MP Board Class 10th English Book Solutions The Rainbow, The Spring Blossom Chapter-3 Salutation to the Nation NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.
MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 3 Salutation to the Nation
A. Use the following words in your own sentences.
(निम्न शाब्दों से वाक्य बनाइए)
Answer:
treacherous – The treacherous acts of Raj created a barrier in our friendship.
jovial mood – Our class teacher was in jovial mood today.
reluctant – Mohan was reluctant to go to his friend’s birthday party.
embrace – When Ram stood first in the class his father embraced him.
flock – A large flock gathered at the accident spot.
B. Give one word for the following expressions.
(एक शब्द दीजिए)
Answer:
a room for one or more prisoners in a prison or police station. – dungeon
the act of killing somebody especially · as a legal punishment. – execution
a person who suffers very much or is killed because of their religious political beliefs. – martyr
a word or phrase that is easy to remember, used by politicians, advertisers etc. in order to attract people’s attention. – slogan
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How Much Have I Understood?
A. Answer the following questions. (One or two sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।)
Question 1.
Who is known as Shaheed-e-Azam?
(हू इज़ नोन एज़ शहीद-ए-आजम?)
शहीद-ए-आजम के नाम से कौन जाना जाता है?
Answer:
Bhagat Singh is known as Shaheed-eAzam.
(भगतसिंह इज़ नोन एज़ शहीद-ए-आजम।)
भगतसिंह को शहीद-ए-आजम के नाम से जाना जाता है।
Question 2.
Name three patriots who sacrificed their lives for the freedom of motherland, same day at Lahore.
(नेम थ्री पेट्रिअट्स हू सैक्रिफाइस्ड देअर लाइव्स फॉर द फ्रीडम ऑफ मदरलैण्ड, सेम डे एट लाहौर.)
तीन क्रान्तिकारियों के नाम लिखिए जिन्होंने मातृभूमि की आजादी के लिए एक साथ लाहौर में आत्मबलिदान दिया।
Answer:
Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru were the three patriots who sacrificed their lives for the freedom of motherland, same day at Lahore.
(भगतसिंह, सुखदेव एण्ड राजगुरु वर दी थ्री पेट्रिअट्स हू सैक्रिफाइस्ड देअर लाइव्स फॉर द फ्रीडम ऑफ मदरलैण्ड, सेम डे एट लाहौर.)
भगतसिंह, सुखदेव व राजगुरु तीन क्रान्तिकारी थे जिन्होंने अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए एक साथ लाहौर में आत्मबलिदान दिया।
Question 3.
Bhagat Singh said, “One revolutionary is meeting another revolutionary”. Who was the other revolutionary?
(भगतसिंह सेड, “वन रिवॉल्यूशनरी इज़ मीटिंग एनदर रिवॉल्यूशनरी।” हू वॉज़ द अदर रिवॉल्यूशनरी?)
भगतसिंह ने कहा, “एक क्रान्तिकारी दूसरे क्रान्तिकारी से मुलाकात कर रहा है।” दूसरा क्रान्तिकारी कौन था?
Answer:
The other revolutionary was Lenin, whose biography Bhagat Singh was reading.
(द अदर रिवॉल्यूशनरी वॉज़ लेनिन, हूज़ बायोग्राफी भगत सिंह वॉज़ रीडिंग.)
दूसरा क्रान्तिकारी लेनिन था, जिसकी आत्मकथा भगत सिंह पढ़ रहे थे।
Question 4.
What slogans were raised by the three revolutionaries?
(व्हॉट स्लोगन्स वर रेज्ड बाइ द थ्री रिवॉल्यूशनरीज़?)
तीनों क्रान्तिकारियों द्वारा क्या नारे लगाये गये?
Answer:
The three revolutionaries raised the slogan, ‘Inqualab Zindabad, Samrajyavad Murdabad’.
(द थ्री रिवॉल्यूशनरीज़ रेज्ड द स्लोगन, ‘इंकलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’।)
तीनों क्रान्तिकारियों ने नारा लगाया, ‘इंकलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद।’
Question 5.
What did the Britishers do with the bodies of the three revolutionaries?
(व्हॉट डिड द ब्रिटिशर्स डू विद द बॉडीज़ ऑफ द थ्री रिवॉल्यूशनरीज़?)
अंग्रेजों ने तीनों क्रान्तिकारियों के शरीर के साथ क्या किया?
Answer:
The Britishers mercilessly chopped off the bodies of the three revolutionaries, filled them in the sacks and carried them to the bank of the river Sutlej at Ferozpur. Kerosene was spilled over them and set ablaze in the most cruel manner.
(द ब्रिटिशर्स मसीलेसली चॉप्ड ऑफ द बॉडीज़ ऑफ द थ्री रिवॉल्यूशनरीज़, फिल्ड् देम इन द सैक्स एण्ड कैरिड देम टू द बैंक ऑफ द रिवर सतलज एट फिरोजपुर कैरोसीन वॉज़ स्पिल्ड् ओवर देम एण्ड सेट अब्लेज़ इन द मोस्ट क्रूअल मैनर।)
अंग्रेजों ने तीनों क्रान्तिकारियों के मृत शरीरों को काटकर, बोरों में भरा व फिरोजपुर में सतलज नदी के तट पर ले गए। उन पर मिट्टी का तेल छिड़ककर अत्यन्त क्रूरतापूर्वक जलाया।
Question 6.
What did Mahatma Gandhi say on the death of Bhagat Singh?
(व्हॉट डिड महात्मा गाँधी से ऑन द डेथ ऑफ भगत सिंह?)
महात्मा गाँधी ने भगतसिंह की मृत्यु पर क्या कहा?
Answer:
Mahatma Gandhi on the death of Bhagat Singh said, “It has increased our power for winning freedom for which Bhagat Singh and his comrades died.”
(महात्मा गाँधी ऑन द डेथ ऑफ भगतसिंह सेड, “इट हैज़ इंक्रीप्ड अवर पावर फॉर विनिंग फ्रीडम फॉर व्हिच भगत सिंह एण्ड हिज़ कॉमरेड्स डाइड।”)
महात्मा गाँधी ने भगतसिंह की मृत्यु पर कहा, “भगत सिंह व उनके साथियों की मृत्यु ने हमारी स्वतन्त्रता पाने की क्षमता को बढ़ा दिया है।”
Question 7.
