Bihar Board Class 9 History Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास

Bihar Board Class 9th Social Science Book Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास – NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 9 History Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास

प्रथम विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ ?
(क) 1941 ई० में
(ख) 1952 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1914 ई० में
उत्तर-
(घ) 1914 ई० में

इतिहास की दुनिया क्लास 9 Bihar Board Chapter 4 प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध में किसकी हार हुई ?
(क) अमेरिका की
(ख) जर्मनी की
(ग) रूस की
(घ) इंग्लैण्ड की
उत्तर-
(ख) जर्मनी की

Bihar Board Solution Class 9 History Chapter 4 प्रश्न 3.
1917 ई० में कौन देश प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया ?
(क) रूस
(ख) इंग्लैण्ड
(ग) अमेरिका
(घ) जर्मनी
उत्तर-
(क) रूस

इतिहास Class 9 Bihar Board Chapter 4 प्रश्न 4.
वर्साय की संधि के फलस्वरूप इनमें किस महादेश का मानचित्र बदल गया?
(क) यूरोप का
(ख) आस्ट्रेलिया का
(ग) अमेरिका का
(घ) रूस का
उत्तर-
(क) यूरोप का

Class 9 Itihas Prashn Uttar Bihar Board Chapter 4 प्रश्न 5.
त्रिगुट समझौते में शामिल थे
(क) फ्रांस ब्रिटेन और जापान ।
(ख) फ्रांस, जर्मनी और आस्ट्रिया
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली
(घ) इंग्लैण्ड, अमेरिका और रूस
उत्तर-
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली

इतिहास कक्षा 9 पाठ 4 Bihar Board प्रश्न 6.
द्वितीय विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ?
(क) 1939 ई० में
(ख) 1941 ई० में
(ग) 1936 ई० में
(घ) 1938 ई० में
उत्तर-
(क) 1939 ई० में

Itihas Ki Duniya Class 9 Bihar Board Chapter 4 प्रश्न 7.
जर्मनी को पराजित करने का श्रेय किस देश को है ?
(क) फ्रांस को
(ख) रूस को
(ग) चीन को
(घ) इंग्लैण्ड को
उत्तर-
(घ) इंग्लैण्ड को

Bihar Board Class 9th History Solution Chapter 4 प्रश्न 8.
द्वितीय विश्वयुद्ध में कौन-सा देश पराजित हुआ?
(क) चीन
(ख) जापान
(ग) जर्मनी
(घ) इटली
उत्तर-
(ग) जर्मनी

Bihar Board Class 9 History Chapter 4 प्रश्न 9.
द्वितीय विश्वयुद्ध में पहला एटम बम कहाँ गिराया गया था ?
(क) हिरोशिमा पर
(ख) नागासाकी पर
(ग) पेरिस पर
(घ) लन्दन पर
उत्तर-
(क) हिरोशिमा पर

प्रथम विश्व युद्ध प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 History Chapter 4 प्रश्न 10.
द्वितीय विश्वयुद्ध का कब अन्त हुआ?
(क) 1939 इ० का
(ख) 1941 ई० को
(ग) 1945 ई० को
(घ) 1938 ई० को
उत्तर-
(ग) 1945 ई० को

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

  1. द्वितीय विश्वयुद्ध के फलस्वरूप …………… साम्राज्यों का पतन हुआ।
  2. जर्मनी का …………… पर आक्रमण द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण था।
  3. धुरी राष्ट्रों में …………… ने सबसे पहले आत्मसमर्पण किया ।
  4. ……………….. की संधि की शर्ते द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए
    उत्तरदायी थीं।
  5. अमेरिका ने दूसरा एटम बम जापान के …………… बन्दरगाह पर गिराया था।
  6. ……………. की संधि में ही द्वितीय विश्व युद्ध के बीज निहित थे ।
  7. प्रथम विश्व युद्ध के बाद ………… एक विश्वशक्ति बनकर उभरा ।
  8. प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्रराष्ट्रों ने जर्मनी के साथ ………… की संधि की।
  9. राष्ट्रसंघ की स्थापना का श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति ………….. को दिया जाता है।
  10. राष्ट्रसंघ की स्थापना …………… ई० में की गई।
    उत्तर-
  11. साम्राज्यवादी
  12. पोलैंड
  13. जर्मनी
  14. बर्साय
  15. नागासाकी
  16. वर्साय
  17. जापान
  18. शांति
  19. बुडरो विलसन
  20. 1920

