Bihar Board Class 7th Sanskrit Book Solutions संस्कृत Chapter 9 सुभाषितानि – NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 9 सुभाषितानि
प्रश्न 1.
उदाहरणानुसारेण भावबोधकं पद्यांशं वदत –
यथा- ऊँचे विचार वालों के लिए संसार ही परिवार है ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।
गँवार सलाह से कुपित हो जाता है।
राजा गुप्तचरों से सब जान लेते हैं।
बड़े-बड़े घराने झगड़कर बर्बाद हो जाते हैं ।
समर्थ के लिए क्या असंभव है ?
चुप रहना सबसे भला होता है।
उत्तराणि –
यथा – ऊँचे विचार वालों के लिए संसार ही परिवार है।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।
(i) गँवार सलाह से कुपित हो जाता है ।
उपदेशो हि मुर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये ।
(ii) राजा गुप्तचरों से सब जान लेते हैं ।
चारैः पश्यन्ति राजानः ।
(iii) बड़े-बड़े घराने झगड़कर बर्बाद हो जाते हैं ।
कलहान्तानि हाणि ।
(iv) समर्थ के लिए क्या असंभव है ?
कोऽतिभारः समर्थनाम् ।
(v) चुप रहना सबसे भला होता है ।
मोनः सवार्थसाधनम् ।
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 9 सुभाषितानि
प्रश्न 2.
पाठस्य श्लोकद्वयं सस्वरं श्रावयन्त ।
नोट : छात्र अभ्यास कर दो श्लोक सुनावें ।
लिखितः
प्रश्न 3
रिक्तस्थानं पूरयत
(क) …………. हि मूर्खाणां …………. न शान्तये ।
पयःपानं …………………केवलं ………………..||
(ख) अयं …………… गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु ………………. ||
उत्तराणि –
(क) उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये ।
पय:पानं भुजंगानां केवलं विषवर्धनम् ॥
(ख) अयं निजः परावति गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
प्रश्न 4.
निम्नलिखितानां जन्तूनां नामानि मातृभाषायां लिखत :
व्याघ्रः …………………… ।
अजा ……………….. ।
मृगः – ………………….. ।
अश्वः ……………….. ।
वृष: ……………………… |
कूर्मः ……………. ।
वृश्चिक: ………………… |
घोटक: …………… ।
मानः …………………….. |
नकुल: …………….।
हस्ती ……………………. |
गर्दभः ………………. ।
उत्तराणि –
व्याघ्रः – बाघ ।
अजा – बकरी ।
मृगः – हिरण |
अश्वः – घोड़ा ।
वृषः – बैल ।
कूर्मः – कच्छुआ ।
वृश्चिक: – बिच्छु ।
घोटकः – घोड़ा ।
मीन: – मछली ।
नकुलः – नेवला ।
हस्ती – हाथी ।
गर्दभः – गदहा ।
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 9 सुभाषितानि
प्रश्न 5.
समुचितविभक्तिप्रयोगेण रिक्तस्थानानि पूरयत
यथा – सः मुखेन खादति । (मुख)
गंगा ……………………. निर्गच्छति । (हिमालय)
………………… राजधानी दिल्ली अस्ति । (भारत)
वृक्षात् ……………………… पतन्ति । (पत्र)
वयं ……………………. पश्यामः । (नेत्र)
गच्छन्ति ……………..। (विद्यालय)
उत्तराणि-
गंगा हिमालयात् निर्गच्छति ।
भारतस्य राजधानी दिल्ली अस्ति ।
वृक्षात् पत्राणि पतन्ति ।
वयं नेत्राभ्याम् पश्यामः ।
ता: विद्यालयं गच्छन्ति ।
प्रश्न 6.
वाक्यानि रचयत –
यूयम् : …………..
शने : …………..
हसामः …………..
साधवः …………..
वनेपु : …………..
उत्तराणि –
यूयम् – यूयम् अधुना पठथ ।
शनै: – कच्छपः शनैः गच्छति ।
हसामः – वयम् हसामः ।
साधवः – साधवः परोपकारिणः भवन्ति ।
वनेपु – वनेषु औषधयः मिलन्ति ।
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 9 सुभाषितानि
प्रश्न 7.
उदाहरणानुसारं रिक्तस्थानं पूरयत
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 9 सुभाषितानि 1
प्रश्न 8.
स्वस्मरणेन द्वौ श्लोको लिखत ।
उत्तर-
(1) कोऽतिभार: समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम् ।
को विदेशः सुविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम् ॥
(2) विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन ।
स्वदेशं पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।।
प्रश्न 9.
श्लोकमेकं लिखित्वा तस्यार्थं हिन्दीभाषायां लिखत ।
उत्तर-
उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये ।
पयःपानं भुजंगानां केवलं विषवर्धनम् ॥ 2 ॥
सरलार्थ-मूखों को उपदेश देना उनके क्रोध को बढाने के लिए होता है न कि शान्ति के लिए । सर्प को दूध पिलाना उसके विष को बढ़ाना है।
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 9 सुभाषितानि
प्रश्न 10.
