Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 4 लाल पान की बेगम

Bihar Board Class 9th Hindi Book Solutions हिंदी गद्य खण्ड Chapter 4 लाल पान की बेगम – NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 4 लाल पान की बेगम

बिरजू की माँ को लालपान की बेगम क्यों कहा गया है?
उत्तर-
नाच की तैयारी के संदर्भ में जिस तरह की तैयारियाँ हो रही हैं और जो उमंग छाया हुआ है उसमें बिरजू के माँ के गौने की साड़ी से एक खास किस्म की गंध निकल रही है जिससे बिरजू की माँ को बेगम ही नहीं ‘लालपान की बेगम’ कहा गया है।

Lal Pan Ki Begam Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
“नवान्न के पहले ही नया धान जुठा दिया।” इस कथन से बिरजू की माँ का कौन-सा मनोभाव प्रकट हो रहा है।?
उत्तर-
जब बिरजू ने धान की एक बाली से एक धान लेकर मुँह में डाल लिया तो बिरजू की माँ ने बिरजू को बहुत डाँटा और कहा कि नेम-धेम की भी चिंता करो, इसकी रक्षा करो। तू तो गँवार है। मूर्ख है। इसपर बिरजू के पिता ने पूछा-क्या हुआ? क्यों डाँटती हो? इसपर बिरजू ने पिता से बिरजू की माँ ने कहा देखते नहीं नवाल के पहले ही अन्न को जूठा कर दिया। इस कथन में बिरजू की माँ ने मन में धर्म के प्रति जो आस्था छिपी है वह प्रकट हो रहा है। वह भारतीय नारी है। धार्मिक विधि विधान की पक्षधर है इसीलिए नवाल के पहले अन्न जूठा करने पर नाराज होकर बिरजू को डाँटती है।

लाल पान की बेगम का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 3.
बिरजू की माँ बैठी मन-ही-मन क्यों कुढ़ रही थी?
उत्तर-
गाँव के लोग नाच देखने जा रहे थे। बिरजू की माँ बैलगाड़ी से नाच देखने बलरामपुर जायगी वह बैलगाड़ी उसके पति लाने गये हैं जिसमें देरी हो रही है और बहुत देरी होने से वह कुढ़ जाती है।, यहाँ तक कि वह घर की बत्ती बुझा देती है, बच्चों को सोने के लिए विवश कर देती है।

Lal Pan Ki Begam Ka Question Answer Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 4.
‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लाल पान की बेगम’ कहानी एक आंचलिक और मनोवैज्ञानिक कहानी है। इसमें ग्रामीण परिवेश की गंध छिपी हुई है। नाच-गान देखने-दिखाने के बहाने कहानीकार ने ग्रामीण जीवन के अनेक रंग-वेशे की गहरी संवेदना के साथ प्रकट किया है। गाँव के लोग-बाग किस तरह एक-दूसरे के साथ ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद के गहरे आवर्त में बँधे रहते हैं, उसकी जीवंत बानगी है-लाल पान की बेगम।

रेण ने इस आंचलिक कहानी में अंचल विशेष की संस्कृति, भाषा, मुहावरे एवं लोक नीतियों, रीतियों का सफल चित्रण किया है। इस प्रकार ‘लाल पान की बेगम’ अपने आप में सार्थक शीर्षक है।

सप्रसंग व्याख्या

लाल पान की बेगम कहानी का सारांश Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 5.
(क) “चार मन पाट (जूट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पाँव ही नहीं पड़ते।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तिया फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने गरीबों की समस्यायों और उसमें पर समुचित प्रकाश डाला है। उनके जीवन में जो बदलाव आता है उसका ग्रामीण परिवेश में बड़ा ही सुन्दर और सटीक वर्णन प्रस्तुत किया है।

भखनी फुआ पानी भरकर लौटती हुई पनभरनियों से अपनी भाषा में कल की छटपटाहट और अच्छी फसल पाट (जूट) की कमाई से होनेवाले बदलाव का वर्णन करते कहती है कि कल तक तो बिरजू की माँ अकुलाहट में थी, और आज गली-मुहल्ले में लोगों से कहती फिरती है कि बिरजू के वप्पा ने कहा है कि मैं बैलगाड़ी पर बिठाकर तुझे बलरामपुर का नाच दिखाऊँगा।

लोगों की मानसिकता किस प्रकार समय के साथ बदल जाती है, रेणु जी ने इस कहानी में उसका सटीक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

लाल पान की बेगम Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 6.
“दस साल की चंपिया जानती है कि शकरकंद छीलते समय कम-से-कम बार-बार माँ उसे बाल पकड़कर झकझोरेगी, छोटी-छोटी खोट निकालकर गालियां देगी।” इस कथन से चंपिया के प्रति माँ की किस मनोभावना की अभिव्यक्ति होती है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियां ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी से उद्धृत की गई है। प्रस्तुत पंक्तियों में श्री फणीश्वरनाथ ने ग्रामीण समाज और जो साक्षर नहीं है उसकी मानसिकता का बड़ा ही सुंदर चित्र खींचा है।

