MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 16 The Red Rice Granary

MP Board Class 10th English Book Solutions The Rainbow, The Spring Blossom Chapter 16 The Red Rice Granary NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 16 The Red Rice Granary

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  1. Disaster means:
    (a) a pleasing incident
    (b) distantly situated
    (c) which brings happiness
    (d) an unexpected even that causes loss of lives or wealth
    Answer:
    (d) an unexpected even that causes loss of lives or wealth
  2. Paddy fields are:
    (a) fields where rice is grown
    (b) big fields
    (c) fields where wheat it grown
    (d) fertile and big fields
    Answer:
    (a) fields where rice is grown
  3. The bags that she got from the rich people were brimming over with:
    (a) useful clothes
    (b) junk
    (c) precious ornaments
    (d) food packets
    Answer:
    (b) junk
  4. The writer of this article was invited to deliver a speech in a:
    (a) company
    (b) party
    (c) village
    (d) press conference
    Answer:
    (a) company
  5. The ……….. used to be the superior one.
    (a) polished rice
    (b) white rice
    (c) red rice
    (d) yellow rice
    Answer:
    (b) white rice

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How Much I have Understand?

A. Answer the following questions. (One or two sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।)।

Question 1.
Why was the writer invited to Bangalore?
(व्हाय वॉज़ द राईटर इनवाइटिड टू बैंग्लोर?)
लेखक को बैंगलौर आने के लिए न्यौता क्यों मिला?
Answer:
The write was invited to a reputed company in Bangalore to deliver a lecture on Corporate Social Responsibility.
(द राईटर वॉज़ इन्वाइटेड टू अ रेप्यूटिड कम्पनी इन बैंग्लोर टू डिलिवर अलैक्चर ऑन कॉर्पोरेट सोश्यल रिस्पॉन्सिबिलिटी।)
लेखक को बैंगलौर में एक ख्यातिप्राप्त कम्पनी में सामूहिक सामाजिक दायित्व पर भाषण देने के लिए न्यौता दिया गया था।

Question 2.
What was the reaction of the young girls and boys after the writer’s lecture?
(व्हॉट वॉज़ द रिएक्शन ऑफ द यंग गर्ल्स एण्ड बॉयज़ आफ्टर द राइटर्स लैक्चर?)
लेखक के भाषण का जवान लड़के व लड़कियों पर क्या प्रभाव हुआ?
Answer:
The young girls and boys were very emotional after the writer’s lecture. All of them became willing to offer something or the other for donation.
(द यंग गर्ल्स एण्ड बॉयज़ वर् वैरी इमोशनल आफ्टर द राईटर्स लैक्चर। ऑल ऑफ देम बिकेम विलिंग टू ऑफर समथिंग और द अदर फॉर डोनेशन।)
लेखक के भाषण के बाद जवान लड़के व लड़कियाँ भावुक हो गए। सभी दान के लए कुछ-न-कुछ देने के इच्छुक थे।

Question 3.
How did the writer assure the boys and girls?
(हाउ डिड द राईटर एश्योर द बॉयज़ एण्ड गर्ल्स?)
लेखक ने लड़के व लड़कियों को कैसे आश्वासित किया?
Answer:
The writer assured the boys and girls by asking them to send their bags of things to be donated to his office and saying that she would see that they reach the right persons.
(द राइटर एश्योर्ड द बॉयज़ एण्ड गर्ल्स बाइ आस्किंग देम टू सेण्ड देयर बैग्स ऑफ थिंक्स टू बी डोनेटिड टू हिज़ ऑफिस एण्ड सेइंग दैट शी वुड सी दैट दे रीच द राइट पर्सन्स।)
लेखिका ने लड़कों व लड़कियों को आश्वासन दिया कि वे अपने दान करने के लिए बनाये गये थैले उसके दफ्तर भेज दें। वह उन्हें सही व्यक्तियों तक पहुँचा देगी।

Question 4.
How did the grandparents of the writer live?
(हाउ डिड द ग्रैण्डपेरेन्ट्स ऑफ द राइटर लिव?)
लेखिका के दादा-दादी कैसे रहते थे?
Answer:
The grandparents of the writer lived like flowers with fragrance in the forest, enchanting everyone around them, but hardly noticed by the outside world. They did their work wholeheartedly without expecting anything from anybody in their life.

(द ग्रैण्डपेरेन्ट्स ऑफ द राइटर लिव्ड लाइक फ्लावर्स विद फ्रेग्रेन्स इन द फॉरेस्ट, एन्चेंण्टिंग एवीवन अराउण्उ देम, बट हार्डलि नोटिस्ड बाइ द आऊटसाइड वर्ल्ड। दे डिड देयर वर्क होलहार्टिडलि विदाऊट एक्सपेक्टिंग एनीथिंग फ्रॉम एनीबडी इन देयर लाइफ।)

लेखिका के दादा-दादी वन के सुगन्धित फूलों जैसा जीवन व्यतीत करते थे, वे अपने आस-पास हर किसी को आनन्दित रखते थे, मगर बाहर की दुनिया उनसे अनजान थी। वे अपना काम दिल से करते थे बिना किसी से भी किसी प्रकार की उम्मीद रखे।

Question 5.
What question had been bothering the author for a long time?
(व्हॉट क्वैश्चन हैड बीन बॉदरिंग द ऑथर फॉर अ लाँग टाइम?)
लेखिका को लम्बे समय से कौन-सा प्रश्न परेशान कर रहा था?
Answer:
The question that why she and her grandparents ate red rice always at night and give the better quality rice to the poor people bothered author for a long time.
(दे क्वैश्चन दैट व्हाय शी एण्ड हर ग्रॉण्डपेरेन्ट्स एट रेड राइस ऑल्वेज़ एट नाइट एण्ड गिव द बैटर क्वॉलिटी राइस टूद पूअर पीपल बॉदर्ड द ऑथर फॉर अ लाँग टाइम।)
लेखिका को यह प्रश्न कि वह और उसके दादा-दादी रात में लाल चावल खाते थे वह बढ़िया चावल गरीब लोगों को क्यों दान करते थे लम्बे समय से परेशान कर रहा था।