What did Bhagat Singh say to the Deputy Commissioner of Lahore?
(व्हॉट डिड भगतसिंह से टू द डैप्यूटी कमिश्नर ऑफ लाहौर?)
भगतसिंह ने लाहौर के डैप्यूटी कमिश्नर से क्या कहा?
Answer:
Bhagat Singh said to the Deputy Commissioner that he was fortunate to be able to see how Indian revolutionaries can embrace death with pleasure for the sake of their supreme ideal.
(भगतसिंह टू द डैप्यूटी कमिश्नर दैट ही वॉज़ फॉरच्यूनेट टू बी एबल टू सी हाउ इण्डियन रिवॉल्यूशनरीज़ कैन एम्बेस डेथ विद प्लैज़र फॉर द सेक ऑफ देअर सुप्रीम आइडियल.)
भगतसिंह ने डैप्यूटी कमिश्नर से कहा कि वह सौभाग्यशाली है कि वह देख पा रहा है कि किस प्रकार भारतीय क्रान्तिकारी खुशी-खुशी अपनी मातृभूमि के लिए मृत्यु को गले लगा सकते हैं।
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B. Answer the following questions. (Three or four sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में दीजिए।)
Question 1.
What did the three revolutionaries do while going towards the place of execution?
(व्हॉट डिड द थ्री रिवॉल्यूशनरीज़ डू व्हाइल गोइंग टुवर्ड्स। द प्लेस ऑफ एग्जीक्यूशन?)
तीनों क्रान्तिकारियों ने फाँसी के तख्ने तक जाते हुए क्या किया?
Answer:
The three revolutionaries sang patriotic songs and moved towards the place of execution steadily and stood boldly. They raised the slogan, “Inqualab Zindabad, Samrajyavad Murdabad’.
(द थ्री रिवॉल्यूशनरीज़ सँग पैट्रिऑटिक साँग्स एण्ड मूव्ड टुवर्ड्स द प्लेस ऑफ एग्जीक्यूशन स्टैडिली एण्ड स्टुड बोल्डली। दे रेज्ड द स्लोगन, ‘इंकलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद.)
तीनों क्रान्तिकारी निर्भीकता से देशप्रेम के गीत गाते हुए फाँसी के तख्ते की तरफ बढ़े। उन्होंने नारा लगाया, ‘इंकलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद।’
Question 2.
Describe how the three revolutionaries embraced death for the cause of India’s freedom.
(डिस्क्राइब हाउ द थ्री रिवॉल्यूशनरीज़ एम्ब्रेस्ड डेथ फॉर द कॉज़ ऑफ इण्डियाज़ फ्रीडम.)
तीनों क्रान्तिकारियों ने भारत की स्वतन्त्रता के लिए किस प्रकार मृत्यु को गले लगाया इसका वर्णन करो।
Answer:
The three revolutionaries refused to get executed with their faces covered, wear the cap and get handcuffed. They walked along singing patriotic songs in a jovial mood. They raised the slogan, ‘Inqualab zindabad, Samrajyavad Murdabad’ loudly, pulled the hangman’s rope, kissed it and put it round their necks and faced death boldly.
(द थ्री रिवॉल्यूशनरीज़ रिफ्यूज्ड टू गेट एग्जीक्यूटिड विद देयर फेसेस कवर्ड, वेयर द कैप एण्ड गेट हैण्डकपड। दे वॉक्ड अलौग सिंगिंग पेट्रिऑटिक साँग्स इन अ जोविअल मूड। दे रेज्ड द स्लोगन, ‘इंकलाब ज़िन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’ लाऊड्ली, पुल्ड् द हैंगमैन्स रोप, किस्ड् इट एण्ड पुट इट राउण्ड देयर नेक्स एण्ड फेस्ट डेथ बोल्डली.)
तीनों क्रान्तिकारियों ने मुँह ढंककर व बेड़ियाँ लगवाकर फाँसी लगवाने से मना कर दिया। वे खुशी होकर देशप्रेम के गीत गाते हुए फाँसी के तख्ते की तरफ बढ़े। उन्होंने नारा लगाया, ‘इंकलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’, फाँसी की रस्सी खींची, उसे चूमा व अपनी गर्दन में लपेटकर निर्भीकता से मृत्यु को गले लगाया।
Question 3.
How did Bhagat Singh’s parents react at the execution of their beloved son?
(हाउ डिड भगतसिंह ‘स् पेरेन्ट्स रिएक्ट एट द एग्जीक्यूशन ऑफ देयर बिलवड सन?)
भगतसिंह के माता-पिता ने अपने पुत्र की फाँसी पर क्या प्रतिक्रिया जताई?
Answer:
Bhagat Singh’s parents reacted boldly at the execution of their beloved son. His father, Sardar Kishan Singh drove away the crowd from the place of execution and went alone with a few people to fetch his dead body. He did not want that other innocent people may revolt and be shot dead along with his son.
(भगतसिंह ‘स् पेरेन्ट्स रिएक्टिड बोल्डलि एट द एग्जीक्यूशन ऑफ देयर बिलव्ड सन। हिज़ फादर, सरदार किशन सिंह ड्रोव अवे द क्राऊड फ्रॉम द प्लेस ऑफ एग्जीक्यूशन एण्ड वेन्ट् अलोन विद अ फ्यू पीपल टू फेच हिज़ डेड बॉडी। ही डिड नॉट वॉन्ट् दैट अदर इनोसेन्ट पीप्ल् मे रिवोल्ट एण्ड बी शॉट डेड अलाँग विद हिज़ सन।)
भगतसिंह के माता-पिता ने अपने प्रिय पुत्र की फाँसी पर निर्भीक प्रतिक्रिया जताई। उनके पिता, सरदार किशन सिंह भीड़ को फाँसी की जगह से दूर ले गए और कुछ ही लोगों के साथ उसका शव लेने गए। वे नहीं चाहते थे कि दूसरे मासूम लोग जोश में आयें व अपनी जान गँवाएँ।
Question 4.