लघु उत्तरीय प्रश्न

Ch 4 Class 9 History Bihar Board प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी चार कारण निम्नलिखित हैं :
(क) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा-एशिया और अफ्रिका में उपनिवेश बसाने एवं उपनिवेशों में लूट-खसोट के लिए रूस, जर्मनी, फ्रांस, इटली सभी में होड़ मची थी। जर्मनी एक साम्राज्यवादी शक्ति बनना चाहता था।
(ख) गुटों का निर्माण-1914 में यूरोप दो गुटों में बंटा था । जर्मनी, इटली और आस्ट्रिया तथा दूसरे गुट में इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस थे । इन . गुटबंदी ने युद्ध की भावना पर बल दिया।
(ग) सैन्यवाद-यूरोपीय देश अपनी राष्ट्रीय आय का लगभग 85 प्रतिशत सैनिक तैयारियों पर खर्च कर रहे थे।
(घ) उग्र राष्ट्रवाद-19 वीं शताब्दी में यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप धारण करता गया। इससे सभी देश आपसी तनाव ग्रस्त बन गए।

Class 9 History Chapter 4 Solution Bihar Board प्रश्न 2.
त्रिगुट (Triple Alliance) तथा त्रिदेशीय (Triple Entente) में कौन-कौन से देश शामिल थे? इन गुटों की स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के पहले यूरोप के देश दो गुटों में बँट गये थे। एक गुट का नाम था त्रिगुट (Triple Alliance) इस गुट में जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली शामिल थे।

इन गुटों के उद्देश्य-

अपनी शक्ति को बढ़ाना था ताकि अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सकें।
अपने उपनिवेशों का विस्तार करना था।
ये सभी साम्राज्यवादी लिप्सा के शिकार थे।
अतः दोनों गुटों की उपस्थिति ने युद्ध की भयावहता को तय कर दिया।

प्रश्न 3.
प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर-
28 जून, 1914 ई० को बोस्निया की राजधानी साराजेवो में आस्ट्रिया के राजकुमार आर्क डयूक फर्डिनेण्ड की हत्या सर्व जाति के किसी व्यक्ति ने कर दी। आस्ट्रिया ने इसके लिए सर्व जाति को ही दोषी ठहराया जिसे सर्बिया ने मानने से इन्कार कर दिया । फलत: 28 जुलाई, 1914 को आस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया और देश भी युद्ध में कूद पड़े। इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की हत्या युद्ध के तात्कालिक कारण के रूप में सामने आया।

प्रश्न 4.
सर्वस्लाव आन्दोलन का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
तुर्की तथा आस्ट्रिया के अधिकांश निवासी स्लाव जाति के थे। उनलोगों ने सर्वस्लाव आन्दोलन की शुरुआत की जो इस सिद्धान्त पर आध आरित था कि यूरोप के सभी स्लाव जाति के लोग एक स्लाव हैं । ये स्लाव बाल्कन क्षेत्र में एक संयुक्त स्लाव राज्य कायम करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें रूस का समर्थन प्राप्त था।

प्रश्न 5.
उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्व युद्ध का किस प्रकार एक कारण था ?
उत्तर-
19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप से होने लगा । समान जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परम्परा के लोग एक साथ मिलकर अलग देश का निर्माण चाहने लगे । तुर्की साम्राज्य तथा आस्ट्रिया-हंगरी में अधिकांश निवासी स्लाव साम्राज्य तथा आस्ट्रिया-हंगरी में अधिकांश निवासी स्लाव जाति के थे । उनलोगों ने सर्वस्लाव आन्दोलन की शुरुआत की जो सिद्धान्त पर आधारित था कि यूरोप के सभी स्लाव जाति के लोग एक राष्ट्र हैं । इसने आस्ट्रिया हंगरी का रूस के साथ संबंध कटु बना दिया। इसी तरह सर्वजर्मन आन्दोलन शुरू हुआ जिसका लक्ष्य बाल्कन प्रायद्वीप में जर्मन साम्राज्य का विस्तार था। इस प्रकार उग्र राष्ट्रवाद ने यूरोप के देशों के आपसी संबंध को तनावग्रस्त बना दिया जो विश्व युद्ध का एक प्रबलतम कारण बना।

