MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 6 स्नेह बन्ध

MP Board Class 11th Hindi Book Solutions हिंदी मकरंद, स्वाति Chapter 6 स्नेह बन्ध- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 6 स्नेह बन्ध

प्रश्न 1.
‘स्नेहबंध’ कहानी किन सम्बन्धों पर आधारित है?
उत्तर:
‘स्नेहबंध’ कहानी पारिवारिक सम्बन्धों पर आधारित है। इस कहानी में प्रमुख रूप से सास, ससुर एवं बहू के सम्बन्धों पर प्रकाश डाला गया है।

प्रश्न 2.
मीता से पहली भेंट पर उसकी सास पर क्या प्रभाव पड़ा? (2015)
उत्तर:
मीता से पहली बार भेंट करने पर उसकी सास उसकी आधुनिक वेशभूषा और उच्छृखल व्यवहार को देखकर स्तब्ध रह गयी।

प्रश्न 3.
मीता के ससुराल वालों ने जात-पाँत के बजाय किन बातों को महत्त्व दिया था? (2017)
उत्तर:
मीता के ससुराल वालों ने जात-पाँत के बजाय उसके रूप-गुण, विद्या-बुद्धि एवं संभ्रांत परिवार को महत्त्व दिया था।

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प्रश्न 4.
“अपनी बिटिया को भूल कैसे गई थी मैं?” इस वाक्य में बिटिया शब्द किसके लिए कहा गया है?
उत्तर:
“अपनी बिटिया को भूल कैसे गई थी मैं?” यह वाक्य मीता की सास ने अपनी बहू के लिए प्रयोग किया था।

प्रश्न 5.
मीता के पति व देवर का नाम लिखिए। (2016)
उत्तर:
मीता के पति का नाम ध्रुव और देवर का नाम शिव है।

स्नेह बन्ध लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ध्रुव ने मीता के पिता को किस प्रकार आश्वस्त किया?
उत्तर:
ध्रुव ने मीता के पिता को यह कहकर आश्वस्त किया कि उसकी माँ बहुत ही सहनशील एवं स्नेहमयी हैं। वे मीता को अपने अनुसार ही बदल लेंगी।

प्रश्न 2.
शादियों में कुछ लोग किस उद्देश्य से जाते हैं? सबसे अधिक आलोचना किसे झेलनी पड़ती है?
उत्तर:
शादियों में कुछ लोग केवल टीका-टिप्पणी करने के उद्देश्य से ही आते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य किसी न किसी प्रकार की कमी निकालकर हँसने का होता है। सबसे अधिक आलोचना नवविवाहिता वधू को झेलनी पड़ती है।

प्रश्न 3.
मीता की सास को मीता की कौन-कौन सी बातें खटकती थीं?
उत्तर:
मीता की सास को मीता का प्रत्येक व्यक्ति से बेधड़क बात करना, बात करते समय संकोच न करना, छोटे-बड़े के मध्य दूरी न बनाये रखना बहुत अखरता था।

प्रश्न 4.
मीता के विदेश न जाने के पीछे क्या भावना थी? (2009, 14)
उत्तर:
मीता अनावश्यक खर्च न करके अपनी ससुराल में ही रहना चाहती थी। क्योंकि उसके पति का विदेश जाने का खर्च कम्पनी दे रही थी, मीता का नहीं। उसकी यह भावना घर के प्रति उत्तरदायित्व एवं मितव्ययिता का परिचायक थी।

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स्नेह बन्ध दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
“हम लोग इतने दकियानूसी नहीं हैं कि एक आर्किटेक्ट लड़की में सोलहवीं सदी की बहू तलाशें।” कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
“हम लोग इतने दकियानूसी नहीं हैं” यह कथन ध्रुव के पिता का मीता के पिता के प्रति है। इस वाक्य द्वारा ध्रुव के पिता ने यह भावना व्यक्त की है कि वे इतने परम्परावादी नहीं हैं कि वे एक आर्किटेक्ट लड़की में सोलहवीं सदी की बहू तलाशें-ऐसा कहकर उन्होंने मीता के पिता को आश्वस्त किया।

