MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 18 पुरुषोत्तमः

MP Board Class 9th Sanskrit Book Solutions संस्कृत दूर्वा Chapter-18 पुरुषोत्तमः NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 18 पुरुषोत्तमः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) नियतात्माः महावीर्यः कः? (मन को वश में रखने वाला कौन है?)

उत्तर:
प्रभवो रामः। (प्रभु राम)

(ख) रामः किमर्थं वनं गतः? (राम किसलिए वन को गए?)
उत्तर:
पितुर्वचननिर्देशात्। (पिता के वचनों का पालन करने के लिए।)

(ग) सुग्रीववचनात् रामः कं हतवान्? (सुग्रीव के वचन से राम ने किसका वध किया?)
उत्तर:
बालिन। (बालि का)

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(घ) महाकपिः कां दग्धवान्? (हनुमान ने किसे जलाया?)
उत्तर:
लङ्कां। (लंका को)

(ङ) सीता दृष्टा इति कः रामं न्यवेदयत? (सीता को देखकर किसने राम को सम्पूर्ण कथा सुनायी?)
उत्तर:
महाकपि हनुमानः (महावीर हनुमान ने)

प्रश्न 2.
कवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) सीता लक्ष्मणश्च केन सह वनम् अगच्छताम्? (सीता और लक्ष्मण के साथ कौन वन को गए?)

उत्तर:
सीता लक्ष्मणश्च रामेण सह वनम् अगच्छताम्। (सीता और लक्ष्मण के साथ राम वन को गए।)

(ख) रामः कस्मिन् वंशे उत्पन्नः अभूत? (राम किस वंश में उत्पन्न हुए?)
उत्तर:
राम इक्ष्वाकुवंशे उत्पन्नः अभूत्। (राम इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न हुए।)

(ग) केन दशरथस्य मरणमभवत्? (किसके कारण दशरथ की मृत्यु हुई?)
उत्तर:
पुत्र शोकात् दशरथस्य मरणमभवत्।। (पुत्र शोक के कारण दशरथ की मृत्यु हुई।)

(घ) मायावी रावणः सीतां कथं जहार? (मायावी रावण ने सीता का कैसे हरण किया?)
उत्तर:
मायावी रावणः सीतां नृपात्मजौ दूरम् अपवाह्य रामस्य भार्यां जहार। (मायावी रावण ने सीता को राजकुमारों (राम-लक्ष्मण) को दूर भेजकर)

(ङ) श्रीराम बालिनः राज्ये कं प्रत्यपादयत्? (श्रीराम ने बालि का राज्य किसको प्रदान किया?)
उत्तर:
श्रीराम बालिनः राज्ये सुग्रीवमेव प्रत्यपादयत्। (श्रीराम ने बालि का राज्य सुग्रीव को प्रदान किया।)

प्रश्न 3.
धोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) रामस्य विशिष्टगुणाः के? (राम के विशिष्ट गुण कौन-कौन से हैं?)

उत्तर:
रामस्य विशिष्टगुणाः महावीर्यं द्युतिमान् धृतिमान् श्च आसीत्। (राम के विशिष्ट गुण महान बलशाली, वीर और कांति युक्त थे।)

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(ख) रामस्य वनगमनसमये के दूरम् अनुगतः? (राम के वनगमन के समय कौन दूर तक अनुगमन किया?)
उत्तर:
रामस्य वनगपन समये पित्रा दशरथेन पौरेः च दूरम् अनुगतः। (राम के वनगमन के समय पिता दशरथ और ग्रामवासी दूर तक अनुगमन किए।)

(ग) वने रामः शूर्पणखावाक्यादुधुक्तान् कान्-निजधान? (वन में राम शूर्पणखा द्वारा उत्तेजित किए गए किन-किन राक्षसों को मारा?)
उत्तर:
वने रामः शूर्पणखावाक्यादुधुक्तान् सर्वराक्षसान् खरं, त्रिशिरसं, दूषणं च निजधान। (वन में राम ने शूर्पणखा द्वारा उत्तेजित किए गए राक्षसों खर, त्रिशला, और दूषण आदि को मारा।)

(घ) हनुमान कं प्रियम् आख्यातुम आयात्! (हनुमान किसको प्रिय कथा सुनाने आये?)
उत्तर:
हनुमान रामं प्रियम् आख्यातुम् आधात्। (हनुमान राम को प्रिय कथा सुनाने आये।)

