MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 21 सूक्तयः

MP Board Class 10th Sanskrit Book Solutions संस्कृत दुर्वा Chapter-21 सूक्तयः NCERT पर आधारित Text Book Questions and Answers Notes, pdf, Summary, व्याख्या, वर्णन में बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया गया है.

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 21 सूक्तयः

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) पठतो किं नास्ति? (पढ़ते हुए का क्या नहीं है?)

उत्तर:
मूर्खत्वम् (मूर्खता)

(ख) देवतानां दैवतं का? (देवताओं का देवता कौन है?)
उत्तर:
माता (माता)

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(ग) नभसि क्षिप्तः पङ्क कुत्र पतति? (आकाश पर फेंका हुआ कीचड़ कहाँ गिरता है?)
उत्तर:
मूर्द्धनि (सिर पर)

(घ) प्राणैः कण्ठगतैरपि किं कर्त्तव्यः? (प्राणों के कण्ठ में पहुंचने पर भी क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
परोपकारः (परोपकार)

(ङ) केन सर्वं जगद्विजीयते? (किसके द्वारा सारा जगत जीता जाता है।)
उत्तर:
जितक्रोधेन (क्रोध को जीतने वाले के द्वारा)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) कः धीरः? (कौन धीर है?)

उत्तर:
यस्य प्रज्ञा आपदि स्फुरति सः एव धीरः। (जिसकी बुद्धि आपत्ति में सर्जित (कार्यशील) होती है, वही धीर है।)

(ख) वाग्मिता का? (वाक्पटुता क्या है?)
उत्तर:
मितं च सारं च वयः हि वाग्मिता। (थोड़ा और संक्षेप में बोलना वाक्पटुता है।)

(ग) जनाः कदा शिष्टाः भवन्ति? (लोग कब शिष्ट होते हैं?)
उत्तर:
परोपदेशवेलायां जनाः शिष्टाः भवन्ति। (दूसरों के उपदेश के समय लोग शिष्ट होते हैं।)

(घ) सन्तः किं कुर्वाणाः प्रतिक्रियां न अवेक्षन्ते? (सज्जन लोग क्या करते हुए बदला नहीं देखते?)
उत्तर:
सन्तः परार्थं कुर्वाणाः प्रतिक्रियां न अवेक्षन्ते। (सज्जन लोग परोपकार करते हुए बदला नहीं देखते।)

(ङ) मानी किं सहते? (सम्मान वाले लोग क्या सहन करते हैं?)
उत्तर:
मानी विपत्सहस्रं सहते।। (सम्मान वाले लोग हजारों मुश्किलें सह सकते हैं।)

प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए)
(क) कः स्वयं भ्रमति? (कौन स्वयं घूमता है?)
उत्तर:
यस्य निश्चयः स्वधियः नास्ति सः स्वयं भ्रमति। (जिसका फैंसला अपनी बुद्धि का नहीं होता वह खुद घूमता है।)

(ख) कः कस्मात् क्रूरतरः? (कौन किससे अधिक क्रूर है?)
उत्तर:
खलः सात् क्रूरतरः। (दुष्ट व्यक्ति साँप से अधिक भयंकर है।)

(ग) मतिमान नरः किं करोति? (बुद्धिमान व्यक्ति क्या करता है?)
उत्तर:
मतिमान् नरः स्वल्पस्य कृते भूरिं न नाशयेत्। (बुद्धिमान् लोग थोड़े के लिए अधिक को नष्ट नहीं करते।)

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प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः सूक्तिपूर्तिं कुरुत (दिए गए शब्दों से सूक्ति की पूर्ति करो।)
(लघुत्वं, स्वल्पस्य, जितक्रोधेन, स्फुरति, निश्चयो)
(क) न …………… कृते भूरि नाशयेन्मतिमान् नरः।
(ख) …………… सर्वं हि जगदेतद्विजीयते।
(ग) परसदननिविष्टः को …………… न याति।
(घ) स्वधियो …………… नास्ति यस्य स भ्रमति स्वयम्।
(ङ) आपदि …………… प्रज्ञा यस्य धीरः स एव हि।
उत्तर:
(क) स्वल्पस्य
(ख) जितक्रोधेन
(ग) लघुत्वं
(घ) निश्चयो
(ङ) स्फुरति।