इस पाठ में रेणुजी ने शकर कंद का उदाहरण देकर समझाया है कि चंपिया नस्ल से बेटी है और छोटी है। शकरकंद कच्चा भी मीठा होता है और पका हुआ तो और मीठा हो जाता है। बच्चा उसे खाने के लिए ललचता है। वह माँ से शकरकंद छीलने के लिए मांगती है तो माँ कहती है कि नहीं, तू एक छीलेगी और तीन पेट में। चंपिया भी जानती है कि उस काम के लिए उसे कितनी प्रताड़ना सहनी होगी। शकरकंद छीलने के बदले वह पड़ोसिन से कड़ाही माँगकर लाने को कहती है जो उससे एक दिन के लिए मांगकर ले गयी थी। उपरोक्त पंक्तियों में चंपिया के प्रति अविश्वास का भाव उसकी माँ के मन में छिपा है। वह शकरकंद छिलने के बहाने चोरी-छिपे कुछ शकरकंद खा जाएगी।

Lal Pan Ki Begum Summary In Hindi Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 7.
“बिरजू की माँ का भाग ही खराब है, जो ऐसा गोबर गणेश घरवाला उसे मिला। कौन-सा सौरव-मौज दिया है उसके मर्द ने। कोल्हू के बैल की तरह खरा सारी उम्र काट दी इसके यहाँ।” प्रस्तुत कथन से बिरज की माँ और के संबंधों में कड़वाहट दिखाई पड़ती है। कड़वाहट स्थायी है या अस्थाई? इसके कारणों पर विचार कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ कहानी से उद्धृत है। रेणु ने प्रस्तुत पंक्तियों में ग्रामीण नारी की निरक्षरता का वर्णन करते हुए उसके चरित्र की मनोदशा का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है।

इस कहानी में रेणुजी ने ग्रामीण नारी की मनोदशा का बड़ा ही सचित्र चित्र खींचा है। समय पर नाच देखने के लिए बैलगाड़ी के नहीं पहुँचने पर बिरजू की माँ । की झुंझलाहट का सहसा आभास हो जाता है कि वह अपनी बेटी से कहती है कि चुल्हा में पानी डाल दे, बत्ती बुझा दे। हमारी मनोकामना कब की पूरी होने वाली। खपच्ची गिरा दे, बप्पा बुलाये तो जवाब मत देना।

रेणुजी ने इस अस्थायी कडुवाहट को इतने सटीक ढंग से सजाया है कि कहानी में चार चाँद लग गये हैं। इस कथन में भारतीय नारी की सहजता, सहृदयता, पति के प्रति उलाहना का भाव एवं मूक पीड़ा की अभिव्यक्ति मिलती है।

प्रश्न 8.
गाँव की गरीबी तथा आपसी क्रोध और ईर्ष्या के बीच भी वहाँ एक प्राकृतिक प्रसन्नता निवास करती है। इस पाठ के आधार पर बताएं।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहाने से उद्धृत की गयी है। श्री फणीश्वरनाथ रेण द्वारा लिखित ‘लालपान की बेगम’ ग्रामीण परिवेश की कहानी है। प्रस्तुत पंक्तियों में रेणु जी ने गांव के वातावरण का सचित्र चित्र खींचा है।

रेणु जी ग्रामीण परिवेश के रचनाकार हैं। उन्होंने वहाँ की भाषा एवं बोली का प्रयोग अपनी रचना में इस तरह किया है कि लगता है कि यह कहानी गांवमय हो गया है। गाँव के लोग छोटी-छोटी बातों में भी राग-द्वेष, बैर-भाव से भर जाते हैं, एक दूसरे से चिढ़ते हैं लेकिन कुछ समय ऐसा भी आता है जब लोग इन सभी बातों को भुलाकर एक साथ हो जाते हैं। जैसे एक-दूसरे के प्रति राग-द्वेष रहते हुए भी जब बिरजू की माँ बैलगाड़ी में बैठती है तो पास-पड़ोस के औरतों को पुकार-पुकारकर बैलगाड़ी पर विठाती है और प्राकृतिक प्रसन्नता का आभास कराती है।

प्रश्न 9.
कहानी में बिरजू और चंपिया की चंचलता और बालमन के कुछ उदाहरण प्रस्तुत करें।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में रेणुजी ने ग्रामीण परिवेश में बालमन की चंचलता, डरावनापन और उल्लास का ऐसा रूप रखा है कि कहानी में आकर्षण पैदा हो गया है।