(ङ) रावणस्य वधानन्तरं रामः किं कृतवान्? (रावण का वध करके राम ने क्या किया?)
उत्तर:
रावणस्य वधानन्तरं रामं नदीग्रामे जटां हित्वा भ्रातृभिः सहितः सीताम् अनुप्राप्य राजं पुनः आप्तवान्। (रावण के वध के अनन्तर राम नंदी ग्राम में जटाओं को कटवाकर भाइयों सहित सीता के साथ राज्यभार पुनः प्राप्त किया।)

प्रश्न 4.
युग्ममेलनं कुरुत-
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 18 पुरुषोत्तम img-1

प्रश्न 5.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
यथा-
श्रीरामः धैर्येण हिमवान इवं अस्ति।। – आम्
आम् सुग्रीवेण सह रामः मित्रतां न कृतवान् – न
(क) कैकेय्याः प्रियकारणात् रामः वनं गतः।
(ख) सुमित्रानन्दवर्धनः लक्ष्मणः वनं न गतः।
(ग) रामः चतुर्दशसह राक्षसान् हतवान्।
(घ) सुग्रीवः बालिनं हतवान्।
(ङ) रामः रावणं न हतवान।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) आम्
(घ) न
(ङ) न

प्रश्न 6.
उचितैः शब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) रामः समुद्रइव गाम्भीर्ये अस्ति।
(ख) वनं गत्वा रामः राक्षसान् निजधान।
(ग) सुग्रीवेण पम्पातीरे सह रामस्य मित्रता सम्पन्नता।
(छ) लङ्का गत्वा रामः रावणं हतवान्।
(ङ) रामः नन्दिग्रामे जटां त्यक्तवान्।

प्रश्न 7.
अधोलिखितवाक्यानि भूतकाले परिवर्तयत
(क) राक्षसान् मारणाय रामः वनं गच्छति।

उत्तर:
राक्षसान मारणाय रामः वनं आगच्छत्।।

(ख) समेण सह सीता लक्ष्मणश्च वनं गच्छतः।
उत्तर:
रामेण सह सीता लक्ष्मणश्च वनं गतवन्तौ।

(ग) रामः सुग्रीवेण सह मैत्री करोति।”
उत्तर:
रामः सुग्रीवेण सह मैत्री अकरोत्।

(ध) वाल्मीकिः रामचरित लिखति।
उत्तर:
वाल्मीकिः रामचरितं अलिखत्।

(ङ) श्रीरामः विभीषणाय लङ्काराज्यं ददाति।
उत्तर:
श्रीरामः विभीषणाय लङ्काराज्यं अद्दात्/दत्ता।

प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं शब्दानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत-
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प्रश्न 9.
अधोलिखित शब्दानां समानार्थशब्दान् लिखत
उदाहरणं यथा- सुतः – पुत्रः
रामः – सीतापतिः।
हनमुान् – अंजनि पुत्रः।
शशी – मयङ्क
राजा – नृपः
समुद्रः – रत्नाकरः
वनम् – अरण्यम्।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित अव्ययानि प्रयुज्य वाक्यनिमाणं कुरुत-
इव – रामस्य गम्भीरता समुद्रः इव अस्ति।
च – कौशल्यानन्द स्य गंभीरता समुद्रः इव च धैर्येण हिमवान् इव आसीत्।
तत: – ततः रामः परिवार सहितेन वनं जगाम।
अपि – अहं अपि नगरं गमिष्यामि।
एव – गीता एव मधुरं गीतं गायति।

प्रश्न 11.
निम्नलिखितेषु प्रत्ययं च पृथक् कुरुत-
दृष्ट्वा – दृशृ + क्त्वा
कृत्वा – कृ + क्त्वा
श्रुत्वा – श्रु + क्त्वा
हत्वा – हनू + क्त्वा
दग्ध्वा – दग्ध् + क्त्वा।

पुरुषोत्तमः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

वाल्मीकि (चित रामायण विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य है। उसमें से उद्धृत कुछ गीत काव्य के महानायक राम के चरित्र को व्यक्त करते हैं।

पुरुषोत्तमः पाठ का हिन्दी अर्थ

  1. इक्वाकुवंशप्रभवो रामो नाम जनैः श्रुतः।
    नियतात्मा महावीर्यो द्युतिमान् धृतिमान् वशी॥

शब्दार्थः :
इक्ष्वाकुवंश प्रभवो-इक्ष्वाकु-family; श्रुतः-सुना गया-listen; नियतात्मा-मन को वश में रखने वाले -controller of mind /who under the mind; द्युतिमान-कान्तिमान्-fame full.