Question 6.
Why didn’t they eat white rice at night?
(व्हाय डिडन्ट दे ईट व्हाइट राइस एट नाइट?)
वे रात में सफेद चावल क्यों नहीं खाते थे?
Answer:
They didn’t eat white rice at night because they donated it to the poor as they thought that they should give anybody the best they have.
(दे डिडन्ट ईट व्हाइट राइस एट नाइट बिकॉज़ दे डोनेटिड इट टू द पूअर एज़ दे थॉट दैट शुड गिव एनीबडी द बेस्ट दे हैव।)
वे रात में सफेद चावल नहीं खाते थे क्योंकि वे उसे गरीबों को दान में दिया करते थे क्योंकि वे यह सोचते थे कि उन्हें किसी को भी अपनी उच्चतम वस्तु देनी चाहिए।

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B. Answer the following questions. (Three or four sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में दीजिए।)

Question 1.
How did squirrels help Shri Rama during the construction of the bridge between India and Lanka?
(हाउ डिड स्किवरल्स हैल्प श्री राम ड्युरिंग द कन्स्ट्रक्शन ऑफ द ब्रिज बिटवीन इण्डिया एण्ड लंका?)
गिलहरियों ने श्री राम की भारत व लंका के बीच सेतु बनाने में किस प्रकार मदद की?
Answer:
Squirrels helped Shri Rama during the construction of the bridge between India and Lanka by bringing a handful of sand.
(स्किवरलस् हैल्प्ड् श्री राम ड्यूरिंग द कंस्ट्रक्शन ऑफ द ब्रिज बिटवीन इण्डिया एण्ड लंका बाइ ब्रिगिंग अ हैण्डफुल ऑफ सैण्ड।)
गिलहरियों ने श्री राम को भारत व लंका के बीच सेतु निर्माण में एक मुट्ठी रेत लाकर मदद की।

Question 2.
Why did the writer’s initial feeling of pride on receiving the donations in kind turn in shock and surprise on opening the bags containing them?
(व्हाय डिंड द राइटर्स इनिशियल फीलिंग ऑफ प्राइड-ऑन् रिसीविंग द डोनेशन्स इन काइन्ड टर्न इन शॉक एण्ड सरप्राइज़ ऑन ओपनिंग द बैग्स कन्टेनिंग देम?)
लेखिका की गर्व की भावना दान में आये हुए थैलों को खोलने पर सदमे व आश्चर्य में क्यों बदल गई?
Answer:
The writer’s initial feeling of pride on receiving the donations in kind turned into shock and surprise on opening the bags because the bags were full of all kinds of junk. It was apparent that instead of sending the material to a garbage it was transferred to the writer’s office.

(द राईटर्स इनिशियल फीलिंग ऑफ प्राइड ऑन रिसीविंग द डोनेशन्स इन काइन्ड टर्ड इन्टू शॉक एण्ड सरप्राइज़ ऑन ओपनिंग द बैग्स बिकॉज़ द बैग्स वर् फुल ऑफ ऑल काइन्ड्स ऑफ जंक। इट वॉज़ एपरेन्ट दैट इन्स्टैड ऑफ सेन्डिंग द मैटीरियल टू अ गारबेज इट वॉज़ ट्रान्सफर्ड टू द राईटर्स ऑफिस।)

लेखिका को दान की वस्तुएँ पाने के बाद सदमा लगा व अचरज हुआ क्योंकि दान के थैलों में हर तरह का कचरा भरा था। यह स्पष्ट था कि लोगों ने सामान को कबाड़खाने भेजने के बजाय लेखिका के दफ्तर भेज दिया था।

Question 3.
How did people live in the villages during the writer’s childhood?
(हाउँ डिड पीपल लिव इन द विलेजेज़ ड्यूरिंग द राईटर्स चाइल्डहुड?)
लेखिका के बचपन के समय लोग गाँवों में किस प्रकार रहते थे?
Answer:
During writer’s childhood there was no communal divide in the village. People from different communities lived together in peace.
(ड्यूरिंग राईटर्स चाइल्डहुड देयर वॉज़ नो कम्यूनल डिवाइड इन द विलेज। पीपल फ्रॉम डिफ्रेन्ट कम्यूनिटीज़ लिव्ड टुगेदर इन पीस।)
लेखिका के बचपन के समय गाँवों में जातीय विभाजन नहीं था। अलग-अलग समुदायों के लोग एक साथ शान्तिपूर्वक रहते थे।

Question 4.
Write any four lines as quoted by the writer from the vedas.
(राईट एनी फोर लाइन्स एज़ कोटेड बाइ द राईटर फ्रॉम द वेदास।)
वेदों से लेखिका द्वारा लिखित पंक्तियों में से चार पंक्तियाँ लिखो।
Answer:
The four lines from the vedas are :
Donate with kind words.
Donate with happiness.
Donate with sincerity.
Donate only to the needy.