इस कहानी में चंपिया जो बिरजू की बहन है उसका हलुआइन के दुकान से सामान जल्द न लाने पर माँ की झुंझलाहट, बिरजू द्वारा बांगड़ को मारने पर मां की कड़वाहट, बिरजू और चंपिया द्वारा शकरकंद खाने की लालसा के प्रति मां की गुस्सा करातो आदि बातें ग्रामीण यथार्थ का परिचय है। बालसुलभ मन की अकुलाहट का चित्रण सुक्ष्य ढंग से हुआ है। मार खा लेने बाद भी वह लेने पर दृढ़ है। रेणुजी उचित सुन्दर शब्दों का प्रयोग कर कहानी को रोचक बना दिया है।

प्रश्न 10.
‘लाल पान की बेगम’ कहानी का सारांश लिखें।
उत्तर-
लाल पान की बेगम’ में रेणुजी ने गाँव की धरती का जो सुंदर चित्र खींचा है, वह सबके दिमाग पर अमिट छाप छोड़ जाता है। रेणु ने अपनी गहरी संवदेना का परिचय देते हुए गाँवों के संपूर्ण अंतर्विरोधों और अंगड़ाई लेती हुई चेतना को कथारूप दिया है। उनके गाँव में एक तरफ पुरातन जड़ता और नवीन गत्यात्मकता ही टकराहट है तो दूसरी ओर विभिन्न राजनीतिक आंदोलनों के अंतर्विरोध है, बिरादरीवाद की कड़वाहट है तो तीसरी तरफ इनके बीच बजती हुई लोक संस्कृति की शहनाई भी है।

प्रस्तुत कहानी ‘लाल पान की बेगम’ ग्रामीण परिवेश की कहानी है। नाच देखने-दिखाने के बहाने कहानीकार ने ग्रामीण जीवन के अनेक रंग-देश को गहरी संवेदना के साथ प्रकट किया है। गाँव में लोग-बाग किस तरह एक दूसरे के साथ ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद के गहरे आर्वत में बँधे होते है इसकी बानगी उक्त कहानी में मिलती है। नाच-देखने और शकरकंद खाने की इच्छा उसकी जीवंत बानगी है-‘लाल पान की बेगम।

प्रश्न 11.
कहानी के पात्रों का परिचय अपने शब्दों में दीजिए।
उत्तर-
‘लाल पान की बेगम’ कहानी में पात्रों की संख्या अधिक है मगर इसमें बिरजू की माँ, बिरजू, चंपिया, मखनी फुआ, बागड़, सहुआइन इत्यादि प्रमुख पात्र हैं। इन पात्रों में बिरजू की माँ सबसे विशिष्ट पात्र है।

सभी पात्रों में बिरजू की माँ का दबदवा बना हुआ है तो चंपिया और बिरजू उसके डर से सहमे हुए रहते है। सबसे विकट समस्या उस समय उपस्थित होता है जब रात बीत रही है बैलगाड़ी नहीं आयी है तो बिरजू की माँ तानाशाह बन बिरजू और चंपिया को आदेश देती है कि, बती बुझा दे। खप्पर गिरा दे, कोई आवाज दे तो जवाब मत देना। चंपिया और बिरजू भोले बाबा और हनुमान जी को मनौती दूनी करने का वादा करती है।

रेणु जी ने ग्रामीण पात्रों का इतना सुंदर नामकरण और चरित्र को सजाया है कि कहानी रोचक, बन गई है। यह कहानी जनमानस का कंठहार बन गई है सार्थक कहानी है ‘लालपान की बेगम’।

प्रश्न 12.
रेण वातावरण और परिस्थिति का सम्मोहक और जीवंत चित्रण करने में निपुण हैं। इस दृष्टि से रेणु की विशेषताएँ अपने शब्दों में बताइए।
उत्तर-
फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म औराही हिंगना नामक गाँव, जिला अररिया (बिहार) में हुआ था। वे विशुद्ध ग्रामीण परिवेश से जुड़े रहे। वे महान क्रांतिकारी भी थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने प्रमुख सेनानी की भूमिका निभाई और 1950 ई. में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशस्त्र क्रांति और राजनीति में सक्रिय योगदान दिया। वे दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्ष करते रहे। सत्ता के दमनचक्र के विरोध में उन्होंने पद्मश्री की उपाधि का त्याग कर दिया।

हिन्दी कथा साहित्य में जिन कथाकारों ने युगांतर उपस्थित किया है, फणीश्वरनाथ रेणु उनमें से एक हैं। उन्होंने कथा साहित्य के अतिरिक्त, संस्मरण रेखाचित्र. रिपोर्ताज आदि विधाओं को नई ऊँचाई दी। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं-‘मैला आंचल’, ‘परती परिकथा, (दीर्घतपा, ‘कलंक मुक्ति’, ‘जुलूस’, ‘पल्टू बाबू रोड’, उन्होंने उपन्यास, कहानी संग्रह, रिपोर्ताज लिखकर समाज और देश को एक नई दिशा दी है।

