MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 12 हँसिए और स्वस्थ रहिए

MP Board Class 10th Hindi Book Solutions हिंदी Chapter 12 हँसिए और स्वस्थ रहिए- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 12 हँसिए और स्वस्थ रहिए

प्रश्न 1.
हास्य से कौन-सा हार्मोन्स सावित होता है?
उत्तर
हास्य से कोरेलामिन्स हार्मोन्स होता है।

प्रश्न 2.
तनाव के कारण कौन-कौन से रोग उत्पन्न होते हैं?
उत्तर
तनाव के कारण उच्च रक्तचाप, सिरदर्द, पेप्टिक अल्सर, हृदय रोग आदि उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 3.
देर तक हँसते रहने से मनुष्य का चेहरा लाल क्यों हो जाता है?
उत्तर
देर तक हँसते रहने से रक्तवाहिनी नलिकाओं पर रक्त हृदय तक पहुँचने से मार्ग में कई जगह रुकता है। इसलिए देर तक हँसते रहने से मनुष्य का चेहरा लाल हो जाता है।

प्रश्न 4.
डॉ. कटारिया ने कितने प्रकार के हास्य-व्यायाम ईजाद किए हैं?
उत्तर
डॉ. कटारिया ने लगभग 30 प्रकार के हास्य व्यायाम ईजाद किए हैं।

प्रश्न 5.
दीर्घ जीवन के मुख्य सूत्र क्या हैं?
उत्तर
मुस्कराना, हँसना, खिलखिलाकर ठहाके लगाना, शारीरिक स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन का स्वर्णिम सूत्र हैं।

प्रश्न 6.
मुक्त हास्य से क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर
मुक्त हास्य से अनेक लाभ हैं। इससे परस्पर निकटता आती है। आत्मीयता के बंधन प्रगाढ़ बनते हैं और तनावों से मक्ति मिल जाती है।

हँसिए और स्वस्थ रहिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अति व्यस्तता ने मानव-जीवन को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर
खिलखिलाहटों की खनकती गूंज इन दिनों कहीं खो-सी गई है। कृत्रिम सभ्यता ने मनुष्य की नींद व चैन हराम करके रख दिया है। अपनी अस्त-व्यस्तता में उसे किसी चीज के लिए फुरसत नहीं है। अगर फुरसत मिलती भी है, तो सिर्फ तनाव, चिंता एवं उद्विग्नता के लिए इसकी परिणति यह है कि शरीर भाँति-भाँति के रोगों से ग्रसित और मन तरह-तरह के शारीरिक विकारों से व्यथित है।

प्रश्न 2.
हँसी का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर
हँसी का स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। इससे चेहरे की काँति बढ़ती है। शरीर का संतुलन ठीक होता है साथ ही पित्त का शमन होता है जो कि एसिडिटी का प्रमुख कारण है। इस तरह ठहाकों भरी हँसी से अस्त रोग का स्वयमेव खात्मा हो जाता है।

प्रश्न 3.
प्रसन्न व्यक्ति की ओर लोग क्यों आकर्षित होते हैं?
उत्तर
प्रसन्नचित्त व्यक्ति को देखकर लोग प्रसन्न होते हैं, उसकी ओर आकर्षित होते हैं, उसकी मैत्री प्राप्त करना चाहते हैं। प्रसन्नता एक आध्यात्मिक वृत्ति है, एक दैवी चेतना है। इसका आश्रय ग्रहण करने वाले के सारे शोक-संताप भाग जाते हैं। प्रमुदित मन और प्रसन्नचित्त व्यक्ति के पास बैठकर लोग अपना दुःख-दर्द भूल जाते हैं, सुख और सन्तोष का अनुभव करते हैं। मुदितात्मा व्यक्ति देवदूत होता है, संसार का कलुष दूर करने वाला होता है।

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प्रश्न 4.
‘खिलता मानव-जीवन का भीषण अभिशाप है’ कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
प्रस्तुत कथन अप्रसन्न, उदास और खिन्न रहने वाले व्यक्ति के प्रति है। इसके द्वारा लेखक ने यह स्पष्ट करना चाहा है कि इस प्रकार के व्यक्ति की सारी शक्तियाँ कमजोर पड़ जाती हैं। वे विषाद (शोक) उत्पन्न करने वाली स्थिति में एक ऐसी तपन उत्पन्न कर देती हैं कि उससे जीवन के सारे उपयोगी जल जाते हैं। फलस्वरूप जीवन भयंकर अभिशाप में बदल जाता है।