(द फोर लाइन्स फ्रॉम द वेदाज़ आर :
डोनेट विद काइन्ड वर्ड्स।
डोनेट विद हैप्पिनेस।
डोनेट विद सिन्सेरिटी।
डोनेट ओनलि ट्रद नीडी।)

वेदों से चार पंक्तियाँ हैं
मधुर शब्दों के साथ दान दो।
खुशी से दान दो।
ईमानदारी से दान दो।
सिर्फ जरूरतमन्दों को ही दान दो।

Question 5.
How did the writer’s grandparents help the poor people?
(हाउ डिड द राईटर्स ग्रैण्डपेरेन्ट्स हैल्प द.पूअर पीपल्?)
लेखिका के दादा-दादी गरीबों की मदद कैसे करते थे?
Answer:
Writer’s grandparents helped the poor by giving them white rice while they themselves ate poor quality red rice.
(राईटर्स ग्रैण्डपेरेन्ट्स हेल्प्ड् द पूअर बाइ गिविंग देम व्हाईट राईस व्हाइल दे देमसेल्वस् एट पूअर क्वॉलिटी रेड राईस।)
लेखिका के दादा-दादी गरीबों की सफेद चावल दान करके मदद करते थे व वे स्वयं निम्न श्रेणी के लाल चावल खाते थे।

Question 6.
What is the real service to God according to the writer’s grandmother?
(व्हॉट इज़ द रिअल सर्विस टू गॉड एकार्डिग टू द राइटर्स ग्रैण्डमदर?)
लेखिका की दादी के हिसाब से ईश्वर के प्रति असली सेवा क्या है?
Answer:
According to the writer’s grandmother, serving people is the real service to God because He is not there in temple, mosque or church, He is with the people.
(एकॉर्डिग टू द राइटर्स ग्रैण्डमदर, सविंग पीपल इज़ द रीयल सर्विस टू गॉड बिकॉज़ ही इज़ नॉट देयर इन द टैम्पल, मॉस्क और चर्च, ही इज़ विद पीपल्।)
लेखिका की दादी के हिसाब से, लोगों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है क्योंकि वो मन्दिर, मस्जिद या चर्च में नहीं बल्कि लोगों में है।

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Language Practice

A. Make negatives and write them in your notebooks.
(नकारात्मक वाक्य बनाइए।)

  1. He is very fat.
    Answer:
    He is not very fat.
  2. I believe in God.
    Answer:
    I do not believe in God.
  3. Kamla learns English.
    Answer:
    Kamla does not learn English.
  4. I went to see the book-fair.
    Answer:
    I did not go to see the book-fair.
  5. Rahim wrote a good article for the school magazine.
    Answer:
    Rahim did not write a good article for the school magazine.
  6. I can speak English now.
    Answer:
    I can’t speak English now.

B. Make questions as indicated against each sentence.
(प्ररन बनाइए।)

  1. The boy was playing (Y/N question)
    Answer:
    Was the boy playing?
  2. Prakash plays tennis. (Wh question)
    Answer:
    What does Prakash play?
  3. They learn English. (Y/N question)
    Answer:
    Do they learn English?
  4. Girls sang sweet songs yesterday. (Wh question)
    Answer:
    When did girls sing sweet songs?

Listening Time

The teacher will read out the instructions given below and students will try to draw the picture according to the instructions. (Ask the students not to write anything except drawing.)
(सुनो व दिये गये निर्देशों के अनुसार चित्र बनाओ।)

Take a fresh page of your notebook.
Draw a line across the middle of the page.
Draw some waves above the line.
On the left hand corner draw a sailing boat.
In the right hand corner draw a swimmer.
Draw a dotted line from the swimmer to the shore.
Draw a man lying on the beach in the left hand corner.
The swimmer is shouting help! help! Write help-help in speech bubbles.
Show the quickest way from the man on the beach to reach the swimm
er.
Answer:
Do yourself.

Speaking Time

Tell about yourself, when do you wear these things?
(बताइए कि आप निम्न वस्तुएँ कब पहनेंगे?)
(a tie, boots, sandals, gloves, jeans, make-up, a hat, shorts, trainers, glasses.)
Answer:
Students can talk as follows :
I wear a tie when I go to school. I wear boots in rainy season. I wear sandals when I go to a party. I wear jeans occasionally. I never wear make-up. I wear a hat when it’s too hot or raining. I wear shorts and trainers when I go for jogging. I wear glasses when I read newspapers.

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Writing Time

Describe the scenes in not more than 50 words.
(50 शब्दों में निम्न दृश्यों का वर्णन करिए)

  1. A flood scene
  2. A scene after an earthquake.
    Answer:
  3. A Flood Scene :
    Last year, flood occurred in our village. The whole village drowned in water. The villagers took shelter on the high mountain peaks. Many were drowned. There were household utensils and articles seen floating in the water. There was great loss of life and property. There was chaos all around. Relief packets of food were being thrown down from the aeroplanes sent by the Government.
  4. A Scene after an Earthquake :
    Last year there was an earthquake in Gujarat. It caused a great loss of life and property. Several high buildings and houses had tumbled down, and several people were burried under them. Only in a few seconds a havoc was created. Several children had become orphan and many had lost their families. Government crew was trying to take out those who were alive from the heap and relief programme was going on.

Things to do

Discuss with your teachers, parents/elders and find out about the natural calamities. Fill up the charts with the information required and write in your project notebook.
(अपने शिक्षकों, माता-पिता/बड़ों से चर्चा कर प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानें। प्राप्त जानकारी को पुस्तक में दिये गये चार्ट में भरें।
Answer:
Students should discuss with their teachers, parents/elders and fill in the information about natural calamities themselves.
(छात्र स्वयं करें।)

The Red Rice Granary Difficult Word Meanings

Havoc (हैवॉक)-situation in which there is a lot of damage, destruction or disorder (बरबादी, तबाही); Affluent (एफ्लूएन्ट)-having a lot of money and good standard of living (धनाढ्य); Vessel (वैसल)-a container used for holding liquids such as a bowl, cup etc. (बर्तन); Brimming (ब्रिमिंग)to be full of something, to fill something (भरा हुआ); Granary (ग्रेनेरी)-a building where grain is stored (a store room for grain) (भण्डारगृह); Alms (आम्ज)-money, clothes and food that are given to poor people (भिक्षा दान)

The Red Rice Granary Summary, Pronunciation & Translation

Every year, our country has to face natural disasters in some form. It may be an earthquake in Gujarat, floods in Orissa or a drought in Karnataka. In a poor country, these calamities create havoc.