प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत (उचित क्रम से जोडिए)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 21 सूक्तयः img 1
उत्तर:
(क) 5
(ख) 4
(ग) 2
(घ) 1
(ङ) 3

प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘न’ इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ तथा अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए-)
(क) धीरपुरुषाणां प्रज्ञा आपदि स्फुरति।
(ख) स्वर्णकांस्ययोः ध्वनिः सममेव भवति।
(ग) खलसर्पयोः मध्ये सर्पः क्रूरतरः अस्ति।
(घ) माता देवतानां दैवतम् नास्ति।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) न
(घ) न

प्रश्न 7.
अधोलिखितपदानां समासविग्रहं कृत्वा समासनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए-
)
(क) परोपकारः
(ख) जितक्रोधेन
(ग) कण्ठगतैः
(घ) स्वधियः
(ङ) परार्थम्
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 21 सूक्तयः img 2

प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं पर्यायशब्दान् लिखत
(उदाहरण के अनुसार पर्यायवाची शब्द लिखिए-
)
यथा- मितम् – स्वल्पम्
(क) सुवर्णे
(ख) देवतानाम्
(ग) प्रज्ञा
(घ) सर्पः
(ङ) सन्तः
उत्तर:
(क) सवर्णे – कनके
(ख) देवतानाम् – सुराणाम्
(ग) प्रज्ञा – धीः
(घ) सर्पः – भुजङ्गः
(ङ) सन्तः – सज्जनाः

प्रश्न 9.
विलोमशब्दान् लिखत- (विलोमशब्द लिखिए)
यथा- खलः – साधुः

(क) धीरः
(ख) सारम्
(ग) शिष्टाः
(घ) स्वल्पस्य
(ङ) क्रूरः
उत्तर:
(क) धीरः – अधीरः
(ख) सारम् – विस्तारम्
(ग) शिष्टाः – अशिष्टाः
(घ) स्वल्पस्य – अधिकस्य
(ङ) क्रूर – अक्रूरः, नम्रः, सौम्यः

प्रश्न 10.
रेखाकितपदान्याधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (रखाङ्कित पदों के आधार पर प्रश्न बनाइए-)
(क) सर्वे शिष्टाः भवन्ति। (सब शिष्ट होते हैं।)
(ख) पङ्क पतति। (कीचड़ गिरता है।)
(ग) सर्पः क्रूरः भवति। (साँप क्रूर होता है।)
(घ) माता देवतानां दैवतम् भवति। (माता देवताओं का देवता होती है।)
(ङ) खलः सात् क्रूरतरः भवति? (दुष्ट व्यक्ति किससे अधिक क्रूर है?)
उत्तर:
(क) के शिष्टाः भवन्ति? (कौन शिष्ट होते हैं?)
(ख) कः पतति? (क्या गिरता है?)
(ग) कः क्रूरः भवति? (कौन भयानव. होता है?)
(घ) का देवतानां दैवतम् भवति? (कौन देवताओं का देवता है?)
(ङ) खलः कस्मात् क्रूरतरः भवति? (दुष्ट व्यक्ति किससे अधिक क्रूर है?)