हिन्दी अर्थः :
इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न, अपने मन को वश में रखने वाले महावीर, कान्तिमान, धैर्यवान, इन्द्रियजयी राम का नाम सभी लोगों न सुना है।

  1. स च सर्वगुणोपेतः कौसल्यानन्दवर्धनः
    समुद्र इव गाम्भीर्ये धैर्येण हिमवानिव ॥

शब्दार्थः :
कौसल्यानन्दवर्धनः-कौसल्या के आनन्द को बढ़ाने वाला-who incresing of Kaushalya’s enjoyment; इव-के समान-like you.

हिन्दी अर्थः :
वे कौसल्या के आनन्द को बढ़ाने वाले सर्वगुण संपन्न, समुद्र के समान गम्भीर, हिमालय के समान धैर्यवान हैं।

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  1. स जैगाम वनं वीरः प्रतिज्ञामनुपालयन्।
    पितुर्वचननिर्देशात् कैकेय्याः प्रियकारणात् ॥

शब्दार्थः :
पितुर्वचननिर्देशात्-पिता के वचनों के निर्देश से-orders of father’s sentence. कैकेयाप्रियकारणात्-कैकेयी को प्रिय लगने के कारण-reason of loving Kaikeyi.

हिन्दी अर्थ :
वे कैकेयी के अभीष्ट सिद्धि एवं पिता की प्रतिज्ञा के पालनार्थ उनकी आज्ञा से वन गए।

  1. तं व्रजन्तं प्रियो भ्राता लक्ष्मणेऽनुजगाम ह।
    स्नेहाद् विनयसम्पन्नः सुमित्रानन्दवर्धनः॥

शब्दार्थ :
भ्राता-भाई-Brother; विनयसम्पन्नः-विनय से युक्त-Full of respect; सुमित्रानन्दवर्धनः-सुमित्रा के आनन्द को बढ़ाने वाला-for Sumitra and Anand; अनुजगाम-अनुसरण किया-followed.

हिन्दी अर्थ :
उनको जाते देख उनके प्रिय भाई स्नेह व विनय से संपन्न, सुमित्रा के आनन्द को बढ़ाने वाले लक्ष्मण ने भी उनका अनुसरण किया।

  1. सीताप्यनुगता रामं शशिनं रोहिणी यथा।
    पौरैरनुगतो दूरं पित्रा दशरथेन च॥

शब्दार्थः :
पौरैः-ग्रामवासी-villagers; अनुगतः-अनुकरण-follower; शशिं-चन्द्रमा-Moon.

हिन्दी अर्थ :
वन जाते समय पिता दशरथ एवं नगरवासियों द्वारा उनका बहुत दूर तक अनुगमन किया। सीता भी चन्द्रमा-रोहिणी के समान उनका अनुगमन किया अर्थात् उनके साथ वन को गईं।

  1. चित्रकूटं गते रामे पुत्रशोकातुरस्तदा।
    राजा दशरथः स्वर्गे जगाम विलपन् सुतम्॥

शब्दार्थः :
गते-गए हुए-went; जगाम्-गया-went. विलाप-रोना-weep.

हिन्दी अर्थ :
राम के चित्रकूट चले जाने पर पुत्र शोक से विह्वल महाराज दशरथ विलाप करते हुए स्वर्गारोहण किया।

  1. ततः शूर्पणखावाक्यादुधुक्तान् सर्वराक्षसान्।
    खरं त्रिशिरसं चैव दूषणं चैव राक्षसम्
    निजघान रणे रामस्तेषां चैव पदानुगान्॥

शब्दार्थः :
ततः-तब-then; चैव-और भी-and also; विजधान्-विजय को-to receive Victory.

हिन्दी अर्थः :
इसके बाद (रावण की बहन) शूर्पणखा द्वारा उत्तेजित किए जाने वाले सभी राक्षस गण-खर, दूषण, त्रिसिरा और उनके सहयोगी सभी राम द्वारा युद्ध में मारे गए।

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  1. वने तस्मिन् निवसता जनस्थाननिवासिनाम्।
    रक्षसां निहतान्यासन् सहस्त्राणि चतुर्दश।
    ततो ज्ञातिवधं श्रुत्वा रावणः क्रोधमूर्छितः॥

शब्दार्थः :
तस्मिन्-उस-His; जनस्थानं-लोक स्थान-public place; सहस्राणि-हजारों-thousands; ततो-तब-then; श्रुत्वा-सुनकर-to listen.