रेणुजी का ‘मैला आचंल ‘ ने हिंदी कथा साहित्य में आंचलिकता को एक पारिभाषिक अभिधा दी। उपन्यास और कहानी दोनों कथा रूपों में अपनी लेखनी से गाँव की धरती का जो चित्र खींचा है वह रूबपर आपकी अमिट छाप छोड़ जाता है।

रेणु ने अपनी गहरी संवदेना का परिचय देते हुए गाँव के संपूर्ण अंतविसेधों और अंगड़ाई लेती हुई चेतना को जीवंत कथा रूप दिया।
इन्हीं सारी विशेषताओं के कारण रेणु जी हिन्दी कथा साहित्य में अग्रणी स्थान बना सके।

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

  1. बिरजू की माँ शकरकंद उबालकर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी। अपने
    आँगन में सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खाकर आँगन में लोट-लोटकर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सर भी चुडैल मँडरा रही है। आधा आँगन धूप रहते जो गई है सहुआइन दूकान पर छोवा-गुड़ लाने, सो अभी तक नहीं लौटी, दीया-बाती की बेला हो गई। आए आज लौट के जरा। बागड़ बकरे की देह में कुकुरमाछी लगी थी, इसलिए बेचारा बागड़ रह-रहकर कूद-फाँद रहा था। बिरजू की माँ बागड़ पर मन का गुस्सा उतारने का बहाना ढूँढ़ चुकी थी। पिछवाड़े की मिर्च की फूली गाछ। बागड़ के सिवा और किसने कलेवा किया होगा।
    (क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
    (ख) बिरजू की माँ मन की कुढ़न किस रूप में उतार रही है?
    (ग) “चंपिया के सर भी चुडैल मँडरा रही है”, का अर्थ स्पष्ट करें।
    (घ) बागड़ क्यों और किस रूप में परेशान था? बिरजू की माँ ने उसपर मन के गुस्से उतारने के लिए कौन-सा बहाना बनाया था?
    (ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय/सारांश लिखें।

    उत्तर-
    (क) पाठ-लालपान की बेगम, लेखक-फणीश्वरनाथ रेणु।

(ख) बिरजू की माँ कूढ़न की मनः स्थिति में थी। वह अपने बेटे को थप्पड़ मारकर आँगन में उसे धूल में लोटने के लिए बाध्य करने, सहुआइन की दुकान से छोवा और गुड़ लाने गई अपनी बेटी चंपिया के नहीं लौटने पर, क्रोध प्रकट करने और बागड़ पर मिर्च के पौधे के खाने के कार्यों पर आग-बबूला होने के रूप में अपने मन की कुढ़न उतार रही थी।

(ग) पाठ में आए इस कथन का मतलब यह है कि चंपिया की माँ अपनी बेटी चंपिया पर बहुत क्रोध प्रकट कर रही है इसलिए कि वह अपराह्न में ही संहुआइन की दुकान से छोवा और गुड़ लाने गई थी और शाम ढलने पर भी वह अभी तक दुकान से लौटकर घर नहीं आई है। घर लौटने पर उसकी खैर नहीं है। उसे माँ की पिटाई लगनी ही है।

(घ) बागड़ बकरे की देह में कुकरमाछी लग गई थी इससे वह बहुत परेशान था और वह बेचारा कूद-फाँद कर अपनी इस परेशानी को प्रकट कर रहा था। बिरजू की माँ ने इसपर अपना गुस्सा उतारने के लिए यही बहाना बनाया था कि उसके घर के पिछवाड़े में लगी मिर्च की फूली गाछ को बागड़ बकरे ने ही खाया है, इसीलिए उसकी पिटाई करनी है।

(ङ) बिरजू की माँ आज काफी खिन्न और क्रोध की मुद्रा में है। उसे आज शाम में बलरामपुर में होने वाले नाच के आयोजन में सपरिवार दर्शक के रूप में जाना है। उसके पति द्वारा यह कार्यक्रम पूर्व में ही निर्धारित किया गया है कि वह सबको बैलगाड़ी से वहाँ ले जाएगा। उस दिन घर में मीठी रोटी बनेगी और सभी लोग अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर घर से चलेंगे। लेकिन आज वहाँ जाने के लिए उसके पति बैलगाड़ी लेकर अभी तक. आए नहीं है। शाम की वेला भी ढलती जा रही है। नाच देखने के कार्यक्रम की इस अनिश्चितता के कारण वह खिन्न और क्रोधित हो गई है और अपने बेटे को पीटकर तथा अपनी बेटी और घर के बकरे पर आग-बबूला होकर मन की खीझ और क्रोध को बहाना बनाकर उतार रही है।