In the course of my work, I have found that after such calamities, many people like to donate money or materials to relief funds. We assume that most donations come from rich people, but that is not true. On the contrary, people from the middle class and lower middle class help more. Rarely do rich people participate wholeheartedly.

(एवरी यीअर, आवर कंट्री हैज़ टू फेस नैचुरल डिज़ास्टर्स इन सम फॉर्म. इट मे बी ऐन अर्थक्वेक इन गुजरात, फ्लड्स इन उड़ीसा ऑर अ ड्रॉट इन कर्नाटका. इन अ पूअर कंट्री, दीज़ कलैमिटीज क्रीयेट हैवक.

इन द कोर्स ऑफ माई वर्क, आई हैव फाऊण्ड दैट आफ्टर सच कलैमिटीज़ मैनी पीपल लाईक टू डोनेट मनी ऑर मैटेरियल्स टू रिलीफ फण्ड्स. वी अज्यूम दैट मोस्ट डोनेशन्स कम फ्रॉम रिच पीपल, बट दैट इज़ नॉट ट्र. ऑन द कॉन्ट्ररी, पीपल फ्रॉम द मिडल क्लास ऐण्ड लोअर मिडल क्लास हैल्प मोर. रेयरली डू रिच पीपल पार्टिसिपेट होलहार्टिली.)

अनुवाद :
प्रत्येक वर्ष हमारे देश को किसी न किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है। चाहे वो गुजरात में भूकम्प हो, उड़ीसा में बाढ़ हो या फिर कर्नाटक में सूखा। एक गरीब देश में यह आपदाएँ तबाही मचा देती हैं।

अपने कार्य के दौरान, मैंने पाया कि ऐसी आपदाओं के पश्चात् बहुत से लोग धन व अन्य सामग्रियाँ राहत कोषों को दान देना पसन्द करते हैं। हम यह समझते हैं कि ज्यादातर दान अमीर लोगों से आता है, परन्तु यह सत्य नहीं है। इसके विपरीत मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के लोग ज्यादा.मदद करते हैं। यदा-कदा ही अमीर लोग पूरे दिल से ऐसे कार्यों में भाग लेते हैं।

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A few years back, I was invited to a reputed company in Bangalore to deliver a lecture on Corporate Social Responsibility. Giving a speech is easy. But I was not sure how many people in the audience would really understand the speech and change themselves.

After my talk was over, I met many young girls and boys. It was an affluent company and the employees were well off and well-dressed. They were all very emotional after the lecture.

(अ फ्यू ईअर्स बैंक, आई वॉज इन्वाईटिड टू अ रेप्यूटिड कम्पनी इन बैंगलोर टू डेलिवर अ लेक्चर ऑन कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी. गिविंग अ स्पीच इज़ ईजी. बट आई वॉज़ नॉट श्योर हाऊ मैनी पीपल इन द ऑडियन्स वुड रीयली अण्डरस्टैण्ड द स्पीच ऐण्ड चेन्ज देम्सेल्ब्ज.

आफ्टर माई टॉक वॉज़ ओवर, आई मेट मैनी यंग गर्ल्स एण्ड बॉयज़. इट वॉज़ ऐन एफ्लूएण्ट कम्पनी ऐण्ड द एम्प्लॉयीज़ वर वैल-ऑफ ऐण्ड वैल-ड्रेस्ड. दे वर ऑल वेरी इमोशनल आफ्टर द लेक्चर.)

अनुवाद :
कुंछ वर्ष पूर्व, मुझे बैंगलोर (बंगलुरू) की एक प्रतिष्ठित कम्पनी में व्यावसायिक समूहों के सामाजिक उत्तरदायित्वों पर व्याख्यान देने हेतु आमंत्रित किया गया था। व्याख्यान अथवा भाषण देना आसान है। परन्तु मैं इस बात के प्रति आश्वस्त नहीं था कि श्रोताओं में से कितने लोग मेरे व्याख्यान को वास्तव में समझेंगे और स्वयं को बदलेंगे।

मेरा व्याख्यान खत्म होने के बाद, मैं बहुत सारे लड़के-लड़कियों से मिला। वह एक समृद्ध कम्पनी थी और उसके कर्मचारी संपन्न थे वह कपड़े भी अच्छे पहने हुए थे। वे सभी मेरे भाषण के बाद बेहद भावुक हो गए थे।

‘Madam, we buy so many clothes every month. Can we donate our old clothes to those people who are affected by the earthquake? Can you co-ordinate and send them?’

Some of them offered other things-
‘We have grown-up children, we would like to give their old toys and some vessels.’

I was very pleased at the reaction. It reminded me of the incident in Ramayana where during the construction of the bridge between India and Lanka, every squirrel helped Shri Rama by bringing a handful of sand.

Please send your bags to my office. I will see that they reach the right persons.”

(‘मैडम, वी बाय सो मैनी क्लोद्स एवरी मंथ. कैन वी डोनेट आवर ओल्ड क्लोद्स टू दोज़ पीपल हू आर अफेक्टिड बाय द अर्थक्वेक? कैन यू को-ऑर्डिनेट ऐण्ड सेण्ड देम?’

सम ऑफ देम ऑफर्ड अदर थिंग्स-
‘वी हैव ग्रोन-अप चिल्ड्रन, वी वुड लाइक टू गिव देयर ओल्ड टॉयज़ ऐण्ड सम वेसल्स.