हिन्दी अर्थः :
वन में रहते हुए जनस्थान के निवासियों की रक्षार्थ चौदह हजार राक्षस राम के द्वारा मारे गए। यह जानकर कि (जनस्थान में खर-दूषण आदि सारे राक्षस मारे गए) रावण क्रोधान्ध हो गया।

  1. तेन मायाविना दूरमपवाह्य नृपात्मजौ।
    जहार भार्यां रामस्य गृधं हत्वा जटायुषम्॥

शब्दार्थः :
तेन-उससे-his,him;जहार-अपहरण-kiddnap; गृधं-गिद्ध (जटायु)-A big bird; हत्वा-मारकर-after kill.

हिन्दी अर्थः :
तब रावण ने (अपने मामा) मायावी मारीच राजपुत्रों (राम-लक्ष्मण) को दूर ले जाकर राम की भार्या सीता का अपहरण कर लिया और जटायु नामक गिद्ध को मार दिया।

  1. पम्पातीरे हनुमता सङ्गतो वानरेण ह।
    हनुमद्वैचनाच्चैव सुग्रीवेण समागतः॥

शब्दार्थः :
पम्पा तीरे-पम्पा नामक सरोवर के किनारे-Near by the Pumpa; सङ्गतो-मित्रता–friendship; वानरेण-वानर के द्वारा-By monkey; सुग्रीवेण-सुग्रीव के ART-By Sugreev.

हिन्दी अर्थ :
उसके बाद पम्पासर के तट पर हनुमान नामक वानर के साथ मित्रता हुई। हनुमान के कहने पर सुग्रीव से उनकी मित्रता हुई।

  1. ततः सुग्रीववचनाद्धत्वा वालिनमाहवे।
    सुग्रीवमेव तद्राज्ये राघवः प्रत्यपादयत्॥

शब्दार्थः :
ततः-तब-then; सुग्रीववचनात्-सुग्रीव के वचन से;प्रत्ययादयत्-बैठा दिया-to sat.

हिन्दी अर्थ :
फिर सुग्रीव के कहने पर (राम ने) बाली का वध कर सुग्रीव को उस राज्य (किष्किंधा) का राजा नियुक्त किया।

  1. ततो दग्ध्वा पुरीं लङ्कामृते सीतां च मैथिलीम्।
    रामाय प्रियमाख्यातुं पुनरायात्महाकपिः॥

शब्दार्थः :
दग्ध्वा-जलाकर-to burn; मैथिलीम-सीता को-to Sita; प्रियमाख्यातुं-शुभ समाचार-Good news.

हिन्दी अर्थ :
उसके बाद हनुमान ने समुद्र को लांघकर, लंकापुरी को भस्मसात कर मैथिली सीता का समाचार राम को सुनाया।

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  1. सोभिगम्य महात्मानं कृत्वा रामं प्रदक्षिणम्।
    न्यवेदयदमेयात्मा दृष्टा सीतेति तत्त्वतः॥

शब्दार्थ :
सोभिगम्य-बहुत अधिक-Highly; महात्मानं-महात्मा को-to saint; कृत्वा-करके-doing.

हिन्दी अर्थ :
अपरिमित, अतुलित बलशाली हनुमान ने आकर भगवान राम की प्रदक्षिणा करके माँ सीता का समाचार उन्हें सुनाया और कहा–हमने माँ सीता को देखा है।

  1. तेन गत्वा पुरीं लङ्कां हत्वा रावणमाहवे।
    रातः सीतामनुप्राप्य परां व्रीडामुपागमत्।।

शब्दार्थः :
तेन-उससे-his, her; गत्वा-जाकर-going; परां-बहुत अधिक-very much.

हिन्दी अर्थ :
तब राम ने समुद्र में सेतु का निर्माण कर लंका पुरी में जाकर रावण को युद्ध में मार कर सीता को प्राप्त कर लज्जित हुए।

  1. नन्दिग्रामे जटां हित्वा भ्रातृभिः सहितोऽनघः।
    रामः सीतामनुप्राप्य राज्यं पुनरवाप्तवान्॥

शब्दार्थः :
नन्दिग्रामे-नंदिग्राम में-In Nandigram; भ्रातृभिः-भाईयों के साथ-with brothers; पुनःप्राप्तवान्-पुनः प्राप्त किया-re-received.

हिन्दी अर्थः :
पुनः पाप रहित राम ने नन्दिग्राम में आकर अपनी बढ़ी हुई जटाओं को कटवा कर अपने साथ सीता को प्राप्त कर पुनः राज्याभिषिक्त हुए।


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