Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 1 वन्दना

Bihar Board Class 7th Sanskrit Book Solutions संस्कृत Chapter 1 वन्दनाNCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

Bihar Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 1  वन्दना

मौखिकः

Sanskrit Vandana Class 7 Bihar Board प्रश्न (1)
उच्चैः वदत –

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solution प्रश्न (क)

नमामि – नमाव: – नमामः
वदामि – वदाव: – वदामः
स्मरामि – स्मराव: – स्मरामः
Sanskrit Class 7 Chapter 1 Vandana Bihar Board प्रश्न (ख)

पालकाय पालकाभ्याम् पालकेभ्यः
विनाशाय विनाशाभ्याम् विनाशेभ्यः
विशालाय विशालाभ्याम् विशालेभ्यः

नोट :- छात्र स्वयं ऊँचे स्वर में बोलने का अभ्यास करें।

Bihar Board Solution Class 7 Sanskrit प्रश्न (2)
श्लोकान् सस्वरं गायत।
नोट :- छात्र श्लोकों को गाएँ ।

लिखितः

Bihar Board Class 7 Sanskrit Book Solution प्रश्न (3)
श्लोकांशान् लिखत –

(क) प्रसादे यस्य ……….. विपत्तिः ……….. तथा ।
…………. विशालाय ……………. परमात्मने ।।

(ख) नमामि देवं ……………….तत्कार्यजगत्स्व रूपम् ।
…………………. तद् वाचक-शब्दवृन्दम्
महेश्वरं ………….. |
उत्तराणि –
(क) प्रसादे यस्य सम्पत्तिः विपत्तिः कोपेन तथा ।
नमस्तस्मै विशालाय शिवाय परमात्मने ॥

(ख) नमामि देवं जगदीशरूपं स्मरामि रम्यं च जगत्स्वरूपम्
वदामि तद् वाचक-शब्दवृन्दम् महेश्वरं देवगणरगम्यम् ॥

Class 7 Sanskrit Vandana Bihar Board प्रश्न (4)
उत्तराणि लिखत –

शिवस्य प्रसादात् किम् मिलति ?
कस्य कोपने विपत्तिः लभ्यते ?
जगत् कीदृशम् अस्ति ?
संसारस्य विनाशं कः करोति ?
प्राणिनां पालनं कः करोति
?
उत्तराणि-

शिवस्य प्रसादात् सम्पत्तिः मिलति ।
शिवस्य कोपेन विपत्तिः लभ्यते ।
जगत् रम्यं अस्ति ।
संसारस्य विनाशं विश्वरूपः परमात्मा करोति । ।
प्राणिनां पालनं परमात्मा करोति ।
Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 1 प्रश्न (5)
सुमेलितं कुरुत –

सुखम् – (i) सम्पत्तिः
सत्यम् – (ii) ग्रहणम्
विपत्तिः – (iii) कोपनम्
जन्म – (iv) दुःखम्
प्रसाद: – (v) मिथ्या
दानम् – (vi) विनाशः
उत्तर-

– (iv)
– (v)
– (i)
– (vi)
– (iii)
– (ii)
Sanskrit Chapter Vandana Bihar Board प्रश्न (6)
रिक्तस्थानानि पूरयत –

शिवाय ……….. नमः / नमानि
………………….. नमः ।। गणेशं / गणेशाय
…………. नमः । सरस्वतीं । सरस्वत्यै
जगदीशं नमामि / नमः
मातरं ……………………। नमः / नमामि
………………. स्मरामि । कृष्णं । कृष्णाय
……….. नमः | तस्मात् / तस्मै

उत्तराणि –

नमः
गणेशाय
सरस्वत्यै
नमामि
नमामि
कृष्णं
तस्मै ।
कक्षा 7 संस्कृत पाठ 1 Bihar Board प्रश्न (7)
सन्धिविच्छेदं कुरुत –

Chapter 1 Sanskrit Class 7 Bihar Board

Sanskrit Class 7 Chapter 1 Bihar Board प्रश्न (8)
वाक्यानि रचयत –

Class 7 Sanskrit Chapter 1 Question Answer Bihar Board

Class 7 Sanskrit Chapter 1 Bihar Board प्रश्न (9)
पाठभिन्नं श्लोकमेकं स्वस्मरणेन लिखत –
उत्तराणि –

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्याद्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव ।
Class 7 Sanskrit Bihar Board प्रश्न (10)
संस्कृते अनुवादं कुरुत ।

वह पिता को प्रणाम करता है ।
वे दोनों धन प्राप्त करते हैं ।
वे सब सत्य बोलते हैं ।
तुम वेद पढ़ते हो।
देवता को (देवाय) नमस्कार है ।
तुम दोनों विद्यालय जाते हो ।
तुमलोग कार्य करते हो ।

