MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 9 ग्रामजीवनम्

MP Board Class 7th Sanskrit Book Solutions संस्कृत सुरभिः Chapte 9 ग्रामजीवनम्rNCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 9 ग्रामजीवनम्

प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) दीपेशः कं ग्रामं भ्रमणार्थम् अगच्छत्? [दीपेश कौन-से गाँव घूमने गया था?]

उत्तर:
रामपुर ग्राम

(ख) ग्रामीणानां व्यवहारः कथम् अस्ति? [ग्रामीणों का व्यवहार कैसा था?]
उत्तर:
सरलः प्रेमपूर्णश्च

(ग) देशस्य आधारः कः? [देश का आधार क्या है?]
उत्तर:
ग्रामः एव

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(घ) देशोन्नतिः कुत्र सन्निहिता? [देश की उन्नति किसमें समाहित है?]
उत्तर:
ग्रामोन्नतौ

(ङ) दीपेशस्य छात्रावासः कस्मिन् नगरे अस्ति? [दीपेश का छात्रावास किस नगर में स्थित है?]
उत्तर:
(ङ) इन्दौर नगरे।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) ग्रामं परितः किं किम् अस्ति? [गाँव के चारों ओर क्या-क्या है?]

उत्तर:
ग्रामं परितः कृषि भूमिः, गोचारणभूमिः, विभिन्नवृक्षाश्च सन्ति। [गाँव के चारों ओर खेती करने योग्य भूमि, चरागाह भूमि तथा अनेक तरह के वृक्ष हैं।]

(ख) ग्रामे के के पशवः सन्ति? [गाँव में कौन-कौन से पशु हैं?]
उत्तर:
ग्रामे धेनवः, महिष्यः, बलीवर्दादयः पशवः सन्ति। [गाँव में गायें, भैंस, बैल आदि पशु हैं।]

(ग) झिरीग्रामस्य महद् वैशिष्ट्यं किम्? [झिरीग्राम की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?]
उत्तर:
झिरीग्रामस्य इदं महद् वैशिष्ट्यं यत् प्रायः सर्वे जनाः संस्कृतेन एव भाषन्ते। [झिरी गाँव की यह बड़ी विशेषता है कि प्रायः सभी लोग संस्कृत में ही बोलते हैं।]

(घ) हट्टे विक्रेतारः किं किं विक्रीणन्ति? [हाट में विक्रेता क्या-क्या बेचते हैं?]
उत्तर:
हट्टे विक्रेतारः नित्योपयोगिवस्तुनि, हस्तशिल्पकला वस्तूनि, गोधूमचणकादिखाद्यवस्तूनि, गृहोपयोगिवस्तूनि विक्रीणन्ति।
[हाट में विक्रेता प्रतिदिन प्रयोग में आने वाली वस्तुएँ, हस्तशिल्पकला की वस्तुएँ, गेहूँ, चना आदि खाद्य वस्तुएँ, घर के उपयोग की वस्तुएँ बेचते हैं।]

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(ङ) कृषकाः कथं कृषिकर्म कुर्वन्ति? [किसान किस तरह खेती करते हैं?]
उत्तर:
कृषकाः तापंशीतं वृष्टिं सहित्वा कृषिकर्म कुर्वन्ति। [किसान गर्मी, जाड़ा और वर्षा को सहन करके कृषिकर्म करते हैं।]

प्रश्न 3.
रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न निर्माण करो-
(क) छात्रावासे स्थित्वा सम्यक् अध्ययनं करोमि।
(ख) मासिकमूल्याङ्कने भगिन्याः प्रथमस्थानम् स्यात्।
(ग) ग्रामं परितः कृषिभूमिः अस्ति।
(घ) वास्तविक भारतं नाम ग्राम एव।
(ङ) तैः सह मिलित्वा वार्तालापं कृतवन्तः।
उत्तर:
(क) कुत्र स्थित्वा सम्यक् अध्ययनं करोमि?
(ख) कस्मिन् भगिन्याः प्रथम स्थानम्?
(ग) कम् परितः कृषिभूमिः अस्ति?
(घ) वास्तविक भारतं नाम कः एव?
(ङ) तैः सह मिलित्वा किं कृतवन्तः?