What did Sardar Kishan Singh do to avoid any untoward incident?
(व्हॉट डिड सरदार किशन सिंह डू टू एवॉइड एनी अनटुवर्ड इन्सीडेन्ट?)
सरदार किशन सिंह ने किसी अनचाही घटना से बचने के लिए क्या किया?
Answer:
Sardar Kishan Singh drove away the crowd from the place of execution to avoid any untoward incident. He also went to fetch his son’s dead body only with a few people.
(सरदार किशन सिंह ड्रोव अबे द क्राऊड फ्रॉम द प्लेस ऑफ एग्जीक्यूशन टू एवॉइड. एनी अनटुवर्ड इन्सीडेन्ट ही ऑल्सो वेन्ट टू फेच हिज़ सन्स डेड बॉडी ओनलि विद अ फ्यू पीप्ल.)
सरदार किशन सिंह किसी अनचाही घटना से बचने के लिए भीड़ को फाँसी की जगह से दूर ले गए। वे अपने पुत्र के शव को लेने भी कुछ ही व्यक्तियों के साथ गए।
Question 5.
What did the village people do when they heard the news of Bhagat Singh’s execution?
(व्हॉट डिड द विलेज पीपल ड्र व्हेन दे हर्ड द न्यूज़ ऑफ भगतसिंह’ स् एग्जीक्यूशन?)
गाँव के लोगों ने भगतसिंह की मृत्यु की खबर सुनने पर क्या किया?
Answer:
When the village people heard that Bhagat Singh’s dead body has been chopped and burnt in a heartless manner by the Britishers they reached the place in the neighbouring village with torches. The English officers threw the shreds of the bodies in the river water and ran away. The humble villagers gathered the shreds of the half burnt bodies from the river and performed the last rites with full devotion and love.
(व्हेन द विलेज पीप्ल् हर्ड दैट भगतसिंह’स् डेड बॉडी हैज़ बीन चॉप्ड् एण्ड बर्ट इन अ हार्टलेस मैनर बाइ द ब्रिटिशर्स दे रीच् द प्लेस इन द नेबरिंग विलेज विद टॉर्चेस. द इंग्लिश ऑफिसर्स श्रू द श्रेड्स् ऑफ द बॉडीज़ इन द रिवर वॉटर एण्ड रैन अवे. दहम्बल विलेजर्स गैदर्ड द श्रेड्स् ऑफ द हाफ बर्ट बॉडीज़ फ्रॉम द रिवर एण्ड परफॉर्ड द लास्ट राइट्स विद फुल डिवोशन एण्ड लव.)
जब गाँव वालों ने सुना कि भगतसिंह का शव अंग्रेजों द्वारा पास के गाँव में क्रूरता से काटकर जलाया गया है तो वह वहाँ लालटेन लेकर पहुँच गये। अंग्रेजों ने उन्हें देखकर शव के टुकड़े नदी में फेंक दिये व भाग गये। गाँव वालों ने नदी में से उनके शरीर के अधजले टुकड़े एकत्रित किये व उनका पूर्ण श्रद्धा व प्रेम से अन्तिम संस्कार किया।
Question 6.
How did Mahatma Gandhi and Pandit Jawaharlal Nehru pay tribute to Shaheed-eAzam?
(हाउ डिड महात्मा गाँधी एण्ड पण्डित जवाहरलाल नेहरू पे ट्रिब्यूट टू शहीद-ए-आज़म?)
महात्मा गाँधी व पं. जवाहरलाल नेहरू ने शहीद-ए-आज़म को किस प्रकार श्रद्धांजलि दी?
Answer:
Mahatma Gandhi in his tribute to Bhagat Singh said, “It has increased our power for winning freedom for which Bhagat Singh and his comrades died”. Pandit Jawaharlal Nehru said, “Their magnificent courage and sacrifice has been an inspiration to the youth of India.”
(महात्मा गाँधी इन हिज़ ट्रिब्यूट टू भगतसिंह सेड, “इट हैज़ इंक्रीज्ड् आवर पावर फॉर विनिंग फ्रीडम फॉर व्हिच भगत सिंह एण्ड हिज़ कॉमरेड्स डाइड” पण्डित जवाहरलाल नेहरू सेड, “देयर मैग्नीफिसेन्ट करेज एण्ड सैक्रिफाइस हैज़ बीन एन इन्स्पिरेशन टू द यूथ ऑफ इण्डिया.”)
महात्मा गाँधी ने भगतसिंह को अपनी श्रद्धांजलि में कहा कि, “भगतसिंह व उनके साथियों की मृत्यु ने हमारी स्वतन्त्रता प्राप्ति की क्षमता को बढ़ा दिया है।” पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने कहा, “उनकी बहादुरी व बलिदान ने भारत के युवाओं को प्रेरणा दी है।”
Question 7.
We got the freedom after a lot of struggle and many sacrifices. What should we do to maintain the freedom of our nation?
(वी गॉट द फ्रीडम आफ्टर अ लॉट ऑफ़ स्ट्रगल एण्ड मैनी सैक्रिफाइसेस। व्हॉट शुड वी डू टू मेन्टेन द फ्रीडम ऑफ अवर नेशन?)
हमें काफी संषर्घ व बलिदान के बाद स्वतन्त्रता मिली है। हमें अपनी स्वतन्त्रता को बरकरार रखने के लिए क्या करना चाहिए?
Answer:
We have got freedom after a lot of struggle and many sacrifices. We should maintain it by serving our country and being honest in our deeds. By being good citizens and contributing in its progress we can remain independent.
(वी हैव गॉट फ्रीडम आफ्टर अ लॉट ऑफ स्ट्रगल एण्ड मैनी सैक्रिफाइसेस वी शुड मेन्टेन इट बाइ सर्विंग आवर कण्ट्री एण्ड बीइंग ऑनेस्ट इन आवर डीड्स् बाइ बीइंग गुड सिटीजन्स एण्ड कॉन्ट्रिब्यूटिंग इन इट्स् प्रोग्रेस वी कैन रिमेन इन्डिपेन्डेन्ट.)
