Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

Bihar Board Class 8th Social Science Book Solutions सामाजिक विज्ञान 1 Chapter 5 न्यायपालिका – NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बच्चों के पिता ने क्या जवाब दिया होगा? सोचकर लिखिए।
उत्तर-
बच्चों के पिता ने दोनों बच्चों को डाँटा होगा कि तुम दोनों ही बदमाशी किये हो। उन्होंने यह भी कहा होगा कि आगे से आपस के झगडे में किताब-कॉपी मत फाड़ना नहीं तो दोनों को खूब मार पड़ेगी।

प्रश्न 2.
आपकी समझ में कौन सही है-गीता या उसके भाई ? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर-
गीता के भाई गलत थे। पिता की संपत्ति में सभी संतान का बराबर का हिस्सा होता है। अत: गीता को भी अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए था । अत: गीता सही थी। उसकी माँग सही थी । उसे भी अपने पिता की संपत्ति में से हिस्सा मिलना चाहिए था । यदि उसके भाई उसे स्वेच्छा से कुछ कम राशि भी दे देते तो वह खुशी से वह स्वीकार कर संतोष कर लेती ।

पर भाइयों ने उसे कुछ भी रकम नहीं दिया तो अदालत ने उसे बराबर का भागीदार बना अच्छी बल्कि भाइयों के समान राशि ही दिलवा दी। अतः मेरी समझ में गीता के भाई गलत थे और गीता सही थी।

प्रश्न 3.
क्या आप ग्राम कचहरी के फैसले से सहमत हैं?
उत्तर-
नहीं, ग्राम कचहरी के लोगों की मानसिकता गलत थी । अदालत ने उनके फैसले को खारिज कर उन्हें यह एहसास करा दिया होगा कि वे गलत . हैं। वे पुरानी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं जो नये संविधान और नये कानूनों की रोशनी से नितांत दूर हैं। मैं भी ग्राम कचहरी के फैसले से सहमत नहीं हूँ।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

प्रश्न 4.
अदालत ने गीता के पक्ष में क्या फैसला सुनाया और क्यों ?
उत्तर-
अदालत ने गीता के पक्ष में फैसला सुनाया । अदालत का फैसला था कि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पिता की संपत्ति में बेटा हो या बेटी, सभी बराबर के हकदार हैं। अत: गीता के भाइयों को अपनी पैतृक संपत्ति का बंटवारा चार भागों में करना होगा। गीता को अदालत के फैसले से तीन लाख रुपए मिल गये ।

उसके तीन भाई और वह चारों के बीच पिता की जमीन को बेचकर भाइयों ने जो बारह लाख रुपये आपस में बांट लिये थे, उन्हें उसमें से तीन लाख रुपये गीता को देना पड़ा। अदालत ने गीता के अधिकारों की रक्षा करने के लिए उसके हक में फैसला सुनाया जो कि हमारे संविधान में उल्लेखित कानून के तहत आता

प्रश्न 5.
इस कहानी को पढ़ने के बाद न्याय के बारे में आपकी क्या समझ बनती है? इस पर अपनी शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर-
इस कहानी को पढ़ने के बाद मैं समझता हूँ कि न्याय लोगों के अधिकारों व उनके सम्मान की रक्षा करने के लिए निर्मित किये गये हैं। यदि किसी व्यक्ति के साथ कहीं अन्याय होता हो, तो वह न्याय पाने के लिए न्यायपालिका का द्वार खटखटा सकता है। वहाँ उसे न्याय अवश्य मिलेगा।

प्रश्न 6.
अपने शिक्षक की सहायता से इस तालिका में दिये गये खाली स्थानों को भरिए।
Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका 1
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका 2

प्रश्न 7.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए क्या-क्या किया गया?
उत्तर-
न्यायपालिका को विधायिका और कार्यपालिका से बिल्कुल ही स्वतंत्र रखा गया । सर्वोच्च और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार का सीधा हस्तक्षेप नहीं होता।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका
प्रश्न 8.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता में किस-किस तरह की बाधाएँ आती
उत्तर-
कई बार यह देखने में आता है कि कुछ ताकतवर लोग अपने पैसे और पहुँच का इस्तेमाल करके न्यायपालिका की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की कोशिश करते हैं।

