MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा

MP Board Class 10th Sanskrit Book Solutions संस्कृत दुर्वा Chapter 20 विदिशा NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा


प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) विद्यालयस्य शैक्षणिक भ्रमणदलं कुत्र गतवान्? (विद्यालय का शैक्षणिक भ्रमण दल कहाँ गया?)

उत्तर:
विदिशानगरीम् (विदिशा नगरी में)

(ख) पूर्वस्मिन् काले विदिशानगर्याः किं नाम आसीत्? (पहले विदिशा नगरी का क्या नाम था?)
उत्तर:
भेलसा (भेलसा)

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(ग) ‘सुबाहुः कस्य पुत्रः आसीत्? (‘सुवाहु’ किसका पुत्र था?)
उत्तर:
शत्रुघ्नस्य (शत्रुघ्न का)।

(घ) विदिशानगरी कस्याः नद्यास्तटे वर्तते? (विदिशा नगरी किस नदी के तट पर है?)
उत्तर:
वेत्रवत्याः (वेत्रवती के)

(ङ) कस्य नृपस्य शासनकाले ‘हेलिओडोरस-स्तम्भः’ निर्मितः आसीत?) (किस राजा के शासनकाल में हेलिओडोरस स्तम्भ बना था?)
उत्तर:
काशीपुत्रभागभद्रस्य (काशीपुत्र भागभद्र के)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत- (एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) विदिशानगरी कस्मिन् प्रदेशे स्थिता विद्यते? (निदिशा नगरी किस प्रदेश में स्थित है?)
उत्तर:
गिदिशा नगरी मध्यप्रदेशे स्थिता विद्यते। (विदिशा नगरी मध्यप्रदेश में स्थित है।)

(ख) विदिशानगरी कस्य देशस्य राजधानी आसीत? (विदिशा नगरी किस देश की राजधानी थी?)
उत्तर:
विदिशानगरी दशार्णदेशस्य राजधानी आसीत्। (विदिशा नगरी दशार्णदेश की राजधानी थी।)

(ग) विदिशामध्ये किं नाम स्मारको वर्तते?। (विदिशा के बीच में किस नाम का स्मारक है?)
उत्तर:
विदिशामध्ये ‘लोहाङ्गी’ नामः स्मारकः वर्तते।) (विदिशा के बीच में ‘लोहाङ्गी’ नाम स्मारक है।)

(घ) दुर्गाभ्यन्तरे किं स्थितम् अस्ति? (किले के बीच में क्या स्थित है?)
उत्तर:
दुर्गाभ्यन्तरे ‘बीजामण्डलम्’ स्थितम् अस्ति। (किले के बीच में ‘बीजामण्डल’ स्थित है।)

(ङ) श्रीवैष्णवधर्मस्य दीक्षां कः ग्रहीतवान्? (श्री वैष्णधर्म की दीक्षा किसने ली?)
उत्तर:
श्रीवैष्णवधर्मस्य दीक्षां हेलिओडोरसः ग्रहीतवान्। (श्रीवैष्णव धर्म की दीक्षा हेलिओडोरस ने ली।)

प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) ‘भेलसा’ नाम्नेयं नगरी कथं प्रसिद्धा? (‘भेलसा’ नाम से यह नगरी क्यों प्रसिद्ध थी?)
उत्तर:
‘भेलसा’ नाम्नेयं नगरी प्रसिद्धा यतोहि सूर्यदेवतायाः मन्दिरस्य ‘भेल्लस्वामिनः’ इति लोकख्यातिः एव। (‘भेलसा’ नाम से यह नगरी प्रसिद्ध थी क्योंकि सूर्य देवता के मन्दिर की ‘भेल्लस्वामी’ ऐसी संसार में ख्याति थी।)

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(ख) गुप्तकालस्य प्रसिद्धिः केन नाम्ना अस्ति? (गुप्तकाल की प्रसिद्धि किस के नाम से है?)
उत्तर:
गुप्तकालस्य प्रसिद्धिः ‘रामगुप्तेन’ नाम्ना अस्ति। (गुप्तकाल की प्रसिद्धि ‘रामगुप्त’ नाम से हुई।)

(ग) विदिशानगर्याः काः प्रतिमाः दर्शनीयाः सन्ति? (विदिशा नगरी में कौन-सी मूर्तियाँ दर्शनीय हैं?)
उत्तर:
विदिशानगर्याः ब्रह्मा विष्णोः शिवस्य, गणेशस्य, अर्धनारीश्वरस्य प्रतिमाः दर्शनीयाः सन्ति। (विदिशा नगरी की ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश, और अर्धनारीश्वर की प्रतिमाएँ दर्शनीय हैं।)