  1. मडैया के अंदर बिरजू की माँ चटाई पर पड़ी करवटें ले रही थीं। ऊहूँ, पहले से किसी बात का मनसूबा नहीं बाँधना चाहिए किसी को। भगवान ने मनसूबा तोड़ दिया। उसको सबसे पहले भगवान से पूछना चा हए, यह किस चूक का फल दे रहे हो भोला बाबा। अपने जानते उसने किसी देवता-पित्तर की मान-मनौती बाकी नहीं रखी। सर्वे के समय जमीन के लिए जितनी मनौतियाँ की थीं ठीक ही तो। महावीरजी का रोट तो बाकी ही है। हाय रे दैव! भूल-चूक माफ करो महावीर बाबा। मनौती दूनी करके चढ़ाएगी बिरजू की माँ।
    (क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
    (ख) बिरजू की माँ ने कौन-सा मनसूबा बाँधा था? भगवान ने उसका मनसूबा कैसे तोड़ दिया?
    (ग) पठित अंश के आधार पर बिरजू की माँ की धार्मिक आस्था का परिचय दें।
    (घ) बिरजू की माँ कौन-सी भूल-चूक के लिए किस देवता से क्या कहकर माफी माँगती है?
    (ङ) इस गद्यांश का आशय लिखें।

    उत्तर-
    (क) पाठ-लालपान की बेगम, लेखक-फणीश्वर नाथ रेणु।

(ख) बिरजू की माँ ने यह मनसूबा बाँध रखा था कि आज के दिन वह सपरिवार मीठी रोटी के साथ, अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर बैलगाड़ी से बलरामपुर में आयोजित नाच देखने जाएगी और काफी खुशी मनाएगी। लेकिन बिरजू का बाप अभी तक बैलगाड़ी लेकर आया नहीं था और वहाँ जाने का समय बीत चला था। इसलिए उसे लगा कि नाच देखने का उसका मनसूबा टूट चुका है। उसका सरल दिल कह रहा था कि भगवान ने ही उसका मनसूबा तोड़ दिया है।

(ग) सरलहृदया बिरजू की माँ बड़ी भोली-भाली और सच्ची धार्मिक आस्थावाली औरत है। भगवान शंकर और हनुमान (महावीर) में उसकी श्रद्धा, भक्ति, विश्वास और निष्ठा बड़ी गहरी, स्वच्छ और बलवती है। इसीलिए तो वह यह मानकर चलती है कि जीवन का सारा कार्य भोले बाबा और महावीरजी की इच्छा से संचालित होता है। उसकी यह धारणा बन गई है कि किसी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए इन देवताओं को चढ़ावा चढ़ाकर खुश करना जरूरी है। अगर किसी कारण से चढ़ावा नहीं चढ़ाया गया तो वह अपनी गलती स्वयं मान लेती है · और इस गलती के लिए वह अपने आराध्य से चटपट माफी भी माँग लेती है-“भूल चूक माफ करो महावीर बाबा! मनौती दूनी करके चढ़ाएगी बिरजू की माँ।” ।

(घ) बिरज की माँ ने जमीन के सेटलमेंट के सर्वे के कार्य में भोले बाबा से जो मनौती माँगी थी, वह तो उसने पूरी कर दी थी। किसी देवी-देवता से जुड़ी कोई मनौती उसने बाकी नहीं रखी है। आज नाच देखने की उसकी लालसा पूरी नहीं हो रही है। इसमें जरूर महावीर जी की मनौती बाकी रह गई है। वह अपनी इस गलती के लिए महावीरजी से माफी माँगती है और उनसे यह वादा करती है कि अब वह मनौती दुगुनी कर देगी।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में कहानीकार रेणुजी ने सरल हृदया और भोले-भाले स्वभाव वाली बिरजू की माँ की सरल-स्वाभाविक धार्मिक आस्था और विश्वास का परिचय दिया है। साथ ही, इस गद्यांश के द्वारा उसने बिरजू की माँ ऐसी ग्रामीण संस्कृति में पली ग्रामीण स्त्रियों के अंधविश्वास, भगवान में गहरी आस्था और सामान्य धार्मिक मानसिकता का चित्रण किया है। लेखक ने बताया है कि ग्रामीण स्त्रियाँ भोली-भाली होती हैं। अपने आराध्यदेव की महानता और क्षमता में उनकी अंधभक्ति और श्रर्धा केंद्रित होती है। उनका यह विश्वास है कि उनके आराध्यदेव के पूजन तथा मनौती के अर्पण से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। इसीलिए, वे कार्य में सफलता प्राप्त करने और मनोवांछित इच्छा की पूर्ति के लिए बराबर . मनौती माँगकर तत्परतापूर्वक उसकी पूर्ति कर देती है, अन्यथा वह क्षमा माँगकर ही मन के भार को हल्का करती हैं। बिरजू की माँ ऐसी ही ग्रामीण स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करती है।