प्रश्न 6.
“द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणति थी।” कैसे?
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध एक प्रतिशोधात्मक युद्ध था। इस युद्ध के बीज वर्साय की सन्धि में ही बो दिए गए थे। मित्र राष्ट्रों ने जिस प्रकार का व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन लोग कभी भी भूल नहीं सकते थे। जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया गया था। संधि के शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उससे छीनकर आपस में बांट लिया। उसे सैनिक आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया । अतः जर्मन वाले वर्साय संधि को एक राष्ट्रीय क्लंक मानते थे। उसमें मित्र राष्ट्रों के प्रति प्रतिशोध की भावना जगी। हिटलर ने इस मनोभावना को और भी उभार कर रख दिया। उसने वर्साय की संधि की धज्जियाँ उड़ा दी। विजित राष्ट्र गुप्त संधियाँ के माध्यम से झुठलाते भी रहे जिससे पराजित राष्ट्र इस हकीकत को जानकर बौखलाहट से भर गए । हिटलर ने द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 7.
द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर कहाँ तक उत्तरदायी था?
उत्तर-
वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी के साथ जो हुआ वह अन्याय और अत्याचार ही था। जर्मन वाले तो उसे राष्ट्रीय कलंक मानते ही थे। ऐसे ही समय में हिटलर का उदय हुआ उसने नाजी पार्टी की स्थापना की। जर्मनी तानाशाह बन गया । उसने वर्साय की संधि की धज्जियाँ उड़ा दी । वह अपना साम्राज्य विस्तार कर आर्थिक परेशानियाँ दूर करना चाहता था । उसने पोलैंड से डेजिंग की बंदरगाह की मांग की। पोलैंड के इन्कार करने पर उसने उसपर आक्रमण कर दिया और द्वितीय विश्वयुद्ध का बिंगुल बज उठा । अत: हिटलर बहुत अंशों में उत्तरदायी था।

प्रश्न 8.
द्वितीय विश्वयुद्ध के किन्हीं पाँच परिणामों का उल्लेख करें ।
उत्तर-
देखें
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे
(i) धन-जन की हानि-इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। लगभग 60 लाख यहूदियों को जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे और 1.2 करोड़ यंत्रण शिविरों में फासिसवादियों के आतंक के कारण मारे गये । रूस के 2 करोड़ लोग तथा जर्मनी के 60 लाख लोग मारे गये। यह भयानक परिणाम था। इस युद्ध में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर खर्च हुआ।

(ii) यूरोपीय श्रेष्ठता राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई । द्वितीय युद्ध के बाद यूरोप की श्रेष्ठता एशिया के देशों जैसे-भारत, श्रीलंका, वर्मा, मलाया, इंडोनिशिया, मिस्र आदि देश स्वतंत्र हो गए।

(iii) इंग्लैण्ड की शक्ति में ह्रास-प्रत्यक्ष रूप से जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इंग्लैण्ड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंग्लैण्ड सबसे बड़ी शक्ति नहीं रही। इंग्लैण्ड का उपनिवेश मुक्त हो गए, इंग्लैण्ड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए ।

(iv) रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव विश्व की दो महान शक्तियाँ बन गयी । विश्व के राष्ट्र दो खेमे में बंट गए । पूर्वी यूरोप, चीन, भारत आदि रूस के प्रभाव में आए तथा पूँजीवादी व्यवस्था वाले अमेरिका की ओर चले गए।

(v) संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना-विश्व शान्ति को कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना की गई। इसकी स्थापना अमेरिका की पहल पर 1945 ई० में की गई जो अभी भी कार्यरत है।

(vi) विश्व में दो गुटों का निर्माण-दो गुट को साम्यवादी और पूँजीवादी । साम्यवादी देशों का नेतृत्व. सोवियत रूस कर रहा था तथा पूँजीवादी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था । अब एक दूसरा गुट भी सामने आया है वह है विकासशील राष्ट्र । ये देश अपने आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे।

