Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 18 जन्तुओं में रक्त पससिंचरण एवं उत्सर्जन

Bihar Board Class 7th Science Book Solutions विज्ञान Chapter 18 जन्तुओं में रक्त पससिंचरण एवं उत्सर्जन NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 18 जन्तुओं में रक्त पससिंचरण एवं उत्सर्जन

A. सही उत्तर चुनिए –

प्रश्न 1.
रक्त जन्तुओं के किस भाग के द्वारा प्रवाहित होता है –
(i) रक्त वाहिनियों में
(ii) काशिकाओं में
(iii) ऊतकों में
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) रक्त वाहिनियों में

प्रश्न 2.
रक्त का लाल रंग किस वर्णक के कारण होता है –
(i) ऑक्सीजन
(ii) कार्बन डाइऑक्साइड
(iii) लाल रंग
(iv) हीमोग्लोबीन
उत्तर:
(iv) हीमोग्लोबीन

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 18 जन्तुओं में रक्त पससिंचरण एवं उत्सर्जन
प्रश्न 3.
रक्त की वे कोशिकाएँ जो रोगाणुओं को नष्ट करते हैं –
(i) RBC
(ii) WBC
(iii) प्लेटलेट्स
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) प्लेटलेट्स

प्रश्न 4.
रक्त का थक्का बनना किस कोशिका की उपस्थिति के कारण होता है –
(i) RBC
(ii) WBC
(iii) प्लेटलेट्स
(iv) इनमें से कोई नहीं
Answer:
(iii) प्लेटलेट्स

प्रश्न 5.
विश्राम की अवस्था में एक व्यस्क व्यक्ति की नाड़ी स्पंदन होती है –
(i) 27
(ii) 72
(iii) 82
(iv) 92
उत्तर:
(ii) 72

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 18 जन्तुओं में रक्त पससिंचरण एवं उत्सर्जन
रिक्त स्थज्ञानों की पूर्ति करें –

वे रक्त वाहिनियाँ जो हृदय से ऑक्सीजन समृद्ध रक्त को शरीर के सभी भागों में ले जाती है, …………. कहलाती है।
वे रक्त वाहिनियाँ जो कार्बन डाइऑक्साइड समृद्ध रक्त को शरीर के सभी भागों से वापस हृदय में ले जाती हैं …………. कहलाती है ।
डॉक्टर हृदय धड़कन को मापने के लिए …………. नामक यंत्र इस्तेमाल करते हैं।
अपशिष्ट पदार्थो को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया ……… कहलाती है।
हमारे शरीर में लगभग …………. लीटर रक्त होता है।

उत्तर:

धमनी
शिग
स्टेथोस्कोप
उत्सर्जन
पाँच।
C. सही उत्तर के सामने (✓) एवं गलत उत्तर के सामने (×) का चिह्न लगाएँ….

हमारा हृदय चार कक्षों में बँटा होता है। (✓)
गुर्दे की आकृति गेंद जैसी होती है। (×)
स्पंज एवं हाइड्रा जैसे जन्तुओं में रक्त नहीं पाया जाता है। (✓)
मनियाँ ऑक्सीजन समृद्ध होती हैं। (✓)
शिराएँ कार्बन डाइऑक्साइड विहीन होती हैं। (×)
D. मिलान कीजिए –
Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 18 जन्तुओं में रक्त पससिंचरण एवं उत्सर्जन 1
उत्तर:
(i) (ङ)
(ii) (क)
(iii) (घ)
(iv) (ख)

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E. निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 से 100 शब्दों में दीजिए –

प्रश्न 1.
धमनी किसे कहते हैं ? इसका क्या कार्य है ? बताएँ।
उत्तर:
हमारे शरीर में दो प्रकार की रक्त वाहिनियाँ पाई जाती हैं – (1) धमनी (2) शिरा।
धमनी रक्त को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है। धमनियाँ हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के सभी भागों में ले जाती है। रक्त का प्रवाह तेजी से और अधिक दाब पर होता है। धमनियों की दीवार मोटी और लचीली होती है। धमनी में स्पंदन होता है। फेफड़ा धमनी हृदय से रक्त को ले जाती है। इसलिए इसे शिरा नहीं धमनी कहते हैं। धमनी से रक्त का प्रवाह हृदय से सभी अंगों में होता है। प्रति मिनट धमनी में उत्पन्न । धड़कन, हृदय दर को बताती है।