कई बार कुछ न्यायाधीश भी पैसे व तरक्की की लालच में फंसकर गलत फैसले देते हैं। इससे लोगों को उचित न्याय नहीं मिल पाता । इस तरह के गलत कामों से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को गहरा धक्का लगता है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता में इस प्रकार की घटनाएँ बड़ी बाधाएँ हैं।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या आपको ऐसा लगता है कि इस तरह की नई न्यायिक व्यवस्था में एक आम नागरिक किसी भी ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा जीत सकता है ? कारण सहित समझाइये।
उत्तर-
इस तरह की नई न्यायिक व्यवस्था में एक आम नागरिक किसी भी ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा तभी जीत सकता है जबकि न्यायाधीश ईमानदार हो । न्यायाधीश यदि ईमानदारीपूर्वक फैसला देगा तभी एक गरीब व्यक्ति अमीर व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा जीत पायेगा । साथ ही, उस गरीब आदमी के पास लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के लिए पर्याप्त पैसे होने चाहिए ताकि वह लंबे समय तक अपना केस लड़ सके।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

प्रश्न 2.
हमें न्यायपालिका की जरूरत क्यों है?
उत्तर-
कई बार लोगों का आपस में कुछ मुद्दों पर विवाद हो जाता है जो आपस में सुलझाना संभव नहीं होता । यहाँ तक कि स्थानीय पंचायत में भी वे विवाद नहीं सुलझ पाते । तब, फिर उस विवाद के निपटारे के लिए हमें न्यायपालिका की जरूरत पड़ती है। न्यायपालिका में संबंधित विवाद पर पक्ष-विपक्ष के वकील बहस करते हैं। उन्हीं बहस को सुनकर हमारे संविधान में लिखित कानूनों के आलोक में न्यायाधीश न्याय करते हैं।

प्रश्न 3.
निचली अदालत से ऊपरी अदालत तक हमारी न्यायपालिका की संरचना एक पिरामिड जैसी है। न्यायपालिका की संरचना को पढ़ने के बाद उसका एक चित्र बनाएँ।
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका 3
प्रश्न 4.
भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए क्या-क्या कदम उठाये गये हैं?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए इसे विधायिका और कार्यपालिका से सर्वथा स्वतंत्र रखा गया है। यहाँ तक कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार सीधे-सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कोई भी ताकवर व्यक्ति न्यायाधीशों पर अपने पद या रुतबा का धौंस नहीं दिखा सकता। ऐसा करने पर वह व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में बाधा पहुँचाने के जुर्म में दंड का भागी बन जा सकता है।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

प्रश्न 5.
आपके विचार में भारत में न्याय प्राप्त करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा कौन-सी है ? इसे दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
कानूनी प्रक्रिया में काफी पैसा व समय लगता है और ऊपर से कागजी कार्यवाही की भी जरूरत पड़ती है। यह काम वकीलों का होता है। इस प्रक्रिया को आम लोगों के लिए समझ पाना मुश्किल होता है। गरीब इंसान के लिए यह सब कर पाना, समझ पाना और लंबी अवधि तक चलने वाले मुकदमे के लिए आवश्यक धनराशि का जुगाड़ कर पाना मुश्किल होता है। कोर्ट कचहरी के काम में समय काफी लगता है क्योंकि यह ध्यान रखना होता

है कि जल्दबाजी में किसी के साथ अन्याय न हो। इस वजह से कई केस सालों-साल खिंचते जाते हैं और लोगों के लिए अपना काम-धंधा छोड़कर नियमित रूप से कोर्ट-कचहरी जा पाना मुश्किल होता है। वैसे तो ये समस्याएँ सभी वर्ग के लोगों के लिए हैं पर गरीब लोगों के लिए तो ऐसा करना बेहद मुश्किल होता है।

न्याय की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए, सभी तरह के न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियाँ, गरीब लोगों के लिए नि:शुल्क या कम पैसों में कानूनी सहायता की व्यवस्था करना और जनहित याचिकाएँ, ये उपाय किये जाने जरूरी हैं।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका
प्रश्न 6.
अगर भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र न हो तो नागरिकों को न्याय प्राप्त करने के लिए किन-किन मश्किलों का सामना करना पड सकता है?
उत्तर-
अगर भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र न हो तो आम नागरिकों को न्याय प्राप्त करना मुश्किल ही नहीं, असंभव हो जाएगा। एक तो पैसे वालों का बोलबाला हो जाएगा। दूसरे दबंगों की चलती हो जाएगी। फिर तो, समाज में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत लागू हो जाएगी। गरीब आदमी

यदि अस्वतंत्र न्यायपालिका में जायेगा तो वहाँ न्यायाधीश बिका हुआ तैयार – मिलेगा जो पैसों वाले के पक्ष में ही फैसला करेगा। फिर तो समाज में अँधेरगर्दी – मच जाएगी, पूँजीतंत्र और गुंडावाद हावी हो जाएगा।

Leave a Comment