प्रश्न 5.
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मुस्कुराना क्यों आवश्यक है?
उत्तर
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मुस्कुराना आवश्यक है। यह इसलिए कि इससे बात कहकर सामने वाले व्यक्ति को हम जितना प्रभावित कर सकते हैं, उतना अन्य किसी उपाय से नहीं। मुस्कान में एक प्रकार का सम्मोहन होता है, जिसकी तुलना और किसी से नहीं की जा सकती है।

हँसिए और स्वस्थ रहिए भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, और आगत शब्दों को छाँटकर लिखिए
नींद, अनुसंधान, हँसी, माइग्रेन, राहत, सन्तुलन, विध्वंसक, अनुशासन, फुरसत।

उत्तर
तत्सम शब्द – अनुसंधान, सन्तुलन, विध्वसंक, अनुसंधान
तद्भव शब्द – नींद, हँसी
आगत शब्द – माइग्रेन, राहत, फुरसत।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित संधियों का विग्रह कीजिए
स्वासोच्छवास, विषादोत्पादक, विरोधाभास, मुदितात्मक।
उत्तर
संघि – विग्रह
स्वासोच्छवास – श्वास + उछ्वास
विषादोत्पादक – विषाद + उत्पादक
विरोधाभास – विरोध + आभास
मुदितात्मक – मुदित + आत्मक।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को पहचानकर सही निशान लगाइए
(क) मुस्कान में एक प्रकार का सम्मोहन होता है, जिसकी समानता किसी अन्य से नहीं की जा सकती है। (मिश्र वाक्य/संयुक्त वाक्य)
(ख) हँसने से मस्तिष्क को उत्प्रेरणा मिलती है। (सरल वाक्य/संयुक्त वाक्य)
(ग) प्रसन्नचित्त व्यक्ति की ओर लोग आकर्षित होते हैं और उसकी मैत्री प्राप्त करना चाहते थे। (संयुक्त वाक्य/मिश्र वाक्य)
(घ) शिवेश काल भोपाल नहीं जाएगा। (निषेघवाचक वाक्य/प्रश्नवाचक वाक्य)
(ङ) ईश्वर करें, आप शीघ्र स्वस्थ हो जाएँ। (संकेतवाचक वाक्य/इच्छावाचक वाक्य)
उत्तर
(क) मिश्रवाक्य
(ख) सरल वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) निषेधवाचक वाक्य
(ङ) इच्छावाचक वाक्य

हँसिए और स्वस्थ रहिए योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1. अपने हमउम्र साथियों का एक ‘हास्य-क्लब’ तैयार कीजिए और प्रतिदिन कुछ समय हास्य-व्यायाम कीजिए।
प्रश्न 2. दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले हास्य कार्यक्रमों को देखिए और सुनिए।
प्रश्न 3. हास्य पत्र-पत्रिकाएँ एवं अन्य कार्टून चित्र-कथाओं को पढ़िए।

उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

हँसिए और स्वस्थ रहिए परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘हँसिए और स्वस्थ रहिए’ निबंध का प्रतिपाय लिखिए।
उत्तर
‘हँसिए और स्वस्थ रहिए’ निबंध हँसी के महत्त्व और प्रभाव को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है-लेखक का मानना है कि हँसी मनुष्य के लिए वरदान है। बुद्धि, विद्या, स्वास्थ्य, प्रसन्नता और सामाजिक आबाद हँसी के माध्यम से सहज ही उपलब्ध हो जाते हैं। इस निबंध में हँसी के बहुआयामी लाभों को प्रकट किया गया है। लेखक की वैज्ञानिक दृष्टि इस निबंध में अधिक उपयोगी है। इसलिए हँसी के महत्त्व को वैज्ञानिक आलोक में प्रकट किया गया है। हँसने से शरीर की काँति बढ़ती है। इसके द्वारा अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है। हँसी मस्तिष्क को उत्प्रेरणा देती है। यह एक थेरेपी है, इस थेरेपी के स्रोत प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान में भी प्राप्त होते हैं। आज जब हम अनेक तनावों के बीच जी रहे हैं, तब हँसी हमारे लिए सर्वसुलभ महाऔषधि है। इसलिए आजकल हास्य क्लब भी बनाए जाते हैं। जीवन का आनंद पाने के लिए हँसना जरूरी है। इस तरह यह निबंध रुचिकर हो गया है और हँसी के अनेक पक्षों को प्रकट करने में समर्थ और सफल है।

