MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 8 जीवन का झरना

MP Board Class 9th Hindi Book Solutions हिंदी वासंती, नवनीत Chapter 8 जीवन का झरना- NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 9th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 8 जीवन का झरना

प्रश्न 1.
निर्झर किन गुणों के आधार पर आगे बढ़ता है?
उत्तर:
निर्झर अपनी निरन्तर गति और यौवन के गुणों के आधार पर आगे बढ़ता है। उसके जीवन में विपत्तियों से जूझने की क्षमता है।

प्रश्न 2.
निर्झर को किन-किन बाधाओं को पार करना पड़ता है?
उत्तर:
निर्झर को मार्ग में आने वाली चट्टानों एवं वृक्षों आदि की बाधाओं को पार करना पड़ता है।

प्रश्न 3.
निर्झर क्या कहता है?
उत्तर:
निर्झर कहता है कि निरन्तर बिना कोई चिन्ता किए आगे बढ़ते जाओ। मार्ग में चाहे कैसी भी विपत्ति आये उससे घबराओ मत अपितु उसका बहादुरी से मुकाबला करो।

प्रश्न 4.
जीवन रूपी निर्झर के दोनों किनारे कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जीवन रूपी निर्झर के दो किनारे हैं-सुख और दुःख। जिस प्रकार दिन-रात का, लाभ-हानि का जोड़ा रहता है उसी प्रकार सुख-दुःख का भी जोड़ा रहता है। जब व्यक्ति के पुण्य उदय होते हैं तब वह सुख भोगता है और पाप के उदय होने पर दुःख भोगता है।

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प्रश्न 5.
निर्झर की सिर्फ एक ही धुन है, वह कौन सी हैं?
उत्तर:
निर्झर की सिर्फ एक ही धुन है, वह है निरन्तर चलने की और मस्ती में गाते हुए चलने की अर्थात् वह दुःख एवं विपत्ति की चिन्ता न करते हुए निरन्तर अपनी मस्ती के गीत गाते हुए विघ्न-बाधाओं को पार करते हुए निरन्तर चलता रहता है।

प्रश्न 6.
कविता के आधार पर मनुष्य कैसे बढ़ता है?
उत्तर:
कविता के आधार पर मनुष्य संघर्ष करता हुआ, विघ्न बाधाओं को पार करता हुआ बढ़ता है। जिस प्रकार झरना कठोर-से-कठोर चट्टानों को तोड़कर अपनी राह बनाता हुआ आगे बढ़ता जाता है उसी प्रकार मनुष्य को भी मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर भगाकर निरन्तर आगे-ही-आगे बढ़ते चला जाना चाहिए।

प्रश्न 7.
कविता के आधार पर निर्झर की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
कविता के आधार पर निर्झर की तीन विशेषताएँ इस प्रकार हैं-प्रथम विशेषता है सदैव मस्त रहना, द्वितीय विशेषता है यौवन जैसा जोश लेकर सदैव गतिशील बना रहना। मार्ग में चाहे जैसी भी बाधाएँ, (विपरीत परिस्थितियाँ) आएँ उनसे बिना विचलित हुए अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर आगे बढ़ते जाना और तृतीय विशेषता है कभी भी पीछे मुड़कर न देखना अर्थात् अतीत की यादों को याद कर व्यर्थ ही अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ न करना।

प्रश्न 8.
निर्झर को बाधाओं को पार करने के लिए क्या करना पड़ता है?
उत्तर:
निर्झर को मार्ग में आने वाली चट्टानों एवं वृक्षों को अपने सामने से हटाकर अपना मार्ग प्रशस्त करना पड़ता है। जीवन के उतार-चढ़ाव के समान ही कभी उसकी लहरें ऊपर चढ़ती हैं तो कभी नीचे गिरती हैं। इन संकटों से वह कभी भी विचलित न होकर निरन्तर आगे-ही-आगे बढ़ता जाता है।

प्रश्न 9.
निर्झर क्या कहना चाहता है और क्यों?
उत्तर:
निर्झर कहता है कि हमें विघ्न और विपत्तियों की चिन्ता न कर निरन्तर आगे बढ़ते जाना चाहिए। मार्ग में आने वाली बाधाओं को अपनी बहादुरी एवं सूझ-बूझ से दूर हटा दो और आगे ही आगे बढ़ते जाओ। पीछे मुड़कर अर्थात् अतीत को मत देखो क्योंकि उससे कुछ भी मिलने वाला नहीं है। निरन्तर आलस्य को त्यागकर हर क्षण अपने जीवन को गतिमान बनाये रखो क्योंकि गति ही जीवन है। जिस दिन व्यक्ति निष्क्रिय हो जाएगा उस दिन निर्जीव व्यक्ति के समान बन जाएगा और यह निष्क्रिता ही मरण का दूसरा नाम है।


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