प्रश्न 4.
पाठ के आधार पर क्त्वान्त पदों को लिखो-
(क) मिलति (मिल् + क्त्वा)
(ख) पश्यति (दृश + क्त्वा)
(ग) करोति (कृ + क्त्वा)
(घ) सहति (सह् + क्त्वा)
(ङ) स्मरति (स्मृ + क्त्वा)
(च) शृणोति (श्रु + क्त्वा)
(छ) गच्छति (गम् + क्त्वा)
(ज) पठति (पठ् + क्त्वा)।
उत्तर:
(क) मिलित्वा
(ख) दृष्ट्वा
(ग) कृत्वा
(घ) सहित्वा
(ङ) स्मृत्वा
(च) श्रुत्वा
(छ) गत्वा
(ज) पठित्वा।

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प्रश्न 5.
उदाहरण के अनुसार ल्यबन्त रूपों को लिखो
(क) उत् + स्था + ल्यप्
(ख) वि + की + ल्यप
(ग) स्वी + कृ + ल्यप्
(घ) प्र + क्षाल् + ल्यप्
(ङ) वि + चिन्त + ल्यप्
(च) वि + ज्ञा + ल्यप्
(छ) वि + लिख् + ल्यप्
(ज) उप + कृ + ल्यप्
(झ) आ + गम् + ल्यप्।
उत्तर:
(क) उत्थाप्य
(ख) विक्रीय
(ग) स्वीकृत्य
(घ) प्रक्षाल्य
(ङ) विचिन्त्य
(च) विज्ञाप्य
(छ) विलिख्य
(ज) उपकृत्य
(झ) आगम्य।

प्रश्न 6.
क्त्वा/ल्यप् के योग से वाक्यों को जोड़ो-
(क) बालकः फलं खादति। – दुग्धं पिबति।
(ख) कविः संस्कृतिं जानाति। – काव्यं लिखति।
(ग) ऋचा गृहम् आगच्छति। – गृहकार्य करोति।
(घ) अर्चकः देवालयं गच्छति। – पूजां करोति।
(ङ) माता शाकानि आनयति। – पाकं करोति।
(च) जनकः प्रभाते उत्तिष्ठति। – योगाभ्यासं करोति।
(छ) दीपेशः हस्तं प्रक्षालयति। – भोजनं करोति।
(ज) समिधा मनसि विचिन्तयति। – लेखं लिखति।
(झ) आराधना स्नानं करोति। – पूजां करोति।
(ञ) विक्रेता वस्तूनि विक्रीणाति। – धनं अर्जयति।
उत्तर:
(क) बालकः फलं खादित्वा दुग्धं पिबति।
(ख) कविः संस्कृतं ज्ञात्वा काव्यं लिखति।
(ग) ऋचा गृहम् गत्वा गृहकार्यं करोति।
(घ) अर्चकः देवालयं गत्वा पूजां करोति।
(ङ) माता शाकानि आनीय पाकं करोति।
(च) जनकः प्रभाते उत्थाय योगाभ्यासं करोति।
(छ) दीपेशः हस्तं प्रक्षाल्य भोजनं करोति।
(ज) समिधा मनसि विचिन्तय लेखं लिखति।
(झ) आराधना स्नानं कृत्वा पूजां करोति।
(ञ) विक्रेता वस्तूनि विक्रीय धनं अर्जयति।

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प्रश्न 7.
भिन्न प्रकृति वाले शब्द को चुनो-
(क) गत्वा, पठित्वा, भूत्वा, हसित्वा, पठितुम्।
(ख) दुग्धं, दधि, नवनीतं, तक्रम्, रोटिका।
(ग) भ्राता, भगिनी, माता, पिता, शिक्षकः।
(घ) काकः, कोकिलः, कपोतः, शुकः, मत्स्यः।
उत्तर:
(क) पठितुम्
(ख) रोटिका
(ग) शिक्षकः
(घ) मत्स्यः।

ग्रामजीवनम् हिन्दी अनुवाद

(पत्रवाहक द्वारघण्टिकां वादयति। दीपिका द्वारम् उद्घाट्य पत्रवाहकात् पत्रं स्वीकृत्य मातरं प्रसन्नतया वदति, “अम्ब! अम्ब! पश्य भ्रातुः पत्रम्” इति उक्त्वा मात्रे पत्रं ददाति। माता पत्रं पठति।)