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प्रश्न 2.
हँसी से मानसिक और शारीरिक तनाव किस प्रकार दूर होते हैं?
उत्तर
प्रतिदिन चार-पाँच किलोमीटर दौड़ने से जो व्यायाम होता है, और उससे जो शारीरिक क्षमता बढ़ती है, उतनी ही हँसी से बढ़ती है। हँसने से स्नायुओं को अपने-आप व्यायाम करने का अवसर मिलता है। इससे शारीरिक और मानसिक तनाव दूर हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
स्वयं हँसने और औरों को हँसाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर
स्वयं हँसने और औरों को हँसाने के अनेक लाभ हैं। इस तरह मुस्कुराना, हँसना, खिलखिलाकर ठहाके लगाना, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन का स्वर्णिम सूत्र है। हँसने का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है इसकी संक्रामकता। यदि हम हँसते हैं तो सारा जग हँसने लगता है। एक साथ हँसने से संबंधों की मलिनताएँ, दुर्भावनाएँ आदि घुल जाती हैं व आपसी संबंध अधिक सरस, विश्वसनीय व सुदृढ़ ‘ बनते हैं। जो कि सामाजिक जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। हँसने के लाभ अनेक हैं, लेकिन इनका यथार्थ परिचय तभी मिल सकता है जब अपने जीवन का यही एक सूत्र हो, खूब हँसेंगे औरों को भी हँसाएँगे। देखते-देखते तनाव कम होता जाएगा एवं दुनिया और रंगीन जीने योग्य नजर आएगी।

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए

  1. तनाव से मुक्ति ………….. संभव हैं। (औषधि से, हँसी की गूंज से)
  2. हँसने से चेहरे की ………….. बढ़ती है। (लालिमा, काँति)
  3. हँसती-हँसाती जिन्दगी तमाम रोगों की …………… दवा है। (अचूक, बड़ी)
  4. मुस्कान में एक प्रकार का …………… होता है। (बल, सम्मोहन)
  5. एक पुस्तक में लिखा है-‘नाराज होइए तो …………….. कर। (गंभीर हो, मुस्कुरा)
    उत्तर
    1-हँसी की गूंज से
  6. काँति
  7. अचूक
  8. सम्मोहन
  9. मुस्कुरा।

प्रश्न 5.
दिए गए कथनों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए।

  1. डॉक्टर कटारिया हँसोड़ कल्ब खोल चुके हैं
  2. 100
  3. 102
  4. 150
  5. 200
    उत्तर
  6. 150
  7. आज रोगों का कारण तनाव है
  8. 60 प्रतिशत
  9. 50 प्रतिशत
  10. 75 प्रतिशत
  11. 100 प्रतिशत
    उत्तर
  12. 60 प्रतिशत
  13. हँसने से राहत मिलती है
  14. पित्त से
  15. अपच से
  16. भूल से
  17. चिंता से।
    उत्तर
  18. पित्त से

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  1. झूले की आवाज निकालकर हँसना होता है
  2. सिंह हास में
  3. कपोत हास में
  4. हिंडोल हास में
  5. किसी में नहीं।
    उत्तर
  6. हिंडोल हास में
  7. खिन्नता मानव जीवन का है
  8. बर्बादी
  9. रोड़ा
  10. अभिशाप
  11. बंधन।
    उत्तर
    (3) अभिशाप।

प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान कीजिए।
उर्वशी – नरेंद्र शर्मा
चिंतामणि – डॉ. रामकुमार बेहार
बस्तर अरण्यक – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
हिम किरीटनी – रामचंद्र शुक्ल
प्रवासी के गीत – माखन लाल चतुर्वेदी
उत्तर
उर्वशी – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
चिंतामणि – रामचंद्र शुक्ल बस्तर
अरण्यक – डॉ. रामकुमार बेहार हिम
किरीटनी – माखनलाल चतुर्वेदी
प्रवासी के गीत – नरेंद्र शर्मा।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।