नीतिश्लोकानां संग्रहणं कुरुत ।
नोट : छात्र स्वयं करें ।
Bihar Board Class 7 Sanskrit सुभाषितानि Summary
[हमारे जीवन में स्मरण करने योग्य सुन्दर उक्तियों का बहुत उपयोग होता है। अपने वार्तालाप में किसी बात पर बल देने के लिए तथा भाषणों में उद्धरण के लिए इन उक्तियों का प्रयोग होता है । संस्कृत भाषा में कई ग्रन्थ हैं जहाँ ये सुन्दर उक्तियाँ मिलती हैं। इन्हें सभापित भी कहा जाता है । संस्कृत के प्राचीन कथाग्रन्थ पंचतन्त्र से लिए गये इस पाठ के श्लोकों में जीवन को दिशानिर्देश देने वाली बातें कही गयी हैं 1 इन श्लोकों को कण्ठाग्र करके जीवन का परिमार्जन हो सकता है।
विद्वत्वं च नृपत्वं ………… विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ॥ 1 ॥
शब्दार्थ-पूज्यते – पूजा जाता है । कदाचन कभी भी । स्वदेशे – अपने देश में । सर्वत्र = सभी जगह। सरलार्थ-विद्वान और राजा में तुलना कभी भी नहीं हो सकता (क्योंकि) राजा अपने देश में पूजा जाता है किन्तु विद्वान की पूजा सभी जगह होती है।
उपदेशो हि मूर्खाणां……………….केवलं विषवर्धनम् ॥ 2 ॥
शब्दार्थ-प्रकोपाय . क्रोध के लिए । शान्तये – शान्ति के लिए । पयःपानम् – दुग्धपान, दूध पीना । भुजंगानाम् = सौ के। का । की। विषवर्धनम् = जहर बढ़ाने वाला । सरलार्थ-मूखों को उपदेश देना उनके क्रोध को बढ़ाने के लिए होता है न कि शान्ति के लिए । सर्प को दूध पिलाना उसके विप को बढ़ाना है ।
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 9 सुभाषितानि
कोऽतिभारः समर्थानां ………….. परः प्रियवादिनाम् ॥ 3 ॥
शब्दार्थ-अतिभार: # बड़ा भार, बड़ा बोझ । सुविद्यानाम् – सुन्दर विद्यावालों के लिए, विद्वानों के लिए । परः – दूसरा । प्रियवादिनाम् – प्रिय बोलने वालों के लिए । सरलार्थ-सामार्थ्यवान के लिए बड़ा बोझ (भार) क्या और व्यवसायियों के लिए दूरी क्या, विद्वानों के लिए विदेश क्या और प्रिय बोलने वालों के लिए दूसरा कौन ?
केवल व्यसनस्योक्तं …………… विषाद-परिवर्जनम् ॥ 4 ॥
शब्दार्थ-व्यसनस्य – बुरी आदत का, दुःख का । भेषजम् – दवा । नयपण्डितैः – नीति को जानने वालों द्वारा । सरलार्थ-बुरी आदत की दवा नीति को जानने वालों द्वारा केवल संभव है । उसे उखाड फेंकना का प्रयास करना दुख त्यागना है।
गन्धेन गावः पश्यन्ति ……….. चक्षुामितरे जनाः ॥5॥
शब्दार्थ-चारैः = गुप्तचरों द्वारा ! इतरे – अन्य, दूसरे । सरलार्थ-गन्ध से गाय देखती हैं, शास्त्र से पण्डित देखते हैं, दतों से राजा देखते हैं और दोनों आँखों से अन्य लोग देखते हैं।
आत्मनो मुखदोषेण …………….. मौनं सर्वार्थसाधनम् ॥ 6 ॥
शब्दार्थ-शुकः – तोता । सारिका – मैना । बकाः – बगुले । बध्यन्ते । – बाँधे जाते हैं। सरलार्थ-अपने मुख के दोष से तोता और मैना बाँधे जाते हैं लेकिन बगुले नहीं बाँधे जाते हैं । अतः मौन रहने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
अयं निजः परो वेति …………. वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ 7 ॥
शब्दार्थ-उच्छेदः – उखाड़ फेंकना । समारम्भः = प्रयास करना। सरलार्थ-यह अपना है और यह दुसरे का है ऐसी गिनती निम्न विचारवाले लोगों का है । व्यापक विचार वालों का तो पूरा विश्व ही परिवार
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 9 सुभाषितानि
कलहान्तानि हाणि ………… कुकर्मान्तं यशो नृणाम् ।। 8 ॥
शब्दार्थ-हाणि – भवन (बहुवचन) । कलहान्तानि – आपसी झगड़े से नष्ट होनेवाले। कुवाक्यान्तम् = खराब बोली से अन्त होनेवाला । कुराजान्तानि – बुरे राजा से नष्ट होने वाले। कुकर्मान्तम् = बुरे कर्म से नष्ट होने वाले । विषादः – दु:ख । परिवर्जनम् = त्याग, छोड़ना । सौहृदम् – दोस्ती । नृणाम् = मनुष्यों का/की/के । समर्थानाम् = शक्ति वालों का । सरलार्थ-आपसी झगड़े से बड़े-बड़े घराने बर्बाद हो जाते हैं, खराब बोली से मित्रता समाप्त हो जाता है, बरे राजा से देश नष्ट हो जाता है और बुरे कर्मों से लोगों का यश नष्ट हो जाता है
व्याकरणम्
सन्धि-विच्छेदः
कोऽतिभारः = कः + अतिभारः (विसर्ग सन्धि)
तस्योच्छदः = तस्य + उच्छेदः (गुण सन्धि)
बकास्तत्र = बकाः + तत्र (विसर्ग सन्धि)
सर्वार्थसाधनम् = सर्व + अर्थसाधनम् (दीर्घ सन्धि)
प्रकृति-प्रत्यय-विभागः