उत्तराणि-

सः पितरं प्रणमति ।
तौ धनं प्राप्नुवन्तः ।
ते सत्यं वदन्ति ।
त्वं वेदं पठसि ।
देवाय: नमः ।
युवा विद्यालयं गच्छतः ।
यूयं कार्यं कुरूथ ।
Bihar Board Class 7 Sanskrit वन्दना Summary
[प्रस्तुत पाठ में संसार के सृष्टिकर्ता परमात्मा की वन्दना विभिन्न पौराणिक श्लोकों में की गयी है । ज्ञान का आरंभ परम प्रभु की स्तुति से ही हो यह इस पाठ का लक्ष्य है । परमात्मा जगत् के सभी कार्यों के संचालक तथा बिना माँगे सब-कुछ देने वाले हैं। इसलिए सबका कर्त्तव्य है कि उनकी वन्दना गान सहित करें ।]

नमस्ते विश्वरूपाय …………….. विश्ववन्द्याय बन्धवे ॥1॥

शब्दार्थ – नमस्ते (नमः + ते) = नमस्कार । विश्वरूपाय – विश्वरूप (समस्त संसार ही जिसका रूप है वैसा) के लिए । प्राणिनाम् = प्राणियों के। की । पालकाय – पालन करने वाले के लिए । ते (तुभ्यम्) = आपके लिए। जन्म-स्थिति-विनाशाय = रचना, विद्यमानता तथा नाश के लिए। विश्ववन्द्याय – संसार के द्वारा वन्दनीय के लिए । बन्धवे – मित्र / संबंधी के लिए।

सरलार्थ-समस्त संसार ही जिसका रूप है, प्राणियों के पालन करनेवाले, जन्म, विद्यमानता तथा विनाश करने वाले, संसार के द्वारा वन्दनीय आपके (परमपिता परमेश्वर) लिए नमस्कार हैं।

प्रसादे यस्य सम्पत्तिः ……………… शिवाय परमात्मने ॥2॥

शब्दार्थ-प्रसादे – कृपा होने पर । यस्य = जिसका । सम्पत्तिः – धन । विपत्तिः – संकट । कोपने = क्रोध करने पर/ में । तथा – और, उस प्रकार से । नमस्तस्मै (नम: तस्मै) = उसको । उनको नमस्कार है । विशालाय – बड़े / विशाल को/ के लिए । शिवाय = शिव के लिए / मङ्गल के लिए। परमात्मने = परमात्मा के लिए ।

सरलार्थ – जिसकी कृपा से सम्पत्ति और क्रोध से विपत्ति आती है. उस विशाल परमात्मा शिव के लिए नमस्कार है।

ज्ञानं धनं सुखं सत्यं……………… मानवस्तं नमाम्यहम् ॥3॥

शब्दार्थ-ज्ञानम् = ज्ञान, जानकारी । सत्यम् = सत्य, सच । तपः तपस्या । दानम् – दान । अयाचितम् – न माँगा गया, बिना माँगे । लभते – प्राप्त करता है । मानवस्तम् (मानवः तम्) – मानव / मनुष्य, (तम्-) उसको । नमाम्यहम् (नमामि अहम्) = नमस्कार करता हूँ, (अहम्-) मैं । नमामि = नमस्कार करता हूँ। सरलार्थ-जिनकी कृपा से मनुष्य को ज्ञान, धन, सुख, सत्य, तप और दान बिना मांगे ही मिल जाता है उनको, (परमात्मा को) में प्रणाम करता हूँ।

नमामि देवं जगदीशरूपं ………महेश्वरं देवगणैरगम्यम् ॥4॥

शब्दार्थ-देवम् = देवता को । जगदीशरूपम् (जगत्-ईशरूपम्) – संसार के स्वामी रूप वाले (को) । स्मरामि – याद / स्मरण करता हूँ। जगत्स्वरूपम् – जगत् (की रचना) के रूप वाले । वदामि – कहता / बोलता हूँ । तद् .वाचक-शब्दवृन्दम् = उस (देव) के बोधक शब्दसमूह को। महेश्वरम् – महान् ईश्वर को । दैवगणैरगम्यम् (दैवगणै अगम्यम्) – देवसमूहों के द्वारा न प्राप्त करने योग्य ।।

सरलार्थ-संसार के स्वामी रूप वाले, जगत् के रूप वाले सुन्दर देवता को प्रणाम करता हूँ। उस (देव) के बोधक शब्द समूह महान ईश्वर को जो देवगणों के द्वारा नहीं प्राप्त करने योग्य हैं, कहता हूँ।

व्याकरणम् ।

संस्कृत कक्षा 7 पाठ 1 Bihar Board सन्धि-विच्छेदः

नमत = नमः + ते (विसर्ग सन्धि)
नमस्तस्मै = नमः + तस्मै (विसर्ग सन्धि)
मानवस्तम् = मानवः + तम् (विसर्ग सन्धि)
नमाम्यहम् = नमामि + अहम् (यण् सन्धि)
जगदीशः = जगत् + ईशः (व्यञ्जन सन्धि)
देवगणैरगम्यम् = देवगणैः + अगम्यम् (विसर्ग सन्धि)
प्रकृति-प्रत्यय-विभागः

कक्षा 7 संस्कृत पाठ 1 के प्रश्न उत्तर Bihar Board

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