प्रश्न 9.
तुष्टिकरण की नीति क्या है ?
उत्तर-
तुष्टिकरण की नीति भी द्वितीय विश्वयुद्ध का एक कारण बना । पश्चिमी पूँजीवादी देश इंग्लैण्ड तथा फ्रांस रूस को नफरत की दृष्टि से देखते थे। वे चाहते थे कि हिटलर किसी तरह रूस पर हमला कर दे, जिससे दोनों देश कमजोर हो जाए। तब वे हस्तक्षेप करके दोनों शक्तियों को बर्बाद कर देंगे। उस नीति को तुष्टिकरण की नीति से जाना जाता है। तुष्टिकरण की दिशा में म्युनिख समझौता था।

प्रश्न 10.
राष्ट्रसंघ क्यों असफल रहा?
उत्तर-
राष्ट्रसंघ ने छोटे-छोटे राज्यों के मामलों को आसानी से सुलझा दिया लेकिन बड़े-बड़े राष्ट्रों के मामले में उसने अपने को अक्षम पाया और अतंत: उसको इस कार्य के लिए समर्थ और शक्तिशाली राष्ट्रों का सहयोग नहीं मिला। हर निर्णायक कार्रवाई की घड़ी में शक्तिशाली राष्ट्रों ने अपने . निहित स्वार्थ में हाथ खड़ा कर लिए । अतः बड़े राष्ट्रों के दबाव तथा अन्य दुर्बलताओं के कारण राष्ट्रसंघ की उपयोगिता समाप्त हो गयी । जापान, जर्मनी तथा इटली राष्ट्रसंघ से अलग होकर मनमानी करने लगें । जिसके कारण छोटे राष्ट्रों का संयुक्त राष्ट्र पर विश्वास नहीं रहा। इस प्रकार संयुक्तराष्ट्र संघ की असफलता ने द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के निम्नलिखित कारण थे
(i) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा-औद्योगिक क्रान्ति के बाद बाजारों के विस्तार के लिए उपनिवेशों के निर्माण की प्रक्रिया बढ़ी। 1914 ई० तक जर्मनी औद्योगिक क्षेत्र में काफी प्रगति कर चुका था, ब्रिटेन, फ्रांस पीछे छुट चुके थे । जर्मनी को भी उद्योग के लिए कच्चे माल और तैयार माल के लिए बाजार चाहिए था। अतः जर्मनी ने तुर्की के सुलतान से वर्लिन से बगदाद तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना पर स्वीकृति चाही । जर्मनी की इस योजना पर फ्रांस एवं इंग्लैण्ड ने विरोध जताया । अतः इन शक्तियों के बीच विरोध था । इधर अमेरिका भी एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आ चुका था।

(ii) उग्रवाद-उग्र भावना तेजी से बढ़ती जा रही थी। जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परम्परा के व्यक्ति एक साथ मिलकर रहें और कार्य करें तो उनकी अलग पहचान बनेगी और उनकी प्रगति होगी। जर्मनी और इटली का एकीकरण इस आधार पर हो चुका था। बाल्कन क्षेत्र में यह भावना अधिक बलवती थी । बाल्कन तुर्को प्रदेश में था। यह अब स्वतंत्र होना चाहता था । इसी तरह आस्ट्रिया हंगरी के अनेक क्षेत्र अब स्वतंत्र होना चाहते थे। रूस ने भी इसे बढ़ावा दिया । इससे राष्ट्रीय कटुता बढ़ती गयी।

(iii) सैन्यवाद-यूरोपीय देश अपनी सैनिक शक्ति पर पूरा ध्यान दे रहे थे। फ्रांस, जर्मनी आदि प्रमुख देश अपनी राष्ट्रीय आय का लगभग 85% सैनिक तैयारियों पर खर्च कर रहे थे। जर्मनी अपनी जलसेना के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी किया। 1912 ई० में जर्मनी ने ‘इम्पेरर’ नामक जहाज बनाया जो उस समय का सबसे बड़ा जहाज था। इस प्रकार जर्मनी इंग्लैण्ड के बाद दूसरा शक्तिशाली राष्ट्र बन गया ।