इसका प्रमुख कारण था कि मीता के पिता को अपनी पुत्री की बहुत अधिक चिन्ता थी, क्योंकि उनकी पुत्री मातविहीन थी। अधिकतर उसकी शिक्षा हॉस्टल में रहकर सम्पन्न हुई थी। घर और परिवार के परिवेश से वंचित थी। वह घर और परिवार के रीति-रिवाज से अनभिज्ञ थी। इसी कारण मीता के पिता को ध्रुव के पिता ने अपने उचित व्यवहार एवं तर्कसंगत विचारों से पूर्ण आश्वस्त किया और यह भी दर्शा दिया कि वे रूढ़िवादी नहीं हैं।

प्रश्न 2.
‘स्नेहबंध’ कहानी के माध्यम से लेखिका क्या कहना चाहती हैं? (2008)
उत्तर:
‘स्नेहबंध’ कहानी के माध्यम के द्वारा लेखिका मालती जोशी यह कहना चाहती हैं कि प्रत्येक स्त्री के हृदय में ममत्व, स्नेह एवं वात्सल्य की अजस्र धारा प्रवाहित होती रहती है। स्त्री सास हो अथवा माँ, वह ममत्व की भावना संजोये रहती है। प्रस्तुत कहानी में मीता अपनी सास के प्रति अगाध प्रेम एवं श्रद्धा रखती है। लेकिन उसकी सास सदैव ही उससे रुष्ट रहती है। उसका प्रमुख कारण है मीता को व्यावहारिक ज्ञान न होगा।

ससुर, मीता की सास को बार-बार समझाते हैं कि बिना माँ की बच्ची है, उससे स्नेहपूर्ण व्यवहार करो। परन्तु वह हमेशा झुंझलाती रहती है। मीता के ससुर जब बीमार हो जाते हैं तब वह रात-दिन एक करके अपने ससुर की निष्कपट भाव से सेवा करती है। उसकी ससुर के प्रति निष्कपट एवं समर्पित सेवा भावना देखकर मीता की सास का हृदय परिवर्तित हो जाता है। उसके मन-मानस में मीता के प्रति प्रेम का सागर हिलोरें लेने लगता है।

‘स्नेहबंध’ कहानी के माध्यम से लेखिका ने यह व्यक्त करने का प्रयास किया है कि समय के अनुरूप मानव में परिवर्तन उपस्थित हो जाता है, चाहे वह कितना भी निष्ठुर क्यों न हो? वास्तव में ‘स्नेहबंध’ कहानी के द्वारा लेखिका ने सास-बहू के आदर्श प्रेम को दर्शाया है।

प्रश्न 3.
कहानी के आधार पर मीता की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर:
आधुनिक विचारधारा की मीता एक प्रतिष्ठित परिवार की लड़की है। उसे बनावटी बातें पसन्द न थीं। वह जब पहली बार ध्रुव के साथ अपनी ससुराल गयी तो ध्रुव ने उससे साड़ी पहनने को कहा, तब वह बोली, “मैं जैसी हूँ वैसी ही उन्हें देख लेने दो। बेकार नाटक करने से फायदा …….. खैर कपड़ों की छोड़ो।” पहली बार ससुराल जाती है तो वह वहाँ हँसी-मजाक करती है। उसके हृदय में किसी भी प्रकार का छल-कपट न था। वह विनम्रता की साक्षात् मूर्ति थी। साथ ही, रूप-गुण एवं बुद्धि से परिपूर्ण थी।

सौन्दर्य व गुणों से परिपूर्ण होने पर भी उसे तनिक भी घमण्ड न था। अपनी प्रत्येक बात को स्नेह से मनवाना चाहती थी। जब वह पहली बार मैक्सी पहनकर घर में खड़ी हुई तो उसकी ननद ने टोका और कहा-“मीता रानी ! आज ये कौन-सी पोशाक निकाल ली।” “घर की ड्रेस है दीदी।” यह उत्तर साधारण रूप से दे देती है। कहती है दीदी आप तो घर की हैं, अपनी हैं। इस प्रकार वह प्रत्येक प्रश्न का उत्तर सहजता से दे देती है। साथ ही साथ सास को समझाती है कि-

“पर माँ साड़ी पहनकर जरा-भी आरामदायक नहीं लगता। काम तो कर ही नहीं सकती मैं। बस गुड़िया की तरह बैठे रहना पड़ता है।” इस प्रकार साधारण रूप से अपनी सास को परेशानी बता देती है। सास भी उसकी बात को सहजता से स्वीकार कर लेती है।

