MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 13 सौरमण्डलम्

MP Board Class 7th Sanskrit Book Solutions संस्कृत सुरभिः Chapte13 सौरमण्डलम्rNCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 13 सौरमण्डलम्

प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) स्वप्रकाशरहिताः के? [अपने प्रकाश से रहित कौन होते हैं?]

उत्तर:
ग्रहाः

(ख) सर्वे ग्रहाः कं परिभ्रमन्ति? [सभी ग्रह किसके चारों ओर घूमते हैं?]
उत्तर:
सूर्यम्.

(ग) पृथिव्याः उपग्रह कः? [पृथ्वी का उपग्रह कौन है?]
उत्तर:
चन्द्रः

(घ) कदा चन्द्रस्य दर्शनं न भवति? [चन्द्र का दर्शन कब नहीं होता है?]
उत्तर:
अमावस्यायां रात्रौ।

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प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) आकाशपिण्डेषु के के दृश्यन्ते? [आकाशपिण्डों में कौन-कौन दिखते हैं?]
उत्तर:
आकाशपिण्डेषु तारागणा: महाः उपग्रहाः च दृश्यन्ते। [आकाशपिण्डों में तारागण, ग्रह और उपग्रह दिखाई देते हैं।]

(ख) पृथिव्याः सूर्य परिक्रमण कालः कः? [पृथ्वी का सूर्य की परिक्रमा करने का समय कौन-सा है?]
उत्तर:
पृथिव्याः सूर्यपरिक्रमणकालः २३.५६ होरासु भ्रमन्ती ३६५.२५ दिवसेषु सूर्य परिक्रमणकालः वर्तते।। [पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते समय २३.५६ घंटों में घूमती है तथा ३६५.२५ दिनों में सूर्य की परिक्रमा करने का समय है।]

(ग) सूर्यम् परितः के ग्रहा: परिभ्रमन्ति? [सूर्य के चारों ओर कौन-से ग्रह घूमते हैं?]
उत्तर:
सूर्यम् परितः क्रमेण बुधः, शुक्रः, पृथिवी, मङ्गल, गुरुः, शनिः, अरुणः, वरुणः, यम इति ग्रहाः परिभ्रमन्ति। [सूर्य के चारों ओर क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु, शनि, अरुण, वरुण, यम इत्यादि ग्रह घूमते हैं।]

(घ) चन्द्रस्य पृथिवीं परितः भ्रमणकालः कः? [पृथ्वी के चारों ओर घूमने का चन्द्रमा का समय क्या है?]
उत्तर:
चन्द्रस्य पृथिवीं परितः भ्रमणकालः २७.३२ दिवसाः। [चन्द्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमने का समय २७.३२ दिन है।]

(ङ) सौरमण्डलमिति किमर्थम् उच्यते? [सौरमण्डल किस अर्थ से कहा जाता है?]
उत्तर:
सूर्यस्य मण्डले एव एतेषां सर्वेषां ग्रहाणां उपग्रहाणां च स्थिति सौरमण्डलम् उच्यते। [सूर्यमण्डल में ही इन सभी ग्रहों और उपग्रहों की स्थिति सौरमण्डल कही जाती है।]

प्रश्न 3.
उचित मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 13 सौरमण्डलम् img 1
उत्तर:
(क) → (7)
(ख) → (4)
(ग) → (5)
(घ) → (1)
(ङ) → (8)
(च) → (2)
(छ) → (6)
(ज) → (3)

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाओ
(क) पूर्णिमायां रात्रौ चन्द्रस्यं दर्शनं भवति।
(ख) वयं प्रतिदनं सूर्यं चन्द्रं नक्षत्राणि च पश्यामः।
उत्तर:
(क) कस्याम् रात्रौ चन्द्रस्य दर्शनं भवति?
(ख) वयं प्रतिदिनम् कानि कानि पश्याम:?

प्रश्न 5.
आत्मनेपद धातु रूपों को लिखो
(क) याच
(ख) सेव्
(ग) शुभ् (शोभ)।
उत्तर:
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 13 सौरमण्डलम् img 2

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प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों को भरो
(क) सूर्य ………… प्रकाशयति।
(ख) सर्वे ग्रहाः ………… परिक्रमन्ति।
(ग) ………….. ग्रहं परितः भ्रमन्ति।
(घ) …………. रात्रौ पूर्णचन्द्रस्य दर्शनम् भवति।
(ङ) प्रतिदिनं चन्द्रस्य …………. दृश्यते।
उत्तर:
(क) स्वप्रकाशेन
(ख) सूर्य
(ग) उपग्रहाः
(घ) पूर्णिमायाम्
(ङ) आकारभेदः।।

प्रश्न 7.
भिन्न प्रकृति के क्रियारूपों का वर्गीकरण करो-
मोदते, जानाति, पठथ, याचे, गच्छामि, सेवामहे, करोषि, शोभेते।
उत्तर:

जानाति, पठथ, गच्छामि, करोषि।

सौरमण्डलम् हिन्दी अनुवाद

वयं प्रतिदिनं सूर्यं चन्द्रं नक्षत्राणि च पश्यामः, चकिताः आह्लादिताश्च भवामः। ब्रह्माण्डस्य आकाशगङ्गायाम् आकाशपिण्डानां समूहाः वर्तन्ते। तेषु आकाशपिण्डेषु तारागणाः ग्रहाः उपग्रहाः च दृश्यन्ते।

ये स्वप्रकाशयुक्ताः भवन्ति ते ताराः इति कथ्यन्ते। तेषु सूर्यः प्रमुखः। स स्वप्रकाशेन ग्रहान् उपग्रहान् च प्रकाशयति।

स्वप्रकाशरहिताः पिण्डाः ग्रहाः इति कथ्यन्ते। सर्वे ग्रहाः सूर्य परिक्रमन्ति। पृथिवी अपि सूर्यात् सुदूरे स्थित्वा स्वयं स्वधुरि २३.५६ होरासु भ्रमन्ती ३६५.२५ द्विवसेषु सूर्य परिक्रामति। पृथिव्या सह अन्ये ग्रहाः अपि सूर्यप्रकाशेनैव प्रकाशिताः भवन्ति। सूर्यः केन्द्रस्थाने तिष्ठति। सूर्यं परितः क्रमेण बुधः,शुक्रः, पृथिवी, मङ्गलः, गुरुः, शनिः, अरुणः, वरुणः, यम’ इति ग्रहाः परिभ्रमन्ति। यद्यपि अब इसे ग्रह नहीं माना जाता है।

अनुवाद :
हम प्रतिदिन सूर्य, चन्द्रमा और नक्षत्रों को देखते हैं, चकित और प्रसन्न होते हैं। ब्रह्माण्ड की आकाश गंगा में आकाश पिण्डों का समूह विद्यमान है। उन आकाशपिण्डों में तारों के समूह, ग्रह और उपग्रह दिखायी पड़ते हैं।

ये सभी अपने प्रकाश से युक्त होते हैं, उन सब को तारे कहते हैं। उनमें सूर्य प्रमुख है। वह अपने प्रकाश से ग्रहों और उपग्रहों को प्रकाशित करता है।

अपने प्रकाश से रहित पिण्ड ग्रह कहे जाते हैं। सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। पृथ्वी भी सूर्य से बहुत दूर रहकर स्वयं अपनी धुरी पर २३.५६ घण्टों में घूमती हुई ३६५.२५ दिनों में सूर्य का चक्कर लगाती है। पृथ्वी के साथ अन्य ग्रह भी सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। सूर्य केन्द्र स्थान में होता है। सूर्य के चारों ओर क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु, शनि, अरुण, वरुण, यम आदि नवग्रह (नौ ग्रह) घूमा करते हैं।

उपग्रहाः ग्रहं परितः भ्रमन्ति। प्रत्येकस्य ग्रहस्य उपग्रहाः सन्ति। चन्द्रः पृथिव्याः उपग्रहः। चन्द्रस्य पृथिवीं परितः भ्रमण कालः २७.३२ दिवसाः। प्रतिदिनं चन्द्रस्य आकारभेदः दृश्यते। पौर्णिमायाः रात्रौ पूर्णचन्दस्य दर्शनं भवति। अमावस्यायां रात्रौ तु चन्द्रस्य दर्शनं न भवति।

सूर्यस्य मण्डले एव एतेषां सर्वेषां ग्रहाणां उपग्रहाणां च स्थितिः अस्ति। अतः एतदेव सौरमण्डलम् इति उच्यते। एतान् अतिरिच्य आकाशगङ्गायाम् ईदृशानां तारागणनां अनेके समूहाः वर्तन्ते। ब्रह्माण्डस्य विशालतायाः कल्पना दुष्करा एव अस्ति।

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अनुवाद :
उपग्रह ग्रह के चारों ओर घूमते हैं। प्रत्येक ग्रह के उपग्रह होते हैं। चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। चन्द्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमने का समय २७.३२ दिन होता है। प्रत्येक दिन चन्द्रमा के आकार में भेद दिखाई देता है। पूर्णिमा की रात्रि को पूर्णचन्द्र का दर्शन होता है। अमावस्या की रात्रि को तो चन्द्रमा के दर्शन ही नहीं होते हैं।

सूर्यमण्डल में ही इन सभी ग्रहों और उपग्रहों की स्थिति होती है। इसलिए इसे ही सौरमण्डल कहा जाता है। इनके अतिरिक्त आकाशगंगा में ऐसे तारागणों के अनेक समूह होते हैं। ब्रह्माण्ड की विशालता की कल्पना अति दुष्कर ही है।

सौरमण्डलम् शब्दार्थाः

आह्लादिताः = प्रसन्न (बहुवचन)। अतिरिच्य = छोड़कर, अतिरिक्त। दृश्यन्ते = दिखाई देते हैं। कथ्यन्ते = कहे जाते हैं। होरासु = घण्टों में। परितः = चारों ओर। दुष्कराः = कठिन। ईदृशानां = इस प्रकार से।।

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