आई वॉज़ वेरी प्लीज्ड ऐट द रियेक्शन. इट रिमाईण्डिड मी ऑफ द इन्सिडेण्ट इन रामायना व्हेअर ड्यूरिंग द कन्सट्रक्शन ऑफ द ब्रिज बिटवीन इण्डिया ऐण्ड लंका, एवरी स्क्विरल हैल्प्ड श्री रामा बाय ब्रिगिंग अ हैण्डफुल ऑफ सैण्ड.

‘प्लीज़ सेण्ड यॉर बैग्ज़ टू माई ऑफिस. आई विल सी दैट दे रीच द राईट पर्सन्स.’)

अनुवाद :
मैडम, हम हर महीने इतने सारे वस्त्र खरीदते हैं। क्या हम अपने पुराने वस्त्रों को भूकम्प पीड़ितों को दान कर सकते हैं? क्या आप समन्वयक बन उनको भिजवा सकती हैं?’

उनमें से कुछ ने दूसरी चीज़ों की पेशकश की। ‘हमारे बच्चे बड़े हो चुके हैं, हम उनके पुराने खिलौने व कुछ बर्तन देना चाहेंगे।’

मैं उन सब की प्रतिक्रिया पर बेहद खुश थी। मुझे रामायण की वह घटना याद आ गई जब भारत व लंका के बीच समुद्र पर सेतु बन रहा था तब हर एक गिलहरी ने एक मुट्ठी रेत लाकर श्री राम की मदद की थीं।

‘कृपया अपना बैग मेरे दफ्तर भिजवा दीजिएगा। मैं यह सुनिश्चित करूँगी कि आपका दिया सामान सही व्यक्तियों तक पहुँचे।’

Within a week, my office was flooded with hundreds of bags. I was proud that my lecture had proven so effective.

One Sunday, along with my assistants, I opened the bags. What we saw left us amazed and shocked. The bags were brimming over with all kinds of junk! Piles of high heeled slippers (some of them without the pair), torn undergarments, unwashed shirts, transparent, cheap saris, toys which had neither shape nor colour, unusable bed sheets, aluminium vessels, broken cassettes were soon heaped in front of us like a mountain. There were only a few good shirts, saris and usable materials.

(विदिन अ वीक, माई ऑफिस वॉज़ फ्लडिड विद हन्ड्रेड्स ऑफ बैग्ज़. आई वॉज प्राऊड दैट माई लेक्चर हैड प्रूवन सो इफैक्टिव.

वन सण्डे, अलॉन्ग विद माई असिस्टैण्ट्स, आई ओपन्ड द बैग्ज. व्हॉट वी सॉ लेफ्ट अस अमेज्ड ऐण्ड शॉक्ड. द बैग्ज़ वर ब्रिमिंग ओवर विद ऑल काईण्ड्स ऑफ जंक! पाईल्स ऑफ हाईहील्ड स्लिपर्स (सम ऑफ देम विदाऊट द पेअर), टॉर्न अंडरगारमेण्ट्स, अनवाश्ड शर्ट्स, ट्रास्पेरेण्ट, चीप साड़ीज़, टॉयज़ व्हेिंच हैड नीदर शेप नॉर कलर, अनयूज़ेबल बेडशीट्स, अल्यूमीनियम वेसल्स, ब्रोकन कैसेट्स वर सून हीप्ड इन फ्रण्ट ऑफ अस लाईक अ माऊण्टेन. देयर वर ओन्ली अ फ्यू गुड शर्ट्स, साड़ीज़ ऐण्ड यूज़ेबल मैटेरियल्स.)

अनुवाद :
एक सप्ताह के भीतर मेरा दफ्तर सैकड़ों बैगों से भर गया। मुझे गर्व था कि मेरा व्याख्यान इतना असरकारक सिद्ध हुआ।

एक रविवार, अपने सहायकों के साथ मैंने उन बैगों को खोला जो हमने देखा उससे हम हैरान व स्तंभित हो गए। वो बैग ऊपर तक सभी प्रकार की रद्दी कबाड़ से भरे हुए थे। ऊँची एड़ी की चप्पलों के ढेर (कुछ तो एक ही पैर के थे) फटे हुए अन्तः वस्त्र, बिना धुली कमीजें, पारदर्शी सस्ती घटिया साड़ियाँ, आकार व रंगहीन खिलौने, अप्रयोज्य चादरें, एलुमिनियम के बर्तन, टूटे-फूटे कैसटों का शीघ्र ही पहाड़ जैसा ढेर लग गया हमारे सामने। केवल कुछ ही अच्छी कमीजें, साड़ियाँ व प्रयोग योग्य चीजे थीं।

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It was apparent that, instead of sending the material to a garbage or the kabariwala, these people had transferred them to my office in the name of donation. The men and women I had met that day were bright, well travelled, well-off people. If educated people like them behaved like this, what would uneducated people do?

But then I was reminded of an incident from my childhood. I was born and brought up in a village in Karnataka’s Haveri district, called Shiggaon. My grandfather was a retired school teacher and my grandmother Krishtakka never went to school. Both of them had hardly travelled and had never stepped out of Karnataka. Yet they were hardworking people, who did their work wholeheartedly without expecting anything from anybody in their life. Their photographs never appeared in any paper, nor did they go up on a stage to receive a prize for the work they did. They lived like flowers with fragrance in the forest, enchanting everyone around them, but hardly noticed by the outside world.

इट वॉज़ अपेअरेण्ट दैट, इन्स्टेड ऑफ सेण्डिंग द मैटेरियल टू अ गारबेज ऑर द कबाडीवाला, दीज पीपल हैड ट्रांस्फर्ड देम ट्र माई ऑफिस इन द नेम ऑफ डोनेशन. द मेन ऐण्ड विमेन आई हैड मेट दैट डे वर ब्राईट, वैल-ट्रेवल्ड, वैल-ऑफ पीपल, इफ एजुकेटिड पीपल लाईक देम विहेव्ड लाईक दिस, व्हॉट वुड अनएजुकेटिड पीपल डू?