बाल प्रवृत्ति-यद्यपि मीता का विवाह हो गया था परन्तु वह अपना बचपना नहीं छोड़ती है। उसे तनिक भी झिझक नहीं है। वह सुबह होते ससुर की कुर्सी के हत्थे पर बैठकर पूरा अखबार पढ़ती है।

“घर में रहती तब तक उनके आस-पास मँडराया करती, पापा का जाप किए जाती। इन्हें इसरार करके खाना खिलाती, दवाई समय पर न लेने के लिए डाँटती है।” लेकिन उसकी यह आदतें उसकी सास को पसन्द नहीं थीं। जब मीता के सास-ससुर की शादी की सालगिरह थी वह बातों में मगन थी। उसे कुछ क्षण के लिए याद न था-“मेरा चेहरा देखते ही वह गले में झूल गई-“पकड़ी गई न ! आप लोगों ने सोचा होगा, चुप्पी लगा जायेंगे तो सस्ते में छूटे जायेंगे।”

परिवार के प्रति उत्तरदायी – मीता को अपने परिवार की जिम्मेदारियों का पूर्ण अहसास था, क्योंकि जब मीता का पति जर्मनी जाने लगा तो सभी परिवार के सदस्यों ने कहा-यह भी ध्रुव के साथ चली जाय परन्तु मीता ने इस प्रस्ताव का विरोध इस प्रकार किया-
“वह बोली बेकार रुपये फेंकने से क्या फायदा पापाजी ! ध्रुव का खर्च तो कम्पनी देगी।” इस वाक्य के द्वारा यह प्रतीत होता है कि वह परिवार के प्रति उत्तरदायी है।

हँसमुख व्यवहार – मीता सदैव प्रसन्न रहती है तथा अपने व्यवहार द्वारा परिवार के सभी सदस्यों को प्रसन्न रखने का प्रयास करती है। इसी कारण वह सबसे हँसी-मजाक कर लेती है और स्नेहयुक्त व्यवहार करती है।

आदर्श वधू – मीता को जैसे ही पता चलता है कि उसके ससुर बीमार हैं वह तुरन्त उनकी सेवा तत्परता से करती है। रात-दिन एक कर डालती है। उसे हर समय एक ही दुःख सताता है कि उसके ससुराल वालों ने उसे उसके ससुर के बीमार होने की खबर क्यों नहीं दी? वह अपनी सास के पास चुपचाप लेट जाती है तभी उसकी सास ने पूछा “क्या हुआ बेटे?” मैंने प्यार से पूछा, वह एकदम पलटी। कुछ क्षण मुझे देखती रही फिर मेरी छाती में मुँह छुपाकर सुबकते हुए बोली, “पहले यह बताइए, आपने हमें खबर क्यों नहीं की? पापाजी इतने बीमार हो गये, किसी को मेरी याद भी न आई।”

उसके इस प्रकार की सेवा भावना से प्रतीत होता है कि वह एक आदर्श वधू है। वह अपने असीम स्नेह द्वारा सास का हृदय परिवर्तित कर देती है और सास भी उसको पुत्रीवत् स्नेह करने लगती है।

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प्रश्न 4.
उस प्रसंग का उल्लेख कीजिए जिसके कारण मीता की सास के व्यवहार में परिवर्तन आया?
उत्तर:
मीता आधुनिक परिवेश में पली-बढ़ी युवती है। वह जिस दिन से विवाह करके आयी थी वह हर समय प्रयास करती है कि वह अपनी सास की इच्छा के विरुद्ध न चले। वह हर सम्भव प्रयास करती है कि वह अपनी सास को प्रसन्न रखे परन्तु वह सदैव रुष्ट ही रहती हैं। यद्यपि मीता के ससुर ने भी अपने इन शब्दों द्वारा समझाया, “वह लड़की बेचारी माँ-माँ कहकर मरी जाती है और तुम?”