प्रश्न 2.
शिरा को परिभाषित कीजिए एवं यह धमनी से कैसे भिन्न है ?
उत्तर:
शिरा रक्तवाहिनियाँ हैं। शिराएँ कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त को शरीर के सभी भागों से वापस हृदय में लाती हैं। धमनियाँ ऑक्सीजन समृद्ध होती हैं जबकि शिराएँ कार्बन डाइऑक्साइड समृद्ध, धमनियों के द्वारा रक्त के प्रवाह की दिशा हृदय से शरीर के सभी अंगों की ओर होता है जबकि रक्त प्रवाह की दिशा शरीर के सभी अंगों से वापस हृदय की ओर होता है। अर्थात् ठीक एक-दूसरे के विपरीत होता है। धमनियों की दीवारें मोटी और . लचीली होती है जबकि शिराएँ पतली होती हैं।

प्रश्न 3.
गुर्दे का मुख्य कार्य बताइए।
उत्तर:
गुर्दा या किडनी, शरीर में पानी और नमक की मात्रा को संतुलित रखना तथा रक्त को शुद्ध करना और मूत्र को मूत्राशय में पहुँचाना है। किडनी की आकृति सेम जैसी होती है। जब रक्त गुद्म में पहुँचता है तो इसमें हानिकारक और उपयोगी दोनों प्रकार के पदार्थ होते हैं। उपयोगी पदार्थों को रक्त में अवशोषित कर लिया जाता है और हानिकारक पदार्थ जल में धूलकर मूत्र के रूप में अलग हो जाता है और मत्राशय में पहँच जाता है। यह एक उत्सर्जन तंत्र है । मानव के लिए उपयोगी है । इसके खराब होने पर हम ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह सकते हैं।

प्रश्न 4.
अपशिष्ट पदार्थ क्या है ? इन्हें हमारे शरीर से बाहर निकालने वाले उत्सर्जन अंगों के नाम बताइए।
उत्तर:
श्वसन प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड बनता है. जो अवशिष्ट पदार्थ है। इसी प्रकार भोजन का अपचित भाग अवशिष्ट पदार्थ कहलाता है। हमारे शरीर की कोशिकाएँ जब अपना कार्य करती है तो अवशिष्ट पदार्थ बनते हैं। ये अवशिष्ट पदार्थ विषैले होते हैं। अवशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने की प्रक्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। रक्त में अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से निकलना जरूरी है। उत्सर्जन करने वाले अंगों के समूह को उत्सर्जन तंत्र कहते हैं। गुर्दा, मूत्राशय, मूत्रनली उत्सर्जन के अंग हैं।

प्रश्न 5.
हृदय स्पंद से आप क्या समझते हैं ? एक स्वस्थ व्यक्ति में हृदय स्पंद की संख्या बताइए।
उत्तर:
हृदय वक्ष गुहा में स्थित है। इसकी दीवार मांसपेशियों की बनी होती है। ये पेशियाँ लयबद्ध रूप से सिकुड़ती और फैलती हैं। लयबद्ध . सिकुड़ने और फैलने की क्रिया मिलकर हृदय स्पंद कहलाती है। हृदय स्पंद प्रत्येक क्षण होता रहता है। हृदय धड़कन को महसूस कर सकते हैं। डॉक्टरों द्वारा हृदय स्पंद सुनने के लिए स्टेथोस्कोप यंत्र का प्रयोग करते हैं। प्रतिदिन लगभग एक लाख बार धड़कता है। हृदय मानव का महत्वपूर्ण अंग है, धडकन रूकने का मतलब मृत्यु।

