MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 2 जल ही जीवन है

MP Board Class 6th Hindi Book Solutions सुगम भारती Chapter 2 जल ही जीवन है- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 2 जल ही जीवन है

प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए

  1. देवताओं का – (क) उर्वरा शक्ति
  2. धरती की – (ख) पाठ्यक्रम
  3. राजेन्द्र सिंह को – (ग) वरदान
  4. विश्वविद्यालय – (घ) मैगसेसे सम्मान
    उत्तर
  5. (ग), 2. (क), 3. (घ), 4. (ख)

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प्रश्न (ख)
सही शब्द छांटकर रिक्त-स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. भूमि के भीतर जो जल है, उसे हम अनेक विधियों द्वारा…कर सकते हैं। (संरक्षित/दोहित)
  2. पानी रुकेगा तो धरती में…जाएगा। . (समा/बह)
  3. बरसाती पानी का संरक्षण अत्यंत…है। (आवश्यक/अनावश्यक)
  4. रिमोट सेंसिंग एक तकनीक है जिसकी सहायता से धरती के…चित्र खींचे जाते हैं। (आंतरिक/बाह्य)
    उत्तर
  5. दोहित
  6. समा
  7. आवश्यक
  8. आंतरिक।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 2 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) गंगाजल को क्या कहा गया है?
उत्तर
गंगाजल को अमृत कहा गया है।

(ख) जल संरक्षण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
जल को विभिन्न तरीकों से सुरक्षित रखना एवम् उसका दुरुपयोग नहीं करना ही जल-संरक्षण कहलाता है।

(ग) राजेन्द्र सिंह को कौन-सा सम्मान प्राप्त हुआ?
उत्तर
उन्हें मैगसेसे सम्मान मिला।।

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(घ) जल संरक्षण की दिशा में राजस्थान के अतिरिक्त और कौन-कौन से प्रदेशों में काम प्रारम्भ हुआ है?
उत्तर
अन्य प्रदेशों के नाम हैं-मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और गुजरात।

(ङ) हम जल भंडार को किस प्रकार खाली करते जा रहे हैं?
उत्तर
बोरिंग अथवा नलकूपों के माध्यम से आवश्यकता से अधिक जल निकालकर हम जल भंडार को खाली करते जा रहे हैं।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) जल को देवताओं का वरदान क्यों कहा गया है?
उत्तर
जल एक अनुपम प्राकृतिक उपहार है। इसके बिना हम जीवित नहीं रह सकते हैं। हर कदम पर इसकी आवश्यकता होती है। इसकी महत्ता से सभी परिचित हैं। इसीलिए इसे देवताओं का वरदान कहा गया है।

(ख) भू-जल स्रोतों के अंधाधुंध दोहन से क्या हानि हो रही है?
उत्तर
भू-जल स्रोतों के अंधाधुंध दोहन से धीरे-धीरे इनके स्रोत खत्म होने लगे हैं। पानी की किल्लत चारों | तरफ फैल रही है। धरती की हरियाली खत्म होने लगी है। खेती पर भी इनका बुरा असर पड़ रहा है।

(ग) राजस्थान में जल-संरक्षण से होने वाले लाभ बताइए।
उत्तर
राजस्थान में जल-संरक्षण से वहाँ भू-जल का स्तर ऊपर उठ गया है। वहाँ के कंओं में पानी आ गया है। चारो तरफ हरियाली छा गई है। धरती की उर्वरा-शक्ति बढ़ गई है। फसल-चक्र बदल गया है। अरावली की पहाड़ियों पर फिर से पेड़-पौधे उगने लगे हैं।

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(घ) बरसाती पानी का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर
बरसाती पानी का संरक्षण होने से भू-जल का स्तर ऊपर उटेगा, जिससे आसपास के कुंओं में पानी आएगा। सूखी धरती को पानी मिलने से हरियाली होगी और खेती भी लहलहा उठेगी

(ङ) रिमोट-सेंसिंग तकनीक क्या है?
उत्तर
इस तकनीक के माध्या से धरती के किसी भी हिस्से का चित्र लिया जा सकता है। इन चित्रों में धरती की आंतरिक रचना स्पष्ट हो जाती है। आंतरिक रचना जानकर अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन-सी जगह पानी जमा किया जा सकता है। इससे यह भी पता चल जाता है कि ज़मीन के भीतर पानी किस गति से रिसेगा।

भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
संरक्षण, वसुन्धरा, प्राकृतिक, अमृत, अंधाधुंध

उत्तर
स्वयं करें।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
अन्र्तगत, रिण, वेज्ञानिक, हरयाली, स्त्रोत

उत्तर
अन्तर्गत, ऋण, वैज्ञानिक, हरियाली, स्रोत।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
अनुपम, जल-संरक्षण, पतित-पावनी, नल-कूप, जल-भंडार