“बिना माँ की है तो क्या करूँ।” एकदम फट पड़ी। लेकिन कुछ समय के लिए मीता अपने पिता के घर चली जाती है। अचानक ही वह किसी काम से अपनी ससुराल पहुंची तब उसे पता चला कि उसके ससुर बीमार हैं।

मीता तुरन्त ही अपने बीमार ससुर के लिए प्राइवेट वार्ड में कमरा आरक्षित करवा कर उस कमरे की साफ-सफाई स्वयं करती है। जब उसकी सास कमरे में प्रवेश करती है तो कमरे की सुन्दर व्यवस्था को देखकर हैरान रह जाती है। इसके बाद मीता स्वयं स्टोव जलाकर सास के लिए चाय बना देती है और कहती है-
“माँ चाय पी लीजिये।” थोड़ी देर में वह मेरे सामने खड़ी थी। कमरे में आने के बाद से उसने पहली बार बात की थी और उसका स्वर अत्यन्त सपाट था।
“चाय यहाँ?”
तो कहाँ पियेंगी। क्या पापा को इस हालत में छोड़कर जायेंगी?

इसके पश्चात् रातभर जागकर वह कुर्सी पर बैठी रही। मीता की सेवा भावना को देखकर पहली बार सास ने कहा-
“मीता।” मैंने स्नेहयुक्त स्वर में आवाज दी, “भैया आराम कुर्सी में लेट जायेंगे। तू इधर पलंग पर आ जाना, दिन-भर खड़ी की खड़ी है।” इस प्रकार मीता के प्रति सास के हृदय में स्नेह उमड़ आया।

मीता चुपचाप सास के पास नहीं बच्ची की भाँति लेट जाती है। मीता के अबोध शिशु के समान व्यवहार को देख पहली बार मीता की सास को उस पर स्नेह उमड़ आया। क्योंकि दिनभर थकान के बाद वह एक निष्पाप अबोध निरीह शिशु लग रही थी। इस स्थिति को देखकर मीता की सास के मन में ममत्व की भावना जाग्रत हुई।

मीता की सास के शब्दों में ममता का एक ज्वार-सा उठा मन में। एकदम उसे अंक में भर लेने की इच्छा हुई। पर संकोच में मैं बस उसकी पीठ पर, बालों पर हाथ फेरती रही।

अचानक मेरी उँगलियाँ उसकी पलकों को छू गईं।
वे गीली थीं।
“क्या हुआ बेटे?” मैंने प्यार से पूछा।
वह कुछ नहीं बोली। बस, जैसे रुलाई रोकने के लिए होंठ सख्ती से भींच लिए। इसके बाद मीता ने सास की छाती में मुँह छिपाकर सुबकते हुए पूछा, “पहले यह बताइए आपने हमें खबर क्यों नहीं दी?” पापाजी इतने बीमार हो गये ………

इस वाक्य को सुनकर मीता की सास की अन्तरात्मा हिल उठी और उसे लगा कि वह व्यर्थ ही मीता के प्रति आक्रोश की भावना रखती है। जबकि वह उसको सच्चे हृदय से माँ मानती है।

इस घटना के पश्चात् ही मीता की सास ने स्वयं को-
“कटघरे में खड़ा करके मैं बार-बार पूछ रही थी-मुझे उसकी याद क्यों नहीं आई? अपनी बिटिया को कैसे भूल गई थी मैं?”
इस प्रकार मीता की सास के मन में मीता के प्रति पुत्रीवत स्नेह उमड़ आया और मन की शंका भी समाप्त हो गयी।

प्रश्न 5.
मीता के रोने का क्या कारण था?
उत्तर:
मीता के रोने का प्रमुख कारण था कि मीता अपनी ससुराल से अत्यधिक स्नेह करती थी। विशेषकर अपने ससुर से लेकिन जब मीता का पति ध्रुव विदेश चला गया तो वह अपने पिता के घर रहने चली गयी। इसी मध्य में उसके ससुर की तबियत अधिक खराब हो गयी।

इस बात का पता उसे मेहता जी से चलता है इसलिए वह दुःखी हो जाती है। क्योंकि जिस ससुर को व पिता के समान मानती थी तथा अपूर्व स्नेह रखती थी, उनकी अस्वस्थता के विषय में उसे कोई सूचना नहीं दी गयी थी।

मीता को अपने ससुर से अगाध स्नेह था। उसे यह बात कष्टप्रद प्रतीत हुई जिस पिता को वह अपार स्नेह करती है उन्हीं की अस्वस्थता को उसे न बताकर उसको पराया समझ लिया गया।