  1. डॉक्टर कटारिया विदेशी डॉक्टर हैं।
  2. डॉक्टर कटारिया ने हँसोड़ क्लब बनाया है।
  3. खिन्न रहने वाले व्यक्ति की सारी शक्तियाँ शिथिल हो जाती हैं।
  4. हँसने से पेट पर पड़ने वाला दबाव बढ़ जाता है।
  5. भोजन करते समय रोने वाले व्यक्ति की भूख बढ़ जाती है।
    उत्तर
  6. असत्य
  7. सत्य
  8. सत्य
  9. असत्य
  10. असत्य।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित कथनों का उत्तर एक शब्द में दीजिए

  1. किसने हास्य व्यायाम ईजाद किए हैं?
  2. डॉ. कटारिया क्या खोल चुके हैं?
  3. स्विट्जरलैण्ड और अमेरिका में किसको सराहा गया? .
  4. हम हँसते हैं तो कौन हँसने लगता है?
  5. अपनी ओर ध्यान दिलाने के लिए हम क्या करें?
    उत्तर
  6. डॉ. कटारिया ने
  7. हँसोड़ क्लब
  8. डॉ. कटारिया को
  9. संसार
  10. मुस्कुरायें।

हँसिए और स्वस्थ रहिए लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हँसने का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
उत्तर
हँसने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे हम जीवन का एक सूत्र मानकर खूब हँसें। दूसरों को भी हँसायें। इससे देखते-देखते तनाव कम हो जाएगा। सारी दुनिया और रंगीन जीने योग्य दिखाई देगी।

प्रश्न 2.
मानव-प्रकृति के वैज्ञानिकों का क्या मानना है?
उत्तर
मानव-प्रकृति के मर्मज्ञों का मानना है कि समस्या का शाश्वत निदान तभी संभव है जबकि मनुष्य तनावमुक्त हो सके और यह किसी औषधि से नहीं हँसी की गूंज से संभव है। ठहाकों भरी हँसी-खिलखिलाहटों की मधुर गूंज और आनंद बिखेरती मुस्कान, इन सभी समस्याओं की अचूक औषधि है।

प्रश्न 3.
किन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है?
उत्तर
ऐसे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जो लोग अधिक तनावग्रस्त होते हैं।

प्रश्न 4.
विभिन्न अनुसंधानों से वैज्ञानिकों ने क्या निष्कर्ष निकाला है?
उत्तर
विभिन्न अनुसंधानों से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि हँसने से मस्तिष्क को अप्रेरणा मिलती है।

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प्रश्न 5.
कौन व्यक्ति कभी स्वस्थ नहीं रह सकता है?
उत्तर
जो व्यक्ति घर के एक कोने में चारपाई पर पड़ा है। कोई उसकी ओर ध्यान नहीं देता। भोजन वस्त्रों की उसे कमी नहीं है। सब कुछ समय से मिल जाता है, पर उसकी बात कोई सुनता नहीं, कोई मानता नहीं। ऐसा व्यक्ति कभी स्वस्थ नहीं रह सकता है।

हँसिए और स्वस्थ रहिए कविता का सारांश

प्रस्तुत निबंध में निबंधकार ने आज के तनावग्रस्त माहौल पर चिंता व्यक्त किया है। इससे छुटकारा पाने के लिए हँसी की गूंज को आवश्यक बतलायां है। उसका यह मानना है कि इससे सभी प्रकार की मानसिक और शारीरिक समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। इसके प्रभाव और महत्त्व को केवल आज के ही वैज्ञानिक नहीं, अपितु प्राचीन ऋषिगण भी स्वीकारते रहे हैं। उनके अनुसार हास्य से लाभ-ही-लाभ हैं। इससे चेहरे की काँति बढ़ती है और शरीर का संतुलन ठीक रहता है। यही नहीं इससे पित्त का शमन भी हो जाता है। अम्ल रोग भी अपने-आप खत्म हो जाता है। हँसने से भोजन शीघ्र पचता है। हँसने से मस्तिष्क को उत्प्रेरणा मिलती है। हँसने से स्नायुओं को अपने-आप व्यायाम करने का अवसर मिलता है। इससे शारीरिक व मानसिक तनाव दूर होता है। इस प्रकार मुस्कराना, हँसना, खिलखिलाकर ठहाके लगाना, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और दीर्घायु जीवन का स्वर्णिम सूत्र है। सामाजिक जीवन में सफलता का मार्ग एक साथ हँसने से प्रशस्त होता है। उससे मलिनताएँ, दुर्भावनाएँ आदि दूर हो जाती हैं।

