MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 15 महेश्वर

MP Board Class 8th Hindi Book Solutions हिंदी Chapter 15 महेश्वर – NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 15 महेश्वर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोष से खोजकर लिखिए
उत्तर
संस्कृति = आचरणगत परम्परा, प्राचीन सभ्यता; पुराविद् = प्राचीन इतिहास आदि विषयों की जानकारी रखने वाला; सर्वतोन्मुखी = सभी तरह का प्रागैतिहासिक = इतिहास लिखे जाने से भी पहले के इतिहास से सम्बन्धित फलकपटल, तख्ता; अलंकरण = सजावट, पुरातात्विक = पुरातत्व सम्बन्धी उत्तरदायित्व-जिम्मेदारी; पाषाण पत्थर खननखुदाई: अवशेष = शेष भाग, वह जो बचा रहे।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) महेश्वर का प्राचीन नाम क्या है?

उत्तर
महेश्वर का प्राचीन नाम माहेश्वरी अथवा माहिष्मती

(ख) महेश्वर मध्य प्रदेश के किस जिले में स्थित है?
उत्तर
महेश्वर मध्य प्रदेश के इन्दौर जिले में स्थित है। यह इन्दौर से लगभग 105 किलोमीटर दूर है।

(ग) महेश्वर की खुदाई में किस प्रकार की वस्तुएँ प्राप्त
उत्तर
महेश्वर की खुदाई में पुरातात्विक महत्त्व की अनेक वस्तुएँ और अवशेष प्राप्त हुए हैं।

(घ) हैहय साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
उत्तर
हैहय साम्राज्य की स्थापना कीर्तिवीर्य सहस्रार्जुन ने की थी।

(ङ) नर्मदा के तट पर किला और शिव का मन्दिर किसने बनवाया था?
उत्तर
नर्मदा के तट पर किला और शिव का मन्दिर महारानी अहिल्याबाई ने बनवाया था।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(क) सहस्त्रार्जुन के वध का क्या कारण था ?

उत्तर
महेश्वर नगर को सूर्यवंशी राजा मान्धाता ने बसाया था। उनके बाद इस नगर पर कीर्तिवीर्य सहलार्जुन ने अपना आधिपत्य जमा लिया था। उसका साम्राज्य हैहय कहलाया और इस नगर को अपने साम्राज्य की राजधानी बनाया था। सहस्त्रार्जुन ने परशुराम जी के पिता ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया। इसका बदला लेने के लिए भगवान परशुराम ने सहस्रार्जुन का अन कर दिया। इसके बाद यह स्थान इतिहास के गर्त में खो गया।

(ख) महारानी अहिल्याबाई के किन-किन कार्यों से । महेश्वर प्रसिद्ध हुआ?
उत्तर
इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई ने महेश्वर को एक बार फिर से प्रसिद्धि प्रदान की। उन्हें यह स्थान बहुत ही प्रिय था।
उन्होंने इस स्थान पर नर्मदा के तट पर एक किला और भगवान शिव का विशाल मन्दिर बनवाया। यहाँ स्थित पवित्र शिवलिंग महेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। मन्दिर में महारानी अहिल्याबाई द्वारा प्रज्वलित अखण्डदीप में यहाँ आने वाला प्रत्येक दर्शनार्थी घी डालकर स्वयं को धन्य समझता है। महेश्वर धार्मिक, पौरानिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सम्पदा से सम्पन्न है। महारानी अहिल्याबाई ने मराठों के शासनकाल में यहाँ सुन्दर घाटों, मन्दिरों, धर्मशालाओं तथा भवनों का निर्माण कराया। इस काल में महेश्वर का सर्वतोन्मुखी विकास हुआ। यह नगर रेशमी – साड़ियों के निर्माण के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।

(ग) महारानी अहिल्याबाई को ‘लोकमाता’ के रूप में क्यों याद किया जाता है?
उत्तर
महारानी अहिल्याबाई ने महेश्वर नगर का सर्वतोन्मुखी विकास कराया। उन्होंने ही इसे प्रसिद्धि प्रदान करने के लिए महान् से महान् कार्य किए। नर्मदा के तटों पर सुन्दर घाटों का और मन्दिरों का निर्माण कराया। यहाँ का किला और शिवमन्दिर बहुत ही विशाल है। इस मन्दिर में दीप ज्योति निरनार जलती रहती है। इस दीप को महारानी अहिल्याबाई ने स्वयं प्रज्ज्वलित किया था। यहाँ पर देवदर्शन के लिए आने वाला प्रत्येक दर्शनार्थी परम शान्ति का अनुभव करता है। लोग प्रात: व सायं पवित्र जल वाली नर्मदा में स्नान करके नर नारी आरती की मधुर ध्वनि’ॐ नमः शिवाय:’ के मन्त्र में डूब से जाते हैं। यहाँ का वातावरण पवित्र है। यह प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा है एवं मनोहारी है। इस सबके लिए वे महारानी अहिल्याबाई के ऋणी हैं। इसलिए उनें लोग ‘लोकमाता’ के रूप में मानते हैं।