प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः रिक्तस्थानानि पूयरत-(दिए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-)
(उदारभावनाम्, पुरातनकालादेव, कुशल, ग्रहीतवान्, द्रष्टुम)
(क) अत्र …………. तत्राप्यस्तु।
(ख) वयं सर्वे पुरातत्त्वसङ्ग्रहालयं …………. अगच्छाम।
(ग) श्रीवैष्णवधर्मस्य दीक्षा ………….।
(घ) हिन्दुधर्मं प्रति तस्य …………. संसूचयति।
(ङ) नगर्याः स्थिति …………. विद्यते।
उत्तर:
(क) कुशलं
(ख) द्रष्टुम्
(ग) ग्रहीतवान्
(घ) उदारभावनाम्
(ङ) पुरातनकालादेव।

प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत-(उचित क्रम से जोड़िए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा img 1
उत्तर:
(क) 3
(ख) 5
(ग) 1
(घ) 2
(ङ) 4

प्रश्न 6.
निम्नलिखितक्रियापदानां धातुं, लकारं, पुरुषं, वचनं च लिखत
(नीचे लिखे क्रियापदों के धातु, लकार, पुरुष और वचन लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा img 2
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा img 3

प्रश्न 7.
अधोलिखितपदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के सन्धिविच्छेद कर सन्धि का नाम लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा img 4
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा img 7

प्रश्न 8.
अधोलिखितसमस्तपदानां विग्रहं कृत्वा समासनाम लिखत
(नीचे लिखे समस्त पदों के विग्रह कर समास का नाम लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा img 5
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 20 विदिशा img 6

प्रश्न 9.
उदाहरणानुसारं पर्यायशब्दान् लिखत
(उदाहरण के अनुसार पर्यायवाची शब्द लिखिए-)
यथा- राजानः नृपाः
(क) पादाः
(ख) शिक्षकस्य
(ग) समुद्रः
(घ) मन्दिरस्य
(ङ) समीपे
उत्तर:
(क) पादाः – चरणाः
(ख) शिक्षकस्य – अध्यापकत्य
(ग) समुद्रः – जलधिः
(घ) मन्दिरस्य – देवालयस्य
(ङ) समीपे – निकटे

प्रश्न 10.
रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न बनाइए-)
(क) अहमपि तत्र अगच्छम्। (मैं भी वहाँ गया।)

उत्तर:
अहमपि कुत्र अगच्छम्? (मैं भी कहाँ गया?)

(ख) इयं नगरी पौराणिकी वर्तते। (यह नगरी पौराणिक है।)
उत्तर:
का नगरी पौराणिकी वर्तते? (कौन-सी नगरी पौराणिक है?)

(ग) अत्र पुरातत्त्वसङ्ग्रहालयो विद्यते। (यहाँ पुरातत्त्व सङ्ग्रहालय है।)
उत्तर:
अत्र कः विद्यते? (यहाँ क्या है?)

(घ) नद्याः तटे स्तम्भः अस्ति। (नदी के तट पर स्तम्भ है।)
उत्तर:
कस्याः तटे स्तम्भः अस्ति? (किसके तट पर स्तम्भ है?)

(ङ) साञ्चीनगरे बौद्धसम्प्रदायस्य स्तूपो वर्तते।। (साञ्ची नगर में बौद्धसम्प्रदाय का स्तूप है।)
उत्तर:
साञ्ची नगरे कस्य स्तूपो वर्तते? (साञ्ची नगर में किसका स्तूप है?)

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योग्यताविस्तार –

विदिशानगर्याः समीपस्थदर्शनीयस्थलानाञ्च मानचित्रं विद्धत।
विदिशा नगरी और उसके पास के दर्शनीय स्थल मानचित्र पर दिखाओ।

आत्मनः पितृव्यस्य कृते सवकीययात्रावृत्तान्तमवलम्ब्य पत्रं लिखत।
अपने पिता के लिए अपनी यात्रा का वृतान्त बताने के लिए पत्र लिखो।

विदिशा पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में पत्रलेखन की पद्धति के विषय में बताया गया है। पत्र लिखने की विधि बताते हुए उन्होंने मध्यप्रदेश की नगरी ‘विदिशा’ का वर्णन किया। इस पत्र में पिता को पत्र लिखकर ‘विदिशा’ नगरी इतिहास, उसके दर्शनीय स्थल तथा उसकी अन्य विशेषताओं को बताया गया है।

विदिशा पाठ का अनुवाद

शासकीयउच्चतरमाध्यमिक विद्यालयः
सिंगरौलीनगरम् (मध्यप्रदेशः)
31-01-2008

पूज्यपादाः पितृचरणाः!
सश्रद्धमभिवादये!!