(iv) गुटों का निर्माण-साम्राज्यवादी लिप्सा के शिकार शक्तिशाली देश अपने हितों के अनुरूप गुटों का निर्माण करने लगे थे। सम्पूर्ण यूरोप दो गुटों में बंट गया । एक गुट हुआ त्रिगुट (Triple Alliance) जिसमें जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी और इटली थे । दूसरा गुट त्रिदेशीय संधि (Triple Entente) इसमें फ्रांस, रूस और ब्रिटेन थे । ये गुट युद्ध की भयानकता तय कर दी।

(v) तात्कालिक कारण-28 जून, 1914 को आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की बोस्निया की राजधानी साराजेवो में हत्या हो गई। आस्ट्रिया ने इस घटना के लिए सार्बिया को दोषी ठहराया। सार्बिया ने इन्कार कर दिया ।

अत: 28 जुलाई, 1914 को फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और व्यापक रूप धारण कर लिया । इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्डं ‘की हत्या प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बना ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
उत्तर-
विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए

धन-जन की हानि-अब तक के हुए युद्धों में प्रथम विश्व युद्ध सबसे भयावह था । विभिन्न अनुमानों के अनुसार लगभग 45 करोड़ लोग इस विश्व युद्ध से प्रभावित हुए । युद्ध में मरने वालों की संख्या 90 लाख बताई जाती है । लाखों लोग अपंग हो गए । लाखों लोग तरह-तरह की महामारियों से मारे गए।
प्रथम विश्वयुद्ध और इसके बाद सम्पन्न शांति-संधियों ने अनेक देशों की राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन किया । कई राजतंत्र नष्ट हो गए कई देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था का उदय हुआ एवं नई साम्यवादी सरकार से विश्व जनमत का साक्षात्कार हुआ।
साम्राज्यों का अंत-तीन शासक वंश नष्ट हो गए । जर्मनी में होहेन जोलन और आस्ट्रिय हंगरी में हेब्सवर्ग तथा रूस में रोमानोव राजवंश की सत्ता समाप्त हो गई।
संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय-यूरोप का वर्चस्व समाप्त हो गया और संयुक्त राज्य अमेरिका एक नये राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया । यह सैनिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोणों से एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा।
सोवियत संघ का उदय-प्रथम युद्ध के दौरान रूस में एक क्रान्ति हुई इसके फलस्वरूप रूसी साम्राज्य के स्थान पर सोवियत संघ का उदय हुआ । वहाँ समाजवादी सरकार बन गयी।
उपनिवेशों में स्वतंत्रता-युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों ने घोषणा की थी कि युद्ध समाप्ति के बाद उपनिवेशों को स्वतंत्रता दी जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ। तब अफ्रिका एवं एशिया के देशों में स्वाधीनता आन्दोलन तेज ] गया।
वर्साय की संधि-जनवरी और जून 1919 ई० के बीच विजयी शक्तियाँ (मित्र राष्ट्रों) का एक सम्मेलन । पेरिस की वर्साय में हुआ । सम्मेलन में 27 देश भाग ले रहे थे, लेकिन तीन देश ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ही निर्णायक भूमिका निभा रहे थे । अमेरिका के राष्ट्रपति बुडरो विल्सन ने, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लायड जार्ज और फ्रांस के प्रधानमंत्री जार्ज क्लीमेंशु ये तीन व्यक्ति शान्ति संधी की शर्त रख रहे थे। मुख्य संधि जी के साथ 28 जून, 1919 ई० को हुई । इसे वर्साय की संधि कहते ।

राष्ट्र संघ की स्थापना-प्रथम विश्व युद्ध में जन-धन की भारी क्षति को देखकर भविष्य में इसकी पुनरावृति को रोकने के लिए तत्कालीन राजनीतिज्ञों ने प्रयास आरम्भ किए । अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन की प्रमुख भूमिका थी। फलतः जनवरी 1920 में राष्ट्रसंघ (League of Nations) की स्थापना की गयी। पर भविष्य में सफल नहीं हो सका। 3. क्या वर्साय संधि एक आरोपित संधि थी?
उत्तर-नि:संदेह वर्साय की संधि एक आरोपित संधि थी। यह जर्मनी के लिए अत्यन्त कठोर और अपमानजनक थी। इसकी शर्ते विजयी राष्ट्रों – द्वारा एक विजित राष्ट्र पर जबरदस्ती और धमकी देकर लादी गई थी।