हमें बहुत संघर्ष के पश्चात् आज़ादी मिली है। हम उसे अपने देश की सेवा करके, अपने कार्यों में ईमानदार रहकर, अच्छे नागरिक बनकर व उसके विकास में योगदान देकर बरकरार रख सकते हैं।
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C. Choose the correct alternative and fill in the blanks.
(रिक्त स्थान भरो।)
- Rajguru and Sukhdev refused to…………
(i) go to the gallows
(ii) get their faces covered
(iii) be hanged
(iv) to come out of their cells.
Answer:
(ii) get their faces covered - Bhagat Singh called the magistrate ………
(i) unfortunate
(ii) fortunate
(iii) lucky
(iv) unlucky.
Answer:
(ii) fortunate - The Britishers took the dead bodies of the revolutionaries to the bank of the river …………
(i) Sutlej
(ii) Ganga
(iii) Yamuna
(iv) Narmada
Answer:
(i) Sutlej - By offering his supreme sacrifice to his motherland Bhagat Singh became a symbol of ………..
(i) progress
(ii) love
(iii) patriotism
(iv) kindness.
Answer:
(iii) patriotism
Language Practice
A. Fill in the blanks with past continuous form of the verbs given in brackets.
(रिक्त स्थान भरो।)
The revolutionaries ………. (sing) a patriotic song.
The crowd ……… (raise) loud slogAnswer:
Bhagat Singh ………. (stand) between Rajguru and Sukhdev.
Sardar Kishan Singh ………… (deliver) his speech.
The people ………… (not, move) from their place.
Answer:
were singing
was raising
was standing
was delivering
were not moving.
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B. Combine the pairs of sentences using past perfect tense to express the earlier action or event.
(निम्न वाक्यों को जोड़े।)
- (a) The sun rose.
(b) I woke up some time later.
Answer:
When I woke up, the sun had already rose. - (a) The fire burnt down all the huts.
(b) The fire brigade arrived later.
Answer:
When the fire brigade arrived, the fire had already burnt down all the huts. - (a) I did not see him for many years.
(b) I did not recognize him at once.
Answer:
I did not recognize him at once since I had not seen him for many years. - (a) The match began at 10 a.m.
(b) The spectators packed the stadium at 9 a.m.
Answer:
When the match began the spectators had already packed the stadium. - (a) The teacher said they could go home.
(b) They did not complete the assignment.
Answer:
Since they did not complete the assignment, the teacher asked them to go home.
C. Fill in the blanks using correct form of the verbs.
(रिक्त स्थान भरो।)
By the time, the doctor …………. (arrive), the patient ……… (die).
We ………….. (understand) the poem after the teacher ………… (explain).
When we ……… (reach) the cinema hall, the film …….. (begin).
Mother ………… (make) tea when we ………… (wake) up
I thought you ………… (submit) your application by the due date.
Answer:
arrived, had died
understood, had explained
reached, had begun
made, woke
had submitted.
Listening Time
The teacher will read out the following words and students will repeat them :
(निम्न शब्दों को पढ़ो।)
Answer:
MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 3 Salutation to the Nation 1
Speaking Time
Frame sentences on seeing the pictures given in the text carefully.
(पुस्तक में दी गई तस्वीरों को देखकर वाक्य बनाइए।)
Answer:
Students can frame the sentences as follows:
Rajesh is waking up at 6 o’clock in the morning.
He is brushing his teeth.
His mother is serving him breakfast.
He is then going to school.
The teacher is teaching him mathematics in the school.
He is playing football in the games period.
He is playing flute under the tree after the school.
He is taking dinner with his father.
He is then watching T. V.
Mother is giving him milk to drink.
He is brushing his teeth at night.
He is going to bed at night.
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Writing Time
Write a message to your mother. You can’t wait till 3 p.m. as you have to go to play a match. You are Shantanu.
(अपनी मॉं के नाम सन्देश लिखो)
Answer:
11 December, 2007
Ma, Got your message. I am sorry I won’t be able to wait till 3 p.m. as I have to go to play a football match. I will be back by 6 p.m. Bye.
Shantanu
Things to do
A. Collect the pictures of some martyrs and write about them in the given format.
(कुछ शहीदों के चित्र एकत्रित करो व उनके विषय में दिए गए प्रकार से लिखो।)
Answer:
Students may themselves find the pictures of some martyrs and collect information about them.(छात्र स्वयं करें।)
B. Collect some patriotic slogans:
(कुछ क्रान्तिकारी नारे लिखो।)
Answer:
Students should do it themselves.
(छात्र स्वयं करें।)
Salutation to the Nation Difficult Word Meanings
Dungeon (डन्जन)-a dark underground room used as a prison (अन्धकारपूर्ण तहखाना जो कारागार के रूप में काम अता है); Hurl (हले)-to throw something/ somebody violently in a particular direction (जोर से कुछ फेंकना); Jovial (जोविअल)- very cheerful and friendly (प्रसन्नचित); Reluctant (रिलक्टेन्ट)hesitating before doing something because you do not want to do it or because you are not sure that it is the right thing to do (कोई कार्य करने को अनिच्छुक); Untoward (अनटुवर्ड)-unusual and unexpected and usually unpleasant (अप्रत्याशित, दुर्भाग्यपूर्ण); Gallows (गैलोज़)-a structure on which people (criminals) are killed by hanging (फाँसी देने का लकड़ी का ढांचा); Embrace (एम्बेस)- to put your arms around somebody as a sign of love or friendship; to accept something (here death) with enthusiasm (गले लगाना); Delirious (डेलिरिअस)-in an excited state – and not able to think or speak clearly (अत्यन्त उत्तेजित व प्रसन्न); Budge (बज)-to move slightly (धीरे से चलना); Treacherous (ट्रेचरस) – that cannot be trusted (अविश्वसनीय); Sack (सैक)-a large bag (एक बड़ा थैला); Flock (फ्लॉक)-to go or gather together somewhere in large numbers (व्यक्तियों का बहुत बड़ा झुण्ड); Shred (श्रेड)-a small thin piece that has been torn or cut from something (कपड़े का दुकड़ा)
Salutation to the Nation Summary, Pronunciation & Translation
Bhagat Singh was busy reading the biography of Lenin. In fact, he had just read a few pages when the door of the dungeon opened and let in a jail officer.