अत्र कुशलं तत्राऽस्तु। पितृवर्य। विदितं त्यादिदंयत् ममस्वाध्यायः सुष्टुतया प्रचलति। विगते सप्ताहेऽस्माकं विद्यालयस्य शैक्षणिक भ्रमणदलं विदिशानगरी गतवानासीदिति। तेन दलेन सह अहमपि तत्रागच्छम्।

मध्यप्रदेशस्थानगरीयं पौराणिकी ऐतिहासिकी च वर्तते। विदिशा पूर्वस्मिन् काले ‘भेलसा’ इति नाम्ना सुविख्याता आसीत्। एतस्य कारणं सूर्यदेवतायाः मन्दिरस्य ‘भेल्लस्वामिनः’ इति लोकख्यातिरेव। पुरा विदिशानगरी समुन्नतमेकं वाणिज्यिकं केन्द्रमासीत्। योगदर्शनस्य प्रणेता व्याकरणमहाभाष्यस्य कर्ता महर्षिः पतञ्जलिः सम्राट अशोकोऽपि विदिशया सह सम्बद्धौ आस्ताम्।

शब्दार्थाः :
पूज्यपादाः-पूजनीय चरणों वाले-respectable; सश्रद्धम्-श्रद्धासहितrevered, venerable; विदितम्-ज्ञात-may be known; सुष्टुतया-ठीक प्रकार सेproperly; समुन्नतम्-उन्नति को प्राप्त-prominent.

अनुवाद :

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
सिंगरौली नगर (मध्यप्रदेश)
31-01-2008

पूज्य चरणों वाले पिता जी!
श्रद्धासहित अभिवादन करता हूँ!!

यहाँ कुशल है, वहाँ भी हो। पिताश्री! यह जानिए कि मेरी पढ़ाई अब यहाँ ठीक प्रकार से चल रही है। पिछले सप्ताह हमारे विद्यालय का शैक्षणिक भ्रमणदल विदिशा नगरी गया था। उस दल के साथ मैं भी वहाँ गया।

मध्यप्रदेश में स्थित यह नगरी पौराणिक और ऐतिहासिक है। पुराने समय में विदिशा ‘भेलसा’ नाम से प्रसिद्ध थी। इसके कारण सूर्य देवता के मन्दिर की ‘भेल्लस्वामी’ ऐसी लोगों में प्रसिद्धि हुई। पहले विदिशा नगरी एक उन्नत वाणिज्यिक केन्द्र था। योगदर्शन के प्रणेता और व्याकरण के महाभाष्य के कर्त्ता महर्षि पतञ्जलि और सम्राट अशोक भी विदिशा से ही सम्बद्ध हैं।

English :
Educational tour to Vidisha-old and historical city-Previously known as ‘Bhelsa’-Temple of sungod-Trade centre in the past Maharishi Patanjali and emperor Ashoka were also related to Vidisha.

  1. पौराणिकी कथानुरूपं हैहयवंशीयाः राजानो अत्र राज्यं प्रकुर्वन्ति स्म। आदिकविना वाल्मीकिना प्रणीतेन रामायणेन विज्ञायते यत् त्रेतायुगे शत्रुघ्नेन स्वकीयं पुत्रं ‘सुबाहु’ नामानम् अत्रत्यः शासकरूपेणाभिषिच्य प्रदेशममुं स्वायत्तीकृतमासीत्। कविकुलगुरुः कालिदासः गीतिकाव्ये मेघदूते पूर्वमेघे नगरीमिमां दशार्णदेशस्य राजधानीत्वेन अवर्णयत्।

सर्वप्रथमं वयं सर्वे पुरातत्त्वसङ्ग्रहालयं द्रष्टुमगच्छाम। तत्र कलात्मिकानां पाषाणप्रतिमानाम् अद्वितीयः सङ्ग्रहोः विद्यते। ‘बेसनगर’ मित्याख्यस्य स्थलस्योत्खनने समुपलब्धाऽपि सामग्री वर्ततेऽत्रैव। अत्र यक्षस्य, ग्यारसपुरस्य शालभञ्जिकायाः सदाशिवस्य (त्रिमुखिनः शिवस्य) चाप्रतिमाः प्रतिमाः सङ्ग्रहीताः सन्ति। नगर्याः मध्ये ‘लोहागी’ स्मारको विद्यते। अन्न संरक्षितः शुङ्गकालीनः शीर्षस्तम्भस्यावशेषः कलात्मकदृष्ट्या अपूर्वः।