जर्मनी ने इसे विवशता से स्वीकार किया। उसने इस संधि को अन्यायपूर्ण कहा । जर्मनी को संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया । चूँकि जर्मनी ने स्वेच्छा से इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया इसलिए वर्साय की संधि को ‘आरोपित संधि’ कहते हैं। जर्मन नागरिक भी इसे कभी स्वीकार नहीं कर सके । जनता ने इसे जर्मनी का कलंक कहा । संधि के विरुद्ध जर्मन में एक सबल जनमत बन गया । हिटलर और नजीदल ने वर्साय की संधि के विरुद्ध जनमत अपने पक्ष में कर सत्ता पर अधिकार कर लिया। सत्ता में आने पर उसने वर्साय की सन्धि की धज्जियाँ उड़ा दी और अपनी शक्ति को बढ़ाने लगा। इसीलिए कहा जाता है कि वर्साय की संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज निहित थे ।

प्रश्न 4.
विस्मार्क की व्यवस्था ने प्रथम विश्वयुद्ध का मार्ग किस तरह प्रशस्त किया ?
उत्तर-
जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क को गुटबंदी का जन्मदाता कहा जाता है । साम्राज्यवादी देश अपने-अपने हितों के अनुरूप गुटों का निर्माण करने लगे थे। अतः सम्पूर्ण यूरोप गुटों में बंटा जा रहा था। यूरोप के गुटबंदी का जन्मदाता विस्मार्क सन 1869 में आस्ट्रिया के साथ द्वैध संधि (Duad Alliance) की। 1882 ई० में एक त्रिगुट संधि बनाया जिसमें जर्मनी; अस्ट्रिया-हंगरी तथा इटली शामिल हुए। इस त्रिगुट का मुख्य उद्देश्य फ्रांस के विरुद्ध कार्य करना था। क्योंकि फ्रांस उसका सबसे बड़ा दुश्मन था इसी त्रिगुट के विरोध में त्रिराष्ट्रीय संधि (Triple Entente) गुट का निर्माण हुआ । इन गुटों ने स्पष्टत: यूरोप को दो गुटों में बांट दिया । जो विश्व युद्ध का कारण बना। अतः विस्मार्क की पहल के फलस्वरूप संपूर्ण यूरोप दो गुटों में विभाजित हो गया । इन गुटों की उपस्थिति ने युद्ध को अनिवार्य कर दिया ।

प्रश्न 5.
द्वितीय विश्वयुद्ध के क्या कारण थे। विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध के निम्नलिखित कारण थे
(i) वर्साय संधि की विसंगतियाँ-द्वितीय विश्व युद्ध का बीजारोपण वर्साय की संधि के द्वारा हो चुका था। यह संधि केवल पराजित राष्ट्रों के लिए थे तथा विजयी राष्ट्र गुप्त संधियों के द्वारा इसे झुठलाते रहे । इस गुप्त संधि का भंडाफोड़ रूस ने किया था जिससे पराजित राष्ट्र गुस्से से भर गए।

(ii) वचन विमुखता-राष्ट्रसंघ के विधान पर हस्ताक्षर कर सभी सदस्य राज्यों ने वादा किया था कि वे सामूहिक रूप से सबकी प्रादेशिक अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे लेकिन वास्तविक तौर पर ऐसा नहीं हुआ। इसके विपरीत चीन, जापान की साम्राज्यवादी नीति का शिकार बना, इटली, अबीसीनिया को रौंदता रहा । फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया के विनाश में सहायक हुआ, हिटलर चेक राष्ट्रों को हड़पता रहा तथा ब्रिटेन और फ्रांस देखते रहे । जापान ने चीन पर आक्रमण कर मंचूरिया पर अधिकार कर लिया। उसी तरह अबिसीनिया मुसोलिनी का शिकार हुआ । इस सफलता को देखकर हिटलर ने आस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर धावा बोल दिया। उसने पोलैंड पर भी चढ़ाई कर दी और इसके साथ विश्वयुद्ध आरम्भ हो गया।