“Sardarji, please be ready, we have been ordered to carry out the execution,” said the officer.
Bhagat Singh was reading the book; he told the officer without raising his eyes from the book, “Wait, one revolutionary is meeting another revolutionary.”
The officer was stunned by the tone of Bhagat Singh’s voice and stood still.
(भगतसिंह वॉज़ विज़ी रीडिंग द बायोग्राफी ऑफ लेनिन. इन फैक्ट, ही हैड जस्ट रेड : अ फियु पेजिस व्हेन द डोर ऑफ द डन्जिअन ओपन्ड ऐण्ड लेट इन अ जेल ऑफिसर.
“सरदारजी, प्लीज बी रेडी, बी हैव बीन ऑर्डर्ड टू कैरी आऊट द एक्जिक्यूशन” सेड द ऑफिसर.
भगतसिंह वॉज़ रीडिंग द बुक; ही टोल्ड द ऑफिसर विदाऊट रेजिंग हिज़ आईज, फ्रॉम द बुक, “वेट, वन रिवोल्युशनरी इज़ मीटिंग एनदर रिवोल्युशनरी।”
द ऑफिसर वॉज़ स्टन्ड बाई द टोन ऑफ भगतसिंहज़ वॉयस एण्ड स्टुड स्टिल.)
अनुवाद :
भगतसिंह लेनिन की जीवनी पढ़ने में व्यस्त थे। असल में उन्होंने बस कुछ ही पृष्ठ पढ़े थे जब काल कोठरी का दरवाजा खुला और जेल अधिकारी अन्दर आया।
“सरदारजी, कृपया तैयार हो जाइए। हमें आदेश मिला है कि आपको फाँसी दे दी जाए” अधिकारी ने कहा।
भगतसिंह जीवनी पढ़ रहे थे; उन्होंने बिना आँखें उठाए (अधिकारी की तरफ देखे बिना) अधिकारी से कहा, “रुको, अभी एक क्रान्तिकारी दूसरे क्रान्तिकारी से मिल रहा है।”
अधिकारी उनके लहजे से अवाक रह गया और चुपचाप खड़ा हो गया।
Bhagat Singh resumed reading the book. All of a sudden he hurled the book in the air, stood forth and said, “Let’s go!”
Rajguru and Sukhdev also came out of their cells. They had refused to get their faces covered, wear the cap and get handcuffed.
The three revolutionaries walked along singing a patriotic song in a jovial mood and were followed by the jail officials on all sides.
(भगतसिंह रिज्यूम्ड रीडिंग द बुक. ऑल ऑफ अ सडन ही हल्ड द बुक इन द एयर, स्टुड फॉर्थ ऐण्ड सेड, “लैट्स गो!”
राजगुरु ऐण्ड सुखदेव ऑल्सो केम आऊट ऑफ देयर सेल्स दे हैड रिफ्यूज्ड टू गैट देयर फेसिस कवर्ड, वीयर द कैप ऐण्ड गैट हैण्डकपड.
द थ्री रिवोल्युशनरीज़ वॉक्ड अलौंग सिंगिंग अ पैट्रियोटिक सॉन्ग इन अ जोवियल मूड ऐण्ड वर फौलोड बाई द जेल ऑफिशियल्स ऑन ऑल साइड्स.)
अनुवाद :
भगतसिंह पुनः पुस्तक पढ़ने लगे। अचानक उन्होंने पुस्तक को हवा में उछाल दिया, झटके से खड़े हुए और बोले “चलो चलें!”
राजगुरु और सुखदेव भी अपनी-अपनी कोठरियों से बाहर आ गए। उन्होंने अपने चेहरों को ढकने, टोपी पहनने और हाथों में हथकड़ियाँ डलवाने से इन्कार कर दिया था।
तीनों क्रान्तिकारी बड़े प्रसन्नचित्त अन्दाज़ में देशभक्ति का गीत गाते हुए चल रहे थे और उनके पीछे-पीछे जेल अधिकारी चल रहे थे उनको घेरे में लिए हुए।
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A huge crowd had assembled at the gate consisting of photographers, reporters, the public and the members of Bhagat Singh’s family.
The crowd was becoming unmanageable, loud slogans were being raised both inside and outside the jail. Bhagat Singh’s father, Sardar Kishan Singh, realized that the police might fire at or lathi-charge the people any moment and many innocent people would die.
(अ यूज क्राऊड हैड असेम्बल्ड ऐट द गेट कन्सिसटिंग। ऑफ फोटोग्राफर्स, रिपोर्टर्स, द पब्लिक ऐण्ड द मेम्बर्स ऑफ। भगतसिंहज़ फैमिली.
दक्राऊड वॉज़ विकमिंग अनमैनेजेबल, लाऊड स्लोगन्स वर बीईंग रेज्ड बोथ इन्साईड ऐण्ड आऊटसाईड द जेल.भगतसिंहज़ फादर, सरदार किशन सिंह, रियलाईज्ड दैट द पुलिस माईट फायर ऐट और लाठी-चार्ज द पीपल ऐनी मोमेण्ट एण्ड मैनी एनोसेण्ट पीपल वुड डाई.)
अनुवाद :
जेल (कारागार) के द्वार पर विशाल भीड़ जमा हो चुकी थी। फोटोग्राफर, रिपोर्टर, भगतसिंह के परिवार के लोग तथा आम जनता के लोग।
भीड़ को संभाल पाना मुश्किल होता जा रहा था। ऊँची आवाज़ में नारे लग रहे थे जेल के अन्दर भी और बाहर भी। भगतसिंह के पिताजी सरदार किशन सिंह जी को यह एहसास हो गया कि पुलिस किसी भी वक्त गोली चला सकती है अथवा लाठी चार्ज कर सकती है और बहुत से बेकसूर लोग मारे जाएँगे।
He aksed his wife, “Let us go, lest some misfortune should befall the harmless, innocent people.”
Bhagat Singh’s mother was reluctant to leave place but she had to give in to her husband’s plea.
Sardar Kishan Singh managed to drive away the crowd a little further from the gate to avoid some untoward incident and started delivering a speech to divert their mind from the gallows.