छात्रावासः
उत्कृष्टविद्यालयः
इन्दौरनगरम्
दिनाङ्क-११-१०-०५

पूज्यमातृपितृचरणयोः
सादरं प्रणामाः।
अहम् अत्र कुशली अस्मि। छात्रावासे स्थित्वा सम्यक अध्ययनं करोमि। गृहे सर्वेषां कुशलं प्रार्थयामि। भवती स्वस्था भूत्वा पूर्ववत् गृहकार्याणि करोति इति ज्ञात्वा अहं सन्तुष्टः अस्मि। मासिकमूल्याङ्कने भगिन्याः प्रथमस्थानमेव स्यात् इति चिन्तयामि।

अनुवाद :
(पत्रवाहक (डाकिया) द्वार की घण्टी बजाता है। दीपिका द्वार खोलकर पत्रवाहक से पत्र लेकर माता को प्रसन्नतापूर्वक बतलाती है,”माँ ! माँ ! देखो भाई का पत्र” ऐसा कहकर माता को पत्र दे देती है। माता पत्र पढ़ती है।)

छात्रावास
उत्कृष्टविद्यालय
इन्दौर नगर
दिनांक-११-१०-०५

पूजनीय माता-पिता,
सादर प्रणाम।
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ। छात्रावास में रहकर ठीक तरह से अध्ययन करता हूँ। घर में सबकी कुशलता के लिए प्रार्थना करता हूँ। आप स्वस्थ होकर पहले की तरह घर के कार्यों को करती हो, यह जानकर मैं सन्तुष्ट हूँ। मासिक मूल्यांकन में बहन का पहला स्थान ही होगा-ऐसा मैं सोचता हूँ।

अहं विगतसप्ताहे अस्माकं विद्यालयस्य छात्रैः सह मिलित्वा रामपुरग्रामं भ्रमणार्थम् अगच्छम्। तं ग्रामं दृष्ट्वा अहम् अतिप्रसन्न अभवम्। ग्रामं परितः कृषिभूमिः, गोचारणभूमिः विभिन्नवृक्षाश्च सन्ति। ग्रामस्य पार्वे एका नदी प्रवहति। अतः अत्र शुद्धवायुः वहति। एषः ग्रामः नगरात् दूरे स्थित्वा औद्योगिकप्रदूषणात् रहितः अस्ति। अतः पशुपक्षिणः अत्र स्वच्छन्दतया विचरन्ति। अस्मिन् ग्रामे धेनवः महिष्यः बलीवर्दादयः बहवः पशवः सन्ति। अत्र ग्रामे जनाः प्रायः कृषिकार्यं कृत्वा सरलजीवनं यापयन्ति। परिश्रमशीला एते कृषकाः ताप शीतं वृष्टिं सहित्वा कृषिकर्म कुर्वन्ति । ग्रामीणानां व्यवहार सरलः प्रेमपूर्णश्च अस्ति।

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अनुवाद :
मैं पिछले सप्ताह अपने विद्यालय के छात्रों के साथ मिलकर रामपुर गाँव को घूमने के लिए गया था। उस गाँव को देखकर मैं बहुत प्रसन्न हुआ। गाँव के चारों ओर कृषि भूमि, पशुओं के चराने की भूमि (चरागाह) तथा अनेक प्रकार के वृक्ष हैं। गाँव के पास में एक नदी बहती है। अतः यहाँ शुद्ध हवा बहती है। यह गाँव नगर (शहर) से दूर स्थित होने के कारण औद्योगिक प्रदूषित से रहित है। इसलिए पशु-पक्षी यहाँ आजादी से विचरण करते हैं। इस गाँव में गायें, भैंस, बैल आदि बहुत से पशु हैं। यहाँ गाँव में लोग प्रायः कृषि कार्य करके सरल जीवन बिताते हैं। परिश्रम करने के स्वभाव वाले ये किसान गर्मी, जाड़ा और वर्षा को सहन करके खेती के काम को करते हैं। गाँववासियों का जीवन सरल और प्रेमपूर्ण है।