  1. बिरजू की माँ के मन में रह-रहकर जंगी की पतोहु की बातें चुभती हैं, भक्-भक बिजली बत्ती!……..चोरी-चमारी करनेवाले की बेटी-पतोहु जलेगी नहीं। पाँच बीघा जमीन क्या हासिल की है, बिरजू के बप्पा ने, गाँव की भाई खौकियों की आँखों में किरकिरी पड़ गई है। खेत में पाट लगा देखकर गाँव के लोगों की छाती फटने लगी, धरती फोड़कर पाट, लगा है, वैशाखी बादलों की तरह उमड़ते आ रहे हैं पाट के पौधे। तो अलान तो फलान। तनी आँखों की धार भला फसल सहे। जहाँ पंद्रह मन पाट होना चाहिए, सिर्फ दस मन पाट काँटा पर तौल का ओजन हुआ रब्बी भगत के यहाँ।
    (क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
    (ख) गाँव की भाई खौकियों की आँखों में क्यों किरकिरी पड़ गई है? भाई खौकियों का क्या अर्थ है?
    (ग) किस बात पर गाँव के लोगों की छाती फटने लगी है?
    (घ) तनी आँखों की धार भला फसल सहे। इस कथन का अर्थ या आशय लिखें।
    (ङ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।

    उत्तर-
    (क) पाठ-लालपान की बेगम, लेखक-फणीश्वरनाथ रेणु।

(ख) गाँव की भाई खौकियों की आँखों में इसलिए किरकिरी पड़ गई है, क्योंकि बिरजू के बप्पा सर्वे के समय गाँव के बाबू साहेब की इच्छा और प्रयास का विरोध कर पाँच बीघे जमीन अपने नाम पर चढ़वाकर अपना स्वामित्व कायम किए हुए हैं। इसी पर गाँव की पड़ोस की ईर्ष्यालु स्त्रियों की आँख में किरकिरी का कारण वह पाँच बीघा जमीन बनी हुई है। भाई खौकियों का सामान्य अर्थ है-भाई को खानेवाली। यह शब्द ग्रामीण क्षेत्र में एक गाली के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। यहाँ बिरजू की माँ ने इस शब्द का प्रयोग वैसी (डहजड़त) ग्रामीण स्त्रियों के लिए किया है जो उसकी हासिल पाँच बीघे जमीन पर ईर्ष्या और डाह की आँच में जलती रहती हैं।

(ग) सर्वे में सेटलमेंट में प्राप्त बिरजू के बप्पा की पाँच बीघे जमीन में पाट की अच्छी फसल को देख-देखकर गाँव के लोगों की छाती फटने लगी है। एक तो वह जमीन बिरजू के बप्पा को मुफ्त में फबी है और दूसरा यह कि उस जमीन में पटसन की बड़ी अच्छी फसल लगी हुई है। ईर्ष्यालु गाँव के लोगों की छाती तो फटेगी ही इस बात पर।

(घ) तनी आँखों की धार भला फसल सहे। का अर्थ है फसलों को नजर, लग जाना। ग्रामीण क्षेत्र में सामान्य रूप से लोगों की यह अवधारणा बनी हुई है कि जिस अच्छी चीज पर किसी की नजर गड़ जाती है उस चीज की दुर्गति हो ही जाती है। बिरजू की माँ इस संदर्भ में रब्बी भगत की पटसन की लहलहाती फसल की दुर्गति का उदाहरण देती है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में ग्रामीण अंचल के सफल-सक्षम चित्रकार-कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु ने ग्रामीण जीवन में लोगों के पारस्परिक संबंधों की चर्चा की है। इस संदर्भ में लेखक ने यह बताया है कि ग्रामीण महिला वर्ग विशेष रूप से, अपने पड़ोसियों की उन्नति और हँसी-खुशी पर ईर्ष्या और डाह से जलने लगती है। ग्रामीण पुरुष भी इसके अपवाद नहीं होते। वहाँ के तथाकथित सहज, सरल तथा शांत जीवन में बैठे-बैठाए लोगों में ईर्ष्या-द्वेष की यह प्रवृत्ति विशेष रूप से पाई जाती है।

