Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 13 शक्ति और क्षमा

Bihar Board Class 7th Hindi Book Solutions किसलय Kislay Bhag 2 Chapter 13 शक्ति और क्षमा – NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 13 शक्ति और क्षमा

शक्ति और क्षमा कविता का हिंदी अर्थ Bihar Board Class 7 Hindi प्रश्न 1.
इस कविता के माध्यम से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
इस कविता के माध्यम से हमें सीख मिलती है कि क्षमा, दया और विनम्रता के साथ हमें अपने पौरुष का उपयोग करना चाहिए । शक्तिहीन मनुष्य को क्षमा, दया, विनम्रता शोभा नहीं देती है। अर्थात् शक्तिमान व्यक्ति को ही क्षमा, दया और विनम्रता शोभता है।

Shakti Aur Kshama Question Answer Bihar Board Class 7 Hindi प्रश्न 2.
वे कौन-सी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने राम को धनुष उठाने पर बाध्य किया ?
उत्तर:
राम को अपनी सेना के साथ लंका जाना था। पहले तो श्रीराम ने समुद्र के सम्मुख विनम्रता का भाव दर्शाए । लेकिन समुद्र उनके विनम्रता पर ध्यान नहीं दिया और न राम की प्रार्थना पर ध्यान दिया। विवश होकर राम धनुष उठाने के लिए तत्पर हुए।

शक्ति और क्षमा प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 7 Hindi प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए-
क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो।
उसको क्या, जो दंतहीन,
विषहीन, विनीत, सरल हो।

उत्तर:
क्षमा उमी साँप को शोभा देती है जिसके पास विष हो । जो साँप दंतहीन, विपहीन, विनम्र और सरल होता है उसको क्षमा नहीं शोभा देता है।

पाठ से आगे –

शक्ति और क्षमा कविता का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 7 Hindi प्रश्न 1.
दिनकर के इस भाव से आप कहाँ तक सहमत हैं कि समाज शक्तिशाली की ही पूजा करता है । अभावहीन, निर्बल व्यक्ति को समाज में कोई नहीं पूछता। इन पर आप अपना विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हम दिनकर जी के भाव से सहमत हैं कि समाज शक्तिशाली की ही पूजा करता है । जो अभावग्रस्त है, निर्बल है ऐसे व्यक्ति को समाज कभी नहीं सम्मान देता है। समाज में प्रभाव स्थापित करने के लिए सबल होना अनिवार्य है।

व्याकरण –

Shakti Aur Shama Kavita Ka Arth Bihar Board Class 7 Hindi प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए –
उत्तर:
भुंजग – सर्प, साँप, अहि।
रघुपति – राम, कौशल्या नन्दन, राघव।
सिंधु – समुद्र, जलनिधि ।
शर – बाण, तीर ।
कायर – पौरुषहीन, कर्महीन ।

शक्ति और क्षमा Summary in Hindi
क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा,
पर नर-व्याघ्र सुयोधन तुमसे
कहो कहाँ, कब हार ?
क्षमाशील हो रिपु समक्ष
तुम हुए विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही।

सरलार्थ हे युधिष्ठिर ! तुमने क्षमा, दया, तपस्या, त्याग, मनोबल सबका सहारा लिया।

परन्तु नर व्याघ्र दुर्योधन बताओ तुमसे कब हारा । क्षमाशील होकर दुश्मन के सम्मुख तुम जितना ही विनम्र हुए, दुष्ट कौरवों ने तुमको उतना ही कायर समझा।

क्षमा शोभती उस भुजंग को,
जिसके पास गरल हो।
उसकी क्या, जो दंतहीन,
विषहीन विनीत, सरल हो।

सरलार्थ – क्षमा उस साँप को शोभा देती है जिसके पास विप हो। जो सर्प दंतहीन विपहीन विनम्र तथा सरल होता है उसे क्षमा शोभा नहीं देती है।

तीन दिवस तक पंथ माँगते,
रघुपति सिन्धु किनारे।
बैठे पढ़ते रहे छन्द,
अनुनय के प्यारे-प्यारे ।

सरलार्थ-भगवान श्रीराम समुद्र से पथ माँगने के लिए तीन दिनों तक मधुर वाणी में प्रार्थना कर मनाते रहे।

उत्तर में जब एक नाद भी,
उठा नहीं सागर से।
उठी अधीर धधक पौरुष की,
आग राम के शर से।

सरलार्थ – प्रार्थना के उत्तर में जब समुद्र का एक शब्द भी नहीं निकला तो श्रीराम अधीर हो गये, उनका पुरुषार्थ आग बनकर राम के तीर से निकल पड़ा (अर्थात् राम अपने धनुष पर बाण को साध लिया)।

सिन्धु देह धर “त्राहि-त्राहि”
करता आ गिरा शरण में,
चरण पूज, दासता ग्रहण की,
बँधा मूढ़ बंधन में।

सरलार्थ – तब समुद्र देह धारण होकर प्रकट हुआ तथा त्राहि-त्राहि करता हआ राम के चरण में आकर गिर गया । राम के चरणों का पूजन किया, राम की दासता को स्वीकार किया। इस प्रकार मूर्ख सागर. राम के बंधन में बंध गया।

च पूछो, तो शर में ही,
बसती है दीप्ति विनय की।
संधि-वचन संपूज्य उसी का,
जिसमें शक्ति विजय की।
.

सरलार्थ – सच बात तो यह है कि विनम्रता का प्रकाश तीर में बसती है। संधि की बात उसी का मान्य होता है जिसमें विजय की शक्ति हो।।

सहनशीलता, क्षमा, दया को,
तभी पूजता जग है।
बल का दर्प चमकता उसके,
पीछे जब जगमग हो।।

सरलार्थ – सहनशीलता, क्षमा, दया का तभी संसार पूजा करता है जब उसमें बल का दर्प जगमग करता हुआ चमकता रहे।

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