देन आई वॉज़ रिमाईण्डिड ऑफ ऐन इन्सिडेण्ट फ्रॉम माई चाईल्डहुड. आई वॉज़ बॉर्न ऐण्ड ब्रॉट अप इन अ विलेज इन कर्नाटकाज़ हवेरी डिस्ट्रिक्ट, कॉल्ड शिग्गाँव. माई ग्रैण्डफादर वॉज़ अ रिटायर्ड स्कूल टीचर ऐण्ड माई ग्रैण्डमदर क्रिश्टक्का नेवर वेण्ट टू स्कूल. बोथ ऑफ देम हैड हार्डली ट्रैवल्ड ऐण्ड हैड नेवर स्टेप्पड आऊट ऑफ कर्नाटका. यट दे वर हार्डवर्किंग पीपल, हू डिड देयर वर्क होलहार्टिडली विदाऊट एक्स्पेक्टिंग एनीथिंग फ्रॉम एनीबडी इन देयर लाईफ. देयर फोटोग्राफ्स नेवर अपीयर्ड इन एनी पेपर, नॉर डिड दे गो अप ऑन अ स्टेज टू रिसीव अ प्राईज़ फॉर द वर्क दे डिड. दे लिव्ड लाईक फ्लावर्स विद फ्रेगरेन्स इन द फॉरेस्ट, एन्चैण्टिंग एवरीवन अराऊण्ड देम, बट हार्डली नोटिस्ड बाई द आऊटसाईड वर्ल्ड.

अनुवाद :
यह स्पष्ट था कि इन सामानों को कूड़े में फेंकने या कबाड़ी वाले को देने के बजाए इन लोगों ने दान के नाम पर मेरे दफ्तर में भिजवा दिया था। जिन पुरुषों और महिलाओं से मैं उस दिन मिली थी वे सब बड़े सभ्रांत, दुनिया घूमे हुए व संपन्न लोग थे। यदि उनके जैसे पढ़े-लिखे लोग ऐसा बर्ताव करेंगे तो फिर अनपढ़ लोग क्या करेंगे?

परन्तु तभी मुझे बचपन की एक घटना याद आ गई। मैं कर्नाटक राज्य के हवेरी जिले के एक गाँव शिग्गाँव में जन्मी व पली-बढ़ी। मेरे दादाजी एक सेवानिवृत्त विद्यालय के अध्यापक थे और मेरी दादी क्रिश्टक्का कभी विद्यालय नहीं गईं। दोनों ने ही न के बराबर यात्राएँ की थी और उन्होंने कभी कर्नाटक से बाहर कदम नहीं रखा। फिर भी वे कठोर परिश्रमी लोग थे जो अपना कार्य पूरे दिल से करते थे, जीवन में किसी से किसी भी चीज़ की आशा किए बिना। उनके चित्र कभी किसी समाचार पत्र में नहीं छपे, न ही वे कभी किसी मंच पर अपने किए गए कार्य का पुरस्कार लेने के लिए चढ़े। वे जंगल के सुगंधित पुष्पों की भाँति जिए, अपने आस-पास के सभी लोगों को मोहित करते परन्तु बाहरी दुनिया जिनके बारे में अनभिज्ञ रही।

In the village we had paddy fields and we used to store the paddy in granaries. There were two granaries. One was in the front and the other at the back of our house. The better quality rice, which was white, was always stored in the front granary and the inferior quality, which was little thick and red, was stored in the granary at the back.

In those days, there was no communal divide in the village. People from different communities lived together in peace. Many would come to our house to ask for alms. There were Muslim Fakirs, Hindu Dasalahs who roamed the countryside singing devotional songs, Yellamma Jogathis who appeared holding the image of Goddess Yellamma over their heads, poor students and invalid people.

(इन द विलेज वी हैड पैडी फील्ड्स ऐण्ड वी यूज्ड टू स्टोर द पैडी इन ग्रैनरीज़. देयर वर टू ग्रैनरीज़. वन वॉज़ इन द फ्रण्ट ऐण्ड द अदर ऐट द बैक ऑफ आवर हाऊज़. द बैटर क्वालिटी राईस, व्हिच वॉज व्हाईट, वॉज़ आल्वेज़ स्टोर्ड इन द फ्रण्ट ग्रैनरी ऐण्ड द इन्फीरियर क्वालिटी, व्हिच वॉज़ लिटिल थिक ऐण्ड रेड, वॉज़ स्टोर्ड इन द ग्रैनरी ऐट द बैंक.

इन दोज़ डेज़, देयर वॉज़ नो कम्यूनल डिवाईड इन द विलेज. पीपल फ्रॉम डिफरण्ट कम्यूनिटीज़ लिव्ड टुगेदर इन पीस. मैनी वुड कम टू आवर हाऊज़ टू आस्क फॉर आम्स. देयर वर मुस्लिम फकीर्स, हिंदु दसालाहज़ हू रोम्ड द कंट्रीसाईड सिंगिंग डिवोशनल सॉनस, यलम्मा जोगथीज़ हू अपीयर्ड होल्डिंग द इमेज ऑफ गॉडेस यलम्मा ओवर देयर हेड्स, पूअर स्टुडेण्ट्स ऐण्ड इन्वैलिड पीपल.)