लेकिन मीता को पता चलते ही उसने ससुर की तन-मन-धन से सेवा की, परन्तु इस बात को भूलने में असमर्थ रही कि उसे ससुर की बीमारी को नहीं बताया गया। जब भी वह इस बात को सोचती तो उसे रोना आने लगता था।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित गद्यांश की सन्दर्भ व प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
(1) ममता का एक ज्वर …………………… फेरती रही।
(2) कभी कभार …………. घुल रही है।

उत्तर:
(1) सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ पर मीता के व्यवहार से प्रभावित उसकी सास के मन की ममता की सहज अभिव्यक्ति हुई है।

व्याख्या :
मीता के अत्यन्त सरल और संवेदनशील सेवाभावी व्यवहार से उद्विग्न हुई मीता की सास के मन में ममता का तीव्र झंझावात जाग उठा। पास लेटी मीता उसे अपनी पुत्री प्रतीत होने लगी। वह उसे अपनी गोद में भर लेना चाहती थी, किन्तु संकोचवश मात्र उसकी पीठ पर तथा बालों पर प्यार भरा हाथ फेरती रही।

(2) सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘स्नेह बंध’ नामक कहानी से उद्धृत है। इसकी लेखिका मालती जोशी हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्ति में लेखिका ने मीता की उस समय की मनोदशा का सशक्त अकन किया है जब उसके पति जर्मनी चले गये थे। इससे मीता के ससुर एवं सास भी चिन्तित थे।

व्याख्या :
मीता यदा-कदा अपने मायके से ससुराल आ जाती थी। लेकिन वह पहले की भाँति उछल-कूद नहीं करती थी। हँसती-मुस्कराती तो अवश्य थी। परन्तु पहले जैसी हल-चल नहीं करती थी। उसके हास्य के पीछे पहले जैसे जीवंतता नहीं थी। हास्य के पीछे मन की व्यथा निहित थी। जब मीता पुनः अपने मायके प्रस्थान करती थी तब उसके ससुर सास कहते कि उस समय तो अपने पति ध्रुव के साथ विदेश गमन इसलिए नहीं किया कि व्यर्थ ही रुपये व्यय होंगे। लेकिन अब वह मन-ही-मन पश्चाताप कर रही है। उसके मन में प्रतिपल अपने पति की याद कौंधती रहती है। मीता यद्यपि व्यवहार कुशल एवं दूरदर्शी है, परन्तु नारी के हृदय में पति के प्रति स्नेह भावना रहती है, उसे किस प्रकार नकारा जा सकता है।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-विस्तार कीजिए
(1) माँ की जीवन भर की साधना है।
(2) सभी सौजन्य और विनम्रता की मूर्ति बने थे।
(3) मन पर काँटे से उग आते हैं।

उत्तर:
(1) उपर्युक्त कथन ध्रुव का है-जब मीता की सास नाश्ता बनाकर लाती है तब मीता ध्रुव की माँ से कहती है कि आप इतना भारी नाश्ता देती हैं तभी आपके दोनों सुपुत्र मोटूमल हो रहे हैं। इसी बात का खण्डन करते हुए ध्रुव कहता है कि तुम हमें नजर मत लगाओ, क्योंकि हम दोनों पुत्र ही अपनी माँ की जीवन भर की जमा पूँजी हैं।

हमारी माँ ने हमें पूर्ण मनोयोग से परिश्रम करके पाला-पोसा है, अतः हमारे खाने-पीने पर टोक मत लगाओ। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि खाते समय किसी को टोकना अशुभ माना जाता है। माँ के हाथ से दिया हुआ नाश्ता अमृत तुल्य हो जाता है। उसकी तुलना में संसार के समस्त स्वादिष्ट पदार्थ फीके हैं।

(2) प्रस्तुत वाक्य में मीता के विवाह का उल्लेख है क्योंकि अन्तर्जातीय विवाह को लेकर टीका-टिप्पणी करने के लिए बहुत से लोग लालायित थे, परन्तु मीता के परिवार की ओर से आवभगत में किसी भी प्रकार की कोई भी कमी नहीं थी। मीता के परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने-अपने उत्तरदायित्व का सजगता एवं विनम्रता से निर्वाह कर रहा था।

कहने का अभिप्राय है कि पापा के अलावा परिवार के अन्य सदस्य भी विनम्रता की साक्षातमूर्ति थे। कहीं भी किसी भी प्रकार का तनाव न था। इस प्रकार से उनकी विनम्रता के द्वारा कन्यापक्ष की शालीनता और विनम्रता प्रकट हो रही थी।