(घ) पाषाणकालीन सभ्यता के लोग अपना जीवन किस प्रकार व्यतीत करते थे?
उत्तर
नर्मदा नदी की घाटी में पाषाणकालीन सभ्यता के पत्थर से निर्मित औजार मिले हैं। प्रागैतिहासिक काल के पुरा-अवशेषों से पता चलता है कि उस समय यहाँ के लोग घास-फूस के झोंपड़ों में या पेड़ों पर बने घरों में रहते थे। उस समय की पाई गई वस्तुओं में लाल और काले रंग के मिट्टी के बर्तनों और घड़ों के टुकड़े प्रमुख हैं। सम्भवतः वे अपनी सुरक्षा की दृष्टि से पेड़ों पर या ऊँची जमीन पर अपने घर बनाते थे। यह भी सत्य है कि पापणकाल के लोग नदियों, तालाबों आदि के किनारे ही असते रहे हैं, क्योंकि इन स्थानों पर उनकी आवश्यकता की सारी वस्तुएँ आसानी से प्राप्त हो जाती थी।

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प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्दों द्वारा कीजिए
नर्मदा, रेशम, पुरातात्विक, महेश्वर।
(क) महेश्वर की खुदाई में ……. महत्व की वस्तुएँ
(ख) महारानी अहिल्याबाई ने ……… में किला और शिव मन्दिर बनवाया था।
(ग) महेश्वर की बनी ….. की साड़ियाँ प्रसिद्ध हैं।
(घ) महेश्वर ……….. नदी के किनारे बसा है।
उत्तर
(क) पुरातात्विक
(ख) महेश्वर
(ग) रेशमी
(घ) नर्मदा

महेश्वर भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए
आशीवाद, सहस्रार्जुन, संस्कृति, ऋषि, जमदग्नि, दर्शनार्थी, प्रज्ज्वलित, पुरातात्विक।

उत्तर
विद्यार्थी उपर्युक्त शब्दों को वीक-ठीक पढ़कर उनका शुद्ध उच्चारण करने का अभ्यास करें।
वाक्य-प्रयोग-

देवदर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सहस्त्रार्जुन ने ऋषि जमदग्नि का वध कर दिया था।
भारतीय संस्कृति पूरे संसार में अपना प्रभाव जमाए
ऋषि धौम्य महान् त्यागी और लोकरंजक थे।
जमदग्नि, भगवान परशुराम के पिता थे।
शिव मन्दिर में दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है।
गाँवों में सायंकाल को घर-घर में दीप प्रज्ज्वलित किए जाते हैं।
महेश्वर पुरातात्विक महत्त्व का नगर है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह करके, उनके सामने समास का नाम लिखिए.
लोकमाता, मधुर ध्वनि, नर-नारी, विशाल मन्दिर, अखण्ड दीप, महारानी।

उत्तर
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग छाँटकर लिखिए
अखण्ड, अवशेष, प्रसिद्ध, अनुशासन, विज्ञान।

उत्तर
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के सन्धि-विच्छेद कीजिए और उनके सामने सन्धि का नाम लिखिए
महेश्वर, मनोहर, आशीर्वाद, दर्शनार्थी।

उत्तर
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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से उद्देश्य और विधेव छाँटकर लिखिए
(क) इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई ने सुन्दर घाटों, मन्दिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया था।
(ख) पाषाणकालीन सभ्यता के औजार नर्मदा के घाटों को खुदाई में मिले हैं।
(ग) महेश्वर की सिल्क साड़ियाँ बहुत प्रसिद्ध है।
उत्तर
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प्रश्न 6.
सही जोड़ी बनाइए
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उत्तर
(क) → (2), (ख) → (3), (ग) → (5), (घ)→ (1), (ङ)→(4)

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प्रश्न 7.
प्रधानाध्यापक को एक पत्र लिखिए, जिसमें महेश्वर दर्शनीय स्थल पर भ्रमण-दल ले जाने का अनुरोध कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं लिखें।