अनुवाद :
गाँव में हमारे धान के खेत थे और हम धान को धान्यागार में रखते थे। दो धान्यागार थे। एक सामने की ओर था और दूसरा हमारे घर के पीछे। अच्छी किस्म का चावल जो सफेद होता था हमेशा सामने वाले धान्यागार में रखा जाता था और निम्न किस्म का चावल जो थोड़ा मोटा व लाल होता था पीछे वाले धान्यागार में।

उन दिनों गाँव में किसी प्रकार का साम्प्रदायिक भेद-भाव नहीं था। सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर शान्ति के साथ रहते थे। बहुत से लोग हमारे यहाँ भीख मांगने आते थे। वहाँ मुसलमान फकीर थे, हिंदु दसलाह थे जो भक्ति गीत गाते हुए गाँव-गाँव घूमते थे और यलम्मा जागथी समुदाय के लोग जो देवी यलम्मा की मूर्ति अपने सिर के ऊपर पकड़े दिख जाते थे, गरीब विद्यार्थी एवं अपंग लोग।

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We never had too much cash in the house and the only help my grandfather could give these people was in the form of rice. People who receive help do not talk too much. They would receive the rice, smile and raise their right hand to bless us. Irrespective of their religion, the blessing was always “May God bless you.” My grandfather always looked happy after giving them alms.

I was a little girl then and not too tall. Since the entrance to the front granary was low, it was difficult for grown-ups to enter. So I would be given a small bucket and sent inside. There I used to fill up the bucket with rice and give it to them. They would tell me how many measures they wanted.

(वी नेवर हैड टू मच कैश इन द हाऊज़ ऐण्ड द ओन्ली हैल्प माई ग्रैण्डफादर कुड गिव दीज़ पीपल वॉज़ इन द फॉर्म ऑफ राईस. पीपल हू रिसीव हैल्प डू नॉट टॉकट टू मच. दे वुड रिसीव द राईस, स्माईल ऐण्ड रेज़ देयर राईट हैण्ड टू ब्लैस अस. इररेस्पेक्टिव ऑफ देयर रिलीजन, द ब्लैसिंग वॉज़ आल्वेज़ “मे गॉड ब्लैस यू.” माई ग्रैण्डफादर आल्वेज़ लुक्ड हैप्पी आफ्टर गिविंग देम आम्स.

आई वॉज़ अ लिटल गर्ल देन ऐण्ड नॉट टू टॉल. सिन्स द एन्ट्रेन्स टू द फ्रण्ट ग्रैनरी वॉज़ लो, इट वॉज़ डिफिकल्ट फॉर ग्रोन-अप्स टू एन्टर. सो आई वुड बी गिवन अ स्मॉल बकिट ऐण्ड सेण्ट इनसाईड. देयर आई यूज्ड टू फिल अप द बकिट विद राईस ऐण्ड गिव इट टू देम. दे वुड टेल मी हाऊ मैनी मेज़र्स दे वाण्टिड.)

अनुवाद :
हमारे पास कभी भी बहुत अधिक नकद रुपए नहीं हुआ करते थे घर में और एकमात्र मदद जो मेरे दादाजी इन लोगों को दे पाते थे तो चावल के रूप में होती थी जिन लोगों को मदद मिलती है वे अधिक नहीं बोलते। वे लोग चावल लेते, मुस्कराते और अपना दाहिना हाथ उठाते आशीर्वाद देने के लिए। चाहे वे किसी भी धर्म के हों आशीर्वाद हमेशा “ईश्वर तुम्हारा भला करे।” मेरे दादाजी हमेशा ही बड़े प्रसन्न दिखते थे उनको दान देने के बाद।

मैं उस वक्त एक छोटी लड़की थी और लम्बाई भी अधिक न थी। क्योंकि सामने वाले धान्यागार का द्वार बेहद छोटा व नीचा था, इसलिए बड़े लोगों को उसमें घुसने में दिक्कत होती थी। इसलिए मुझे एक छोटी सी बाल्टी पकड़ा कर अन्दर भेजा जाता। मैं उस छोटी बाल्टी को चावल से भरती और उनको पकड़ा देती। वे मुझे बताते कि कितनी मात्रा उन्हें चाहिए।

In the evening, my grandmother used to cook for everybody. That time she would send me to the granary at the back of the house where the red rice was stored. I would again fill up the bucket with as much rice as she wanted and get it for her to cook our dinner.

This went on for many years. When I was a little older, I asked my grandparents a question that had been bothering me for long.

‘Why should we eat the red rice always at the night when it is not so good, and give those poor – people the better quality rice?’

My grandmother Krishtakka smiled and told me something I will never forget in my life.

(इन द ईवनिंग, माई ग्रैण्डमदर यूज्ड टू कुक फॉर एवरीबडी. दैट टाईम शी वुड सेण्ड मी टू द ग्रैनरी ऐट द बैक ऑफ द हाऊज़ व्हेअर द रेड राईस वॉज़ स्टोर्ड. आई वुड अगेन फिल अप द बकिट विद ऐज़ मच राईस ऐज़ शी वाण्टिड ऐण्ड गैट इट फॉर हर टू कुक आवर डिनर.

दिस वेण्ट ऑन फॉर मैनी यीअर्स. व्हेन आई वॉज़ अलिटल ओल्डर, आई आस्क्ड माई ग्रैण्डपेरेण्ट्स अक्वेश्चन दैट हैड बीन बॉदरिंग मी फॉर लॉन्ग.

‘व्हाई शुड वी ईट द रेड राईस ऑलवेज़ ऐट नाईट व्हेन इट इज़ नॉट सो गुड ऐण्ड गिव दोज़ पूअर पीपल द बैटर क्वालिटी राईस?’

माई ग्रैण्डमदर क्रिश्टक्का स्माईल्ड एण्ड टोल्ड मी समथिंग आई विल नेवर फॉरगेट इन माई लाईफ.)