(3) प्रस्तुत कथन मीता की सास का है जब मीता की सास ने रात जनरल वार्ड में गुजारी थी। उस रात को याद करके उनका मन व्यथित हो जाता है। वह यह जानकर परेशान थी कि उसके पति बीमार हैं उनकी देख-रेख की व्यवस्था उचित प्रकार से नहीं हो पा रही थी। उसका कारण था कि अस्पताल में गन्दगी बहुत थी। ऐसे वातावरण में रहना असहनीय था।

मीता की सास को अस्पताल के अव्यवस्थित माहौल में रात भर बेचैनी रही। वह स्वयं को ही बीमार समझने लगी थी। अस्पताल के दूषित वातावरण एवं दुर्गन्ध को याद करके उनका मन-मानस व्यथित हो रहा था।

उस अस्पताल की दुर्गन्ध की याद करके आज भी मन विह्वल हो उठता है। एक तो पति की बीमारी दूसरे अव्यवस्थित माहौल मन में काँटे की भाँति चुभ रहे थे एवं मन को व्यथित कर रहे थे।

स्नेह बन्ध भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त मुहावरे छाँटकर लिखिए.
(अ) पहली नजर में उसका हुलिया देखा और मन खट्टा हो गया था।
(आ) उस समय तो सचमुच मेरा खून जल जाता पर मैंने किसी को हवा नहीं लगने दी।
(इ) प्रेम करते समय इन लोगों की अक्ल क्या घास चरने चली जाती है।
(ई) हमें नजर मत लगाओ।
(उ) बहू को लेकर मन में कितनी कोमल कल्पनाएँ थीं सब राख हो गईं।
उत्तर:
(अ) मन खट्टा हो गया।
(आ) खून जल जाना, हवा न लगने देना।
(इ) अक्ल घास चरने जाना।
(ई) नजर लगाना।
(उ) राख हो जाना।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के सामने कुछ विकल्प दिये गये हैं, उनमें से सही विकल्प चुनकर लिखिए

स्ट्रेचर (हिन्दी, अंग्रेजी, देशज शब्द)
नज़र (हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू शब्द)
जीवन (तत्सम, तद्भव, देशज शब्द)
माटी (तत्सम, विदेशी, देशज शब्द)।

उत्तर:

स्ट्रेचर-अंग्रेजी शब्द
नज़र-उर्दू शब्द
जीवन-तत्सम शब्द
माटी-देशज शब्द।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में अशुद्ध वर्तनी वाले शब्दों को शुद्ध करके लिखिए
उत्तर:
(क) अशुद्ध-लेकिन बहू घर में आति न थी।
शुद्ध-लेकिन बहू घर में आती न थी।

(ख) अशुद्ध-उसे परदरशन करने की क्या जरूरत थी?
शुद्ध-उसे प्रदर्शन करने की क्या जरूरत थी?

(ग) अशुद्ध-राम को यह सब सेहज-स्वाभाविक लगता था।
शुद्ध-राम को यह सब सहज स्वाभाविक लगता था।

(घ) अशुद्ध-पापा का स्वास्थ्य इन दीनों ठीक न था।
शुद्ध-पापा का स्वास्थ्य इन दिनों ठीक न था।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अनुच्छेद में यथास्थान विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए-
कभी कभार वह भी घर पर आ जाती पर पहले का सा तूफान नहीं करती हँसती खिलखिलाती पर उसमें पहले की सी जीवंतता नहीं थी जब वह चली जाती तो यह कहते कहा था साथ चली जाओ तब नहीं मानी पैसे का मुँह देखती रही अब मन ही मन घुल रही है।
उत्तर:
कभी-कभार वह भी घर पर आ जाती है, पर पहले का-सा तूफान नहीं करती। हँसती-खिलखिलाती, पर उसमें पहले की-सी जीवंतता नहीं थी। जब वह चली जाती तो यह कहते, “कहा था, साथ चली जाओ। तब नहीं मानी, पैसे का मुँह देखती रही। अब मन-ही-मन घुल रही है।”