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योग्यताविस्तार –

पाठे आगताः सूक्तीः विहाय दशसूक्तीः चित्वा लिखत।
(पाठ में आई सूक्तियों को छोड़कर दरा सूक्तियाँ चुनकर लिखिए।)

सूक्तीः कण्ठस्थं कुरुत।
सूक्तियों को कण्ठस्थ कीजिए।

सूक्तयः पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में कुछ सूक्तियाँ दी गई हैं, जिनसे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का ज्ञान तथा सदाचारण की प्रेरणा प्राप्त होती है। इन सूक्तियों में कम अक्षरों के द्वारा रहस्थमय और गंभीर विषय सरल रूप में समझाए गए हैं। थोड़े प्रयत्न से तत्त्व को बोध कराने में इनका अनुपम योगदान है। इसलिए हमें इन्हें पढ़ना चाहिए और उनका अनुसरण करना चाहिए।

सूक्तयः पाठ का अनुवाद

  1. पठतो नास्ति मूर्खत्वम

शब्दार्थाः :
नास्ति (न + अस्ति)-नहीं हैं- does not exist; मूर्खत्वम्-मूर्खत्वfoolishness.

अनुवाद :
पढ़ने वाले का मूर्खत्व नहीं है।

English :
A studious fellow does not remain foolish.

  1. मितं च सारं च वचो हि वग्मिता

शब्दार्थाः :
मितम्-थोड़ा- little; सारम्:-संक्षेप-brief; वाग्मिता-बोलने की चतुरता/वाक्पटुता-wisdom in speech.

अनुवाद :
थोड़ा और संक्षेप में बोलना ही वाक्पटुता है।

English :
Brevity (Brief expression) is the soul of wit (sign of wisdom.)

  1. न सुवर्णे ध्वनिस्तादृग् यादृक्कांस्ये प्रजायते।

शब्दार्थाः :
सुवर्णे-सोने में-in Gold; तादृक्-वैसी-such; यादृक्-जैसी- as; प्रजायते-होती है-is produced.

अनुवाद :
सोने (स्वर्ण) में वैसी आवाज़ नहीं होती, जैसी कांसे में होती है।

English :
Gold is not as resounding (resonant) as bronze.

  1. परसदननिविष्टः को लघुत्वं न याति।

शब्दार्थाः :
परसदननिविष्ट-दूसरे के सदन (घर)-Sitting in others’ house; लघुत्वम्-छोटेपन का-lowliness; याति-जाता (प्राप्त होता) है।

अनुवाद :
दूसरे के घर में बैठा हुआ (वैठने पर) कौन छोटा नहीं हो जाता। दूसरे के घर पर गया हुआ अथवा कौन घटिया नहीं समझा जाता है।

English :
One loses dignity by visiting others’ places or who does not become low on entering others’ houses?

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  1. परोपदेशवेलायां शिष्टाः सर्वे भवन्ति वै।

शब्दार्थाः :
वेलायाम्-समय पर-at the time of; वैः-निश्चयपूर्वक-really; शिष्टाः-अच्छे आचरण वाला-of noble conduct (supreme).

अनुवाद :
दूसरों के उपदेश के समय हम सब सदाचरण वाले बन जाते हैं।

English :
Everyone is a good adviser while advising others.

  1. माता किल मनुष्याणां देवतानां च दैवतम्।

शब्दार्थाः :
किल-निश्चयपूर्वक-virtually; दैवतम्-देवता-god.

अनुवाद :
मनुष्यों की माता निश्चित रूप से देवताओं के देवता के समान है।

English :
One’s mother is the supreme god/goddess (like the mother of gods/goddesses)

  1. आपदि स्फुरति प्रज्ञा यस्य धीरः स एवहि

शब्दार्थाः :
आपदि-मुसीबत में-introuble; स्फुरति-फड़कती है/सर्जित होती (क्रियाशील होती) है- throbs; प्रज्ञाः-बुद्धि, ज्ञान-Wisdom (cool).

अनुवाद :
आपत्ति में जिसका ज्ञान सर्जित होता (दमकता) है, वही धैर्यवान् है।

English :
One who (does not lose) wisdom/during troubles alone is considered forbearing retains contentment is more than a kingdom.