  1. बिरजू के बाप पर बहुत तेजी से गुस्सा चढ़ता है। चढ़ता ही जाता है। बिरजू की माँ का भाग ही खराब है, जो ऐसा गोबर-गणेश घरवाला उसे मिला। कौन-सा सौख-मौज दिया है उसके मर्द ने। कोल्हू के बैल की तरह खटकर सारी उम्र काट दी इसके यहाँ, कभी एक पैसे की जलेबी भी लाकर दी है उसके खसम ने? पाट का दाम भगत के यहाँ से लेकर बाहर-ही-बाहर बैल-हट्टा चले गए। बिरजू की माँ को एक बार लमरी नोट भी देखने नहीं दिया अपनी आँख से। बैल खरीद आए। उसी दिन से गाँव में ढिंढोरा पीटने लगे, “बिरजू की माँ इस बार बैलगाड़ी पर चढ़कर जाएगी नाच देखने।’ दूसरे की गाड़ी के भरोसे नाच दिखाएगा!
    (क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
    (ख) बिरजू के बाप पर किसका गुस्सा चढ़ा और चढ़ता जा रहा है और क्यों?
    (ग) बिरजू की माँ को बिरजू के बाप से क्या शिकायत रही है?
    (घ) इस गद्यांश में ग्रामीण जीवन में जी रहे पति-पत्नियों के पारिवारिक प्रेम के स्वरूप की चर्चा करें।

    उत्तर-
    (क) पाठ-लालपान की बेगम, लेखक-फणीश्वरनाथ रेणु।

(ख) यहाँ बिरजू के बाप पर उसकी पत्नी का गुस्सा चढ़ा है और चढ़ता जा रहा है। इसका कारण यह है कि जिस दिन बिरजू का बाप बैल खरीदकर बैल के साथ घर आया था, उसी दिन उसने यह ढिंढोरा पीट दिया था कि इस बार बलरामपुर में होनेवाले नाच को देखने के लिए वह अपने परिवार को बैलगाड़ी से ले जाएगा। उसके पास तो अब अपने बैल हो ही गए हैं और गाड़ी तो माँगने से आसानी से मिल ही जाएगी। उसी दिन से बिरजू की माँ नाच में जाने के आज के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही है। लेकिन आज वह गाड़ी की खोज में जो सबेरे निकला है, सो अभी तक नहीं आया है। संध्या क्या, रात भी दो पहर बीत गई है। अतः बिरजू की माँ अब विश्वस्त हो गई है कि नाच देखने का उसका कार्यक्रम फेल हो गया है। उसे इस बात की चिंता ज्यादा है कि कल गाँव की औरतें जब ताना मार-मारकर इस बात को मजाक का विषय बना देंगी तो उसका क्या हाल होगा। इसी कारण से उत्पन्न मनः स्थिति में अपने पति पर वह जल भुन रही है और उपर्युक्त कथन के रूप में अपने पति की मन-ही-मन शिकायत कर रही है।

(ग) बिरजू की माँ को बिरजू के बाप से कई शिकायतें रही हैं। उसकी पहली शिकायत यह है कि वह चुस्त, चालाक और होशियार न होकर गोबर-गणेश है। उसकी दूसरी शिकायत है कि उस बेचारी ने कोल्हू के बैल की तरह खट-खटकर उसे हर तरह का सुख दिया है लेकिन उसने इसके इस कष्ट और बलिदान के प्रति तनिक भी संवेदनशीलता नहीं दिखाई है। उसकी तीसरी शिकायत यह रही है कि उसके पति ने उसकी सुख-सुविधा तथा इच्छा की पूर्ति की ओर कभी कुछ ध्यान नहीं दिया और इसीलिए उसे आज तक एक पैसे की जलेबी भी लाकर नहीं दी हैं। उसकी चौथी शिकायत अपने पति से इस रूप में है कि उसने उसे बिना कुछ कहे, चुपचाप अपने मन से अपने खेत के पाट के पैसे से बैल खरीद लिया और अपनी पत्नी को एक सौ रुपए के नोट देखने का भी सौभाग्य नहीं दिया, और अंतिम शिकायत यह है कि उसने वादा कर और ढिंढोरा पीटकर उसे बलरामपुर के नांच के कार्यक्रम में ले चलने के लिए कहा था, लेकिन समय बीत जाने पर भी अभी तक गाड़ी लेकर नहीं आया।

(घ) प्रस्तुत गद्यांश में ग्रामीण जीवन जी रहे पति-पत्नियों के बीच पल और चल रहे प्रेम के सहज खट्टे-मीठे स्वरूप का लेखक ने बड़ा स्वाभाविक चित्र प्रस्तुत किया है। दैनिक जीवन में स्वाभाविक रूप से जी रहे जीवन में पत्नी को अपने पति से इस ढंग की शिकायत रहना बिल्कुल स्वाभाविक बात है। पत्नी नारी होने के कारण विशेष भावुक और भावमयी होती है। इसलिए सामान्य-सी बात तथा पति के व्यवहार पर मन पर ठेस-सा लग जाना-यह कोई बड़ी बात नहीं हैं। यह दांपत्य जीवन में प्रेमसूत्र से बँधी पत्नी के नारी मनोविज्ञान के बिलकुल अनुकूल है। इसे हम शिकायत मानकर पत्नी का उपालंभ ही कहेंगे जो प्रेम के क्षेत्र का एक शाश्वत स्वरूप होता है।