(ही आस्क्ड हिज़ वाईफ़ “लैट अस गो, लेस्ट सम मिस्फॉरचून शुड बिफॉल द हार्मलैस, इनोसेण्ट पीपल.”
भगतसिंहज़ मदर वॉज़ रिलक्टैण्ट टू लीव द प्लेस बट शी हैड टू गिव इन टू हर हस्बैण्ड्स प्ली.
सरदार किशन सिंह मैनेज्ड टू ड्राईव अवे द क्राऊड अ लिटल फर्दर फ्रॉम द गेट टू अवॉइड सब अन्टुवर्ड इन्सिडेण्ट ऐण्ड स्टार्टिड डेलिवरिंग अ स्पीच टू डाईवर्ट देयर माईन्ड फ्रॉम द गैलोज़.)
अनुवाद :
उन्होंने अपनी पत्नी से कहा “हमें चले जाना चाहिए इससे पहले कि निरीह बेकसूर लोगों पर दुर्भाग्य टूट पड़े।”
भगतसिंह की माँ वहाँ से जाना नहीं चाहती थीं परन्तु अन्ततोगत्वा उन्होंने अपने पति की दलील मान ली।
सरदार किशन सिंह जी भीड़ को जेल के दरवाजे से थोड़ा अलग ले जाने में सफल हो गए। किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो तथा लोगों का ध्यान फाँसी से हटाने के लिए उन्होंने एक भाषण देना शुरू किया।
The wardon proceeded towards the platform with the three valiant revolutionaries. The Deputy Commissioner of Lahore was surprised and terrified to see that the convicts were not shackled. Bhagat Singh read the fear in his eyes and said, “Well, Mr. Magistrate, you are fortunate to be able to see how Indian revolutionaries can embrace death with pleasure for the sake of their supreme ideal.”
Bhagat Singh, along with Sukhdev and Rajguru, climbed the stairs of the platform steadily and stood boldly.
Bhagat Singh stood in the centre with Sukhdev on his left and Rajguru on his right.
(द वार्डन प्रोसीडिड टुवर्ड्स द प्लैटफॉर्म विद द थ्री वैलियण्ट रिवॉल्युशनरीज़. द डेप्युटि कमिश्नर ऑफ लाहौर वॉज़ सरप्राईज्ड ऐण्ड टेरिफाईड टू सी दैट कन्विक्ट्स वर नॉट शैकल्ड. भगतसिंह रेड द फीयर इन हिज़ आईज़ ऐण्ड सेड, “वैल मिस्टर मैजिस्ट्रेट, यू आर फॉरचुनेट टू बी एबल टू सी हाऊ इण्डियन रिवॉल्युशनरीज़ कैन एम्ब्रेस डेथ विद प्लेज़र फॉर द सेक ऑफ देयर सुप्रीम आईडियल.”
भगत सिंह, अलॉन्ग विद सुखदेव एण्ड राजगुरु, क्लाइम्बड द स्टेअर्स ऑफ द प्लैटफॉर्म स्टेडिली ऐण्ड स्टुड बोल्डली।
भगतसिंह स्टुड इन द सेण्टर विद सुखदेव ऑन हिज़ लेफ्ट ऐण्ड राजगुरू ऑन हिज़ राईट.)
अनुवाद :
जेलर तीनों बहादुर क्रान्तिकारियों के साथ फाँसी के लिए बने चबूतरे की तरफ बढ़ने लगा। लाहौर के उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) तीनों को हथकड़ी के बिना देखकर हैरान और भयभीत थे। भगतसिंह ने उनकी आँखों में डर देख लिया और कहा “मैजिस्ट्रेट महोदय आप बहुत भाग्यशाली हैं क्योंकि आप यह देख पा रहे हैं कि कैसे भारतीय क्रान्तिकारी अपने उच्चतम आदर्शों की खातिर खुशी-खुशी मौत को गले लगा सकते हैं।”
सुखदेव और राजगुरु के साथ भगतसिंह चबूतरे की सीड़ियाँ सधे कदमों के साथ चढ़ गए और तीनों निडर भाव से खड़े हो गए।
भगतसिंह बीच में खड़े हुए, उनकी बायीं ओर सुखदेव और दाहिनी तरफ राजगुरु।
They raised the slogan ‘Inqualab Zindabad, Samrajyavad Murdabad’ in a loud, clear and distinct voice, pulled the hangman’s rope, kissed it and put it round their necks. Bhagat Singh told the hangman, “Now you may set it right, if you please.”
The hangman, who must have been a very tough man, was moved to the core of his heart. He set the rope around the necks of the noble and brave young men with tears welling in his eyes and turned the spindle.
(दे रेज्ड द स्लोगन ‘इन्कलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’ इन अ लाऊड, क्लीयर ऐण्ड डिस्टिंक्ट वॉयस, पुल्ड द हैंगमैन्स रोप, किस्ड इट ऐण्ड पुट इट राऊण्ड देयर नेक्स. भगतसिंह टोल्ड द हैंगमैन, “नाऊ यू मे सेट इट राईट, इफ यू प्लीज़.”
द हैंगमैन, हू मस्ट हैव बीन अ वेरी टफ मैन, वॉज़ मूव्ड टू द कोर ऑफ हिज़ हार्ट. ही सेट द रोप अराऊण्ड द नेक्स ऑफ द नोबल ऐण्ड ब्रेव यंग मेन विद टीयर्स वेलिंग इन हिज़ आईज़ ऐण्ड टन्ड द स्पिन्डल)
अनुवाद :
उन्होंने ऊँची, साफ और स्पष्ट आवाज़ में नारा लगाया ‘इन्कलाब ज़िन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’फिर जल्लाद के हाथ से फांसी का फंदा लेकर उनको चूमा और अपने-अपने गलों में डाल लिया। भगतसिंह ने जल्लाद से कहा “अब तुम इन फंदों को सही कर सकते हो यदि उचित समझो तो।”
जल्लाद जो कि एक सख्त कठोर व्यक्ति रहा होगा विचलित और द्रवित हो उठा। अश्रुपूरित नेत्रों से उसने तीनों बहादुर युवाओं के गलों में पड़े फंदों को सही किया और तख्ता सरकाने वाली तकली को घुमा दिया।
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The board fell and the three revolutionaries offered their homage to their motherland with their lives at 7.33 in the evening.
