Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 11 रेशों से वस्त्र तक

Bihar Board Class 7th Science Book Solutions विज्ञान Chapter 11 रेशों से वस्त्र तक- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 11 रेशों से वस्त्र तक

सही उत्तर पर (✓) का निशान लगाइये –

प्रश्न 1.
जाड़े के दिनों में किस प्रकार के वस्त्र पहनते हैं ?
(a) सूती वस्त्र
(b) रेशमी वस्त्र
(c) ऊनी वस्त्र
(d) नॉयलन वस्त्र
उत्तर:
(c) ऊनी वस्त्र

प्रश्न 2.
इनमें से कौन जन्तुओं से प्राप्त होते हैं ?
(a) सूती और ऊनी
(b) ऊनी और रेशमी
(c) रेशमी और सूती
(d) नॉयलन और सूती
उत्तर:
(b) ऊनी और रेशमी

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प्रश्न 3.
रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम कीटों का पालन कहलाता है ?
(a) फ्लोरीकल्चर (पुष्पकृषि)
(b) सिल्वीकल्चर (वनवर्धन)
(c) एपीकल्चर (मधुमक्खी पालन)
(d) सेरोकल्चर (रेशम कीट पालन)
उत्तर:
(d) सेरोकल्चर (रेशम कीट पालन)

प्रश्न 4.
बेमेल शब्द पर घेरा लगाएँ तथा चुनाव का कारण बताएँ
(a) अभिमार्जन, बालों की कटाई
(b) भेड़, लामा रेशम कीट
(c) तसर, अंगोरा, पश्मीना
(d) सूत, ऊन, रेशम ।
उत्तर:
(a) रीलिंग – अभिमार्जन और बालों की कटाई रोयेदार जानवरों की होती है। रीलिंग रेशम के धागे बनाने की प्रक्रिया है।
(b) रेशम कीट – भेड और लामा ऊन प्रदान करते हैं। रेशम कीट रेशम के रेशे प्रदान करते हैं।
(c) तसर-तसर सिल्क कपड़े हैं जबकि अंगोरा पश्मीना ऊनी कपड़े ।
(d) सुत-ऊन रेशम जीव-जन्तुओं से प्राप्त होते हैं जबकि सूत वनस्पति से प्राप्त किये जाते हैं।

प्रश्न 5.
हम अलग-अलग ऋतु में अलग-अलग कपड़े पहनते हैं। क्यों ?
उत्तर:
जाड़े के दिनों में हम ऊनी कपड़े पहनते हैं क्योंकि हमारे शरीर का ताप वातावरण के ताप से अधिक होता है। जब शरीर का ताप वातावरण में जाने लगता है तो हमें ठंड लगने लगती है। ऊनी कपड़ा ऊष्मारोधक है। ऊनी कपड़ा पहनने पर शरीर का तापक्रम संतुलित रहता है।

गर्मी के दिनों में वातावरण का ताप शरीर के ताप से अधिक होता है। हमारे शरीर में वातावरण के ताप पहुँचने पर हमें अधिक गर्म लगती है। हम चाहते हैं कि हल्के और सूती कपड़े पहनें ताकि आराम मालूम हो ।

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प्रश्न 3.
ऊन प्रदान करनेवाले जन्तुओं के शरीर पर बालों की मोटी परत क्यों होती है ?
उत्तर:
जन्तुओं के शरीर पर बालों की मोटी परत इन्हें ठंड से बचाती है। बालों में वायु आसानी से भर जाती हैं। वायु ऊष्मा के कुचालक होते हैं और इन्हें ठंड से बचाते हैं।

प्रश्न 4.
कोकून को एक सही समय पर पानी में उबालना क्यों चाहिए?
उत्तर:
कोकून को सही समय पर पानी में उबालना चाहिए ताकि उससे रेशम के रेशे अलग हो जाए। यदि सही समय का चनाव कर पाते हैं तो व्यस्क कीट में परिवर्तित हो जाते हैं और रेशे प्राप्त नहीं हो पाते हैं।

प्रश्न 5.
रेशम कीट के जीवन चक्र का एक रेखाचित्र बनाएँ।
उत्तर:
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Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 11 रेशों से वस्त्र तक
Bihar Board Class 7 Science रेशों से वस्त्र तक Notes
जाड़े के दिनों में ऊनी कपड़ों की आवश्यकता होती है। ये ऊन हमें भेड़, पहाड़ी बकरी, ऊँट, लामा, याक एवं एल्पेका के बालों से प्राप्त होता है। ऊन एवं रेशम जांतव रेशे हैं। जांतव रेशा प्रदान करने वाले जन्तु के शरीर से बालों को काटकर, धुलाई, सफाई और छंटाई की जाती है और फिर उसे सुखाने के बाद रंगाई की जाती है और फिर सुलझाया जाता है और तब ऊन प्राप्त किये जाते हैं। हाथों या मशीन द्वारा प्राप्त ऊनों की बुनाई कर कपड़े तैयार किये जाते हैं। ऊनी कपड़े ऊष्मारोधी की तरह कार्य करते हैं, ऊनी कपड़े पहनने – पर हम गर्मी महसूस करते हैं।

रेशम के कपड़े मुलायम, हल्के और आरामदायक होते हैं। रेशम के कीट रेशम के रेशों को बनाते हैं जिसके कारण रेशम के रेशे भी जातंव रेशे कह जाते हैं। रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम के कीटों को पालना रेशम कीट पालन या सेरीकल्चर कहलाता है।

रेशम कीट के जीवन की चार अवस्थाएँ होती हैं। मादा रेशम कीट अंडे देती है जिनसे लार्वा निकलता है। लार्वा शहतूत की पत्ती को खाते रहते हैं और बड़े हो जाते हैं। लार्वा एक पदार्थ स्रावित करता है जो कठोर होकर रेशा बन जाता है। लार्वा इन रेशों से स्वयं को पूरी तरह से ढंक लेता है और अंदर ही परिवर्तित होते रहता है। इसी आवरण को कोकून कहते हैं। कीट का अब विकास कोकून के भीतर होता है। जब पूर्ण विकसित होता है तो कोकून तोड़कर कीट बाहर आता है। मादा एक बार में सैकड़ों अंडे देती है। इन अंडे को सावधानी के साथ पाला जाता है और विकसित किया जाता है। कई तरह के रेशम कीट होते हैं, कोकूनों को धूप या भाप में सुखाया जाता है जिससे रेशे अलग होते हैं और धागे बनाये जाते हैं और फिर बुनकरों द्वारा रेशमी वस्त्रों की बुनाई की जाती है। रेशम वस्त्र ताना-बाना बुनावट होती है। ऊनी वस्त्र पंदे की बुनावट होती है।

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