स्नेह बन्ध पाठ का सारांश

‘स्नेह बंध’ कहानी का सम्पूर्ण घटनाक्रम मीता एवं उसकी सास पर आधारित है। यदा-कदा किसी व्यक्ति विशेष के सम्बन्ध में जो धारणा बना लेते हैं उससे छुटकारा पाना दुष्कर है। मीता का आचरण मध्यमवर्गीय संस्कारों से मेल नहीं खाता। यही बात सास एवं बहू के मध्य एक दीवार खड़ी कर देती है। सास की हठधर्मिता सम्बन्धों को सहज रूप बनने में बाधक है। मीता के पति ध्रुव एवं देवर शिव को अपनी माँ का मीता के प्रति ऐसा व्यवहार खलता है।

संयोगवश मीता का पति विदेश गमन करता है। ससुर के आग्रह करने पर भी अपने पति के साथ विदेश इसलिए नहीं जाती है क्योंकि वहाँ अनावश्यक रूप से धन का व्यय होगा। पति की अनुपस्थिति में वह अपने घर के दायित्व के प्रति जागरूक है।

मायके में जब मीता को अपने ससुर की बीमारी का पता चलता है तो अस्पताल जाकर उनकी तत्परता से सेवा करती है। इससे प्रभावित होकर मीता की सास को वह बेटी के रूप में प्रिय प्रतीत होने लगती है।

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स्नेह बन्ध कठिन शब्दार्थ

प्रतिक्रिया = प्रतिकार, बदला। मुआयना = निरीक्षण। तल्ख = कटु, कड़वा, तीखा, तीखापन। कंठस्थ = मौखिक रूप से याद किया। कहकहा = हँसी-मजाक के स्वर, ठहाके। गुलजार = फूलों से भरे बाग की तरह, आनन्दित वातावरण, प्रसन्नता से भरा, हरा-भरा। अदब कायदा = विनीत या शिष्ट व्यवहार। किलककर = प्रसन्न होकर, हर्षित। कृत्रिम = बनावटी। कर्कश = तीखा स्वर। तन्द्रा = नींद। उत्सुक = इच्छुक। अव्यक्त= जिसे व्यक्त न किया जाय। अंधड़ = तूफान। आजिजी = अनमने, बिना मन के। हुलिया = रंग रूप। उसाँस = दीर्घ स्वाँस लेना। औपचारिक = व्यावहारिक। करबद्ध निवेदन = हाथ जोड़कर की गई प्रार्थना। आश्वस्त = भरोसा। सहनशील = विनम्र। स्नेहमयी = ममतामयी। दकियानूसी = रूढ़िवादी। आर्किटेक्ट = वास्तुकार। सौजन्यपूर्ण = सज्जनतापूर्ण। आचारसंहिता = नियमावली। मकसद = उद्देश्य। मीनमेख = नुक्स दोष निकालना। अव्यवस्था = व्यवस्था का अभाव। कोंचना = ताने मारना। उन्मुक्त = स्वतन्त्र। इसरार = अनुरोध। शिकन = सलवट, बल पड़ना। गद्गद् = प्रसन्न होना। आग्नेय दृष्टि = कड़ी नजर से देखना। खीझकर = झुंझलाकर। धींगामुश्ती = शरारत। प्रशिक्षण = ट्रेनिंग, अभ्यास। आक्रोश = क्रोध। स्नेहसिक्त = प्रेम में डूबा हुआ। मिमियाया = गिड़गिड़ाया। प्रतिवाद = विरोध करना। निस्पंद = शान्त, स्वर-मुक्त। निरीह = उदासीन, विरक्त। अंक = गोद। सरजाम = व्यवस्था।

स्नेह बन्ध संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

  1. कभी-कभार वह भी घर पर आ जाती, पर पहले का-सा तूफान बरपा नहीं करती। हँसती-खिलखिलाती, पर उसमें पहले की-सी जीवंतता नहीं थी। जब वह चली जाती तो यह कहते “कहा था, साथ चली जाओ। तब नहीं मानी, पैसे का मुँह देखती रही। अब मन-ही-मन घुल रही है।”

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘स्नेह बंध’ नामक कहानी से उद्धृत है। इसकी लेखिका मालती जोशी हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्ति में लेखिका ने मीता की उस समय की मनोदशा का सशक्त अकन किया है जब उसके पति जर्मनी चले गये थे। इससे मीता के ससुर एवं सास भी चिन्तित थे।