उत्तर

अनुपम-बरसात में धरती की छटा अनुपम हो जाती है।
जल-संरक्षण- वर्तमान समय में जल-संरक्षण अत्यंत जरूरी है।
पतित-पावनी-गंगा को पतित-पावनी कहा जाता है।
नल-कूप-नलकूपों से सिंचाई की जाती है।
जल-भंडार-हमें जल-भंडार को खाली नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम एवं तद्भव शब्दों को छांटिए
सूत, दांत, ऊंचा, कर्ण, सूर्य, सत्य, शीतल, आचरण

उत्तर
तत्सम शब्द-कण, सूर्य, सत्य, शीतल, आचरण
तद्भव शब्द-सूत, दांत, ऊंचा।

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए
जल, गंगा, भूमि, पेड़, नदी, पहाड़

उत्तर
जल-पानी, नीर।
गंगा-भागीरथी, देवनदी।
भूमि-धरती, बसुन्धरा
पेड़-वृक्ष, तरु
नदी-सरिता, सलिल।
पहाड-पर्वत, शैल।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित विलोम शब्दों की सही जोड़ी बनाइए
उत्तर

  1. अमृत (क) गरीब
  2. देवता – (ख) पतन
  3. उत्थान – (ग) निर्जीव
  4. अमीर – (घ) दानव
  5. सजीव – (ङ) विष
    उत्तर
  6. (ङ), 2. (घ), 3. (ख), 4. (क), 5. (ग)

जल ही जीवन है प्रसंग सहित व्याख्या

  1. जल के बिना जीवन संभव नहीं। प्रकृति द्वारा दिया गया, जीवों को मिला यह अनुपम उपहार है। प्राचीन काल से जल को देवताओं का वरदान माना गया है। गंगा के जल को अमृत और गंगा को पतित-पावनी कहा गया है। इस अमूल्य धरोहर का संरक्षण कर हम वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों को सुखद, समृद्ध और खुशहाल रख सकते हैं।

शब्दार्थ-अनुपम सुंदर, जिसकी कोई उपमा न हो। प्राचीन =पुराना। पतित=पावनी पापियों को पवित्र करने वाली। अमूल्य=अति महत्त्वपूर्ण। वर्तमान =आज का। समृद्ध=संपन्न।

प्रसंग-यह गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित लेख ‘जल ही जीवन है’ से उद्धृत है। इस लेख मे जल के महत्त्व को उजागर किया गया है।

व्याख्या-जल एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संपदा हैं इसके बिना हम जी नहीं सकते। यह एक सुंदर उपहार है, जिसे ईश्वर ने हमें दिया है। प्राचीन काल से इसे देवताओं का वरदान माना गया हैं गंगा का जल तो अमृत के समान है। ऐसा माना जाता कि इसमें स्नान करने से पापियों के सारे पाप धुल जाते हैं। लेकिन आजकल जल का अति दोहन हो रहा है। अतः इसका संरक्षण आवश्यक है। इसका संरक्षण कर हम न केवल अपनी पीढ़ी का उपकार करेंगे। बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भी उपकार करेंगे।

विशेष

शैली बोधगम्य है।
भाषा सरल और सुगम है।
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  1. राजस्थान के जिन क्षेत्रों में पारंपरिक विधियों से जल-संरक्षण का काम हुआ है, वहाँ की स्थिति अब पूरी तरह बदल गई है। भू-जल स्तर के बढ़ने से कुएँ जी उठे हैं, हरियाली वापस आ गई है, धरती की उर्वरा-शक्ति लौट आई है, फसल-चक्र भी ददल गया है, अरावली की पहाड़ियों पर फिर से पेड़-पौधे उगने लगे हैं।

शब्दार्थ-पारंपरिक विधि =सदियों से चला आ रहा तरीका । उर्वरा-शक्ति=उपजाऊ-शक्ति ।
प्रयास =कोशिश। समा जाना=घुस जाना। व्यर्व=बेकार का।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या
वर्तमान समय में जिस तरह से जल की खपत हो रही है। उसे देखकर ऐसा लगता है कि बहुत जल्दी हमें जल-संकट का सामना करना पड़ेगा। अतः जल का संरक्षण आवश्यक है। राजस्थान में परंपरागत ढंग से जल-संरक्षण का काम हुआ है। इसके परिणामस्वरूप कहाँ भू-जल का स्तर उठ गया है। वहाँ के कुंओं में पानी आ गया है। हरियाली वापस लौट आई है। धरती उपजाऊ बन गई है और फसल-चक्र भी बदल गया है। जल-संरक्षण के लिए छोटे-छोटे बाँध बनाए जा सकते हैं। नदियों को आपस में मिलाया जा सकता है। बरसात के पानी को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। इन छोटे-छोटे बाँधों में उन्हें रोक लेना चाहिए। पानी रुकने से धरती के अंदर पानी रिसेगा और कुंओं का जल-स्तर उठेगा। इससे दो-दो लाभ होंगे-हमारी आत्म यानि धरती तृप्त होगी और हमारी खेती लहलहा उठेगी।

विशेष

भाषा सरल और बोधगम्य है।
शैली सहज है।
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