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Bihar Board Class 7 Science जन्तुओं में रक्त पससिंचरण एवं उत्सर्जन Notes
शरीर की कोशिकाओं में श्वसन क्रिया होती है। रक्त ऑक्सीजन द्वारा कोशिकाओं में पहुँचता है। श्वसन क्रिया के फलस्वरूप CO2 फेफड़ों तक पहुँचकर उच्छवसन के बाहर निकलना रक्त के संचरण से होता है। मांसपेशी और स्नायु में अपशिष्ट पदार्थ बनते हैं। इनका उत्सर्जन शरीर के उत्सर्जन तंत्र से होता है। अपशिष्ट पदार्थों के मांसपेशियों से उत्सर्जन तंत्र तक पहुँचाने का कार्य रक्त परिसंचरण से होता है। नाड़ी धड़कन रक्त परिसंचरण के कारण होता है। सामान्य और स्वस्थ व्यक्ति का स्पंदन दर 72 से 80 स्पंदन प्रति मिनट होता है। हृदय शरीर का आंतरिक अंग है। यह हमेशा धड़कता है। यह बिना रूके जीवन भर रक्त के साथ पदार्थों का पंप करता रहता है। हृदय वक्ष गुहा में स्थित होता है जिसका निचला सिरा थोड़ी बायीं ओर झुका रहता है। हृदय चार कक्षों में बंटा होता है। ऊपर दो कक्ष आलिन्द और निचली दो कक्ष निलय कहलाते हैं। हमारे शरीर में कई प्रकार के रक्त वाहिनियाँ होती है जो रक्त को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य करती है। शरीर में दो प्रकार की रक्त वाहिनियाँ पाई जाती हैं-धमनी एवं शिरा (Vain)। धमनियाँ हृदय से ऑक्सीजन युक्त रक्त को शरीर के सभी भागों में ले जाती हैं।

रक्त का प्रवाह तेजी से और अधिक दाब पर होता है। धमनियों की दीवार मोटी और लचीली होती है। शिराएँ कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त को शरीर के सभी भागों से वापस हृदय में जाती है और CO2 बाहर निकलता है। डॉक्टर हृदय की धड़कन की आवाज सुनने के लिए स्टेथोस्कोप यंत्र का. प्रयोग करते हैं। सभी जीवों में रक्त नहीं पाया जाता है। जैसे – स्पंज और हाइड़ा। हमारे शरीर में कोशिकाएँ अपना कार्य करती है। अवशिष्ट पदार्थ बनते हैं। अत: इन्हें शरीर से बाहर निकालने की आवश्यकता होती है। सजीव द्वारा कोशिकाओं में बनने वाले अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को उत्सर्जन कहते हैं और निकालने वाले अंगों के समूह को उत्सर्जन तंत्र कहते हैं। उत्सर्जन तंत्र द्वारा रक्त में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों जैसे नाइट्रोजन युक्त विषैले पदार्थ है। गुर्दा, मूत्राशय, मूत्र नली आदि उत्सर्जन अंग है। किटनी जो स्त्री और पुरुष के शरीर में होते हैं। जब रक्त किटनी में जाता है तो हानिकारक और उपयोगी दोनों प्रकार के पदार्थ होते हैं। उपयोगी पदार्थ अवशोषित हो जाता है और अपशिष्ट पदार्थ मत्र केम्प में अलग हो जाता है। मंत्र मंत्राशय में पहुँचता है और मत्र मार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है।

त्वचा हमारे शरीर का तापमान को नियंत्रित करती है। त्वचा की निचली परत पर स्वेद ग्रंथियाँ होती हैं जिससे हमें पसीना आता है। स्वंद में जल और लवण होते हैं। गर्मियों के दिनों में पसीनों के रूप में बाहर निकलते हैं । पसीना हमारे शरीर को ठंडा बनाए रखने में मदद करता है । जब किडनी काम करना बंद कर देता है तो रक्त में अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है। किडनी खराब होने के कारण या तो संक्रमण अथवा चोट लगना है। किडनी खराब व्यक्ति को अधिक दिनों तक जीवित नहीं रखा जा सकता है। अतः कृत्रिम किडनी लगाकर रक्त में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को हटा दिया जाता है। समय-समय पर यह क्रिया करायी जाती है। कृत्रिम किडनी लगाकर रक्त को साफ करने की विधि को डायलाइसिस कहते हैं। शरीर के विभिन्न अंगों को हिलाने-डुलाने के लिए मांसपेशियों की जरूरत होती है और मांसपेशियाँ तभी कार्य करती हैं. जब लगातार रक्त का संचरण हो। रक्त का लाल रंग हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण है और रक्त का थक्का होना प्लेटलेट्स का कारण है।

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