व्याख्या :
मीता यदा-कदा अपने मायके से ससुराल आ जाती थी। लेकिन वह पहले की भाँति उछल-कूद नहीं करती थी। हँसती-मुस्कराती तो अवश्य थी। परन्तु पहले जैसी हल-चल नहीं करती थी। उसके हास्य के पीछे पहले जैसे जीवंतता नहीं थी। हास्य के पीछे मन की व्यथा निहित थी। जब मीता पुनः अपने मायके प्रस्थान करती थी तब उसके ससुर सास कहते कि उस समय तो अपने पति ध्रुव के साथ विदेश गमन इसलिए नहीं किया कि व्यर्थ ही रुपये व्यय होंगे। लेकिन अब वह मन-ही-मन पश्चाताप कर रही है। उसके मन में प्रतिपल अपने पति की याद कौंधती रहती है। मीता यद्यपि व्यवहार कुशल एवं दूरदर्शी है, परन्तु नारी के हृदय में पति के प्रति स्नेह भावना रहती है, उसे किस प्रकार नकारा जा सकता है।

विशेष :

यहाँ पर लेखिका ने मीता के सास-ससुर की मनोदशा का वर्णन किया है।
मुहावरों का प्रयोग है जैसे मन-ही-मन घुलना, तूफान नहीं बरपा, पैसे का मुँह देखना।
शैली परिमार्जित है।

  1. मेरे पास लेटी यह नन्हीं सी लड़की। इसका भी तो कभी-कभी मन होता होगा। तब किसके आँचल में मुँह छिपाती होगी। बड़ी बहन है, वह सात समुन्दर पार इतनी दूर है। भाभी तो खुद ही लड़की है अभी। (2008)

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखिका बहू की निरीहता और मासूमियत का वर्णन कर रही है जिसे कभी माँ की गोद नसीब नहीं हुई थी।

व्याख्या :
नन्हीं सी बालिका अपने मन की व्यथा, अपनी भावनाओं और अपनी इच्छाओं को किससे कहती होगी। लेखिका इस बात को सोचकर अत्यन्त द्रवित है कि यह बालिका जो मेरे पास लेटी है, कितनी एकाकी और असहाय है। इसकी माँ नहीं है। यह अपनी व्यथा किससे बाँटे। इसका मन होता होगा कि कोई माँ का आँचल होता जिसमें वह स्वयं को छिपाती और स्वयं को सुरक्षित अनुभव करती। यद्यपि इसकी एक बड़ी बहन है किन्तु वह सुदूर विदेश में रहती है और भाभी जी हैं वह स्वयं ही बालिका हैं। उससे यह अपना सुख-दुःख किस प्रकार बाँट सकती है ? यह सोचकर वह द्रवित है कि सास को उसे अपनी बच्ची की भाँति मानते हुए स्नेह-दुलार देना चाहिए था।

विशेष :

नारी मन का मनोवैज्ञानिक चित्रण है।
पूर्वाग्रहों और परम्पराओं की बेड़ियों में जकड़ी सास अपनी बहू के निश्छल स्नेह और त्याग को नहीं पहचान पाती है। इसका यहाँ पर सूक्ष्म चित्रण किया गया है।
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  1. ममता का एक ज्वर सा छा मन में। एकदम उसे अंक में भर लेने की इच्छा हुई। पर संकोच में मैं बस उसकी पीठ पर, बालों पर हाथ फेरती रही। (2015)

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ पर मीता के व्यवहार से प्रभावित उसकी सास के मन की ममता की सहज अभिव्यक्ति हुई है।

व्याख्या :
मीता के अत्यन्त सरल और संवेदनशील सेवाभावी व्यवहार से उद्विग्न हुई मीता की सास के मन में ममता का तीव्र झंझावात जाग उठा। पास लेटी मीता उसे अपनी पुत्री प्रतीत होने लगी। वह उसे अपनी गोद में भर लेना चाहती थी, किन्तु संकोचवश मात्र उसकी पीठ पर तथा बालों पर प्यार भरा हाथ फेरती रही।

विशेष :

मीता की दायित्व भावना से प्रभावित उसकी सास की भाव विह्वल दशा को प्रस्तुत किया गया है।
सरल, सपाट भाषा का प्रयोग हुआ है।
भावात्मक शैली में विषय का प्रतिपादन किया गया है।


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