अनुवाद :
शाम को मेरी दादी सबके लिए खाना बनाती थीं। उस समय वे मुझे घर के पीछे वाले धान्यागार में भेजती थीं जहाँ लाल वाले चावल रखे जाते थे। मैं फिर से उस छोटी बाल्टी को भरती थी जितना वे कहती थीं उतने चावलों से और उनको देती थी हमारे लिए खाना बनाने के लिए। ऐसा वर्षों तक चलता रहा। जब मैं थोड़ी बड़ी हुई तो मैंने अपने दादा-दादी से एक प्रश्न पूछा जो कि बहुत समय से मुझे परेशान कर रहा था।

‘हम लोग हमेशा लाल वाले चावल क्यों खाते हैं रात में जबकि वे कुछ खास अच्छे नहीं हैं, और उन गरीब लोगों को अच्छी किस्म वाले चावल देते हैं?’

मेरी दादी क्रिश्टक्का मुस्कराई और मुझे ऐसा कुछ कहा जिसे मैं अपने जीवन में कभी भूल नहीं सकती।

“Child, whenever you want to give something to somebody, give the best in you, never the second best. That is what I have learned from life. God is not there in the temple, mosque or church. He is with the people. If you serve them with whatever you have, you have served God.’

My grandfather answered my question in a different way.

Our ancestors have taught us in the Vedas that one should:
Donate with kind words.
Donate with happiness.
Donate with sincerity.
Donate only to the needy
.

(चाईल्ड, व्हेनएवर यू वॉण्ट टू गिव समथिंग टू समबडी, गिव द बेस्ट इन यू, नेवर द सेकण्ड बेस्ट. दैट एज़ व्हॉट आई हैव लर्ड फ्रॉम लाईफ. गॉड इज़ नॉट देयर इन द टेम्पल, मॉस्क
ऑर चर्च. ही इज़ विद द पीपल. इफ यू सर्व देम विद व्हॉटएवर यू हैव, यू हैव सर्ल्ड गॉड.

माई ग्रैण्डफादर आन्सर्ड माई क्वेश्चन इन अ डिफरण्ट वे. आवर एन्सेस्टर्स हैव टॉट अस इन द वेदाज़ दैट वन शुडः

डोनेट विद काईण्ड वर्ड्स. डोनेट विद हैप्पीनेस. डोनेट विद सिन्सेयरिटी. डोनेट ओन्ली टू द नीडी.)

अनुवाद :
बेटी, जब भी तुम किसी को कुछ देना चाहो तो अपना सर्वश्रेष्ठ देना कभी भी उससे कम वाला नहीं। मैंने यही जीवन से सीखा है। ईश्वर मन्दिर, मस्जिद या गिरिजाघर में नहीं है। वे लोगों में है। यदि तुम लोगों की सेवा करो जो कुछ भी तुम्हारे पास है उससे, तो वो ईश्वर की सेवा होगी।’

मेरे दादाजी ने मेरे प्रश्न का उत्तर अलग प्रकार से दिया।

हमारे पूर्वजों ने वेदों में हमें सिखाया है कि हमें
नम्र सम्वेदनापूर्ण शब्दों के साथ दान देना चाहिए।
प्रसन्नता के साथ दान चाहिए।
नेकनीयती के साथ दान देना चाहिए।
केवल जरूरतमंदों को दान देना चाहिए।

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Donate without expectation because it is not a gift. It is a duty.
Donate with your wife’s consent.
Donate to other people without making your dependents helpless.
Donate without caring for caste, creed and religion.
Donate so that the receiver prospers.

This lesson from my grandparents, told to me when I was just a little girl, has stayed with me ever since. If at all I am helping anyone today, it is because of the teachings by those simple souls; I did not learn them in any school or college.

(डोनेट विदआउट एक्स्पेक्टेशन बिकॉज़ इट इज नॉट अ गिफ्ट. इट इज अ ड्यूटी.
डोनेट विद यॉर वाईफ्स कान्सेण्ट
डोनेट टू अदर पीपल विदाऊट मेकिंग यॉर डिपेण्डेण्ट्स हैल्पलेस.
डोनेट विदाऊट केअरिंग फॉर कास्ट, क्रीड ऐण्ड रिलीजन.
डोनेट सो दैट द रिसीवर प्रॉस्पर्स.

दिस लैसन फ्रॉम माई ग्रैण्डपेरेण्ट्स, टोल्ड टू मी व्हेन आई वॉज़ जस्ट अ लिटल गर्ल, हैज़ स्टेड विद मी एवर सिन्स. इफ ऐट ऑल आई ऐम हैल्पिंग एनीवन टुडे, इट इज बिकॉज़ ऑफ द टीचिंग्स बाई दोज़ सिम्पल सोल्स; आई डिड नॉट लर्न देम इन एनी स्कूल और कॉलेज.)

अनुवाद :
हमें बिना किसी अपेक्षा के दान देना चाहिए क्योंकि यह कोई उपहार नहीं है। यह एक कर्त्तव्य है। हमें अपनी पत्नी की सहमति से दान देना चाहिए। हमें दूसरों को दान देना चाहिए परन्तु स्वयं पर आश्रित लोगों को असहाय स्थिति में लाए बिना। हमें जाति, धर्म, सम्प्रदाय की चिन्ता किए बिना दान देना चाहिए।

हमें दान देना चाहिए ताकि पाने वाले की तरक्की हो, ऊपर उठे। दादा-दादी से मिली यह शिक्षा जो मुझसे तब कही गई थी जब मैं एक छोटी सी लड़की थी मेरे साथ तभी से है। यदि आज मैं किसी की सहायता कर रही हूँ तो उन बेहद सीधी-साधी आत्माओं की शिक्षाओं के कारण। मैंने यह किसी विद्यालय या कॉलेज में नहीं सीखा।


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