  1. अंत में उसे अपने-आप क्रोध आया। वह खुद भी कुछ कम नहीं। उसकी जीभ में आग लगे। बैलगाड़ी पर चढ़कर नाच देखने की लालसा किस . कुसमय में उसके मुंह से निकली थी, भगवान जाने। फिर सुबह से लेकर आज दोपहर तक किसी-न-किसी बहाने उसने अट्ठारह बार बैलगाड़ी पर नाच देखने जाने की चर्चा छेड़ी है। लो खूब देख लो नाचा वाह रे ‘नाच! कथरी के नीचे दुशाले का सपना! कल भोरे जब पानी भरने जाएगी, पतली जीभ वाली पतुरिया सब हँसती आएँगी, हँसती जाएंगी। सभी जलते हैं उससे हाँ भगवान दाढ़ी जार भी। दो बच्चे की माँ होकर वह जस-की-तस है। उसका घरवाला उसकी बात में रहता है। वह बालों में गरी का तेल डालती है। उसकी अपनी जमीन है। है किसी के पास एक धूर जमीन भी अपनी इस गाँव में! जलेंगे नहीं, तीन बीघे में धान लगा हुआ है, अगहनी। लोगों की बिखदीठ से बचे तब तो।
    (क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
    (ख) उसे अर्थात् किसे अपने-आप पर क्या सोचकर क्रोध आया?
    (ग) “कथरी के नीचे दुशाले का सपना’-इस कथन का आशय लिखिए।
    (घ) पतली जीभवाली पतुरिया सब हँसती आएँगी और हँसती जाएँगी-प्रसंग के साथ इस कथन का अर्थ स्पष्ट करें।
    (ङ) सभी जलते हैं उससे भगवान दाढ़ी जार भी! यह कथन किसका है? सभी किन बातों (कारणों) पर उससे जलते हैं?

    उत्तर-
    (क) पाठ-लालपान की बेगम, लेखक-फणीश्वरनाथ रेणु।

(ख) यह कथन ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी की नायिका बिरजू की माँ का है। वह क्रोध और खीझ की मन स्थिति में अपने दोषगत स्वभाव पर दोष लगा रही है कि उसे बैलगाड़ी से नाच देखने जाने की बात की चर्चा नहीं करनी चाहिए थी। वह नाच देखने जाने में बैलगाड़ी के अभाव में बिलकुल लाचार है। उसके पहले से प्रचारित नाच में जाने के कार्यक्रम का हल्ला भी हो गया और वह गई भी नहीं। गांववालों के बीच उसकी यह कैसी बेइज्जती और अपमान की बात – है। यही सब सोचकर उसे अपने ऊपर क्रोध आया।

(ग) आलोच्य कथन बड़ा सटीक, प्रसंगानुकूल और सार्थक है। यह कथन कहानी की नायिका बिरजू की माँ का है। वह खीझ और क्रोध की मन:स्थिति में यह कथन वाक्य बोलती है। उसने बैलगाड़ी द्वारा सपरिवार सजी-धजी पोशाक में नाच देखने जाने का मनसूबा बनाया था। उस मनसूबे को पति द्वारा बैलगाड़ी न लाने के कारण बिखरते देख वह खीझ और क्रोध से भर गई और अपने आपको इस व्यंग्यभरे कथन से कोसने लगी कि साधनहीन गरीब आदमी को बड़े आदमी वाला सपना नहीं देखना चाहिए। यह सपना तो ऐसा ही है जैसे कोई दीन-हीन चिथड़े में लिपटा आदमी दुशाला ओढ़ने का सपना देखे।

(घ) यह कथन ‘लालपान की बेगम’ शीर्षक कहानी की नायिका बिरजू की माँ का है। उसका बैलगाड़ी से नाच देखने जाने का जो कार्यक्रम था, वह उसके पति द्वारा बैलगाड़ी नहीं लाने के कारण, स्थगित होने को था। उसने नाच में बैलगाड़ी से जाने के कार्यक्रम का प्रचार ढोल पीटकर किया था। उसे लगा कि इस बात पर सभी लोग सहानुभूति जताने के बदले उसकी हँसी उड़ाएँगे क्योंकि सभी लोग इन कारणों से उससे जले रहते हैं। वे कारण हैं कि दो बच्चे की माँ होकर भी अभी उसका शरीर सौंदर्य और आकर्षण का केंद्र बना हुआ ही है। उसका पति उसके अनुकूल चलता है। उसके पास धान की फसलवाली तीन बीघे की और अन्य अपनी जमीन है।

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