें दूसरा शंख दिया और उसी हलवाई के यहाँ रात बिताने की सलाह देते हुए एक योजना समझा दी। जैसा समुद्र देवता ने कहा था पण्डित जी ने वैसा ही किया। इस बार हलवाई-दंपति ने पंडित जी का दिल खोलकर स्वागत किया । यही नहीं, उन्होंने

उनका बदन भी दबाया । जब उन्होंने देखा कि पण्डित जी सो गये हैं, तो उन्होंने – फिर शंख निकाल लिया एकदम चुपके से । जैसे ही उन्होंने शंख को निकाला कई जहरीले कीड़े उनको काटने लगे। वे दर्द से चिल्लान लगे चीखने लगे।

उसी समय पण्डित जी उठ गये और उन्होंने कहा, “ये कीड़े तुम्हें तबतक काटते रहेंगे, जब तक कि तुम मुझे मेरा पहले वाला शंख नहीं दे देते । हलवाई दंपति ने फौरन उनको उनका पहला शंख लाकर दे दिया।

पौडत जी खुश हो गये। दोनों शंख लेकर वह अपने घर गये। जैसे समुद्र देवता ने उनको कहा था उन्होंने वैसा ही किया। अपने आँगन को गोबर से लिपवाकर पवित्र कराया। फिर शंख को एक पीढ़ा पर स्थापित कर दिया। फिर उनको जो चाहिए था, वह उसे शंख से माँग लेते । अब पण्डित जी की दरिद्रता भाग गयी थी। तब से पण्डित जी अपने परिवार सहित प्रेम पूर्वक रहने लगे। उनके कष्ट दूर हो गये थे।

The Magical Conch Glossary

Lived [लिव्ड] = रहते थे। To beg [टू बेग] = भीख माँगना | Door to door [डोर टू डोर) = दरवाजे-दरवाजे । Mend [मैन्ड] = सीना, ठीक करना । Dawn to dusk [डॉन टू डस्क] = सुबह से शाम तक । Scarcely [स्कासल] = कठिनाई से । Feed [फीड] = खाना खिलाना । Condition [कन्डीशन) = स्थिति । Improve [इम्प्रूव] = सुधार करना या होना । Earn – [अन] = कमाना। Baggage [बैगेज] = यात्री का सामान । Wondered [वन्डर्ड] = आश्चर्य किया। Thought [थॉट] = विचार । Conch [कॉन्च] = शंख । Courtyard [कोर्टयार्ड] = आँगन । Sanctify [सैंकटिफाई) = पवित्र करना। Instantly [इन्स्टाइन्टली] = फौरन, शीघ्र । Otherwise . [अदरवाइज] = अन्यथा, नहीं तो। Deceived [डिसीव्ड्] = धोखा दिया जाना । Shelter [शेल्टर] = आश्रय, शरण-स्थल । Nearby [नीयरबाई) = निकट स्थित | Across [अक्रॉस] = पार | Belonged [बिलौंग्ड] = स्वामित्व होना, अधिकार में होना ।

Persuaded [पर्सएडेड] = भरोसा अथवा विश्वास दिलाया । Consented [कनसेन्टेड] = सहमत, राजी हुआ। Request [रिक्वेस्ट] = आग्रह, निवेदन | Asleep [अस्लीप] = सोया हुआ। Promptly [प्रॉम्पूटलि] = शीघ्र। Narrated [नैरेटेड] = वर्णन किया । Incident [इन्सिडेन्ट] = घटना । Suggested [सजेस्टेड] = सलाह दी। In vain [इन वेन] = व्यर्थ । Repeated [रिपीटेड] = दुहराया। Dangerous [डेन्जरस] = खतरनाक । Act [एक्ट] = कार्य । Spend [स्पेन्ड] = बिताया। Couple [कपल] = पति-पत्नी | Welcome [वेलकम] = स्वागत करना । Delicious [डेलिशस] = स्वादिष्ट | Gently [जेन्टलि] = नम्रता से | Massage[मसाज] = मालिश कराना, देह दबाना।

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