  1. पको हि नभसि क्षिप्तः क्षेप्तुः पतति मूर्द्धनि।

शब्दार्थाः :
पक-कीचड़-mud; नभसि-आकाश पर-towards the sky; क्षिप्तः-फेंका गया-thrown; क्षेप्तु-फेंकने वाले के-thrower’s; मूर्द्धनि-सिर पर-on the head.

अनुवाद :
आकाश पर फेंका गया कीचड़ सिर पर ही गिरता है।

English :
Puff not against the wind.

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  1. परोपकारः कर्त्तव्य प्राणैः कण्ठगतैरपि।

शब्दार्थाः :
प्राणैः-प्राणों से-with life (breath); कण्टगतैः-कण्ठ में अटके हुए (मरते दम तक)-sticking in the throat.

अनुवाद :
कण्ठ में पहुँचे हुए प्राणों से भी परोपकार करना चाहिए। (मरते दम तक परोपकार करना चाहिए।)

English :
Do good until there is the last breath.

  1. न स्वल्पस्य कृते भूरि नाशयेन्मतिमान् नरः।

शब्दार्थाः :
स्वल्पस्य-थोड़े का-of little; भूरि-अधिक-much; नाशयेत्ः-नष्ट करें-sacrifice.

अनुवाद :
बुद्धिमान लोग थोड़े के लिए अधिक को नष्ट न करें।

English :
Quit not certainty for hope.

  1. जितक्रोधेन सर्वं हि जगदेतद्विजीयते।

शब्दार्थाः :
जितक्रोधेन-क्रोध को जीतने से-To conquer anger; विजीयते-जीता जाता है-is conquered.

अनुवाद :
क्रोध को जीतने से इस संसार में सबको जीता जाता है।

English :
Control anger and you will control the entire world.

  1. सन्तः परार्थं कुर्वाणा नावेक्षन्ते प्रतिक्रियाम्।

शब्दार्थाः :
परार्थम्-दूसरों की भलाई-welfare of others; कुर्वाणा-करते हुए-doing; नावेक्षन्तेः-नहीं देखते हैं-do not count; प्रतिक्रिया-बदला-reaction.

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अनुवाद :
सज्जन लोग दूसरों के लिए भलाई का कार्य करते हुए उसकी प्रतिक्रिया (बदला) नहीं देखते हैं।

English :
Do good and forget.

  1. सहते विपत्सहस्त्रं मानी नैवापमानलेशमपि।

शब्दार्थाः :
सहते-सहन करते हैं-bears; विपत्सहस्त्रम्-हजारो मुश्किलें-thousands of troubles; लेशमपिः-थोड़ा-सा भी-evena bit;मानी-सम्मानीय लोग-Menof honour (respectable persons).

अनुवाद :
सम्मानीय लोग हजारों मुश्किलें सहन करते हैं। पर थोड़ा-सा भी अपमान नहीं (सह सकते हैं)।

English :
Men of honour might undergo a series of troubles. However, they do not tolerate even a bit of insult.

  1. सर्पः क्रूरः खलः क्रूरः सात्क्रूरतरः खलः।

शब्दार्थाः :
क्रूरः-भयंकर-crooked, fearful;खलः-दुष्ट व्यक्ति-wicked (vicious) fellow.

अनुवाद :
साँप भयंकर होता है, दुष्ट व्यक्ति भी भयंकर होता है। साँप से दुष्ट व्यक्ति अधिक भयंकर होता है।

English :
Both of the serpent and the wicked person are dreadful. However, the wicked person is more dreadful than the serpent.

  1. स्वधियो निश्चयो नास्ति यस्य स भ्रमति स्वयम्।

शब्दार्थाः :
स्वधियः-अपनी बुद्धि का-of own mind; भ्रमति-घूमता है-wanders.

अनुवाद :
जिसका निश्चय (फैसला) अपनी बुद्धि का नहीं होता, वह खुद घूमता (भटकता) रहता है।

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