वयं तैः सह मिलित्वा वार्तालापं कृत्वा ग्रामजीवनविषये ज्ञातवन्तः। तत्र प्रभूतं दुग्धं, दधि, नवनीतं, हरितशाकानि, उष्णस्निग्धरोटिकाश्च खादित्वा हट्ट अगच्छाम। तस्मिन् साप्तहिकहट्टे विविधता: आपणाः भवन्ति। एतं हट्टम् आगत्य विक्रेतारः नित्योपयोगिवस्तूनि, हस्तशिल्पकलावस्तूनि, गोधूमचणकादिखाद्यवस्तूनि, गृहोपयोगिवस्तूनि च विक्रीय धनम् अर्जयन्ति। ग्रामवासिनः हट्टात् वस्तूनि स्वीकृत्य गच्छन्ति। कक्षायां पठितम् आसीत् यत् “अस्माकं देशः कृषिप्रधानः अस्ति, देशस्य अधिकाः जनाः ग्रामे वसन्ति, ग्रामः एव देशस्य आधारः” इति स्मृत्वा इदानीं ज्ञातं यत् “वास्तविकं भारतं नाम ग्राम एव, ग्रामोन्नती एव देशोन्नतिः सन्निहिता” इति।

भवतु, पत्रं समापयामि। ग्रीष्मावकाशे वयं सर्वे मिलित्वा समीपस्थं “झिरी” ग्रामं गत्वा तत्रत्यं प्राकृतिक सौन्दर्यं द्रक्ष्यामः। तस्य ग्रामस्य इदं महद् वैशिष्ट्यं यत् प्रायः सर्वे जनाः संस्कृतेन एव भाषनते। आगामिमासे मम अर्द्धवार्षिकपरीक्षा अस्ति। अन्यत् सर्वं शुभम्। सर्वेभ्यः पुनर्नमस्कार। पत्रोत्तरस्य प्रतीक्षारतः।

भवतः पुत्रः
दीपेशः

अनुवाद :
हमने उनके साथ मिलकर बातें करते हुए गाँव के जीवन के विषय में जानकारी ली। वहाँ बहुत-सा दूध, दही, मक्खन, हरी सब्जियाँ, गर्म चिकनी रोटियाँ खाकर हाट (पैंठ) को गये। उस साप्ताहिक हाट में (पैंठ में) अनेक प्रकार की दुकानें होती हैं। इस हाट में आकर विक्रेता (बेचने वाले) रोजाना के उपयोग में आने वाली वस्तुओं, हस्तशिल्पकला की वस्तुएँ, गेहूँ, चना आदि खाद्य वस्तुएँ और घर के उपयोग की वस्तुओं को बेचकर धन कमाते हैं। गाँव के निवासी हाट से वस्तुओं को अपने आप खरीदकर ले जाते हैं। कक्षा में पढ़ा था कि “हमारा देश कृषि प्रधान है, देश के अधिकतर लोग गाँवों में रहते हैं। गाँव ही देश के आधार हैं।” इसे स्मरण करके अब ज्ञात हुआ है कि “वास्तविक भारत तो गाँवों में ही है, गाँवों की उन्नति में ही देश की उन्नति निहित है।”

ठीक है, पत्र समाप्त करता हूँ। गर्मी के अवकाश में हम सभी मिलकर पास में स्थित ‘झिरी’ नामक गाँव को जाकर वहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य को देखेंगे। उस गाँव की यह बड़ी विशेषता है कि प्रायः सभी लोग संस्कृत में ही बोलते हैं। आने वाले महीने में मेरी अर्द्धवार्षिक परीक्षा है। अन्य सभी ठीक-ठाक है। सभी को फिर से नमस्ते। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।

आपका पुत्र
दीपेश

ग्रामजीवनम् शब्दार्थाः

विगतसप्ताहे = पिछले सप्ताह में। सहित्वा = सहन करके। गोचारणभूमिः = गाय चराने के लिए भूमि या चरागाह। स्वच्छन्दं = स्वतंत्र रूप से। बलीवाः = बैल। हट्टः = बाजार, पैंठ। द्रस्यामः = देखेंगे। प्रभूतं = अत्यधिक मात्रा में। महद् वैशिष्ट्यम् = महती विशेषता। दृष्ट्वा = देखकर। परितः = चारों ओर। महिष्यः = भैंसें। वृष्टिः = बरसात। आपणाः = दुकानें। अम्ब! = माँ (सम्बोधन)। सन्निहिता = छिपी हुई है। भाषन्ते = बोलते हैं।

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