Sardar Kishan Singh was on the verge of losing his nerve. He continued delivering his speech in a delirious manner, when the milkman ran towards them and gave the dreaded news that the execution was over.
(द बोर्ड फेल ऐण्ड द थ्री रिवोल्युशनरीज़ ऑफर्ड देयर होमेज टू देयर मदरलैण्ड विद देयर लाईव्स ऐट 7.33 (सेवन थर्टी थ्री) इन द ईवनिंग.
सरदार, किशन सिंह वॉज़ ऑन द वर्ज ऑफ लूजिंग हिज़ नर्व. ही कन्टिन्यूड डेलिवरिंग हिज़ स्पीच इन अ डेलिरियस मैनर, व्हेन द मिल्कमैन रैन टुवर्ड्स देम ऐण्ड गेव द ड्रैडिड न्यूज़ दैट द एक्ज़िक्यूशन वॉज़ ओवर।)
अनुवाद :
फाँसी का तख्ता सरक गया और तीनों क्रान्तिकारियों ने अपनी मातृभूमि को अपनी अन्तिम श्रद्धान्जलि अपने जीवन के रूप में शाम सात बजकर तैतीस मिनट पर प्रदान की।
सरदार किशन सिंह जी अपना धैर्य और मानसिक सन्तुलन खोने के कगार पर थे। वे बिल्कुल उन्मादी अवस्था में लगातार भाषण दिए जा रहे थे, जब दूधवाला दौड़कर उनको फाँसी हो चुकी है यह खबर देने आया।
Sardar Kishan Singh announced to the crowd, “Bhagat Singh has been executed. I am going to fetch his body. None of you should budge from here. I don’t wish that in taking away the body of Bhagat Singh I shall have to take away many more.”
Sardar Kishan Singh went ahead with a heavy heart with a few people and knocked at the gate. The gate of the jail was not opened. Continuous knocking went unheeded.
The police officers were heard laughing loudly inside the gate.
Someone came and whispered, informing them that the bodies had been taken away through another gate.
(सरदार किशन सिंह अनाऊन्सड टू द क्राऊड, “भगत सिंह हैज़ बीन एक्जिक्यूटिड. आई ऐम गोईंग टू फेच हिज़ बॉडी. नन ऑफ यू शुड बज फ्रॉम हिअर. आई डोण्ट विश दैट इन टेकिंग अवे द बॉडी ऑफ भगतसिंह आई शैल हैव टू टेक अवे मैनी मोर.”
सरदार किशन सिंह वेण्ट अहेड विद अ हैवी हार्ट विद अ फ्यू पीपल ऐण्ड नॉक्ड ऐट द गेट. द गेट ऑफ द जेल वॉज़ नॉट ओपन्ड. कन्टिन्यूअस नॉकिंग वेण्ट अनहीडिड.
द पुलिस ऑफिसर्स वर हर्ड लाफिंग लाऊड्ली इन्साइड द गेट।
समवन केम ऐण्ड ह्विस्पर्ड, इन्फॉर्मिंग देम दैट द बॉडीज़ हैड बीन टेकन अवे श्रू ऐनदर गेट.)
अनुवाद :
सरदार किशन सिंह जी ने भीड़ को सम्बोधित कर कहा “भगतसिंह को फाँसी दे दी गई है। मैं उनके पार्थिव शरीर को लेने जा रहा हूँ। आप लोगों में से कोई भी यहाँ से हिलना नहीं चाहिए। मैं नहीं चाहता कि भगतसिंह के शव के साथ मुझे और भी शवों को अपने साथ ले जाना पड़े।”
सरदार किशन सिंह जी कुछ लोगों के साथ लेकर भारी हृदय से आगे बढ़े और जेल के दरवाजे पर जाकर दस्तक दी। जेल का दरवाज़ा नहीं खुला। लगातार खटखटाना बेकार गया।
पुलिस अधिकारियों के जेल के अन्दर से ज़ोर-ज़ोर से हँसने की आवाज़ आ रही थी।
कोई आया 3 धीमी आवाज़ में बुदबुदाकर यह सूचना दी कि शवों को दूसरे द्वार से ले जाया जा चुका है।
The British were bent upon their treacherous way. The bodies of the valiant leaders were mercilessly chopped off, filled in the sacks and carried away to the bank of the river Sutlej at Ferozepur through a back gate. The last rites were to be performed by a Sikh granthi and a Hindu pandit.
The sacks containing the parts of the bodies were taken off the truck. Kerosene was spilled over them and set ablaze in the most cruel and heartless manner.
When the news reached the neighbouring village, the people flocked to the sacred spot carrying torches with them.
The English officers saw the approaching crowd and threw away the half burnt shreds of the bodies into the river-water, sat in the truck and sped away to save their lives.
(द ब्रिटिश वर बेन्ट अपॉन देयर ट्रैचरस वे. द बॉडीज़ ऑफ द वैलिएण्ट लीडर्स वर मरसिलैसली चॉप्ड ऑफ, फिल्ड इन द सैक्स ऐण्ड कैरिड अवे टू द बैंक ऑफ द रिवर सतलज ऐट फिरोज़पुर श्रू अ बैक गेट. द लॉस्ट राईट्स वर टू बी परफॉर्ड बाई अ सिक्ख ग्रन्थी ऐण्ड अ हिन्दु पण्डित।
द सैक्स कन्टेनिंग द पार्ट्स ऑफ द बॉडीज़ वर टेकन ऑफ द ट्रक. केरोसिन वॉज़ स्पिल्ड ओवर देम ऐण्ड सेट अब्लेज़ इन द मोस्ट क्रूएल ऐण्ड हार्टलैस मैनर.
व्हेन द न्यूज़ रीच्ड द नेबरिंग विलेज, द पीपल फ्लॉक्ड टू द सेकरेड स्पॉट कैरीईंग टॉर्चेस विद दैम.