महेश्वर परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

(1) महेश्वर धार्मिक, पौराणिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सम्पदा से सम्पन्न है। यहाँ नर्मदा – घाटी में पाषाणकालीन सभ्यता के औजार मिले हैं। प्रागैतिहासिक काल के पुरा-अवशेषों से पता चलता है कि उस समय यहाँ के लोग घास-फूस के झोंपड़ों में या पेड़ों पर बने घरों में रहते थे। उस समय की पाई गई वस्तुओं में लाल और काले रंग के मिट्टी के बरतनों और घड़ों के टुकड़े प्रमुख हैं। ईसा पूर्व की चौथी सदी से लेकर पहली सदी तक का समय महेश्वर के इतिहास में महत्त्वपूर्ण है। इस समय के भवनों के अवशेष यहाँ मिले हैं। इन भवनों में ईंटों का प्रयोग किया गया

शब्दार्थ-पुरातात्विक पुरातत्व सम्बन्धी ऐतिहासिक इतिहास सम्बन्धी; सम्पदा = सम्पत्ति; सम्पन्न – युक्त, सहित; प्रागैतिहासिक = लिखित इतिहास से पहले के इतिहास से सम्बन्धित काल-युग,समय;पुरा-प्राचीन काल के अवशेष = वह जो बचा रहे, शेष भाग;
प्रमुख = मुख्य भवनों = घरों।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के पाठ ‘महेश्वर’ से अवतरित है।

प्रसंग-नर्मदा घाटी के महेश्वर नगर की प्रागैतिहासिक संस्कृति के विषय में वर्णन किया गया।

व्याख्या-महेश्वर नगर धर्म और पुराण सम्बन्धी सम्पदा से युक्त स्थान है। यह पुरातत्व सम्बन्धी, प्राचीन आचार-विचार सम्बन्धी एवं इतिहास से सम्बन्ध रखने वाली सम्पत्ति से भरपूर स्थान है। यह नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। इस नदी की घाटी में पत्थर के युग (पाषाण युग) की सभ्यता से सम्बन्ध रखने वाले औजार प्राप्त हुए हैं। इतिहास लिखे जाने की पद्धति से भी पूर्व के इतिहास सम्बन्धी समय (युग) के अति प्राचीन शेष भाग से ज्ञात होता है कि उस समय में वहाँ के रहने वाले लोग घास और फंस से बनाए गए झोंपड़ों में रहते थे अथवा वे लोग उन घरों में रहते थे जो पेड़ों पर बनाए जाते थे। ये स्थान वे हैं जब लोग अपनी सुरक्षा के लिए पेड़ों पर अपने निवास बनाते थे। नगरीय सभ्यता या गाँवों में सामूहिक रूप में रहने की सभ्यता का उस समय तक विकास नहीं हुआ था। उस युग की पाई जाने वाली वस्तुओं में लाल और काले रंग के मिट्टी के बरतन तथा घड़ों के टुकड़ें मुख्य हैं। महेश्वर नगर का इतिहास ईसा पूर्व की चौथी सदी से लेकर पहली सदी तक अति महत्त्वपूर्ण है। उस काल के भवनों के खण्डहर अभी तक अवशेष के रूप में प्राप्त हुए हैं। इन भवनों का निर्माण ईंटों से किया गया है। .

(2) मराठों के शासनकाल में महारानी अहिल्याबाई ने यहाँ सुन्दरघाटों, मन्दिरों, धर्मशालाओं तथा भवनों का निर्माण कराया। उनके काल में महेश्वर का सर्वतोन्मुखी विकास हुआ। एक बार तो मैं भूला ही जा रहा था। यहाँ की बनी रेशमी साड़ियाँ महेश्वरी साड़ियों के नाम से प्रसिद्ध हैं। महेश्वर के बारे में जितना भी लिखू कम

शब्दार्थ-निर्माण कराया = बनवाये; सर्वतोन्मुखी = सभी तरह का; विकास = बढ़ोत्तरी।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-महारानी अहिल्याबाई के द्वारा महेश्वर नगर में कराए गए विकास कार्यों के बारे में बताया गया है।

व्याख्या-मराठों के शासन काल में जो निर्माण कार्य यहाँ किया गया है, वह बेजोड़ था। महारानी अहिल्याबाई ने नर्मदा नदी के घाटों, मन्दिरों तथा धर्मशालाओं का निर्माण कराया। इसके अलावा यहाँ बहुत ही अच्छे भवनों का निर्माण किया गया। महेश्वर नगर में अपने शासन काल में सभी तरह के विकास का कार्य किया गया। लेखक यहाँ बताना नहीं भूला है कि यहाँ पर रेशम की बनी साड़ियाँ बहुत अच्छी होती हैं। इन साड़ियों को महेश्वरी साड़ियाँ कहते हैं। महेश्वर नगर के विषय में जितना भी | लिखा जाय, वह कम ही है।


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