(iii) गृह युद्ध-शान्ति बनाए रखने के लिए यूरोप में अनेक संधि याँ हुई जिससे यूरोप पुनः दो गुटों में बंट गया। एक गुट का नेता जर्मनी बना, दूसरे गुट का नेता फ्रांस बना । यह युद्धबंदी सैद्धान्तिक समानता तथा हितों पर आधारित था । इटली, जापान तथा जर्मनी एक समान सिद्धान्त अर्थात् फासिज्म पर विश्वास करते थे। इनकी नीति समान रूप से प्रसारवादी थी। इसके विपरीत फ्रांस की नीति समान रूप से प्रसारवादी था। इसके विपरीत फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया तथा पोलैंड हर हाल में उन्हें कायम रखना चाहते थे क्योंकि इनसे उन्हें लाभ था । इंग्लैण्ड तथा रूस आरम्भ में इसमें शामिल नहीं थे लेकिन परिस्थितिवश उन्हें भी इस गुटबंदी में शामिल होना पड़ा। इस प्रकार गुटबंदी की वजह से पूरा माहौल विषाक्तपूर्ण हो चुका था।

(iv) हथियारबंदी-गुटबंदी के माहौल में प्रत्येक राष्ट्र अपने को असुरक्षित समझ रहा था । प्रत्येक देश का रक्षा बजट बढ़ रहा था। इंग्लैण्ड के चेम्बरलिन ने 1937 ई० में 40 करोड़ पौंड का ऋण लेने का फैसला अस्त्र-शस्त्र के लिए किया ।

(v) राष्ट्रसंघ की असफलता-राष्ट्रसंघ की भ्रामक शक्तियाँ और सदस्य राष्ट्रों के सहयोग का अभाव भी द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बना।

(vi) विश्वव्यापि आर्थिक मंदी-1929-30 में विश्वव्यापि आर्थिक मंदी आई जो 1931 में अपने चरम सीमा पर था। 1929 में ही अमेरिका ने इंग्लैण्ड को ऋण देना बंद कर दिया। इससे क्रयशक्ति का ह्रास हुआ, बेकारी बढ़ गयी अतः युद्ध आवश्यक हो गया।

(vii) हिटलर एवं मुसोलिनी का उदय-हिटलर और मुसोलिनी दोनों साम्राज्य विस्तार करना चाहते थे। जर्मनी, इटली और जापान की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी।

प्रश्न 6.
द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर-
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे
(i) धन-जन की हानि-इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। लगभग 60 लाख यहूदियों को जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे और 1.2 करोड़ यंत्रण शिविरों में फासिसवादियों के आतंक के कारण मारे गये । रूस के 2 करोड़ लोग तथा जर्मनी के 60 लाख लोग मारे गये। यह भयानक परिणाम था। इस युद्ध में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर खर्च हुआ।

(ii) यूरोपीय श्रेष्ठता राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई । द्वितीय युद्ध के बाद यूरोप की श्रेष्ठता एशिया के देशों जैसे-भारत, श्रीलंका, वर्मा, मलाया, इंडोनिशिया, मिस्र आदि देश स्वतंत्र हो गए।

(iii) इंग्लैण्ड की शक्ति में ह्रास-प्रत्यक्ष रूप से जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इंग्लैण्ड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंग्लैण्ड सबसे बड़ी शक्ति नहीं रही। इंग्लैण्ड का उपनिवेश मुक्त हो गए, इंग्लैण्ड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए ।

(iv) रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव विश्व की दो महान शक्तियाँ बन गयी । विश्व के राष्ट्र दो खेमे में बंट गए । पूर्वी यूरोप, चीन, भारत आदि रूस के प्रभाव में आए तथा पूँजीवादी व्यवस्था वाले अमेरिका की ओर चले गए।

(v) संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना-विश्व शान्ति को कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना की गई। इसकी स्थापना अमेरिका की पहल पर 1945 ई० में की गई जो अभी भी कार्यरत है।

(vi) विश्व में दो गुटों का निर्माण-दो गुट को साम्यवादी और पूँजीवादी । साम्यवादी देशों का नेतृत्व. सोवियत रूस कर रहा था तथा पूँजीवादी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था । अब एक दूसरा गुट भी सामने आया है वह है विकासशील राष्ट्र । ये देश अपने आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे।

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