Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 19 मानव शरीर के आंतरिक अंग

Bihar Board Class 7th Science Book Solutions विज्ञान Chapter 19 मानव शरीर के आंतरिक अंग- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 19 मानव शरीर के आंतरिक अंग

मनुष्य के शरीर के अंदर बहुत सारे अंग हैं। ये अंग बाहर से दिखाई नहीं पड़ते हैं। आन्तरिक अंग एक भी खराब हो जाए तो हमारा शरीर अस्वस्थ हो जाता है। स्वास्थ्य ठीक रहने के लिए आन्तरिक अंग बिल्कुल ठीक-ठाक होना अनिवार्य है। ये अंग प्रतिदिन काम करते हैं। इन अंगों को सही तरह से काम करने के लिए हमें पोषक तत्व आहार के रूप में लेना पड़ता है। ये अंग भिन्न-भिन्न तरह के कार्य करते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों के बारे में – परिचय करते हैं जो इस प्रकार हैं

  1. गुर्दे (किडनी) यह खून में घुले अपशिष्ट पदार्थ को छानकर मूत्र द्वारा बाहर निकाल देता है और रक्त चाप को निर्यात्रत करता है।
  2. मस्तिष्क – यह शरीर के सभी अंगों के बीच तालमेल रखता है। यह विचारों और भावनाओं को जन्म देता है। यादाश्त रखता है, विभिन्न तंत्रिकाओं और ज्ञानेन्द्रियों से सूचनाएं प्राप्त करता है। दिल और दूसरे अंगों को प्रभावित करता है। यह पीयूष ग्रंथि के संपर्क में रहता है। मस्तिष्क का स्वस्थ रहना अनिवार्य है।
  3. मुँह और ग्रासनली का ऊपरी हिस्सा – भोजन का पाचन, मुँह में दाँतों द्वारा भोजन को चबाने और लार के मिलने से शुरू होता है। चबाया हुआ भोजन गले से निगलने के बाद ग्रास नली में पहुँचता है। निगलने के समय एक बाल्ब हवा जाने के रास्ते को बंद करता है। यह क्रिया अपने-आप होती है। खाने के समय बोलना या जल्दी खाना नहीं खाना चाहिए।

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  1. आमाशय-इसे पेट भी कहते हैं। निगला हुआ भोजन यहाँ जमा होता है। यह अमाशय के रस से मिलकर छोटी आंत में जाता है।
  2. फेफड़ा-मनुष्य को दो फेफड़े होते हैं। एक दायाँ दूसरा बायाँ । ऑक्सीजन युक्त हवा फेफड़ा में जाता है। हृदय को रक्त द्वारा ऑक्सीजन पहुँचता है। पुनः कार्बन डाइऑक्साइड अंगों से लौटकर बाहर निकलता है।
  3. हृदय-हृदय हमेशा धड़कता रहता है। ये कभी रूकता नहीं है। स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन लगभक एक लाख बार हृदय धड़कता है। धमनी से शरीर को ऑक्सीजन प्रदान करता है और फेफड़ों से CO2 बाहर निकालता
  4. मूत्रनली – मूत्रनली द्वारा मूत्र गुर्दो से मूत्राशय तक पहुँचती है।
  5. छोटी आँत – भोजन छोटी आंत के अगले भाग से शुरू होकर कई मोड़ों से गुजरते हुए पचता है और पचने के बाद छोटी आंत इसके पोषक तत्वों को खून में भेजती है और ठोस पदार्थ को अंधनली और बड़ी आंत में भेजती
  6. बड़ी आँत-इसमें चढ़ने वाली और उतरने वाली नली है जिसका मुंह मलद्वार में खुलता है। यह अधिकांशतः मल निकालने का काम करता है। लेकिन आवश्यक पदार्थों का शोषण करता है।
  7. गर्भाशय, अंडेनलियाँ, योनि–महावरी चक्र में निषेचित अण्ड के लिए गर्माशय में एक स्तर बनता है। अगर गर्भ न ठहरे तो खून के साथ बाहर निकल आता है और नए चक्र का आरम्भ होता है।
  8. मूत्राशय मूत्र मार्ग-मूत्र गुर्दो से निकलकर नीचे आता है और मांसपेशियों से बनी थैली में जमा होता है। इस थैली के भर जाने पर मूत्र या पेशाब बाहर के मार्ग से बाहर निकलता है।
  9. लिंग, वृषण, शुक्राणु नली-शुक्राणु वृष्ण में उत्पन्न होकर शुक्राणु नली, वीर्य थैली, प्रोस्टेट ग्रंथि और वीर्य नीली के रास्ते लिंग तक ‘पहुँचता है। यहाँ से इनका वीर्य के साथ स्खलन हो जाता है। पेशाब एक नली में प्रोस्टेट ग्रंथि और लिंग में से होकर बाहर आता है।

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  1. जिगर पित्ताशय-यह जैव रासायनिक कारखाना है जो अपशिष्ट पदार्थ को दूर करता है। ऊर्जा प्रोटीन संतुलन पर नियंत्रण रखता है। पितशय में यॊचत पित्त छोटी आंत के आगे के भाग में चर्बी (वसा) को पचाने में मदद करता है।
  2. प्लीहा – पुरानी इस्तेमाल हो चुकी लाल रक्त कोशिकाओं को छानकर नष्ट करता है।

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