शब्दार्थाः :
प्रणीतेन-रचे गए के द्वारा-by composed; विज्ञायते-जाना जाता है-is known; अभिषिच्य-अभिषेक करके – on coronating/enthroning; अमुम्-इसको-him; स्वायत्तीकृतम्-अपने अधीन कर लिया-subjugated; उत्खनने-खोदने में-on digging.

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अनुवाद :
पौराणिक कथा के अनुसार हैहयवंश के राजा यहाँ राज्य करते थे। आदिकवि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के द्वारा ज्ञात होता है कि त्रेतायुग में शत्रुध्न के द्वारा अपने पुत्र ‘सुबाहु’ नाम को यहीं राज्याभिषेक करके इस प्रदेश को अपने अधीन कर लिया था। कविकुलगुरु कालिदास के गीतिकाव्य मेघदूत के ‘पूर्वमेघ में इस नगरी को दशार्ण देश की राजधानी के रूप में वर्णित किया।

सबसे पहले हम सब पुरातत्त्व सङ्ग्रहालय देखने गए। वहाँ पत्थर की कलात्मक प्रतिमाओं का अद्वितीय (अनोखा) सङ्ग्रह है। ‘बेसनगर’ इस स्थल के खोदने में उपलब्ध सामग्री भी यहीं है। यहाँ यक्ष की ग्यारसपुर के शाल भञ्जिका की और सदाशिव की (तीन मुँह वाले शिव की) अनोखी प्रतिमाएँ इकट्ठी की गई हैं। नगरी के बीच में ‘लोहाङ्गी’ स्मारक है। यहाँ शुङ्गकालीन शीर्ष स्तम्भ के अवशेष संरक्षित हैं, जो कलात्मक दृष्टि से अपूर्व है।

English :
Kings of Haihaidynasty ruled in Vidisha. Shatrughana had coronated his son Subahu here and subjugated this region. Kalidas described Visdisha as capital of Dasharna country.

Saw collection of stone effigies in museum. Lohuingi memorialRelics of top pillar of the age of Shangas preserved here-artistically unique.

  1. अस्याः उत्तरपश्चिमदिशि दुर्गाभ्यन्तरे स्थितमस्ति ‘बीजामण्डलम्’। चर्चिकादेव्याः मन्दिरमिदं विजयदेव्याः अपराभिधेयेन विजयमन्दिरमिति नाम्ना लोके प्रसिद्धिमगात्।

वेत्रवत्याः वामतटे क्रोशमेकं दूरं वर्तते ‘हेलिओडोरस-स्तम्भ’ इति। इयं तु शुङ्गनृपतेः काशीपुत्रभागभद्रस्य शासनकाले विनिर्मिता वास्तुकृतिरस्ति। स्तम्भोपरि समुत्कीर्णेन लेखेन ज्ञायते यत् तक्षशिला वास्तव्यस्य दियस्य पुत्रो हेलिओडोरस नामा यवनाधिपतेः अन्तलिकितस्य राजदूतत्वेन वैदेशिको भवन्नपि श्रीवैष्णवधर्मस्य दीक्षा ग्रहीतवान्। अत्रत्यो गरुडशीर्षस्तम्भो हिन्दुधर्मं प्रति तस्योदारभावनां संसूचयति।
वेत्रवत्याः समीपे विंशतिसङ्ख्याकाः गुहाः सन्ति; याः सर्वाः “उदयगिरिगुहा” नाम्ना प्रख्याताः वर्तन्ते। इमाः सर्वाः स्वर्णयुगस्य गुप्तकालस्य माहात्म्यगाथां प्रगायन्ति।

शब्दार्थाः :
दुर्गाभ्यन्तर-किले के बीच में-inside a fort; अपराभिधेयेन-दूसरे नाम से-with other name; अगात्-प्राप्त हो गया-became; क्रोशम्-एक कोस-one mile; गहाः-गुफाएँ-Caves; समुत्कीर्णेन-खुदे हुए के द्वारा-through digging.

