MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 8 1858 ई. के बाद ब्रिटिश प्रशासन और नीतियाँ

MP Board Class 8th Social Science Book Solutions सामाजिक विज्ञान Chapter 8 1858 ई. के बाद ब्रिटिश प्रशासन और नीतियाँ – NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 8 1858 ई. के बाद ब्रिटिश प्रशासन और नीतियाँ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर. लिखिये –
(1) महारानी विक्टोरिया की घोषणा हुई थी

(क) 1757 ई. में
(ख) 1858 ई. में
(ग) 1957 ई. में
(घ) 1965 ई. में।
उत्तर:
(ख) 1858 ई. में

(2) भारत का प्रशासन इंग्लैण्ड की महारानी को सौंपा गया –
(क) 1858 के अधिनियम द्वारा
(ख) 1861 के अधिनियम के द्वारा
(ग) 1865 के अधिनियम द्वारा
(घ) 1876 के अधिनियम द्वारा।
उत्तर:
(क) 1858 ई. के अधिनियम द्वारा

(3) प्रथम नगर पालिका स्थापित की गई
(क) 1865 ई. में मद्रास में
(ख) 1867 ई. में बंगाल में
(ग) 1868 ई. में उत्तर प्रदेश में
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) 1865 में ई. में मद्रास में

(4) भारत सचिवालय का प्रमुख कहलाता था
(क) भारत सचिव
(ख) वायसराय
(ग) गवर्नर जनरल
(घ) सचिव
उत्तर:
(क) भारत सचिव

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) वायसराय की सहायता के लिए …………. सदस्यों की परिषद् का गठन किया गया था।
(2) ब्रिटिश सरकार की आर्थिक नीतियाँ ………….. के हितों की रक्षा के लिए बनाई गई थीं।
(3) 1876 ई. में सिविल सेवा में भाग लेने की न्यूनतम आयु कर दी गई थी।
(4) लॉर्ड रिपन के द्वारा वुड के प्रस्तावों को क्रियान्वित करने के लिए ……….. आयोग का गठन किया गया।
उत्तर:
(1) चार
(2) केवल इंग्लैण्ड
(3) 19 वर्ष
(4) हण्टर

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 8 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
(1) किस अधिनियम द्वारा इंग्लैण्ड की महारानी को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया ?
उत्तर:
1858 ई. के अधिनियम द्वारा इंग्लैण्ड की महारानी को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया।

(2) 1858 के बाद गवर्नर जनरल को किस नाम से जाना जाने लगा ?
उत्तर:
1858 के बाद गवर्नर जनरल को वायसराय के नाम से जाना जाने लगा।

(3) स्थानीय स्वशासन का जनक किसे कहा जाता था ?
उत्तर:
लॉर्ड रिपन को स्थानीय स्वशासन का जनक कहा जाता था।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 8 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 4
(1) महारानी की घोषणा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अपनी घोषणा में महारानी ने कहा था कि –

अंग्रेजी राज्य में भारत का अब कोई नवीन क्षेत्र नहीं मिलाया जायेगा।
न्याय में समानता, उदारता एवं धार्मिक सहिष्णुता का पालन किया जायेगा।
भारत के राजाओं के सम्मान एवं अधिकारों का हनन । नहीं किया जायेगा।
भारत के लोगों के लिए नैतिक एवं भौतिक उन्नति के उपाय किये जायेंगे।
भारतीय प्रजा को ब्रिटिश प्रजा के समान माना जायेगा।
(2) 1861 ई. के अधिनियम में क्या परिवर्तन किये गये?
उत्तर:
1861 ई. में भारत परिषद् अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद् में न्यूनतम 6 सदस्य तथा अधिकतम 12 अतिरिक्त सदस्यों को नियुक्त करने की व्यवस्था की गई। प्रान्तों में विधान परिषदें स्थापित की गईं। विधान परिषदें प्रान्तीय प्रशासन के लिए उत्तरदायी थीं, किन्तु कोई भी कानून बनाने से पूर्व उन्हें गवर्नर जनरल की अनुमति लेना अनिवार्य था। प्रान्तों में गवर्नर सर्वोच्च अधिकारी था।

(3) 1858 ई. के पश्चात् प्रशासनिक विभाजन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1858 ई. के पश्चात् प्रशासनिक व्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। 1861 ई. के अधिनियम से प्रशासनिक व्यवस्था के विभाजन की एक नई प्रक्रिया आरम्भ हुई। प्रान्तों में विधान परिषदें गठित हुईं। 1919 ई. के अधिनियम के साथ दोहरी शासन व्यवस्था लागू की गई। 1935 ई. के अधिनियम के द्वारा प्रान्तीय स्वायत्तता लागू की गई। प्रान्तीय सरकारों को भूमिकर, आबकारी कर, राजकीय स्टाम्प, विधि व न्याय पर नियन्त्रण का अधिकार प्रदान कर दिया गया।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 8 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
(1) 1858 ई. के अधिनियम में लिए गये निर्णय बताइए।
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने अपनी प्रशासनिक नीतियों में परिवर्तन की सोच को लागू करते हुए सर्वप्रथम 1858 ई. में एक अधिनियम पारित किया, जिसे ‘1858 ई. का अधिनियम कहा जाता है।
इसमें निम्नलिखित निर्णय लिये गये –

भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के प्रशासन को समाप्त कर दिया गया।
भारत का प्रशासन सीधे इंग्लैण्ड की महारानी के अधीन कर दिया गया।
वायसराय को भारत में इंग्लैण्ड की महारानी का प्रतिनिधि बनाया गया।
भारतीय प्रशासन पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए इंग्लैण्ड में भारत सचिव एवं उसकी परिषद् का निर्माण किया गया।
भारत सचिव को भारत की प्रशासनिक व्यवस्था का उत्तरदायित्व सौंपा गया।
(2) सेना के पुनर्गठन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में पुनः सैनिक अंग्रेजों के विरुद्ध शस्त्र न उठा सकें। इसलिए भारतीय सेना को संगठित एवं सुदृढ़ किया गया, ताकि वह अंग्रेजी साम्राज्य के प्रसार एवं रक्षा में अपना योगदान दे सकें।
इसी उद्देश्य से सेना में इस प्रकार परिवर्तन किये गये –

ईस्ट इण्डिया कम्पनी की यूरोपीय सेना को अंग्रेजी सेना में मिला लिया गया।
सेना में भारतीय सैनिकों की संख्या घटा दी गई तथा यूरोपीय सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गई।
सेना में जातिवाद के आधार पर नियुक्तियाँ आरम्भ कर दी गईं।
सेना में प्रान्तीय निष्ठा की भावना भड़काकर पंजाब, गढ़वाल, कुमायूँ, सिख, राजपूत एवं मराठा जैसी रेजीमेंटों का गठन किया गया,
ताकि सैनिकों में राष्ट्रीय भावना जाग्रत न हो सके।
भारतीयों को लड़ाकू एवं गैर-लड़ाकू जैसे दो वर्गों में बाँट दिया गया।
इंग्लैण्ड की सेना के पदाधिकारियों एवं सैनिकों को नियमित रूप से भारत भेजने की व्यवस्था की गई।
(3) स्थानीय प्रशासन के विकास की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
1861 ई. के पश्चात् जिला परिषद् एवं नगर पालिका जैसी संस्थाओं की आवश्यकता महसूस की गई, फलस्वरूप 1865 ई. से मद्रास में, 1867 ई. से पंजाब में तथा 1868 ई. से उत्तर प्रदेश में नगर पालिकाएँ स्थापित की गईं। आगे चलकर नगरपालिका अधिनियम पारित कर नगर पालिकाओं को कर लगाकर वित्तीय रूप से स्वावलम्बी बनने का अवसर प्रदान किया गया। इससे एक ओर जहाँ नगरपालिकाओं की आमदनी में वृद्धि।

हुई, वहीं दूसरी ओर चुनाव प्रक्रिया को बल मिला। 1881- 82 ई. में एक अधिनियम पारित करके स्थानीय स्वशासन के नियमों में वृद्धि की गई। आगामी दो वर्षों में नगर पालिकाओं के संविधान शक्तियों एवं कार्य क्षेत्र में परिवर्तन किया गया। इसमें साधारण व्यक्ति को भी नगरपालिका प्रमुख बनने की अनुमति प्रदान की गई। 1882 ई. के बाद ही ग्रामीण क्षेत्रों में जिला बोर्ड स्थापित किये गये और 1908 में पुनर्गठन आयोग द्वारा पंचायतों एवं जिला बोर्ड के विकास पर बल दिया गया।

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(4) ब्रिटिश आर्थिक नीतियों का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
1858 ई. के बाद भारतीय संसाधनों के पूर्ण दोहन एवं शोषण की नई प्रवृत्ति को अपनाया गया। भारत में स्वतन्त्र व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी गई। फलस्वरूप अनेक विदेशी कम्पनियाँ भारत में स्थापित हो गयीं तथा भारत के उद्योग-धन्धे समाप्त होने लगे। भारतीय उद्योगों का शोषण होने लगा। ब्रिटिश सरकार की आर्थिक नीतियाँ केवल इंग्लैण्ड के हितों की रक्षा के लिए बनाई गई थीं।

इन नई आर्थिक नीतियों के अन्तर्गत केन्द्रीय एवं प्रान्तीय सरकारों के मध्य आय का बँटवारा किया गया। भारतीय किसानों को भूमिकर तथा पट्टेदारी की नीति अपनाकर जमींदार और पट्टेदार जैसे दो वर्गों में बाँट दिया गया। जिससे ग्रामीणों तथा मजदूरों की स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती चली गई। इसी समय बाल मजदूरी को भी प्रोत्साहित किया गया था जो भारतीयों के हित में नहीं था। इस प्रकार ब्रिटिश सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण आर्थिक क्षेत्र में भारत का विकास पूर्णरूप से रुक गया था।

(5) ब्रिटिश शिक्षा नीति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
18वीं शताब्दी के आरम्भ में ही अंग्रेजी शिक्षा की पहल की जा चुकी थी। 1854 ई. में वुड प्रस्ताव में अंग्रेजी शिक्षा के साथ-साथ भारतीय भाषाओं के अध्ययन का भी सुझाव दिया गया था। इसी प्रस्ताव में अध्यापकों के प्रशिक्षण का सुझाव भी था। 1882 ई. में लॉर्ड रिपन ने वुड प्रस्ताव को क्रियान्वित करने के लिए हण्टर आयोग का गठन किया। इसमें
प्राइमरी शिक्षा को प्रोत्साहित किया गया था तथा विद्यार्थियों की मानसिक एवं शारीरिक शिक्षा पर जोर दिया गया था।

1904 ई. में विश्वविद्यालय अधिनियम पारित कर विश्वविद्यालय की सम्बद्धता एवं विद्यार्थियों की शिक्षा के अनुसार प्राध्यापकों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई। 1919 ई. के अधिनियम में शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी प्रान्तीय विधान मण्डलों को सौंप दी गई। शिक्षा के लिए सार्जेन्ट योजना (1944) के अन्तर्गत स्कूलों में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की गई थी, आरम्भ में ब्रिटिश शिक्षा नीति का प्रत्यक्ष लाभ भारतीयों को भले ही न मिला हो किन्तु इसने भारतीयों को राष्ट्र के प्रति संगठित एवं समर्पित करने में महती भूमिका निभाई थी।


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