प्रसन्न व्यक्ति को सभी चाहते हैं। उसके साथ होने से सारे शोक-संताप दूर हो जाते हैं। इसके विपरीत अप्रसन्न, उदास और खिन्न रहने वाले व्यक्ति की सारी शक्तियाँ ढीली हो जाती हैं। इसलिए यदि आप व्यापारी, वक्ता, अध्यापक, उपदेशक, अधिकारी, या कर्मचारी जो कुछ भी हों, आप चाहते हैं कि आपकी ओर ध्यान दिया जाए, तो आप मुस्कराकर सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं, उतना अन्य किसी उपाय से नहीं। इसलिए आप कितने भी व्यस्त क्यों न हों. अपनी पत्नी-बच्चों के साथ हँसने-खिलखिलाने का बहाना अवश्य ढूँढ़ लें। इससे कुछ क्षण आत्मीयता के बँधनों को प्रगाढ़ बनाएं। यही नहीं ‘तनावों से मुक्ति प्रदान करके परिवार को स्वस्थ बनाए रखेगा।

हँसिए और स्वस्थ रहिए संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

(1) प्रसन्नचित्त व्यक्ति को देखकर लोग प्रसन्न होते हैं, उसकी ओर आकर्षित होते हैं, उसकी मैत्री प्राप्त करना चाहते हैं। प्रसन्नता एक आध्यात्मिक वृत्ति है, एक दैवी चेतना है। इसका आश्रय ग्रहण करने वाले के सारे शोक-संताप भाग जाते हैं। प्रमुदित मन और प्रसन्नचित्त व्यक्ति के पास बैठकर लोग अपना दुःख-दर्द भूल जाते हैं, सुख और संतोष का अनुभव करते हैं। मुदितात्मा व्यक्ति देवदूत होता है, संसार का कलुष दूर करने वाला होता है।

शब्दार्च-मैत्री-मित्रता। आध्यात्मिक-अध्यात्म से संबंधित, अथवा अध्यात्मक की। वृत्ति-चेतना। आश्रय-छाया। प्रमुदित-प्रसन्न। संताप-कष्ट। कलुष-दोष।

संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ 10वीं में संकलित ‘हँसिए और स्वस्थ रहिए’ शीर्षक से है।

प्रसंग-इसमें लेखक ने प्रसन्नचित्त व्यक्ति की विशेषता को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या-प्रसन्न हुए व्यक्ति का प्रभाव सुखद और आनन्ददायक होता है। उसे देखकर लोग सुख और सन्तोष का अनुभव करते हैं। उसकी ओर लोगबाग ध्यान देते हैं। उसके साथ रहना चाहते हैं। उसके प्रति सहयोग और मित्रता चाहते हैं। इस प्रकार प्रसन्नता एक आध्यात्मिक चेतना है। एक ईश्वरीय चेतना है। इस प्रकार के व्यक्ति के संपर्क या संगति में आने से बहुत बड़ा चमत्कार होता है। फलस्वरूप हर प्रकार के शोक-कष्ट दूर हो जाते हैं। प्रसन्नचित्त व्यक्ति का मन बड़ा प्रभावशाली होता है। प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति के पास रहने वाले लोग-बाग अपने सारे अभाव और परेशानियों से निजात पा लेते हैं। इससे वे सुख, आनन्द और संतोष का अनुभव करने लगते हैं। प्रसन्नचित्त व्यक्ति ईश्वरीय दूत के समान होता है, जो संसार के लोगों के दोषों और कमियों को दूर करने के लिए इस संसार में आता है।

विशेष-

प्रसन्नचित्त व्यक्ति की विशेषता प्रभावशाली रूप में है।
भाव सरल और सुस्पष्ट हैं।
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अर्यग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रसन्नचित्त व्यक्ति की क्या विशेषता होती है?
उत्तर
प्रसन्नचित्त व्यक्ति की बहुत बड़ी विशेषता होती है। उसे देखकर लोगबाग प्रसन्नता से झूम उठते हैं। उसकी ओर लटू होकर उसे दोस्ती करने की चाह करने लगते हैं।