अनुवाद :
इसके उत्तर पश्चिम दिशा में किले के बीच में ‘बीजामण्डल’ स्थित है। चर्चिका देवी का यह मन्दिर विजय देवी के दूसरे नाम ‘विजयमन्दिर’ से संसार में प्रसिद्ध हुआ।

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वेत्रवती (बेतवा नदी) के बाएँ तट पर एक कोस दूर ‘हेलिओडोरस-स्तम्भ’ है। यह तो शुङ्ग राजा काशी पुत्र भागभद्र के शासनकाल में बनाई गई वास्तुकृति है। इस स्तम्भ के ऊपर खुदे हुए लेख से ज्ञात होता है कि तक्षशिला में वास्तव्य दिय को पुत्र ‘हेलिओडोरस’ नामक, यवन राजा ने अन्तलिकित के राजदूत के रूप में विदेशी होते हुए भी श्री वैष्णव धर्म की दीक्षा प्राप्त की। यहाँ से गरुड़शीर्ष स्तम्भ हिन्दू धर्म के प्रति उसकी उदार भावना की सूचना मिलती है।

वेत्रवती के पास 20 की संख्या में गुफाएँ हैं, जो सब ‘उदयगिरि गुफा’ नाम से प्रसिद्ध हैं। ये सारी गुफाएँ स्वर्णयुग गुप्तकाल की महात्म्यगाथा गाते हैं।

English :
Bijamandal-temple of goddess charchika is located in a fort-also known as ‘Vijaya Temple’.

Heliodus pillar on the bank of Vetravati river-raised in the rule of Shunga king-A Muslim king got initiated in Vaishnava religionThe Garuda Shirsha pillar speaks high of his generous feelingsUdayagiri caves located near Vetravati-speak high of Gupta age.

  1. विदिशातः किञ्चिद् दूरस्थे चितौरियानामके ग्रामे नवम्याः दशम्याश्च शताब्याः परमारकालीनाः ब्रह्मणः, विष्णोः, शिवस्य, गणेशस्यार्द्धनारीश्वरस्य प्रतिमाः दर्शनीयाः सन्ति।

कालक्रमेणात्र जैन-बौद्धसम्प्रदाययोः विकासोऽपिसमभवत्। विशेषरूपेण, गुत्पकाले चतुर्थ्यां शताब्यां रामगुप्ताधिशासिते जैनतीर्थङ्कराणां मूर्तिनिर्माणं, तथा च तासां प्रतिष्ठापनं गोलक्यान्त्यायाः सुपुत्रस्य चेलुक्षमणस्य, तच्छिष्यस्याचार्यसlसेनस्य च प्रेरणया कारितम् आसीत्। निकटमेव साञ्चीनगरे बौद्वसम्प्रदायस्य स्तूपो वर्तते।

अन्ते चे, सर्वेभ्यः ज्येष्ठेभ्यः सादरं प्रणामाः। अनुजेभ्यः हार्दिकः स्नेह। मित्रेभ्यः शुभाकाङ्क्षां प्रकटीकरोमि।

भवदीयः पुत्रः
मूदुलः

शब्दार्थाः :

प्रतिष्ठापनम्-प्रतिष्ठित करना-establishing; कारितम्- करवाया-got done; स्तूपः-बौद्धभिक्षु का निवास स्थान-lodging of a Buddhistic mendicant; आकाङ्क्षा-कामना-desire, longing.

अनुवाद :
विदिशा से कुछ दूर स्थित चितौरिया नामक गाँव में नवीं-दसवीं शताब्दी के परमारकालीन ब्रह्मा, विष्णु, शिव, गणेश, अर्द्धनारीश्वर की मूर्तियाँ देखने योग्य हैं।

काल के क्रम से यहाँ जैन और बौद्ध सम्प्रदाय का भी बहुत विकास हुआ। विशेषरूप से, गुप्तकाल में चौथी शताब्दी के रामगुप्त के शासन में जैन तीर्थङ्करों की मूर्ति बनाना, और उनको प्रतिष्ठित करना गोलक्यान्त्या के सुपुत्र चेलुक्षमण के और उनके शिष्य आचार्य सर्ग्यसेन की प्रेरणा से करवाया था। पास ही साञ्ची नगर में बौद्ध सम्प्रदाय के स्तूप हैं।

और अन्त में, सभी बड़ों को सादर प्रणाम। सभी छोटों को हार्दिक स्नेह। मित्रों के लिए शुभकामना प्रकट करता हूँ।

आपका पुत्र
मृदुल


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