द इंग्लिश ऑफिसर्स सॉद अप्रोचिंग क्राऊड ऐण्ड थ्रियु अवे द हाफ बर्ट ग्रैड्स ऑफ द बॉडीज़ इन्टू द रिवर-वॉटर, सैट इन द ट्रक ऐण्ड स्पेड अवे टू सेव देयर लाईव्ज.)
अनुवाद :
अंग्रेज़ पूरी तरह से अमानवीय कपटपूर्ण तरीकों पर उतरे हुए थे। उन बहादुर क्रान्तिकारी योद्धाओं के शवों के निर्ममतापूर्वक टुकड़े किए गए, फिर बोरों में भरकर पिछले दरवाजे से फिरोज़पुर में सतलज नदी के घाट पर ले जाया गया। अन्तिम क्रिया एक सिक्ख ग्रन्थी व एक हिन्दू पण्डित द्वारा की जानी थी।
शवों के टुकड़ों वाले बोरों को ट्रक से उतारा गया। उन पर मिट्टी का तेल छिड़का गया और अत्यन्त क्रूर एवं निर्मम तरीके से आग लगा दी गई।
जब “यह खबर पास के गाँव में पहुँची तो लोग हाथों में मशालें ले-लेकर उस पवित्र स्थल की तरफ आने लगे।
अंग्रेज़ अफसरों ने आती हुई भीड़ को देखकर अधजले शवों के टुकड़ों को नदी में फेंक दिया और ट्रक में बैठकर अपनी जान बचाने को भाग लिए।
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The humble villagers gathered the shreds of the half burnt bodies from the river and performed the last rites with full devotion and love.
In this way the great martyr Bhagat Singh happily embraced death to liberate his motherland and became immortal in the hearts of Indians. He was 24 when he was executed. He became a legendary hero for the masses. Innumerable songs were composed about him, and the youth throughout the country made him their ideal. He became a symbol of bravery and inspired the people to free India.
(द हम्बल विलेजर्स गैदर्ड द शैड्स ऑफ द हाफ बर्ट बॉडीज़ फ्रॉम द रिवर ऐण्ड परफॉर्ड द लास्ट राईट्स विद फुल डिवोशन ऐण्ड लव.
इन दिस वे द ग्रेट मार्टर भगत सिंह हैप्पिली ऐम्ब्रेस्ड डेथ टू लिबरेट हिज़ मदरलैण्ड ऐण्ड बिकेम इम्मॉर्टल इन द हार्ट्स ऑफ इण्डियन्स. ही वॉज़ ट्वेन्टी फोर व्हेन ही वॉज़ ऐक्जिक्यूटिड. ही बिकेम अ लेजेण्डरी हीरो फॉर द मासिस इन्नयुमिरेबल सॉन्ग्स वर कम्पोज्ड अबाऊट हिम, ऐण्ड द यूथ श्रूआऊट द कंट्री मेड हिम देयर आइडीयल ही बिकेम अ सिम्बल ऑफ ब्रेवरी ऐण्ड इन्स्पायर्ड द पीपल टू फ्री इण्डिया.)
अनुवाद :
सरल हृदयी गाँव वालों ने नदी में अधजले शवों के टुकड़ों को निकालकर इकट्ठा किया और पूर्ण श्रद्धा व प्रेम के साथ उनकी अन्त्येष्टि की।
इस तरह महान शहीद भगतसिंह ने मातृभूमि को दासता से मुक्त कराने के लिए हँसते-हँसते मौत को गले लगा लिया और भारतीयों के हृदयों में अमर हो गये। वह केवल चौबीस वर्ष के थे जब उनको फाँसी दी गई। वह आम जनता के लिए एक प्रसिद्ध नायक बन गए। उनकी यशगाथा का बखान करने वाले अनेक गीत रचे गए और सम्पूर्ण देश के युवाओं ने उन्हें अपना आदर्श मान लिया। वह बहादुरी का प्रतीक बन गए और लोगों को भारत को आज़ाद कराने के लिए प्रेरित किया।
Bhagat Singh is justly remembered as ‘Shaheede-Azam’ by his grateful countrymen for making the supremę sacrifice. He infused life into the youth and became their hero. “It has increased our power for winning freedom for which Bhagat Singh and his comrades died,” said Mahatma Gandhi: “Their magnificent courage and sacrifice has been an-inspiration to the youth of India,” said Pandit Jawaharlal Nehru, the then president of the Indian National Congress, in his tribute, “These valiant young men died so that India may live.”
(भगतसिंह इज़ जस्टलि रिमेम्बर्ड ऐज़ ‘शहीद-ए-आजम’ बाई हिज़ ग्रेटफुल कंट्रीमेन फॉर मेकिंग द सुप्रीम सैक्रिफाईस. ही इन्फ्यूज्ड लाईफ इन्टू द यूथ ऐण्ड बिकेम देयर हीरो “इट हैज़ इन्क्रीज्ड आवर पावर फॉर विनिंग फ्रीडम फॉर व्हिच, भगतसिंह ऐण्ड हिज़ कॉमरेड्स डाईड,” सेड महात्मा गाँधी. “देयर मैग्निफिसेन्ट करेज एण्ड सेक्रिफाईस हैज बीन ऐन इन्सपिरेशन ट्र द यूथ ऑफ इण्डिया,” सेड पण्डित जवाहरलाल नेहरु, द देन प्रेसीडेण्ट ऑफ द इण्डियन नेशनल कांग्रेस, इन हिज़ ट्रिब्यूट, “दीज़ वैलिएण्ट यंग मैन डाईड सो दैट इण्डिया मे लिव.”)
अनुवाद :
भगतसिंह को उनके सर्वोच्च त्याग के कारण ‘शहीद-ए-आज़म’ के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने भारत के युवाओं में जीवन का संचरण किया और उनके आदर्श बन गए। महात्मा गांधी ने कहा “भगतसिंह और उनके साथियों की शहादत ने आज़ादी हासिल करने की हमारी शक्ति को बढ़ा दिया है।” पण्डित जवाहरलाल नेहरू जो उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे ने कहा, ” उनकी बेमिसाल बहादुरी और त्याग भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। ये बहादुर युवा इसलिए मरे ताकि भारत ज़िन्दा रहे।”