प्रश्न 2.
प्रसन्नचित्त व्यक्ति का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर
प्रसन्नचित्त व्यक्ति का दूसरों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उस प्रभाव से उसके संपर्क में आने वाले लोगों के दुख-अभाव छू मंतर हो जाते हैं। उन्हें सुख और आनंद के हिलोरें आने लगते हैं। इस प्रकार प्रसन्नचित्त व्यक्ति दूसरे के दोषों को दूर करने वाला देवदूत के समान होता है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गयांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश में लेखक प्रसन्नचित्त व्यक्ति की असाधारण विशेषता को बहलाने का प्रयास किया है। इसके माध्यम से उसने यह स्पष्ट करना चाहा है कि प्रसन्नचित्त दूसरों को आकर्षित करके अपनी संगति में रख लेता है। फिर वह एक देवदूत के समान उनके कष्टों, अभावों और दोषों को दूर करने लगता है।

  1. अप्रसन्न, उदास तथा खिन्न रहने वाले व्यक्ति की सारी शक्तियाँ शिथिल हो जाती हैं। विषादोत्पादक स्थिति में एक ऐसी तपन होती है, जो मानवजीवन के सारे उपयोगी तत्त्वों को जला डालती है। खिन्नता मानव जीवन का भीषण अभिशाप है। यह.जीती-जागती नरक की भयानक ज्वाला की भाँति मनुष्य को दीन-हीन, दुःखी और दद्धि बनाकर रख देती है। जिसके चेहरे पर मुस्कान नहीं, हँसी नहीं, प्रसन्नता नहीं, कोई भी उसके पास बैठना, उसे याद करना, उसके संपर्क में रहना पसंद नहीं करता। हर आदमी उससे दूर भागता है, जिससे उसका जीवन एकाकीपन के भार से दबकर दुरुह बन जाता है।

शब्दार्च-खिन्न-दुखी। शिथिल-ढीली, कमजोर । विषादोत्पादक-शोक को उत्पन्न करने वाली। तपन-पीड़ा, गर्मी, जलन । भीषण-भयानका अभिशाप-लांक्षन, बड़ा दोष। दुरूह-कठिन।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने अप्रसन्न और उदास रहने वाले व्यक्तियों की अनुपयोगिता को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या-हमेशा अप्रसन्न, उदास और दुखी रहने वाला व्यक्ति की कार्यक्षमता बड़ी कमजोर होती है। फलस्वरूप उससे शोक उत्पन्न करने वाली ही दशाएँ सामने आती हैं। ये एक तपन के समान होती हैं। फलस्वरूप जीवन की अच्छाइयाँ और उपयोगी स्वरूप इनसे जल-जलकर समाप्त होने लगते हैं। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि दुखी रहना मानव की अच्छाई नहीं अपितु एक बहुत बड़ा दोष है। एक ऐसा बड़ा दोष है, जिससे मनुष्य का जीवन नरक की भयानक ज्वाला की तरह दीन-हीन, दुखी और अभावों से भरकर रह जाता है। इस प्रकार की स्थिति में कहीं भी हँसी, मुस्कान, प्रसन्नता के चिह बिलकुल नहीं दिखाई देते हैं। फिर ऐसी स्थिति में पड़े हुए व्यक्ति के पास रहना व उसे महत्त्व देना भला कौन चाहेगा? अर्थात् कोई भी नहीं। उससे तो सभी नफ़रत करने लगते हैं। इससे वह समाज में अकेला रह जाता है। उस अकेलापन के बोझ की नीचे वह दबकर रह जाता है।

विशेष-

अप्रसन्न व्यक्ति के दुष्प्रभाव को सामने रखा गया है।
संपूर्ण कथन स्वाभाविक और विश्वसनीय है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अप्रसन्न व्यक्ति की क्या विशेषता होती है?
उत्तर
अप्रसन्न व्यक्ति की शक्तियाँ कमजोर और मन्द होती हैं। फलस्वरूप वे जीवन को दुखद अभिशापग्रस्त बना डालती हैं।

प्रश्न 2.
अप्रसन्न व्यक्ति के क्या-क्या दुष्प्रभाव होते हैं?
उत्तर
अप्रसन्न व्यक्ति के अनेक दुष्प्रभाव होते हैं। कोई उसके पास न तो बैठना चाहता है और न उसे कोई याद ही करना चाहता है। इस प्रकार सभी उससे दूर ही रहना चाहते हैं। इस तरह वह समाज में अकेला रह जाता है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश में अप्रसन्न, उदास और खिन्न व्यक्तियों की विशेषता बतलाते हुए उनके दुष्प्रभाव को सामने रखा गया है। इसके माध्यम से लेखक ने ऐसे व्यक्तियों की निंदा करते हुए इनसे दूर रहने का संकेत भी किया है।


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